Vo jo chupke se dekha karta tha - 2 in Hindi Love Stories by Diksha mis kahani books and stories PDF | वो जो चुपके से देखा करता था... - भाग 2

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वो जो चुपके से देखा करता था... - भाग 2

वो जो चुपके से देखा करता था..."

 

भाग 2: "वो फिर से मिला... पर अब सब बदल गया था"

 

✨"जो दिल को चुपचाप छू जाए,

वो अक्सर सबसे अनकहा रिश्ता होता है।"✨

 

वक़्त बीत चुका था।

पाँचवीं की वो कक्षा अब सिर्फ़ तस्वीरों में थी,

और वो नज़रों वाला लड़का—एक भूली हुई याद।

 

अब लड़की कॉलेज में थी—नई दुनिया, नए लोग, नए सपने। आज भी याद है उस लड़की को वो दिन जब उसने आखिरी बात उस स्कूल में डांस किया था।

 

वो स्कूल हॉस्टल का हॉल... और वो एक शाम जो हमेशा के लिए दिल में उतर गई।

 

दीवारों पर रंग-बिरंगे गुब्बारे, लाइट्स की टिमटिमाती झालरें, और एक हल्की सी खनकती सी हवा…

बच्चों की भीड़, टीचर्स की मुस्कानें, और मंच के बीचोंबीच हम लड़कियों का डांस ग्रुप।

 

मैं वहाँ थी—अपनी खूबसूरत गुलाबी लहंगे में, हल्के झुमकों के साथ, चेहरे पर घबराहट और दिल में अजीब सी धड़कन लिए।

नर्वस थी… इतनी कि भीड़ की तरफ़ देखना भी भारी लग रहा था।

बस नज़रें नीचे, दिल में गिनती, और स्टेप्स पर ध्यान।

 

पर जाने क्यों, भीड़ की वो एक नज़र मुझे महसूस हो रही थी…

 

हाँ, वो वही था।

 

भीड़ में सबसे चुपचाप बैठा हुआ।

उसने कोई तालियाँ नहीं बजाईं, कोई वाह-वाह नहीं की—

मगर उसकी निगाहें... जैसे हर स्टेप पर मेरे साथ चल रही हों।

 

मैं डांस कर रही थी—शायद थोड़ा लड़खड़ा कर, थोड़ा घबराकर—

मगर वो बस मुस्कराकर देख रहा था… जैसे मैं कोई जादू हूँ।

 

उसके बगल में उसके दो दोस्त भी थे—एक हल्के से हँस रहा था, शायद उस लड़के ही हालत पर,दूसरा उसे कोहनी मार रहा था शायद,

मगर वो लड़का… बस देख रहा था, पूरी तन्मयता से।

ना मज़ाक, ना हैरानी... बस एक ठहराव,

जैसे मैं उसके लिए सिर्फ़ लड़की नहीं, कोई ख़ास तस्वीर थी, जो पहली बार उसके सामने खुली थी।

 

 

---

 

और उस शाम के बाद…

 उस लड़की ने सीखा कि कभी-कभी हम अपनी सबसे घबराई हुई, कमज़ोर हालत में भी

किसी की नज़रों में सबसे खूबसूरत नज़र आते हैं।

 

 

 

मगर कभी-कभी… जब वो हॉस्टल के पास से गुज़रती,

तो एक पुराना एहसास दिल की खिड़की पर दस्तक दे देता।

 

एक दिन, शहर के एक आर्ट एग्ज़िबिशन में,

वो अपनी दोस्त के साथ घूम रही थी।

तभी उसकी नज़र एक तस्वीर पर पड़ी—

एक लड़की, साइकिल पर, हवा में उड़ती चोटी,

और पीछे... एक धुंधली सी परछाई—जैसे कोई उसे देख रहा हो।

 

उसका दिल थम गया।

 

उसने बोर्ड देखा—"By "पेमा तेन्ज़िन"

नाम अनजाना था, पर कुछ जाना-पहचाना सा लगा।

 

उत्सुकता में उसने आर्टिस्ट कॉर्नर देखा,

और वहाँ...

वो खड़ा था।

अब न वो छोटा लड़का था, न शरमाया चेहरा।

अब उसके हाथ में ब्रश था, और आँखों में अब भी वो चुप्पी।

 

 

🌷✨कहते हैं, "ख़ुदा ने इस जहाँ में सभी के लिए

किसी ना किसी को है बनाया हर किसी के लिए"

तेरा मिलना है उस रब का इशारा

मानो मुझको बनाया तेरे जैसे ही किसी के लिए✨🌷

 

✨🌷कुछ तो है तुझसे राब्ता

कुछ तो है तुझसे राब्ता

कैसे हम जानें? हमें क्या पता

कुछ तो है तुझसे राब्ता.........🌷✨

 

 

 

उसने भी उसे देखा—ठिठक गया।

एक पल के लिए जैसे वक्त रुक गया हो।

 

“तुम?” उसने हौले से पूछा।

लड़की मुस्कुराई—“तुम अब भी घूरते हो।”

 

दोनों हँस दिए।

 

फिर एक चाय की टपरी पर बैठे।

बातों-बातों में उसने बताया—

 

“मैं कुछ नहीं कह पाता था...

पर तुम मेरी हर ड्राइंग में थीं।

तुम्हारी चोटी, साइकिल, वो सफेद रिबन... सब याद है।”

 

लड़की चुप हो गई।

शायद वो अब समझ पा रही थी—वो नज़रें क्या कहती थीं।

 

“मुझे लगा था तुम मुझे भूल गए हो,” उसने कहा।

 

“कभी नहीं,” उसने मुस्कुरा कर कहा।

“तुम तो मेरी पहली आर्टवर्क थीं... बस बिना बताए।”💗

 

 

---

 

अंत नहीं... शुरुआत?

 

उस दिन दोनों बहुत बातें नहीं कर पाए,

पर कुछ ऐसा कह गए जो सालों से कहा नहीं गया था।

 

अब वो नाम उसे याद है पेमा तेन्ज़िन

अब वो लड़का कोई परछाई नहीं,

बल्कि उसकी एक अधूरी कहानी का नाम है।

 

कभी मिल जाए फिर से?

शायद...

या शायद नहीं।

 

पर इतना ज़रूर है—

"जो कभी चुपके से देखता था, अब उसकी तस्वीरें बोलती हैं..."

 

 

 

©Diksha 

जारी(...)

 

वो नज़रें जो चुपचाप देखती थीं, अब साथ चलती हैं,

जो तस्वीरें अधूरी थीं, अब रंगों में ढलती हैं।

बचपन की वो मासूम झलक अब कहानी

बन गई,

जो बिना कहे रह गया था, अब ज़ुबानी बन गई।✨🌷

 

 

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—लेखिका: Diksha