बारिश की वो शाम बीत चुकी थी, लेकिन उसकी छाप आरव और सना के दिलों पर हमेशा के लिए रह गई। अब दोनों के रिश्ते में एक नया रंग था – इकरार का। मगर इकरार के बाद सबसे ज़रूरी होता है – निभाना।
अगले दिन सुबह-सुबह सना का पहला मैसेज आया —
"आज शाम फ्री हो? कॉफी पीने चलें?"
आरव ने बहुत देर तक स्क्रीन देखा, फिर टाइप किया —
"हां, लेकिन सिर्फ कॉफी नहीं… तुम्हारी आंखों से बातें भी करनी हैं।"
सना ने "😄" भेजा और बात तय हो गई — शाम 5 बजे, कॉलेज के पास वाली पुरानी कॉफी शॉप।
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☕ कॉफी शॉप की वो शाम…
कॉफी शॉप में धीमी सी म्यूज़िक चल रही थी। लकड़ी की टेबल, पीले बल्बों की रौशनी और बाहर खिड़की से झांकती हल्की सी धूप — सब कुछ जैसे किसी रोमांटिक फ़िल्म का सीन हो।
आरव पहले पहुंच चुका था। उसका दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था — वो शब्द सोच रहा था जो कभी कह नहीं पाता।
5:10 बजे, सना आई।
"लेट हो गई?" आरव ने पूछा, पर मुस्कुराते हुए।
"तैयार होने में वक्त लग गया… अच्छा लग रही हूँ न?" सना ने बालों को सुलझाते हुए पूछा।
"हां… तुम्हारी मुस्कान से तो रौशनी भी शर्मिंदा है," आरव ने कहा।
सना की आंखों में हल्की चमक थी — पर साथ ही एक उलझन भी।
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💬 अल्फ़ाज़... और अनकहे डर
कॉफी का ऑर्डर आया। दोनों ने एक-दूसरे की आंखों में देखा, कुछ पल बिना बोले बैठे रहे।
"क्या तुम सीरियस हो इस रिश्ते को लेकर?" सना ने अचानक पूछा।
आरव चौंका।
"क्यों? ऐसा सवाल क्यों?"
"क्योंकि मैंने कभी खुद को किसी को पूरी तरह नहीं सौंपा… डर लगता है… कहीं तुम भी बदल गए तो?"
आरव ने उसका हाथ थामा।
"मैं बदल नहीं रहा… मैं तो पहली बार खुद को महसूस कर रहा हूँ, तुम्हारे साथ।"
सना चुप रही।
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⚡ पहला दरार…
कॉफी के बाद दोनों सड़क पर टहल रहे थे। अचानक सना का फोन बजा।
"मम्मी कॉल कर रही हैं।"
वो थोड़ा दूर जाकर बात करने लगी। आवाज़ तेज़ थी।
"हां मम्मी, मैं समीर के साथ ही हूं… हां, वो मेरा क्लासमेट है…"
आरव ने सुना… और रुक गया।
जब सना वापस आई, उसने देखा कि आरव का चेहरा उतर गया है।
"समीर? क्यों बोला?"
"क्योंकि घर में उन्हें सच बताना आसान नहीं है…" सना ने कहा।
"मतलब हम अब भी 'छिपकर' रहेंगे?"
"हां… फिलहाल।"
आरव चुप रहा।
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रात के 2 बज चुके थे। आरव की आंखों से नींद कोसों दूर थी। मोबाइल हाथ में था, और स्क्रीन पर सना की वही आखिरी लाइन चमक रही थी।
वो लिखना चाहता था — “ठीक है, मैं इंतज़ार करूंगा।”
पर कुछ रोक रहा था।
दर्द? अहंकार? या टूटने का डर?
💔 रात की तन्हाई…
उस रात आरव ने कई बार फोन उठाया, पर कॉल नहीं की। उसके अंदर कुछ टूटा था। वो जानता था कि सना का डर जायज़ है — लेकिन वो खुद भी तो किसी का इकलौता बनना चाहता था।
सना ने एक मैसेज भेजा:
> "मुझे वक्त दो आरव… मैं चाहती हूं कि जब मैं तुम्हें सबके सामने अपना कहूं, तो कोई डर ना रहे…"
आरव ने जवाब नहीं दिया।
🔜 अगले एपिसोड में क्या होगा?
आरव की बेचैनी और दोस्त कबीर की सलाह
सना की पुरानी यादें और उसके डर की असली वजहऔर एक अप्रत्याशित मोड़ — क्या आरव पीछे हटेगा?