Rachna Babulal Ansari
रात के तीसरे पहर की निस्तब्धता में, जब पूरा गाँव गहरी नींद में डूबा हुआ था, तब रुखसार बिना किसी आवाज़ के अपने बिस्तर से उठी और चुपचाप घर के पिछवाड़े की ओर चल पड़ी। उसकी आँखें खुली थीं, लेकिन उनमें होश का कोई नामोनिशान नहीं था। वह सपने और जागने के बीच की किसी रहस्यमयी अवस्था में थी।
कभी वह बरगद के पेड़ के नीचे जाकर रुकती, कभी कुएँ के पास खड़ी हो जाती। ऐसा लगता मानो किसी अदृश्य शक्ति के इशारे पर वह चल रही हो। हवा में एक अजीब सी थरथराहट थी, और कुत्ते भी एक जगह जमकर भौंक रहे थे — लेकिन रुखसार के कदम थमे नहीं।
उधर, उसी गाँव का एक नौजवान "सलीम", जो रात में अक्सर देर तक किताबें पढ़ा करता था, उस seवक़्त अपने कमरे की खिड़की से बाहर झाँक रहा था। उसने देखा कि रुखसार चुपचाप, बिना किसी मक़सद के, नींद में चलती जा रही है। पहले तो वह डर गया, लेकिन फिर एक बेचैनी सी हुई — वो दौड़कर बाहर आया और रुखसार के पीछे-पीछे चलने लगा।
वो उसे आवाज़ देता रहा, लेकिन रुखसार कुछ नहीं सुन रही थी। उसकी चाल सीधी थी, मगर आँखें सपाट।
अचानक वह गाँव के उस पुराने हवेली की ओर मुड़ गई, जिसे सब भूतिया मानते थे। सलीम का दिल काँप गया। वह दौड़ा, और रुखसार का हाथ पकड़ लिया।
उसके छूते ही रुखसार एकदम चौंक पड़ी — जैसे किसी गहरे सपने से कोई खींच लाया हो। उसकी साँसें तेज़ थीं, आँखें हैरान, और वह बस इतना ही बोली — “मैं... मैं यहाँ कैसे आई?”
सलीम ने कुछ नहीं कहा। वह बस मुस्कुराया और बोला — “शायद तुम्हारी कहानी अब शुरू हो रही है।”
इसके बाद गाँव में चर्चा फैल गई। कोई कहता टोना है, कोई कहता रूहों की साज़िश। लेकिन सलीम जानता था — यह कोई आम बात नहीं। उसने रुखसार से मिलने का सिलसिला जारी रखा। वह हर रात सजग रहने लगा।
रुखसार अब भी कभी-कभी नींद में चल पड़ती, मगर सलीम हर बार उसके साथ होता। एक रात, रुखसार ने खुद कहा — "मुझे ऐसा लगता है कि कोई मुझे बुला रहा है, कोई बहुत अपना।"
सलीम ने तब नर्म लहज़े में कहा — "कभी-कभी, जो कहानियाँ हम सोते हुए देखते हैं, वही हमारी असली जागती दुनिया बन जाती हैं।"
रुखसार मुस्कुराई, और पहली बार उसने सलीम का हाथ खुद थाम लिया। उसकी पकड़ इस बार जागी हुई थी।
नींद में चलती कहानी अब रुक गई थी — क्योंकि अब वो एक साथ जाग चुके थे।
गाँव में कुछ बुज़ुर्गों का कहना था कि हवेली की दीवार पर अब एक नई परछाईं दिखने लगी है — जैसे किसी अधूरी आत्मा को मुकम्मल राह मिल गई हो।
कुछ कहानियाँ सिर्फ़ पढ़ने के लिए नहीं होतीं,
वो जीने के लिए आती हैं।
और ये उन्हीं में से एक थी।
अभी जारी है...
आगे की कहानी जानने के लिए आपको ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़गा lekin थोड़ा सब रखें आगेक कहानी जब पूरी हो जाएगी जब पूरी हो जाएगी तब आप लोगोंक पास पहुंचा दिया जाएगा तब आप आगे की कहानी जान सकेंगे इसके लिए आपको वेट करना पड़ेगा तो कहानी अगलाभग तब