Ishq e Bali (Indonasia) in Hindi Travel stories by prafulla Kumar Tripathi books and stories PDF | इश्क़ ए बाली (इंडोनेशिया)

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इश्क़ ए बाली (इंडोनेशिया)

यात्रा डायरी...और हम लखनऊ से बैंकाक होते हुए आज दिन में पहुंच गए हैं बाली , इंडोनेशिया के खूबसूरत द्वीपों के समूह में ....

उसी शाम हमलोग बाली का उल्लूवाटू प्राचीनतम मंदिर देखने गए जो बहुत ऊंचाई पर पहाड़ पर स्थित है। नीचे हाहाकार करता समुद्र ऊपर घना जंगल और उसी पर स्थित मंदिर अवशेष। यहां मंदिरों की मूर्तियां अवसर विशेष पर ही निकली जाती हैं।

उसके बाद शाम 7 बजे से 9 बजे तक उसी परिसर में खुले मंच पर आदिवासियों का लोक नृत्य कीकक डांस देखा गया जिसमें लगभग पचास कलाकारों द्वारा रामायण के प्रसंग प्रस्तुत किए गए। रोचक और रोमांचक था।

तो जनाब, वक्त बिन बात की बातों में बर्बाद न कीजिए और अब आज की इस पोस्ट का मज़ा इस यात्रा वृत्तांत से लीजिए।

आज बाली की यात्रा का दूसरा दिन था। हमलोग बहुत ऊंचाई के पहाड़ और वन पर यहां के प्राचीनतम उल्लू वाटी मंदिर गए थे। नीचे समुद्र की लहरें तरंग मार रही थीं और जब हम पहुंचे सूरज भी अस्त हो रहा था। दूसरी ओर चंद्रमा भी उदित होते दिखे। वहां की भीड़ इन दोनों दृश्यों को अपने अपने मोबाइल कैमरे में क़ैद करने के लिए मचल मचल उठी थी। उसके बाद शाम 7 बजे से कीकक लोक नृत्य का हमने आनंद उठाया था। पूरी रामकथा जीवंत हो उठी थी। शुरुआत में बाली बने पात्र ने हम सभी का संस्कृत श्लोक के साथ अभिनंदन किया था। बाली ने भारत की पुरातन हिंदू संस्कृति को जीवित रखा है यह देखकर प्रसन्नता हो रही है। जगह जगह श्रीराम की मूर्तियां बनी हैं। वानर सेना के तो क्या कहने!

अगला दिन किन्टा मनी गांव के टूर के लिए समर्पित था। उस गांव में प्राचीन हस्त शिल्प कलाकृति आभूषण आदि बनाए जाते देखे गए। कुछ ने खरीदारी भी की। उसके बाद उबुड कॉफी प्लांटेशन देखने गए। वहां काफी बनाए जाने की प्रक्रिया देखी गई। लंच  लेकर 1800- 1823 के बीच बने उबुद के रॉयल पैलेस को देखा गया। पुराने भवन के कुछ हिस्से जन सामान्य को देखने के लिए रखा गया है। भव्य प्रसाद और मंडप।Kintamani गांव के दृश्य और भी सुंदर हो उठे जब हमलोगों ने बाटूर पर्वत पर जीवित ज्वालामुखी का रोमांच भरा दीदार किया । उसके नीचे बाटूर लेक(झील) देखी गई जो बाली की सबसे बड़ी झील है। ज्वालामुखी के बहाव के हिस्से भी दिखे जो बहुत काले हो चुके हैं। यहां मौसम कुछ बदला मिला ठंडक का एहसास हुआ। उसके बाद यहां के चॉकलेट उत्पादन केंद्र और पारंपरिक मार्केट देखने गए। रात में एक भारतीय होटल में भोजन हुआ और वापस अपने होटल में। यहां की घड़ी रात के 11- 22बजा रही है और भारत में 8- 53 बज रहा होगा।

कुल मिला कर यात्रा रोमांच और उन्माद पैदा कर रही है। थकान अवश्य आ रही है लेकिन रात में सो लेने के बाद अगली सुबह फिर मैं और शरीर तैयार हो जा रहा है बाली को जी लेने के लिए, बाहों में और यादों में भर लेने के लिए।

अगर लखनऊ से बाली तक की यात्रा अवधि को जोड़ कर दिन गिने तो आज इस यात्रा का चौथा दिन है।

सुबह होटल से ब्रेकफास्ट लेकर कल की तरह आज भी हम सभी ज्यादातर लखनऊ के पर्यटक अपनी आरामदायक बस में बैठ गए।

आज हम सभी की यात्रा बाली सफारी, मैरीन पार्क, जंगल हॉपर पास और क्रूज़ पर सन सेट दृश्य देखने, समुद्र की लहरों को अठखेलियां करते देखने और फिर गीत नृत्य संगीत का आनंद उठाते हुए डिनर करने में व्यतीत हुआ।

यहां की घड़ी रात के 9-55 बजा रही है। भारत में शायद शाम के 7-28 हो रहे होंगे।

जंगल तो जंगल होता है लेकिन अगर उसको सुव्यवस्थित तरीके से देखने को मिले तो क्या कहने! आज कुछ वैसा ही हुआ। शेर और हाथी समूह का लाइव शो देख गया और शीशे वाली गाड़ी से बहुत नजदीक से जंगली जानवरों को देख गया। एक खूबसूरत और आधुनिक मॉल में लंच लिया गया और लोगों ने शॉपिंग भी की। क्रूज पर हम शाकाहारियों के लिए भोजन बहुत अच्छा नहीं था। लोग दारू पी कर मस्त थे। उनके लिए सब कुछ भोजन स्वादिष्ट था। कानफोडू संगीत की बीट जब सहन से पते होने लगी तो अपने राम डेक पर आ गए। समन्दर को कुछ अपनी सुनाई और कुछ उसकी सुनी। लेकिन दोनो ने एक दूसरे को कितना समझा यह बताना मुश्किल है। उसने तमाम विपरित परिस्थितियों के बावजूद अपनी सब कुछ समाज को लौटा देने की बात दुहराई तो मैने समाज के कुछ पूंजीपतियों के सब कुछ समेट लेने की प्रवृति का दुखड़ा उससे रोया। अपने मध्यम वर्गीय समाज की परेशानियां सुनाई। विकसित और विकसित होने की दौड़ में तमाम मूल्यवान परम्पराओं के छूटते जाने का दुखड़ा सुनाया। समंदर शांत होकर सुनता रहा।

और इस तरह अब अपने घुमंतू मन ने प्रकृति और परंपरा के पोषक बाली द्वीप में अगली रात बिताने की तैयारी कर ली है।

कल शाम जब मैं बाली के Benoa Harbour पर Bounty क्रूज़ पर चल रहे गीत- संगीत और नृत्य की तेज़ आवाज़ से परेशान होकर अकेले डेक पर चला आया तो..तो समन्दर ने मुझसे पूछा वत्स, ऐसा क्यों?मैने समंदर से कहा, ऐसा इसलिए , क्योंकि यह उछल - कूद, यह मधुशाला, ये उन्मादी लोग क्या शाश्वत आनंद ले रहे हैं या क्षण भंगुर?

उसने मुस्कुराते हुए बल शाली बाली की कथा सुनाई।शायद आप भी सुनना चाहेंगे, इसलिए उसे यहां दे रहा हूं ।

भगवान राम ने जब बाली का वध किया तो उसने प्रभु से हाथ जोड़ कर बहुत गंभीर प्रश्न किया । इस प्रश्न का उत्तर देने में राम को एक पल का भी समय नहीं लगा। राम के इस उत्तर में बहुत बड़ी सीख भी छिपी है।

श्रेष्ठ बनने की चाहत सभी को है। लेकिन व्यक्ति अपने गुणों और आचरण से श्रेष्ठता को प्राप्त करता है। श्रेष्ठता त्याग और नैतिकता के मार्ग पर चलकर ही प्राप्त की जा सकती है। अगर ऐसा नहीं होता तो रामायण में बलशाली बाली का वध करने के लिए स्वयं प्रभु श्रीराम को धनुष नहीं उठाना पड़ता । बाली वध से एक बहुत बड़ी सीख मिलती है। जिसे हर व्यक्ति को जानना चाहिए और किसी भी तरह के पाप और अपराध से दूर रहना चाहिए।.......समंदर बोलता जा रहा था,

बाली बहुत बलशाली था. उसे एक ऐसा वरदान प्राप्त था जिससे वह सामने वाले शक्ति ले लेता था।इस कारण लंकापति रावण भी उससे घबराता था।एक युद्ध में बाली ने रावण को बहुत बुरी तरह से परास्त किया और बगल में दबाकर पूरे महल के परिक्रमा की।

सुग्रीव बाली के भाई थे। लेकिन बाली ने सुग्रीव का सब कुछ छीन लिया और अपमान करके राज्य से भगा दिया।वन गमन के दौरान जब सुग्रीव की भगवान राम से भेंट हुई तो सुग्रीव ने अपनी पूरी पीड़ा प्रभु को बताई।प्रभु राम ने उन्हें सब कुछ वापिस दिलाने का वचन दिया। इसके लिए योजना बनाई गई। सुग्रीव को बाली के पास युद्ध करने के लिए भेजा।

शक्ति के मद में चूर बाली सुग्रीव से युद्ध करने के लिए तैयार हो गया । इस दौरान उचित समय पाकर भगवान राम ने अपने बाण से बाली का वध कर दिया । बाण लगते ही बाली जमीन पर आ गिरा, प्रभु राम उसके सामने आ गए। प्रभु राम को देखकर जमीन पर पड़े बाली ने हाथ जोड़कर कहा -

"धर्म हेतु अवतरेहु गोसाईं,

मारेहु मोहि ब्याध की नाईं।

मैं बैरी सुग्रीव पिआरा,

अवगुन कवन नाथ मोहि मारा ?

अर्थात 'हे गोसाईं, धर्म की रक्षा के लिए अवतार लिया है और मुझे एक व्याध की तरह  मारा। प्रभु बताओ, मैं बैरी और सुग्रीव क्यों प्यारा है?  हे नाथ , आपने किस दोष की सजा दी है?

तब प्रभु राम बाली के इस प्रश्न का उत्तर देते हुए कहते हैं-

अनुज बधू भगिनी सुत नारी,

सुनु सठ कन्या सम ए चारी।

इन्हहि कुदृष्टि बिलोकइ जोई,

ताहि बधें कछु पाप न होई।

अर्थात भगवान राम बाली से कहते हैं 'हे मूर्ख, सुन छोटे भाई की स्त्री, बहिन, पुत्र की स्त्री और कन्या ये चारों समान हैं । इन्हें जो कोई बुरी दृष्टि से देखता है, उसे मारने में कुछ भी पाप नहीं।

मैने समंदर की बातें आत्मसात कर लीं। उधर क्रूज़ के अंदर का शोर भी कुछ मद्धिम हो चला था और मैं भी अब अपने डिनर के लिए चल दिया।

मित्रों, जैसा पहले भी बता चुका हूं कि बाली इंडोनेशिया का एक प्रांत है और लेसर सुंडा द्वीप समूह का सबसे पश्चिमी भाग है। बाली प्राचीन समुद्र तटों से लेकर हरे-भरे चावल की छतों तक और पारंपरिक मंदिरों से लेकर जीवंत बाजारों तक कई अविस्मरणीय गतिविधियों का खजाना है। यहां  पर्यटकों को केकक नृत्य प्रदर्शन के साथ उलवाता मंदिर, चिंतामणि गांव, उबुद कॉफी बागान, उबुद रॉयल पैलेस, उबुद पारंपरिक कला बाजार, बाली सफारी और जंगल हॉपर पास, सनसेट डिनर क्रूज के साथ समुद्री पार्क, टर्टल द्वीप की बेहतरीन जगहों पर घूमने का मौका मिल रहा है।

इंडोनेशिया का खूबसूरत द्वीप बाली भारतीय लोगों की फेवरेट डेस्टिनेशन है। भारत से लोग हर साल जमकर इस खूबसूरत देश की यात्रा करते हैं। बाली एक ऐसी जगह है जहां पर कुछ वक्त से भारतीय टूरिस्टों की संख्या में इजाफा हुआ है।

वीजा ऑन अराइवल

अगर आप भारत से बाली यात्रा करते हैं तो भारतीय नागरिकों के लिए वीजा ऑन अराइवल की सुविधा है। एयरपोर्ट पर बस थोड़े बहुत डाक्यूमेंट दिखाओ और मजे से इस देश की यात्रा कर लो।

नाइटलाइफ

बाली की नाइटलाइफ भारतीय पर्यटकों खासतौर से युवा लोगों को काफी आकर्षित करती है। यहां बैंकॉक की ही तरह कई नाइटक्लब मौजूद हैं जहां बिना रोकटोक के एन्जॉय कर सकते हैं।

सस्ती यात्रा

भारत से बाली की यात्रा लंदन, पेरिस या अमेरिका में यात्रा करने की तुलना में बहुत सस्ती होती है। बजट में होने के चलते ज्यदातर भारतीय इस देश की यात्रा करते है।

चिल आउट करने की बेस्ट जगह-

अकेले या फिर किसी करीबी के साथ चिल आउट करने के लिए बाली बेस्ट जगह है। बाली को एक फेमस स्पा डेस्टिनेशन माना जाता है जहां कई रिसॉर्ट और स्पा वेलनेस सेंटर है।

बाली में घूमने लायक कई दर्शनीय स्थल हैं, जिनमें से कुछ ये रहे: 

बेसाकी मंदिर: माउंट अगुंग पर स्थित यह मंदिर हज़ार साल से भी पुराना है. स्थानीय लोग इसे मदर टेम्पल कहते हैं. यहां 86 मंदिर हैं और विशाल मूर्तियां और जटिल नक्काशी देखने को मिलती है. 

संगेह बंदर वन : यह 6 हेक्टेयर में फैला है और यहां विशाल जायफल के पेड़ हैं. यहां एक मंदिर भी है, जिसे पुरा बुकीत सारी कहा जाता है. 

सेमिन्याक : यह दक्षिण बाली का एक लोकप्रिय समुद्र तट है. यहां बुटीक, 5-सितारा रेस्टोरेंट, स्पा, और नाइटलाइफ़ की सुविधाएं हैं. 

कुटा समुद्र तट: यह अपने सूर्यास्त और नाइटलाइफ़ के लिए जाना जाता है. 

सानूर समुद्र तट: यह शांत समुद्र तट है और यहां मनोरंजक गतिविधियां होती हैं. 

बाडुंग पारंपरिक बाज़ार : बाली का सबसे बड़ा बाज़ार है. यह हर दिन 24 घंटे खुला रहता है.  पारंपरिक बाजार बाडुंग पारंपरिक बाजार बाली का सबसे बड़ा बाजार है और दैनिक जरूरतों को खरीदने के लिए स्थानीय लोगों की भीड़ हमेशा यहां लगी रहती है।

बाली में घूमने लायक कुछ और पर्यटन स्थल हैं तनाह लोट मंदिर, तमन अयुन मंदिर, बाली स्विंग.  बेसाकीह मंदिर ... बाली में रहते हुए, आपको बेसाकीह मंदिर अवश्य देखना चाहिए। यह माउंट अगुंग पर स्थित है, जिसका निर्माण एक हज़ार साल से भी पहले हुआ था। स्थानीय लोग बेसाकीह को मदर टेम्पल कहते हैं क्योंकि इसके परिसर में 86 विभिन्न मंदिर हैं।

संगेह बंदर वन - संगेह बाली सांगेह बंदर वन के प्रसिद्ध 6 हेक्टेयर क्षेत्र में विशाल जायफल (या पाला) के पेड़ हैं, जो 40 मीटर तक ऊंचे हो सकते हैं।

दक्षिण बाली में घूमने लायक अद्भुत जगह है- सेमिन्याक ! हर शहर की अपनी एक शानदार जगह होती है, और बाली के लिए यह सेमिन्याक है। सेमिन्याक जाएँ, जो द्वीप के सबसे शानदार छुट्टियों के गंतव्यों में से एक है और यहाँ दक्षिण बाली के सबसे लोकप्रिय समुद्र तटों में से एक है।

बाली का एक और आकर्षण  है ज्वालामुखी ... सामूहिक रूप से बाली ज्वालामुखी के रूप में जाना जाता है, चिंतामणि - माउथ बत्तूर... ... उलुवातु मंदिर बाली के उलुवातु जिले में एक समुद्री मंदिर है।  बाली के  माउंट बटूर, तनाह लोट मंदिर, तमन अयुन मंदिर, बाली स्विंग, उबुद बंदर वन, गोवा गजह जियानयार, पुरा उलुन दानू ब्राटन, सेकुम्पुल झरना, वॉटरबॉम वॉटरपार्क, गरुड़ विष्णु, नुसा लेम्बोंगन, बाली बर्ड पार्क आदि प्रसिद्ध हैं ।

इस प्रकार बाली दुनिया के कुछ सबसे खूबसूरत समुद्र तटों का घर है । प्रतिष्ठित कुटा समुद्र तट अपने आश्चर्यजनक सूर्यास्त और जीवंत नाइटलाइफ़ के लिए प्रसिद्ध है।

बाली में ऊपर बताए गए शीर्ष पर्यटक आकर्षणों के अलावा, उलुवातु मंदिर , उबुद बंदर वन, और किंतमनी ज्वालामुखी और माउंट बटूर के साथ-साथ इसकी क्रेटर झील भी देखने लायक है।

बाली घूमने का सबसे अच्छा समय क्या है?

बाली घूमने का सबसे अच्छा समय अप्रैल से अक्टूबर के बीच है , जो शुष्क मौसम है। बाली में इन महीनों के दौरान शुष्क और धूप वाला मौसम होता है, जो इसे समुद्र तटों, सांस्कृतिक स्थलों और बाहरी गतिविधियों की खोज के लिए एकदम सही बनाता है। आर्द्रता कम होती है, और वर्षा न्यूनतम होती है। ये महीने बाली के समुद्र तटों के साथ सर्फिंग और पानी के खेल के लिए उत्कृष्ट स्थितियाँ प्रदान करते हैं। बाली में दो मुख्य मौसम हैं - शुष्क मौसम (अप्रैल-अक्टूबर) और गीला मौसम (नवंबर-मार्च)। जो पर्यटक बाली की भीड़, नाइटलाइफ़ और माहौल का आनंद लेना चाहते हैं, उनके लिए जुलाई, अगस्त और दिसंबर घूमने के लिए सबसे अच्छे समय हैं। दिसंबर से मार्च बाली में बारिश का मौसम होता है लेकिन बाली में बारिश आम तौर पर कम होती है और लंबे समय तक नहीं रहती है। चूंकि यह कम मौसम है, कीमतों में महत्वपूर्ण कटौती और सस्ते आवास के साथ, बजट पर बाली की यात्रा करने का यह एक अच्छा समय हो सकता है।

अब यात्रा अपने अगले चरण की ओर है। आज हमने तीन समुद्र तट की सैर की , मोटर बोट से समुद्री तरंगों पर झूले, मगरमच्छ और कछुआ प्रजनन केंद्र देखे और शाम ढलते एक समुद्री छोर पर स्थित एक प्राचीन मंदिर गए।

यात्रा में खरीदारी न हो यह भला कैसे संभव है? बाली में यात्रा करते समय वैसे तो कई जगहों पर बाली के हस्तशिल्प और स्थानीय उत्पाद प्रदर्शित होते नज़र आ रहे हैं। सहयात्री घर ले जाने और बाली में बिताए शानदार समय को याद करने के लिए कई तरह के उच्च-स्तरीय उत्पाद और शानदार ट्रिंकेट खरीद रहे हैं। इतने सारे स्ट्रीट स्टोर और बाज़ारों के कारण पर्यटक भ्रमित हो जाते हैं कि बाली में कौन सी जगह खरीदारी के लिए प्रसिद्ध है।

हमारे गाइड ने बताया कि यहां की 7 चीजें हैं जिन्हें आप खरीद सकते हैं और उन स्थानो  को भी बताया हैं जहां आपको खरीदारी के लिए बाली में प्रसिद्ध चीजों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए आना चाहिए ।

1. बाली हस्तनिर्मित उत्पाद

बाली से घर ले जाने वाले सबसे लोकप्रिय उत्पाद बड़े पैमाने पर उत्पादित कला और हस्तशिल्प हैं। हालाँकि, यदि आप कुछ समय निकालना चाहते हैं और कुछ प्रामाणिक और अनोखी बाली कला खरीदना चाहते हैं, तो आपको स्थानीय कलाकारों के गाँवों में जाकर असली सामान खरीदना चाहिए। आप कलाकारों को उनके चित्रों, आभूषणों, नक्काशी और मूर्तियों में अपने अद्वितीय बाली सौंदर्य को जोड़ते हुए काम करते हुए देखेंगे। यहां  आप हिंदू देवताओं और परंपराओं के प्रति बाली के आध्यात्मिक झुकाव को दर्शाने वाली मूल वस्तुएँ खरीद सकते हैं।

पारंपरिक बाली कला और शिल्प के विशाल चयन के लिए तेगल्लालांग हस्तशिल्प गांव की यात्रा हमने की।टेंगानन गांव की यात्रा में  हम सभी ने वहां के उत्कृष्ट टोकरियां बनाने वालों, पारंपरिक दोहरे इकत कपड़े के बुनकरों और ताड़ के लोंतार पत्तों से कैलेंडर बनाने वालों को देखा । गाइड बता रहे हैं कि पांच अलग-अलग तत्वों से बने सिक्कों के लिए, जिन्हें यहां 'पंच दातु' के नाम से जाना जाता है, कामासन गांव सबसे अच्छी जगह है, जहां सिक्के बनाए जाते हैं और बाली के कई हिंदू अनुष्ठानों में इस्तेमाल किए जाते हैं। आप कामासन शैली की जटिल पेंटिंग भी खरीद सकते हैं जो बाली की ऐतिहासिक संस्कृति का हिस्सा हैं।

स्थानीय चांदी के कारीगरों को जटिल चांदी के आभूषण बनाते हुए देखने के लिए सेलुक गांव जा सकते हैं । आप चांदी के आभूषण जैसे अंगूठियां, कंगन, हार, झुमके और ब्रोच से लेकर चांदी की मूर्तियों और डिनर सेट तक कई तरह के उत्पाद खरीद सकते हैं।

2. रात्रि बाज़ार

हमारे बाली यात्रा में  बताया गया  कि बाली में कई नाइट मार्केट हस्तशिल्प, पत्थर और लकड़ी की नक्काशी, पेंटिंग और कपड़ों की खरीदारी के लिए प्रसिद्ध हैं। खरीदारी की इच्छा को पूरा करने के लिए कुछ ये बाज़ार एक बेहतरीन विकल्प हैं।

बाली के सबसे प्रसिद्ध नाइट मार्केट में से एक, सानुर नाइट मार्केट कला और शिल्प से लेकर फैशन बुटीक तक की वस्तुओं के लिए मोल-भाव करने के लिए एक बेहतरीन जगह है। यदि संभव हो, तो रविवार को जाना  चाहिए जब आप अलग-अलग व्यापारियों को उनके स्थानीय सामान बेचते हुए पा सकते हैं । आप कुछ खूबसूरत चमड़े के बटुए और लकड़ी के घर की सजावट के सामान भी खरीद सकते हैं।

कुटा :  घूमने-फिरने के लिए एक मशहूर जगह है, लेकिन सूरज ढलने के बाद, आप कुटा नाइट मार्केट को जीवंत होते देखेंगे। स्थानीय उत्पादों और स्मृति चिन्हों की बेहद सस्ती रेंज के साथ बाजार में मोल-भाव की हलचल का अनुभव करें।

डेनपसार के केंद्र में स्थित क्रेनेंग नाइट मार्केट पर जाएँ। एक जीवंत पारंपरिक बाजार का आनंद लें, जहाँ हर तरह के उत्पाद बिकते हैं। आप विभिन्न खाद्य स्टालों पर कपड़े, घरेलू सामान और स्वादिष्ट भोजन खरीद सकते हैं।

3. कला बाज़ार

अगर आप कला के शौकीन हैं, तो आप अपनी पसंद और  ज़रूरत के हिसाब से कई कला बाज़ारों में पारंपरिक बाली कला वस्तुओं को देखने और खरीदने का मज़ा ले सकते हैं।

कपड़ों, एक्सेसरीज़, बाली के स्मृति चिन्हों और हस्तशिल्प की खरीदारी के लिए उबुद के ठीक बीच में स्थित प्रसिद्ध उबुद कला बाज़ार में जाएँ। आपको कई खूबसूरत ट्रिंकेट मिलेंगे जो आपके लिए, परिवार के लिए और दोस्तों के लिए घर ले जाने के लिए एकदम सही हैं।

कला और उत्तम दर्जे की स्मृति चिन्हों की खरीदारी के लिए गियानयार क्षेत्र में सुकावती कला बाजार पर जाएँ। यदि आप बढ़िया सौदे की तलाश में हैं, तो सुकावती कला बाजार सस्ती वस्तुओं के लिए एक आदर्श स्थान है।

कुछ लोग देनसपर क्षेत्र की यात्रा करने का इरादा रखते हैं , तो वे कुम्बासारी कला बाजार में रुकने की योजना बना सकते हैं क्योंकि यह शहर के कला और हस्तशिल्प के प्रमुख स्रोतों में से एक है। आपको यहाँ ऐसी वस्तुएँ मिलेंगी जो ज़्यादातर बाली के कलात्मक समुदायों से आती हैं। कुम्बासारी कला बाजार में खरीदारी का लाभ यह है कि यहाँ वस्तुओं का विविध चयन है जो आपको आसानी से आकर्षित करता है, मुख्य रूप से इसके सौदे और थोक मूल्यों के कारण।

4. चॉकलेट और कॉफी

आप इंडोनेशियाई कॉफ़ी- कोपी लुवाक के बारे में जानते होंगे, लेकिन बाली लुवाक फ्लेवर वाली चॉकलेट बनाकर इसे एक पायदान ऊपर ले जाता है। अगर आपको मीठा पसंद है तो आपको बाली में चॉकलेट और कॉफ़ी ज़रूर खरीदनी चाहिए। दो बेहतरीन फ्लेवर के संयोजन का आनंद लेने से बेहतर क्या हो सकता है?

5. सुगंध

बाली अपने स्थानीय उत्पादों के लिए जाना जाता है, इसलिए आप यहाँ के खास परफ्यूम और बॉडी ऑयल को नहीं भूल सकते। आप यहाँ उचित मूल्य पर त्वचा की देखभाल या बालों की देखभाल के लिए उष्णकटिबंधीय सौंदर्य उत्पाद भी खरीद सकते हैं।

6. जैम

एक बार जब आप बाली के स्थानीय जैम का स्वाद चख लेंगे, तो आप घर वापस आते समय अपने साथ कुछ जैम ले जाना चाहेंगे। अगर आप बाली जाते हैं, तो उष्णकटिबंधीय फलों और स्थानीय उत्पादों से बने स्वादिष्ट जैम की बेहतरीन गुणवत्ता का आनंद लेने का मौका न चूकें। इंडोनेशिया भर के भरोसेमंद किसानों से प्राप्त जैम, मुरब्बा और शहद में प्राकृतिक और शुद्ध उष्णकटिबंधीय फलों के स्वाद वाले कुछ हस्तनिर्मित संरक्षित पदार्थ खरीदना न भूलें।

7. फर्नीचर

आपने बाली के फर्नीचर की जटिल, अनूठी और विंटेज गुणवत्ता और शिल्प कौशल के बारे में पहले ही सुना होगा। जब बाली में हों, तो तराशी हुई कुर्सियों, दीवार के फ्रेम और प्राचीन फर्नीचर में से व्यक्तिगत रूप से चुनें जो क्लास और लालित्य को परिभाषित करता है।

बाली एक बहुत ही लोकप्रिय गंतव्य है, यहाँ आपको अपनी पसंद की कोई चीज़ मिल जाएगी जो आपको द्वीप पर अपनी यात्रा की याद दिलाती रहेगी।

इश्क़ ए बाली  (इंडोनेशिया) का खुमार :

जब तक हम बाली (इंडोनेशिया) नहीं गए थे तब तक वहां के प्रति कौतूहल पराकाष्ठा पर था। कैसा होगा बाली द्वीप ? कैसे होंगे महा पराक्रमी बाली के वंशज? कैसी होगी वहां की संस्कृति? क्या राम कथा और सनातन संस्कृति के प्रति अभी भी उनका प्रेम बना हुआ होगा या बदलते दौर में बाली भी बदल गया होगा?... आदि, आदि।

लेकिन जब हमने (मैं, मेरी पत्नी मीना त्रिपाठी, बड़ी बहन डा. विजया उपाध्याय और एक पारिवारिक मित्र मंजू जैन) अपनी 31 सदस्यीय टीम के साथ गत 13 से 18 नवंबर 2024 तक आई. आर. सी. टी. सी. द्वारा आयोजित इस रोमांचक यात्रा को पूरी की तो सभी कौतूहल यकायक शांत हो गए और बाली की धरती और वहां के हिंदू बहुल नागरिकों के प्रति मन श्रद्धा भाव से भर उठा। ऐसा लगा हमलोग इस घनघोर कलियुग से अचानक सतयुग (राम युग) में आ गए है। घर - घर में मंदिर, द्वार - द्वार पर पूजन प्रतीक, सामिष खान - पान के बावजूद प्रत्येक नागरिक के अत्यंत सात्विक भाव- पहनावा और विचार! उनकी सहज व्यवहार सम्पन्नता, उनका अतीत से जुड़ाव मन को आंदोलित कर उठा। आज जो अयोध्या का श्रृंगार हम देख पा रहे हैं वह वहां दशकों पहले से होता रहा है। राम ही नहीं, कृष्ण की भी जीवंत मूर्तियां अनेक चौराहों पर आकृष्ट करती मिलीं। पराक्रमी बाली की तो हैं ही।

राम कथा पर आधारित कीकक लोकनृत्य की एक शाम में संवाद कम जीवंत दृश्य ज्यादा थे । मन में  दबी छुपी एक धारणा यह भी थी कि श्रीराम ने तो बाली को छिप कर मारा था, कहीं बाली के वंशजों का श्रीराम के प्रति नाराजगी तो नहीं झलकेगी  लेकिन यह धारणा शांत हो उठी यह देख कर कि अपने श्रीराम के प्रति उनकी श्रद्धा का भाव पराकाष्ठा पर अब भी है। बाली की कथा तो आपको याद ही होगी? भगवान राम ने जब बाली का वध किया तो उसने प्रभु से हाथ जोड़ कर बहुत गंभीर प्रश्न किया था । इस प्रश्न का उत्तर देने में राम को एक पल का भी समय नहीं लगा। राम के इस उत्तर में बहुत बड़ी सीख भी छिपी हुई थी।

श्रेष्ठ बनने की चाहत सभी को है। लेकिन व्यक्ति अपने गुणों और आचरण से श्रेष्ठता को प्राप्त करता है। श्रेष्ठता त्याग और नैतिकता के मार्ग पर चलकर ही प्राप्त की जा सकती है। अगर ऐसा नहीं होता तो रामायण में बलशाली बाली का वध करने के लिए स्वयं प्रभु श्रीराम को धनुष नहीं उठाना पड़ता । बाली वध से एक बहुत बड़ी सीख मिलती है। जिसे हर व्यक्ति को जानना चाहिए और किसी भी तरह के पाप और अपराध से दूर रहना चाहिए।

बाली बहुत बलशाली था! उसे एक ऐसा वरदान प्राप्त था जिससे वह सामने वाले शक्ति ले लेता था।इस कारण लंकापति रावण भी उससे घबराता था।एक युद्ध में बाली ने रावण को बहुत बुरी तरह से परास्त किया और बगल में दबाकर पूरे महल के परिक्रमा की।

सुग्रीव बाली के भाई थे। लेकिन बाली ने सुग्रीव का सब कुछ छीन लिया और अपमान करके राज्य से भगा दिया।वन गमन के दौरान जब सुग्रीव की भगवान राम से भेंट हुई तो सुग्रीव ने अपनी पूरी पीड़ा प्रभु को बताई।प्रभु राम ने उन्हें सब कुछ वापिस दिलाने का वचन दिया। इसके लिए योजना बनाई गई। सुग्रीव को बाली के पास युद्ध करने के लिए भेजा।

शक्ति के मद में चूर बाली सुग्रीव से युद्ध करने के लिए तैयार हो गया । इस दौरान उचित समय पाकर भगवान राम ने अपने बाण से बाली का वध कर दिया । बाण लगते ही बाली जमीन पर आ गिरा, प्रभु राम उसके सामने आ गए। प्रभु राम को देखकर जमीन पर पड़े बाली ने हाथ जोड़कर कहा -

"धर्म हेतु अवतरेहु गोसाईं,

मारेहु मोहि ब्याध की नाईं।

मैं बैरी सुग्रीव पिआरा,

अवगुन कवन नाथ मोहि मारा ?"

अर्थात 'हे गोसाईं, धर्म की रक्षा के लिए अवतार लिया है और मुझे एक व्याध की तरह  मारा। प्रभु बताओ, मैं बैरी और सुग्रीव क्यों प्यारा है?  हे नाथ , आपने किस दोष की सजा दी है? तब प्रभु राम बाली के इस प्रश्न का उत्तर देते हुए कहते हैं-

"अनुज बधू भगिनी सुत नारी,

सुनु सठ कन्या सम ए चारी।

इन्हहि कुदृष्टि बिलोकइ जोई,

ताहि बधें कछु पाप न होई।"

अर्थात भगवान राम बाली से कहते हैं 'हे मूर्ख, सुन छोटे भाई की स्त्री, बहिन, पुत्र की स्त्री और कन्या ये चारों समान हैं । इन्हें जो कोई बुरी दृष्टि से देखता है, उसे मारने में कुछ भी पाप नहीं।

उस ऐतिहासिक संदर्भ को यहां देते हुए यह कहना चाहूंगा कि श्री राम का आचरण धर्म का आचरण था,  इसे बाली के लोगों ने मनसा, वाचा, कर्मणा सदियों से स्वीकार कर लिया है। स्वीकार ही नहीं अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए फिक्स डिपॉजिट की तरह संचित भी कर दिया है। वे उन जड़ों से आज भी जुड़े हुए हैं।

भले ही विदेशी लोग ( ज्यादातर जापान और ऑस्ट्रेलिया के पर्यटक ) वहां  स्पा के लिए, समंदर के किनारे सूरज की धूप लेने, समंदर की लहरों पर अठखेलियां करने, Fly Fish,Donut Slider,स्नोकलिंग,Jigging फिशिंग, फिशिंग, Spear Fishing,Banana Boat,Parasiling Adventure,Fly Board,Jet Sky,Dolhphin Tour,Tourtle Tour आदि करने, मदिरा और मांस का भरपूर स्वाद लेने, मौज मस्ती करने जा रहे हैं ।लेकिन उनको भी एक क्षण ऐसा अवश्य लगता होगा कि धर्म और आस्था की यह कैसी दीवानगी है यहां के लोगों में ! अवश्य ही कोई बात है इस चिरंतन सनातनी संस्कृति में। .....आस्था और विश्वास में।

यह अपना जीवन हो या लोक जीवन, हर यात्रा का अपना "दि एंड" होता ही है। मेरी भी बाली (इंडोनेशिया) की इस यात्रा का सुखद अंत हो गया है। वैसे तो मैं वन पीस में सकुशल, स शरीर भारत वापस आ गया हूं लेकिन सच मानिए तो मैं अपना मन बाली  ही छोड़ आया हूं। बाली की उस भरपूर आध्यात्मिक विरासत के बीच भटक रहे मन को अदभुत सुकून मिलता रहा है।

काश  ! धर्म, योग, अध्यात्म की थाती अपने देश भारत में भी हमलोग और हमारी आने वाली पीढ़ियां उस धार्मिक फिक्स डिपॉजिट का लाभ उठा पाते जिसे हमारे आराध्य श्रीराम और श्रीकृष्ण ही नहीं हमारे अपने पूर्वज भी छोड़ गए हैं । जिस लाकर में वह संपदा सुरक्षित रखी है उसकी चाभियां भी अपने पास हैं लेकिन हमलोग उसे खोलते या खोलना चाहते ही नहीं हैं।

अगर कभी आपको भी भविष्य में विदेश जाना हो तो एक बार बाली (इंडोनेशिया)  जरूर जाइए।

सारे संसार की सुंदरता इस बाली द्वीप के आग़ोश में जैसे समाहित  है। किसी छोटे देश या द्वीप को इतना रसपूर्ण ,अनोखा, खूबसूरत और जीवंत हमने तो नहीं देख पाया है । इतना भरा पूरा और सुमधुर मौन के साथ बाली हृदय में उतर गया है। बाली के लिए जैसे कुछ कहने के लिए शब्द निरर्थक पड़ रहे हों।जैसे एक सीमा के बाद भाव स्वतः असमर्थ हो गए हों , अपने अनुभवों को व्यक्त करने में।

सच तो यह है कि बाली (इंडोनेशिया) ने  अपने सम्मोहन में जकड़  सा लिया है मुझको ........हजारों किलोमीटर की तूफानी यात्रा करके, लाखों रुपए खर्च करके हमने अनमोल अनुभव हासिल कर लिए हैं। लगता है यदि हम सभी इसे आत्मसात भी कर लें तो इससे आगे इस जीवन में कुछ और नहीं चाहिए।.... कुछ भी नहीं!

अंत में मिलते हैं ज़िंदगी के अगले मोड़ पर खलील तनवीर के इस  शेर के साथ -

"सफ़र के साथ सफ़र की कहानियाँ होंगी,

हर एक मोड़ पे जादू-बयानियाँ होंगी !"

बाली इंडोनेशिया यात्रा:

आज यहां कुटा (बाली) के समय के अनुसार सुबह के 8-07 हो रहे हैं।

बाली इंडोनेशिया की यात्रा पूरी करके आज हम लोगों की बाली से बैंकाक होते हुए भारत वापसी है।

गुड बाय बाली !