विवेक की सुरक्षा किसने की.....
अब आगे.............
विवेक उससे बचने के लिए भागने की बजाय उस खंजर को उसकी तरफ करते हुए कहता है....." मैं तुझसे नहीं डरता रूद्राक्ष शक्ति मेरे पास नहीं है तो क्या हुआ,,, हिम्मत तो है जो हर किसी के पास नहीं होती...."
तक्ष उसकी बात सुनकर हंसते हुए कहता है...." इस हिम्मत से कुछ नहीं होगा.... मुझे खत्म करने के लिए तुझे बहुत मेहनत करनी पड़ेगी....बरसों की विद्या के आगे तेरा ये खंजर मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकता...."
विवेक खंजर को देखते हुए कहता है...." ये कोई साधारण खंजर नहीं है एक बार तो तू इसकी पाॅवर झेल चुका है सोच अगर दोबारा से वही वार तुझपर हुआ तो...."
तक्ष ज़ोर ज़ोर से हंसने लगता है जैसे विवेक की बातों का उसपर कोई फर्क नहीं पड़ा है और उससे कहता है...." ये अभिमंत्रित खंजर था जो सिर्फ एक बार ही मुझे चोट पहुंचा सकता था अब नहीं....अब ये साधारण सा है...तू सोच रहा होगा मुझे ये सब कैसे पता तो सुन तेरे और उस अघोरी की बातों को मैंने तेरे दोस्त की यादों से चुरा लिया है...."
विवेक उसकी बातों से थोड़ा नर्वस होने लगता है लेकिन अपने आप को मजबूत करने की कोशिश करते हुए उसपर उसी खंजर से वार कर देता है लेकिन तक्ष की बात सही थी उस खंजर का उसपर कोई असर नहीं हुआ और तक्ष उसे जोर से धक्का दे देता है जिससे विवेक रेक से टकरा जाता है....
उसके वार से बचने के लिए विवेक राऊंड होकर जैसे ही दुसरी तरफ जाता है तक्ष अपने धारदार नाखूनों से उसकी कमर पर वार कर देता है.....
अचानक हुए इस हमले ने विवेक को संभलने का मौका नहीं दिया,, विवेक के सामने अंधेरा छाने लगता है और वो वही बेसुध सा गिर जाता है..... उसके गिरते ही तक्ष उसे मारने के लिए उसपर वार करने ही वाला था तभी अचानक तेज रोशनी के साथ लाल रंग की धूली आंधी उसपर आकर गिरती है जिससे तक्ष बैचेन हो जाता है और वहां से अपने इंसानी रूप में आकर चला जाता है.....
इस धूली आंधी ने उसकी सारी ऊर्जा शक्ति खत्म कर दी थी जिससे तक्ष कमजोर पड़ जाता है इसलिए वहां से चला जाता है....
उधर अदिति को होश आता है और अपने आस पास किसी को न देखने की वजह से जल्दी उठकर जाने की कोशिश करती है लेकिन कमजोर होने की वजह से लड़खड़ा जाती है फिर भी दीवार के सहारे खुद को संभालते हुए बाहर आती हुई भैय्या चिल्लाती है......
अदिति की आवाज सुनकर सब बाहर आते हैं...सुविता जी तुरंत उसके पास जाकर उसे संभालती हुई कहती हैं...." बेटा तू बाहर क्यूं आई....?..."
" भैय्या कहां है आंटी जी...?..."
सुविता जी रुम में देखते हुए कहती हैं...." रुम में नहीं आदित्य..." अदिति ने में सिर हिलाती है ...
सुविता जी उसे अंदर जाने के लिए कहती हैं लेकिन अदिति साफ मना करते हुए कहती हैं...." नहीं आंटी जी पता कुछ बहुत बुरा हुआ है,,, ऐसा लग रहा है इसलिए भाई को बुला दो पहले,,, विवेक से कहो की भाई को बुला ले..."
सुविता जी अदिति से कहती हैं....." अदिति बेटा विवू अभी किसी काम से बाहर गया हुआ है...."
" लेकिन कहां उसे बाहर नहीं जाना चाहिए था...." अदिति परेशान होते हुए कहती हैं
अदिति की आवाज सुनकर इशान उसके पास आता है...
" अदिति अच्छा हुआ तुम्हें होश आ गया..."
अदिति इशान से भी वहीं बात पूछती है..." भाई कहां है...?.."
इशान आदित्य के घर में न होने की बात सुनकर तुरंत उसे काॅल करता है..... लेकिन आदित्य काॅल रिसीव नहीं करता...तीन चार बार रिंग के बाद भी कोई रिप्लाई नहीं आता..... जिससे इशान भी परेशान हो जाता है और अदिति की बैचेनी बढ़ने लगती है......
वो बहुत ज्यादा घबरा जाती है जिससे सुविता जी उसे रुम में ले जाकर उसे पानी पिलाती हुई कहती हैं..." रिलेक्स बेटा आदित्य बिजी होंगा.....इशान तू एक दो बार और काॅल लगा...."
लेकिन इस बार भी कोई रिप्लाई नहीं आता तभी मालती जी भी भागते हुए जल्दी से रुम में पहुंचती है.....
उन्हें इस तरह हांफते हुए देख इशान पूछता है...." क्या बात है चाची जी आप इस तरह हांफती हुई क्यूं आ रही है....?.."
मालती जी एक गहरी सांस लेते हुए कहती हैं....." विवेक काॅल रिसीव नहीं कर रहा है.....सुबह से मैंने कितनी काॅल की है लेकिन कोई जबाव नहीं...."
अदिति अभी तक आदित्य को लेकर परेशान थी अब अचानक विवेक के न फोन उठाने से और घबरा जाती है...
सुविता जी मालती जी से कहती हैं....." तू परेशान मत हो वो बिजी होगा .....तेरी काॅल देखेगा तो तुझे वापसी काॅल जरूर करेगा...."
इधर सब आदित्य और विवेक को लेकर काफी परेशान दिख रहे थे तो वहीं विवेक बेहोश पड़ा था और आदित्य अपने हाथ में सुरक्षा कवच लाकेट लिए बाहर की तरफ जाते हुए अपने फोन को देखकर कहता है...." इशान की दस मिस्ड कॉल....ओह इसे ढूंढ़ने के चक्कर में मैंने फोन पर ध्यान ही नहीं दिया...."
आदित्य काॅल बैक करता है एक रिंग के बाद ही इशान उसकी रिसीव करता हुआ कहता है......" कहां है तू ....?... तुझे पता है यहां हम कितने परेशान हैं और तू बिना बताए घर से चला गया...."
" अरे अरे मेरी बात तो सुन... मैं बस बीस मिनट में पहुंच रहा हूं,,, अदिति को होश आ गया..."
इशान थोड़ी काॅल्ड वॉयस में कहता है...." हां,,, वहीं तो तुझे कबसे बुलाने की जिद्द कर रही है...ले बात कर उससे..." इशान अदिति को फोन देता है...
" भैय्या आप कहां चले गए...?..."
आदित्य उसे रिलेक्स करते हुए कहता है...." रिलेक्स स्वीटी बस बीस मिनट में तेरे पास पहुंच रहा हूं....तू ज्यादा परेशान मत हो मैं जल्दी आ रहा हूं..."
" भैय्या प्लीज़ जल्दी आओ पता नहीं मुझे आपको दूर से सुनते हुए अजीब सी बैचेनी हो रही है... मुझे डर है कहीं कुछ हो न जाए...."
आदित्य अदिति को डांटते हुए कहता है....." चल पागल तू कबसे ऐसी बातें करने लग गई....
आदित्य अभी काॅल पर बात ही कर रहा था तभी अचानक मेन डोर को देखते हुए कहता है...." तक्ष..."
...............to be continued........
क्या होगा आगे जानने के लिए जुड़े रहिए....