नींद में चलती कहानी..... रचना: बाबुल हक अंसारी
गांव के उत्तर दिशा में एक पुरानी हवेली थी, जिसे लोग “सन्नाटे वाली कोठी” कहते थे। बरसों से वीरान पड़ी उस हवेली के चारों ओर झाड़ियाँ उग आई थीं, और रात होते ही वहां से अजीब सी सीटी जैसी आवाजें आती थीं। गांववाले बच्चों को वहां खेलने से मना करते थे, मगर गांव का एक लड़का था — सुधीर, जिसे इन बातों से कोई डर नहीं लगता था। वो सीधा था, पढ़ाई में सामान्य, और अक्सर चुप रहने वाला। पर पिछले कुछ दिनों से उसमें अजीब बदलाव दिखने लगा था।
सुधीर अब रातों को नींद में चलने लगा था। वह आधी रात को उठकर खेतों की ओर निकल जाता, किसी को कुछ बताए बिना। सुबह पूछने पर कहता — “मैं तो सोया था माँ…” लेकिन गांव के लोगों ने कई बार उसे श्मशान के पास, मंदिर की सीढ़ियों पर, और यहां तक कि बंद कुएं के पास भी देखा था। उसकी माँ चिंतित थी, पर कुछ समझ नहीं आ रहा था।
एक रात उसकी छोटी बहन निशा ने उसे चुपचाप घर से बाहर निकलते देखा। सुधीर की आंखें आधी मुँदी थीं, लेकिन चाल इतनी सीधी थी जैसे उसे कोई बुला रहा हो। वह खेतों को पार करता हुआ उस वीरान हवेली तक गया, और दीवार पर हाथ फेरने लगा। फिर ज़मीन की ओर झुककर फुसफुसाने लगा — “मैं लौट आया हूँ… वो दौड़ अधूरी रह गई… मशाल वहीं गिरी थी…” उसकी आवाज काँप रही थी।
निशा डर गई और घर भागकर सबको बताया। अगले दिन गाँव में खलबली मच गई। बुज़ुर्गों ने बताया कि वर्षों पहले इसी गांव से एक होनहार धावक अजय, ओलंपिक के लिए चुना गया था। लेकिन वहां उसे जाति, राजनीति और धोखेबाज़ी का सामना करना पड़ा। मानसिक दबाव में आकर वो अचानक लापता हो गया। कुछ ने कहा उसने आत्महत्या कर ली, कुछ ने कहा वो वापस लौटना ही नहीं चाहता था। तभी से हवेली सुनसान पड़ी थी — क्योंकि वहीं उसकी यादें थीं।
पंडित रघुनाथ ने सुधीर की कुंडली देखी और बताया — “इसके ग्रहों में ‘पूर्व जन्म की अधूरी कड़ी’ दिख रही है। ये लड़का बस नींद में नहीं चल रहा… इसे बुलावा मिल रहा है। कोई आत्मा है जो इसके ज़रिए अपनी बात दुनिया तक पहुँचाना चाहती है।” गांववाले डर गए। कुछ बोले इसे तंत्र-मंत्र से ठीक करो, कुछ बोले इसे शहर के डॉक्टर को दिखाओ।
पर सुधीर की माँ ने फैसला कर लिया — “न तंत्र, न डॉक्टर। मैं अपने बेटे को खोऊँगी नहीं। मैं जानना चाहती हूँ कि कौन है जो इसे बुला रहा है? और क्यों?”
उसने गांव के एक पुराने इतिहासकार, श्री मुकुंद लाल को बुलाया। मुकुंद जी ने बताया — “ओलंपिक की सालों पुरानी फाइल में ‘अजय चौहान’ नाम का एक भारतीय धावक आज भी ‘मिसिंग’ के नाम पर दर्ज है। हो सकता है वो कभी गया ही नहीं… या फिर उसका सच दबा दिया गया हो।”
अब सबकी निगाहें सुधीर पर थीं। वो क्या था जो उसे नींद में उठाकर ले जाता था? और क्या ये कहानी सिर्फ सपना थी… या फिर इतिहास के किसी अधूरे पन्ने का सच?
(जारी…)