🌦️ एक हफ्ते बाद –
शाम 5 बजेबादल छाए थे। कॉलेज कैंपस की सड़कें भीगने लगी थीं।सान्या लाइब्रेरी से निकल रही थी, हाथ में कुछ किताबें थीं। तभी हल्की बारिश शुरू हो गई।
वो तेज़ी से चलने लगी… लेकिन तभी पीछे से एक आवाज़ आई:
"बारिश तो बहाना है, असली मंज़िल तो तुम हो।"
वो पलटती है… आरव छतरी लिए खड़ा था।
सान्या मुस्कुराई:
> "तू नहीं सुधरेगा न?"
आरव हँसते हुए:
> "मैं सुधर गया हूँ... तेरे प्यार में।"
वो दोनों छतरी के नीचे एक साथ चलते हैं… और बारिश उनके चारों ओर धीमी धुन बजा रही थी।
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🛵 अगला सीन – स्कूटी राइड
सान्या को आरव घर छोड़ने आया। दोनों स्कूटी पर बैठे थे।
सान्या:
> "तुझे बारिश पसंद है?"
आरव:
> "अगर तू साथ हो, तो हर मौसम अच्छा लगता है।"
चान्दनी रोड पर, बारिश में भीगते हुए वो दोनों खिलखिलाते रहे…
और फिर अचानक...
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🚨 एक पुरानी परछाई
सान्या की नज़र एक चाय की दुकान पर बैठे एक अजनबी पर पड़ी।
वो एकदम चौंकी।
उसकी आँखों में डर था।
आरव:
> "क्या हुआ?"
सान्या (धीरे से):
> "वो... वो इंसान... मेरा अतीत है, आरव।"
आरव (चौंक कर):
> "कौन है वो?"
सान्या का चेहरा ज़र्द पड़ गया।
> "नाम है विवेक… वो मेरी ज़िंदगी का सबसे डरावना चैप्टर है। मैंने उसे कभी बताया नहीं…"
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🕰️ फ्लैशबैक – दो साल पहले
सान्या का स्कूल टाइम।
विवेक – एक लड़का जो पहले दोस्त बनकर पास आया, फिर पजेसिव हो गया। उसकी हरकतें खतरनाक होने लगीं।
सान्या ने उससे रिश्ता तोड़ दिया, लेकिन वो पीछा करता रहा।
बाद में शहर छोड़कर सान्या कॉलेज आई, और वो बीती बातें वहीं दफ्न हो गईं… आज तक।
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😟 वापस वर्तमान में...
आरव ने उसका हाथ थामा।
आरव:
> "अब तू अकेली नहीं है। जब तक मैं हूँ, कोई तुझे परेशान नहीं कर सकता।"
सान्या की आँखें भर आईं।
"इस बार मैं डर के भागूंगी नहीं, आरव। मैं सामना करूँगी।"
आरव ने मुस्कराकर कहा:
> "और मैं तेरे साथ हूँ… हर कदम पर।"
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🌙 रात – आरव का मैसेज
> “कल कॉलेज में विवेक को फिर देखा गया। मैंने प्रिंसिपल से बात की है। कल वो सिक्योरिटी बढ़ाएंगे। तू फिक्र मत कर।”
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❤️ अगले दिन – फिर बारिश
कॉलेज गेट पर आरव और सान्या साथ खड़े थे।
बारिश फिर शुरू हुई… लेकिन इस बार वो डर नहीं,
बल्कि एक-दूसरे का साथ लेकर आए थे।
सान्या ने कहा:
> "बारिश से डर नहीं लगता अब... जब तू साथ हो।"
आरव ने उसे बाँहों में भर लिया।
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🌤️ अगली सुबह – कॉलेज कैम्पस
कॉलेज की हवा में एक बेचैनी थी। कुछ छात्र फुसफुसा रहे थे:
> “वो लड़का आज फिर दिखा... गेट के पास... काला जैकेट पहने।”
आरव, पहले से तैयार था।
वो सान्या का इंतजार कर रहा था… और साथ ही उस इंसान का भी, जिसे अब डर नहीं, सीधा जवाब देना था।
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🧍♂️ फिर वही परछाई
विवेक – 6 फीट लंबा, तीखी निगाहें, और चेहरे पर अजीब सी मुस्कराहट।
वो कॉलेज गेट के बाहर खड़ा था, सिगरेट फूँकते हुए।
जैसे ही उसने सान्या को देखा, वो आगे बढ़ा...
विवेक:
> "सान्या…! कितने साल हो गए, लेकिन तू अब भी वैसी ही दिखती है… मासूम, डरपोक।"
सान्या का चेहरा पीला पड़ गया।
वो कुछ बोलने ही वाली थी, कि एक हाथ बीच में आया — आरव का।
आरव (आँखों में आग लिए):
> "एक शब्द और बोला न, तो ये कॉलेज के बाहर नहीं, सीधे थाने के अंदर मिलेगा तू।"
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⚡ टकराव
विवेक (हँसते हुए):
> "ओह... तो ये है तेरा नया हीरो? तेरे जैसे के लिए तो हर गली में मिलते हैं बॉडीगार्ड्स।"
आरव (गुस्से में):
> "ये मत भूल, तू अतीत है… और हम दोनों का रिश्ता भविष्य। तू सिर्फ़ एक पन्ना था, जिसे सान्या ने फाड़कर फेंक दिया। अब उसे दोबारा पढ़ने की कोशिश मत कर।"
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👮♂️ और फिर…
प्रिंसिपल और सिक्योरिटी स्टाफ पहले से अलर्ट थे।
आरव ने उन्हें पहले ही सूचित कर रखा था।
जैसे ही विवेक ने सान्या की तरफ बढ़ने की कोशिश की —
दो सिक्योरिटी गार्ड्स ने उसे पकड़ लिया।
प्रिंसिपल आए और बोले:
> "इस इंसान को पहले भी वार्निंग दी गई थी। अब हम इसे पुलिस के हवाले करेंगे।"
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🚨 पुलिस स्टेशन – कुछ घंटे बाद
विवेक गिरफ्तार हो गया। उसके खिलाफ पहले भी कई लड़कियों से परेशान करने की शिकायतें थीं।
सान्या को उसके खिलाफ गवाही देनी पड़ी।
वो कांप रही थी… लेकिन उसके पास अब एक मज़बूत हाथ था जो उसे थामे था — आरव।
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🌌 शाम – कॉलेज की छत पर
सान्या और आरव एक-दूसरे के पास बैठकर चुपचाप आसमान को देख रहे थे।
सान्या (धीरे से):
> "अगर तू आज नहीं होता... तो शायद मैं फिर डरकर भाग जाती।"
आरव:
> "मैं नहीं चाहता तू कभी डरे। तू एक योद्धा है, सान्या… और मैं तेरा सबसे बड़ा फैन हूँ।"
सान्या की आँखों से दो आँसू गिरे… लेकिन इस बार ये आँसू डर के नहीं, मजबूती के थे।
उसने धीरे से आरव का हाथ थामा और कहा:
> "अब तू सिर्फ मेरा प्यार नहीं, मेरा हौसला भी है।"
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❤️ और यूँ…
…प्यार ने सिर्फ दिलों को नहीं जोड़ा, बल्कि एक टूटी हुई आत्मा को फिर से मजबूत बना दिया।
और अब...
उनके बीच कोई परछाई नहीं, सिर्फ रौशनी थी।
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🔚 To Be Continued…