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तेरी साँसों के सहारे मेरी ज़िंदगी

तेरी साँसों के सहारे मेरी ज़िंदगी

(Aayan ❤️ Anaya – A Love Story at the Beach)

शाम की हल्की ठंडक, समंदर की नम हवा, और ढलता हुआ सूरज...

समंदर के किनारे हर चीज़ जैसे कोई कहानी कहने को तैयार थी।

रेत पर बैठा एक लड़का — आयान — अपनी डायरी और कैमरे के साथ खोया हुआ था।

उसकी नज़रें समंदर की लहरों में डूबी थीं, लेकिन दिल कहीं और — एक ऐसी दुनिया में, जहाँ कल्पनाएँ हकीकत से ज़्यादा असली होती हैं।

आयान पेशे से एक इमैजिनेशन आर्टिस्ट था — यानी वो उन चीज़ों को देखता था, जो आम लोग सिर्फ महसूस करते हैं।

उसके लिए हर लहर, हर बादल, हर धड़कन — एक कहानी थी।

उसी बीच पर, कुछ दूरी पर — अनाया नंगे पाँव रेत पर चल रही थी।

हवा उसके खुले बालों से खेल रही थी और उसकी मुस्कराहट सूरज की आखिरी किरणों को भी चकमा दे रही थी।

अनाया, एक ज़िंदादिल लड़की, जो हर पल को जीना जानती थी — और उस दिन शायद कुछ ऐसा होने वाला था, जो उसकी ज़िंदगी हमेशा के लिए बदल देगा।

तभी एक तेज़ हवा का झोंका आया, और अनाया का दुपट्टा उड़कर सीधा आयान के चेहरे से टकरा गया।

वो घबरा कर उसके पास दौड़ी, और कहा –

"सॉरी! मेरा दुपट्टा उड़ गया था..."

आयान ने हल्की मुस्कान के साथ जवाब दिया:

"अगर हर गलती इतनी खूबसूरत हो, तो मैं हर दिन इंतज़ार करूँ।"

दोनों कुछ पल चुप रहे।

नज़रों ने जो कहा, वो शब्द नहीं कह सकते थे।

एक अनकहा सा रिश्ता उसी पल बन गया था।

इस कहानी के लेखक #Gautam Suthar  ने कहानी ही नहीं लिखी है बल्की emotions को भी उतारा है । धीरे धीरे उनका प्यार बढ़ता गया जो कि नीचे शब्दों के बया किया हुआ है –

कहानी की शुरुआत

इसके बाद उनकी मुलाकातें बढ़ने लगीं।

हर शाम वो उसी समंदर किनारे मिलते — कभी रेत के घरौंदे बनाते, कभी चुपचाप लहरों को देखते।

आयान अनाया की हँसी में सुकून पाता था, और अनाया को उसकी गहराई में अपनापन दिखता था।

वो दोनों अपने-अपने दर्द और ख्वाबों को एक-दूसरे से साझा करते।

आयान अपनी डायरी की कविताएँ सुनाता, और अनाया रेत पर उस कविता की तस्वीरें बनाती।

धीरे-धीरे, रेत और लहरों के बीच एक नई कहानी उभर रही थी — एक प्रेम कहानी, जो साँसों से जुड़ी थी।

इज़हार — जब खामोशियाँ बोल उठीं

एक दिन, चाँदनी रात में, जब समंदर शांत था और सिर्फ लहरों की सरगोशी सुनाई दे रही थी, आयान ने अनाया का हाथ थामा।

उसकी आँखों में वही कल्पनाओं की चमक थी।

"अनाया…

तेरी साँसों के सहारे मेरी ज़िंदगी चलती है।

जब तू पास होती है, तो लगता है — पूरी कायनात मेरे साथ चल रही है।"

अनाया की आँखें भीग गईं।

उसने मुस्कराकर बस इतना कहा,

"और जब तुम पास होते हो… तो लगता है मैं पहली बार साँस ले रही हूँ।”

एक नई शुरुआत — बिना किसी अंत के

उनकी कहानी किसी बड़ी घटना की मोहताज नहीं थी।

वो छोटी-छोटी बातों, मुलाकातों, और उन साँसों से बनी थी — जो एक-दूसरे की मौजूदगी से महकती थीं।

समंदर गवाह बना — उन दो दिलों का जो एक-दूसरे के बिना अधूरे थे।

रेत पर चलती दो परछाइयाँ आज भी वहाँ दिखती हैं…

जैसे हर शाम दो रूहें एक बार फिर मिलती हों।

आयान की कल्पनाओं को अब दिशा मिल चुकी थी —

और अनाया को अब वो मिल चुका था, जिसे वो कभी शब्दों में बाँध नहीं पाई थी।

"तेरी साँसों के सहारे मेरी ज़िंदगी..."

अब सिर्फ एक जुमला नहीं था — बल्कि उनका सच था।

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