Demon The Risky Love - 94 in Hindi Horror Stories by Pooja Singh books and stories PDF | दानव द रिस्की लव - 94

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दानव द रिस्की लव - 94

अदिति के हाथ में है सबकी किस्मत.....

अब आगे.............

अघोरी बाबा के भभूत डालने से उबांक तड़प उठता है और फिर एक बार कर्कश आवाज में अघोरी बाबा को गुस्से में घूरते हुए चिल्लाने लगता है......" अघोरी तू मरेगा....दानव राज...."
उसकी आवाज सुनकर सब डर रहे थे लेकिन अदिति गुस्से और नफ़रत से उसे देखती हुई कहती हैं...." मरना तो तुम दोनों को होगा....जो तुम दोनों ने किया है उसके लिए तो तुझे ऐसे ही तड़पना है और तक्ष भी ऐसे ही तड़पकर मरेगा...."
उबांक उसे देखकर एक शैतानी हंसी हंसते हुए कहता है...." कौन तड़पेगा वो जल्द ही पता चल जाएगा....दानव राज इतने कमजोर नहीं है जो तुम उन्हें ऐसे ही खत्म कर सको...."
अघोरी बाबा गुस्से में उसके ऊपर रोली डालते हुए कहते हैं..." बस बहुत हुआ तुम दोनों का आतंक...."
उसके शांत होने से अघोरी बाबा तुरंत खड़े होकर रोली से अदिति के तिलक करते हैं और फिर अभिमंत्रित भभूत से एक गोल घेरा बनाने लगते हैं.....
अघोरी बाबा अपनी क्रिया में तल्लीन थे,,, और इशान और अमरनाथ जी विवेक को लेकर अंदर आते हैं उसे कंधे के साहरे अंदर लाकर वही दिवान पर लेटा देते हैं.....
विवेक की हालत देखकर सब चेहरे एक बड़े दुख से मुरझाए से हो जाते हैं.... विवेक को देखते ही अदिति वहीं गुमसुम सी बैठ जाती है और मालती जी और सुविता जी विवेक के पास उसे प्यार से सहलाने लगती है लेकिन अघोरी बाबा हाथ में एक औषधि की कटोरी लेकर  उसके पास आते हैं और इशान की तरफ देखकर कहते हैं....." इन्हें इसके पास से दूर करो और तुम इसके ऊपरी कपड़े को उतार दो ....
अघोरी बाबा के कहने के बाद इशान वैसा ही करता है और उसके बाद खुद भी उससे दूर हो जाता है..... अघोरी बाबा उस औषधि को किसी मंत्रों के साथ उसकी कमर पर लगाते हैं और वापस अपनी जगह से आकर रोली मिश्रित अक्षत को उस दिवान के चारों तरफ एक घेरा बनाकर कहते हैं...." आप सब इससे दूर वहीं बैठिए और इसके पास आने के बारे में अभी सोचना मत ... क्योंकि इस औषधि से उस पिशाच के किये गये वार की दूषित शक्ति बाहर निकलेगी ,,, वो तुम्हें सब को न नुकसान पहुंचा दे इसलिए दूर रहो...." 
और फिर अदिति की तरफ देखकर कहते हैं...." तुम लड़की जाओ उस घेरे में बैठ जाओ और जबतक हम न कहें उससे बाहर मत आना ,, अन्यथा तुम अपनी जान गंवा बैठोगी...."
अदिति उनसे कहती हैं...." मैं पहले भाई से बात कर लूं....बीस मिनट बोला था और अब शाम हो चुकी है... मुझे डर है कहीं वो तक्ष भाई को भी नुकसान न‌ पहुंचा दे...."
अघोरी बाबा उसे समझाते हुए कहते हैं....." तुम अगर इस क्रिया में साथ दोगी तो तुम अपने भाई को भी बचा लोगी और उस लड़के को भी....."
अदिति दोनों की जान बचाने की सुनकर हां कहती हुई पूछतीं है...." आप बताइए मुझे क्या करना होगा फिर...?..."
अघोरी बाबा उस बेहोश पड़े उबांक को दिखाते हुए कहते हैं..." ये जो चमगादड़ है , उसकी  परछाई है और हम इसके जरिए ही उस पिशाच को यहां बुलाएंगे...वो मजबूर होकर यहां अवश्य आएगा और क्योंकि वो अपनी ऊर्जा से दूर रहेगा तो हम उसे अपनी सिद्धी और क्रिया यज्ञ द्वारा उसे भस्म कर देंगे..."
अदिति कुछ समझ नहीं पाई इसलिए उनसे पूछती है...." तो इसमें मैं क्या कर सकती हूं...."
अघोरी बाबा कड़े शब्दों में कहते हैं...." क्योंकि तुम उसकी ऊर्जा शक्ति हो.... नहीं समझी ..." अघोरी बाबा अदिति के हाथ को दिखाते हुए कहते हैं....." देखो अपने इस हाथ के निशान को , तुम जानती हो ये किसके हैं...?.."
अदिति ना में सिर हिलाती है फिर अघोरी बाबा आगे कहते हैं..." ये निशान हैं उस पिशाच के दांतों के , जिसने तुम्हारे रक्त से अपनी ऊर्जा बढा़ई है और अभी रूद्राक्ष शक्ति से टकराते ही उसकी समस्त ऊर्जा समाप्त हो चुकी है इसलिए वो तुम्हारे रक्त को पान करने के लिए अवश्य आएगा और अगर वो तुम तक नहीं पहुंच सका तब वो‌ हमेशा के लिए खत्म हो सकता है..." 
अघोरी बाबा की बात सुनकर अदिति काफी नर्वस हो जाती है लेकिन जब बात उसके भाई और प्यार पर आई तब अदिति बिना कुछ आगे सवाल जबाव किये चुपचाप जाकर उस घेरे में पालती मारकर बैठ जाती है ,,, उसकी बैचेन निगाहें बस विवेक पर थमी हुई थी जिसे देखकर वो‌ अपने आप से कहती हैं....." विवेक तुमने मुझे कभी कुछ नहीं होने दिया और मैं हूं जो तुम्हें बचा भी नहीं पा रही हूं...एम सॉरी विवेक ये‌ सब मेरी वजह से हो रहा है न ही मैं पूराने किले पर जाती और न ही आज ये सब होता...." अदिति की आंखों से आंसू गिरने लगते हैं लेकिन अपने आंसूओं को छुपाती हुई चुपचाप बैठी रहती हैं.....
अघोरी बाबा सबके पास जाकर उन्हें मौली बांध कर कहते..." ये अभिमंत्रित मौली है जिससे आप सब सुरक्षित रहे बस आप कुछ भी करके शांत रहना...." सब चुपचाप हां में सिर हिलाते हैं और अघोरी बाबा वापस अपनी जगह आकर बैठते हैं फिर लाल कपड़े में लपेटकर रखें हुए छोटे से त्रिशूल को निकालकर एक प्लेट में रखते हुए उसपर फूल डालकर मंत्रों से अभिमंत्रित करके उसपर जल की छिंटे मारकर उसे अदिति के ले जाकर रखते हुए कहते हैं..." जब हम तुम्हें कहे अब अंत हो तब तुम इस त्रिशूल को उस पिशाच के दिल में वार कर देना और हां उसके रूप को देखकर भयभीत मत होना क्योंकि रात लगभग हो चुकी है और वो अपने असली रूप में ही यहां आएगा इसलिए हिम्मत बनाए रखना...सबकी जिंदगी तुम्हारे हाथ में है....."
अदिति अघोरी बाबा की बात पर सहमति जताते हुए कहती हैं....." आप जैसा कह रहे हैं मैं करूंगी बस मेरे भाई और विवेक ठीक रहने चाहिए..."
" तुम निश्चिन्त रहो बस अपनी हिम्मत बनाओ बाकी भगवान शिव सब ठीक करेंगे.....हर हर महादेव....."
अघोरी बाबा वापस जाकर अपनी जगह बैठ जाते और आंखें बंद करके ध्यान में खो जाते हैं कुछ देर ध्यानस्थ होने के बाद अपनी आंखें खोलकर एक प्लेट में रखी हुई धूप से भभूत को लपेट कर उबांक के सिर पर रखते हैं....
उनके ऐसा करते ही जोर जोर से हवाएं चलने लगती है....
 
.................to be continued...........