आदित्य बेसुध हो चुका है...
अब आगे..........
आदित्य तक्ष को देखकर हैरान रह जाता है उसे देखकर वो भूल गया कि वो अदिति से बात कर रहा है..... दूसरी तरफ से अदिति भाई भाई कर रही थी जिससे आदित्य तुरंत नार्मल होकर अदिति से कहता है...." अदि.... मैं बस पहुंचता हूं अभी..."
आदित्य अदिति की बात सुने बिना काॅल कट कर देता है और तक्ष को देखकर कहता है...." तुम यहां...?.."
तक्ष उसे देखकर समझ चुका था शायद अब ये मेरी सच्चाई को जानता है क्योंकि वशीकरण लाकेट टूटने के बाद अदिति ने इसे सबकुछ बता दिया होगा...." फिर भी अनजान बनते हुए जानने की कोशिश करता है.....
तक्ष पूरी तरह कमजोर हो रखा था पूरी तरह घायल होने की वजह से ठीक से खड़ा हो पाना उसके लिए मुश्किल हो रहा था फिर भी जबरदस्ती मुस्कुराते हुए कहता है...." आदित्य तुम इस तरह मुझे देखकर हैरान क्यूं हो रहे हो..."
आदित्य उसकी सच्चाई को बखूबी जानता था इसलिए उसे अंदर ही अंदर उसपर काफी गुस्सा आ रहा था लेकिन अपने को शांत करते हुए और अपनी मुट्ठी में बंद लाकेट को देखकर खुद से कहता है......" बस पहले ये सुरक्षा कवच अदिति को दे दूं उसके बाद इसको देखता हूं...."
आदित्य उसकी बात को इग्नोर करते हुए बाहर जाने के लिए जैसे ही बढ़ता है तभी उसके पीछे से उसकी कोई आवाज लगाता है जिससे देखकर आदित्य हैरानी से कहता है...." बबिता...."
जी हां बबिता पूरी तरह जख्मी बबिता चिल्लाने लगती है...." साहब इससे दूर रहना ये पिशाच है..."
आदित्य जिस बात को उसके सामने उजागर नहीं होने दे रहा था आखिर बबिता ने वो कह दिया..... आदित्य उससे पूछता है...." बबिता ये सब क्या हुआ,,, तुम इस तरह जख्मी हालत में,,, किसने किया ये सब...?.."
तक्ष उसकी बात सुनने के लिए मना करता है लेकिन आदित्य उसे हाथ के इशारे से चुप रहने के लिए कहता है.....
उधर अदिति आदित्य से बात करके थोड़ा नार्मल होती है लेकिन अभी भी विवेक के लिए वो कितनी परेशान थी इस बात को जाहिर नहीं होने देती लेकिन फिर भी इशान से उसे काॅल लगाने के लिए कहती हैं लेकिन इशान का जबाव वहीं होता है कि विवेक काॅल रिसीव नहीं कर रहा है......
सुविता जी अदिति को रेस्ट करने के लिए कहकर वहां से चली जाती हैं......सब नीचे हाॅल में पहुंचते हैं जहां कामनाथ जी भी विवेक के लिए परेशान से इधर उधर घूम रहे थे तभी वो किसी को काॅल करते हुए आर्डर देते हैं......" पांच मिनट के अंदर अंदर विवेक अमरनाथ चौधरी की खबर मुझ पहुंचाओ कहां है वो और किस हाल में जल्द से जल्द मुझे इन्फोर्मेशन दो....."
दूसरी तरफ से" ओके सर " कहकर काॅल कट हो जाती है
उधर बबिता आदित्य के पूछने पर तक्ष की तरफ इशारा करते हुए कहती हैं...." साहब इसने... किया है...ये सब...."
बबिता आदित्य को सारी बात बताती है फिर आगे की कहानी
फ्लैशबेक .......
जब तक्ष उबांक को ढूंढ़ने के लिए घर पहुंचा तब उसे उबांक कहीं नहीं मिला था जिससे वो बबिता पर शक करता है लेकिन उसे उबांक की पैशाची शक्ति पर ध्यान जाते ही बिना कुछ कहे वहां से जाने लगता है लेकिन जब बबिता के फोन पर विवेक की काॅल आई थी उसके बाद उसका ध्यान अदिति की तरफ जाता है जिसके कारण वो अपने रूम में उसे न देखकर गुस्से में तिलमिला जाता है और तभी बबिता से अदिति के बारे में पूछता है लेकिन बबिता साफ मना कर देती है जिसकी वजह से तक्ष गुस्से में उसके सिर को टेबल पर मार देता है और बबिता वहीं बेहोश हो जाती है....उसके बाद तक्ष हितेन के घर जाता है.....
फ्लैशबैक आॅफ...
बबिता से ये सब सुनकर आदित्य अब अपने गुस्से को नहीं रोक पाता और तुरंत तक्ष को गले से पकड़ लेता है....
तक्ष नाटकीय अंदाज में कहता है...." आदित्य ये झूठ बोल रही है...."
" बहुत हो गया तक्ष अब तुझे छोडूंगा नहीं.... बहुत कर लिया तूने अपना नाटक...." आदित्य गुस्से में एक पंच उसके मुंह पर मार देता है जिससे तक्ष वहीं गिर जाता है क्योंकि उसकी ऊर्जा शक्ति अभी कम हो चुकी थी......
उधर विवेक को लेकर सब टेंस्ड हो रहे थे तभी बाहर से आवाज आती है...." हर हर महादेव...."
इस आवाज से सबका ध्यान में डोर की तरफ जाता है और वॉचमैन भागते हुए आकर कहता है....." बड़े मालिक हमें माफ कर देना,, ये अघोरी जबरदस्ती अंदर आ गया हम इसे अभी बाहर लेकर जाते हैं...."
वाॅचमैन जैसे ही उन्हें बाहर ले जाने के लिए आगे बढ़ता है तभी इशान उसे मना कर देता है....." तुम जाओ यहां से इन्हें अंदर आने दो...."
सब सवालिया नज़रों से इशान को देखते हैं....इशान धीरे से कहता है...." मां शायद ये वही अघोरी तो नहीं जिनका जिक्र विवेक कर रहा था...."
अघोरी बाबा इनकी बातों को सुनते हुए कहते हैं...." बिल्कुल हम वहीं अघोरी है जिसने आपके बेटे के कहने पर उसे मार्ग बताया था और अब भी उसी की सहायता के लिए हम यहां आए हैं...."
अघोरी बाबा की बातें सुनकर सुविता जी उन्हें बैठने के लिए कहती हैं और नौकर को पानी लाने के लिए.....
अघोरी बाबा घर में चारों तरफ देखते हुए कहते हैं...." तो उसकी छाया यही पर है....."
अघोरी बाबा की बात किसी के समझ नहीं आ रही थी इसलिए इशान उनसे पूछता है...." आप क्या कहना चाहते हैं...?.."
लेकिन अघोरी बाबा कोई जबाव दिये विवेक के कमरे की तरफ चले जाते हैं और बाकी सब भी जल्दी से उनके पीछे पीछे पहुंचते हैं....
अघोरी बाबा रुम में जाकर इधर उधर देखते हुए उस सिक्रेट अलमारी तक पहुंच चुके थे और सीधा उसका दरवाजा खोल देते हैं......
इधर आदित्य उससे लड़ने में इतना खो चुका था की उसके हाथ से वो सुरक्षा कवच लाकेट कहीं गिर जाता है..... आदित्य के इस गुस्से भरी मार को रोकने के लिए तक्ष अब अपने को रोक नहीं पाया हो अपने नुकीले दांतों से उसकी गर्दन पर गाड़ देता है,, उसे देखकर बबिता चिल्ला जाती और वही बेहोश हो जाती है.....
आदित्य उसके इस हमले से निर्जीव सा हो गया था....
...............to be continued...........
क्या आदित्य बच पाएगा.....?
जानेंगे अगले भाग में......