कलकत्ता कि दूसरी यात्रा का शुभ अवसर छब्बीस वर्ष बाद मिला 1979 मे कलकत्ता रोजगार हेतु प्रतियोगिता कि परीक्षा हेतु गया था तो छब्बीस वर्ष बाद अपनी सेवा संस्था के अधिकारी Slept के ए जी एम अर्थात अखिल भारतीय जनरल बॉडी मीटिंग मे डेलिगेट्स के रूप मे प्राप्त हुआ बाघ एक्सप्रेस से गोरखपुर पुर से इक्कीस जनवरी 2014 को शुरू हुई मेरे साथ व्यवसायिक नेतृत्व के आदि व्यक्तित्व थे लगभग बीस घंटो कि उबाऊ यात्रा के बाद हम लोग कलकत्ता पहुंचे अधिकारी संगठन द्वारा डेलिगेट्स कि रुकने भोजन आदि कि व्यवस्था संतरा गाँछी के भव्य होटल मे कि गयी थी एवं दो दिवसी अधिवेशन भी वहीं होना था!
कलकत्ता कि दूसरी यात्रा मे एक बहुत सार्थक अनुभव यह हुआ कि लोग अक्सर कहा करते है कि दुनियां आज ऐसी है जहाँ भरोसा किस पर किया जाय बहुत मुश्किल काम है भरोसे मंद एक समंध मित्र खोजना या पाना या मिल पाना बहुत दुर्लभ कठिन कार्य है क्योंकि साथ पल प्रहर साथ रहने वाले साथ उठने बैठने वाले साथ भोजन करने वाले नमक कि लाज भी नही रखते भीष्म और महाराणा प्रताप को भी नही याद करते ऐसे खूबसूरती से धोखा दे गच्चा मार जाएंगे कि ज़ब तक आपको दर्द घाव का एहसास होगा तब तक आप बहुत पीछे ढकेले जा चुके होंगे और निश्चित रूप से पल प्रहर आपके निकट रहने वाला कुछ भी समाज को बताएगा लोग बिना साक्ष्य के भरोसा करेंगे और आपका जड़ उखड़ जायेगा आप जीवित रहते निष्पराभावी और निष्क्रिय हो जायेंगे मै कलकत्ता जा तो रहा था सिर्फ पांच मिनट मे माहौल बदल देने के आपने विश्वास गुण के आत्म विश्वास पर पर भाई लोग साथ रहकर पालिता लगा बैठे फिर क्या था मै बाघ एकप्रेस मे बाघ बन कर बैठा कलकत्ता मे एक दिन बाद गीदड़ हो गया क्योंकि मुझमे सिवा सद्गुण के ईश्वरीय प्रेरणा से वर्तमान समाज राजनीती का कोई गुण है ही नही जैसे मै कोई नशा जैसे शराब शबाब का शौक नही रखता साथ ही साथ मै वर्तमान राजनीती के प्रबंधन सिद्धांत मनी,फुनी,हनी से दूर स्वच्छ अवनी अम्बर का परिवर्तन करी शांखनाद का सार्थक सत्कार हूँ! कितनी भी किसी क़े पक्ष मे हवा क्यों न हो उसे मोड़ देना मुझे जन्मजात गुण प्राप्त है!
कलकत्ता प्रवास के दौरान ज़ब मुझे पता लगा कि साथ के भाई लोगो ने पालिता लगने कि सभी जोर आजमाईस कर चुके है जिसका मुझे विश्वास भी था लेकिन जो स्तर था उसका विश्वास नही था खैर गोरखपुर से जो सोच कर गया था उस उद्देश्य को मैंने बदल दिया!
अधिकारी संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष ऑस्कर फरनाडीज नही आए सभी संथागत कर्मचारी अधिकारी संगठन आपना अध्यक्ष किसी सफल शिखर व्यक्ति को ही रखते है सांगठनिक लाभ हेतु
मै गोरखपुर पुर से हाबड़ा पहुंचने के बीच अपनी रणनीति बदलने को बाध्य हो गया कथित शुभ चिंतको कि रणनीति के कारण अब मेरे पास संथागत उद्देश्य समाप्त हो चुका था और सामाजिक एवं राष्ट्रीय उद्देश्य एक जिम्मेदार नागरिक होने के कारण पर कार्य शुरू किया और मै पुर्वोत्तर के साथ राज्यों से आए प्रतिनिथियो से बात चित कर उनकी मंशा भारत एवं भरतीयता एवं राष्ट्रीय अवधारणा पर उनके विचार अनुभव मनतव्य जानना चाहा जो सत्य सामने आया उससे किसी भी देश भक्त का माथा ठनक जाएगा पुर्वोत्तर के जिन डेली गेट्स से हमारी बार्ता हुई सभी उच्च शिक्षित संतुलित मन मस्तिष्क के व्यक्ति थे सभी ने एक स्वर से बताया कि हम पुर्वोत्तर के सात राज्यों के निवासी खुद को भारतीय मानते ही नही क्योंकि भारत के किसी संस्कृति समाज या राष्ट्रीय सरोकार से हम लोंगो का कोई लेना देना नही हम लोग स्वंय को भरत कि राष्ट्रीय सामाजिक अवधारणा से अलग मानते है जिसका एक कारण भारत के अन्य भागो राज्यों से पुर्वोत्तर राज्यों का संचार सम्बन्ध है ही नही यहाँ तक कि पुर्वोत्तर राज्यों मे भी एक दूसरे राज्यों से सम्पर्क एवं संवाद नगण्य है जिसके करण छोटे छोटे अलगाव वादी समूह बिभाजन करी कृतियों मे लिप्त रहते है रोजगार उद्योग शिक्षा आदि कि व्यवस्था लचर एवं नाममात्र कि है!
मुझे पुर्वोत्तर के सामूहिक विचार को जानकार बहुत दुःख हुआ मै गोरखपुर वापस आकर इस विषय पर लेख सत्य साक्ष्य का हवाला देते हुए लिखा और सोसल मिडिया पर साझा किया
केंद्र मे सत्ता का परिवर्तन हुआ और पुर्वोत्तर मे किरन रिजीजू अरुणाचल से ऐसा राष्ट्रीय व्यक्तित्व का उदय हुआ जिसके कारण पुर्वोत्तर के राजनितिक हालात और सामाजिक सोच को प्रभावित किया और सर्वांनंद सोनवाल और हिमंत विश्व सरमा ने मेरी समझ से कुछ सार्थक प्रयास अवश्य किए है यदि पुर्वोत्तर को भारत के गौरवशाली संस्कृति परम्परा के रूप मे अभिमान के साथ अक्षय अक्षुण रखना है तो वहाँ के विकास विचार संचार संवाद संस्कृति संस्कार को भारत के सभी भागो से जोड़कर उनकी सम्माजनक सहभागिता सुनिश्चित करनी होंगी कलकत्ता मेरी दूसरी यात्रा स्मरण बहुत सार्थक सकारात्मक एवं राष्ट्रीय परिपेक्ष मे प्रभावी था जिसे बिसमृत कर पाना सर्वथा असम्भव है भरतीय समाज एवं सरकार से भी मेरी यही आशा विश्वास है!!
नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश!!