Check-In Hua, Check-Out nahi - 3 in Hindi Comedy stories by Sakshi Devkule books and stories PDF | Check-In हुआ, Check-Out नहीं! - अध्याय 3

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Check-In हुआ, Check-Out नहीं! - अध्याय 3

🖤 अध्याय 3: "बोतल वाली आत्मा" 🍾👻
सुबह की हल्की धूप खिड़की से अंदर झांक रही थी, लेकिन आर्या की नींद आंखों से ज़्यादा दिमाग से टूट रही थी।

आर्या की तीसरी सुबह गेस्ट हाउस में और भी अजीब थी।
“ये गेस्ट हाउस नहीं… कोई टाइमपास टॉर्चर हाउस है।” 

रात की Disco Queen मोनिका के बाद, अब वो तय कर चुकी थी कि

> "आज तो मैं किसी से बात ही नहीं करूँगी… और अगर किसी दीवार से कोई गुज़रा तो सीधा YouTube लाइव जाऊँगी!"



वो बिस्किट और चाय लेने डाइनिंग टेबल तक पहुँची — लेकिन वहाँ पहले से एक महाशय विराजमान थे।


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🧥 पहला परिचय

सूट-बूट में, करीने से कंघे किए बाल, भारी मूंछ और हाथ में…

एक खाली Whisky की बोतल।

आर्या कुछ बोलती, उससे पहले ही वो बोले —

> "Excuse me, ताज होटल की whisky है क्या?"



आर्या ने आँखें मटकाई —

> "ये पहाड़ है साहब… मुंबई नहीं!"




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🤨 रघु काका का खुलासा

तभी रघु काका धीरे से पास आए और कान में बोले —

> "दारूवाला साहब हैं। 1984 में पार्टी करते करते… हार्ट अटैक से गए।"
"तब से अब तक — हैं यही। हमेशा एक और पैग की तलाश में।"



आर्या ने धीरे से पीछे कदम खींचे।

> "तो मतलब… ये भी… भूत?"



> "नहीं नहीं... ये ‘लीजेंड’ हैं!"
रघु काका ने मुस्कराते हुए कहा।




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🍺 नशे में आत्मा

दिन हो या रात — दारूवाला साहब अपने whisky bottle के साथ चलते।
कभी लॉबी में दीवार पर झुककर कान लगाते —

> "इस कमरे से Old Monk की महक आ रही है!"



कभी किसी के कमरे में झांकते हुए पूछते —

> "सॉरी, Royal Stag है क्या? Extra mature wala?"



और कई बार तो वो दीवारों से ऐसे निकलते जैसे कोई drink menu ढूँढ रहे हों।

एक दिन आर्या corridor से जा रही थी कि उन्होंने सामने से आते हुए उससे पूछा —

> "माफ कीजिए, आपने रम की लाल बोतल देखी क्या?"



और फिर दीवार में घुस गए।


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🎭 Theatrical Antics

रात को तो वो और भी मज़ेदार हो जाते थे।

आर्या ने उन्हें खुद से बात करते हुए सुना:

> "Glass नहीं मिला यार… ये management भी न! Timepass naam सही रखा है!"



कभी-कभी वो खुद को ही toast करते:

> "To Harishankar… the last peg before heaven!"




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💔 पर एक गहराई भी थी

एक रात, आर्या ने उन्हें अकेले बैठे देखा।
शराब की बोतल से खेलते हुए, वो गा रहे थे —

🎶 “Zindagi ek safar hai suhana…”

आर्या कुछ कहने ही वाली थी कि उन्होंने चुपचाप कहा —

> "एक दिन मेरी पार्टी फिर से शुरू होगी…
और मैं नहीं, सब कहेंगे — दारूवाला वापस आ गया।"



उस पल आर्या को एहसास हुआ —
उनकी ये शराब की तलाश… शराब की नहीं, पहचान की है।


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😲 लेकिन खतरा भी

एक बार आर्या ने गलती से दारूवाला साहब की बोतल को छू लिया।

अगले ही पल —

> "Don’t touch my vintage!"🥃
उनका स्वर गूंजा, और कमरे में हवा ठंडी हो गई।



उस रात आर्या ने दरवाज़ा बंद करके सोना बेहतर समझा।


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🎯 अध्याय समाप्त…

दारूवाला साहब गए नहीं…
क्योंकि उन्हें कोई drink नहीं चाहिए —
उन्हें चाहिए applause, status… और शायद कोई पुरानी कसक का closure।

लेकिन तब तक — वो हर आत्मा की तरह… 'Timepass Guest House' में trapped हैं।


आर्या को अब समझ आ रहा था —
ये गेस्ट हाउस सिर्फ भूतों का घर नहीं…
ये एक अधूरी कहानियों का स्टेशन है।


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🔔 अगला अध्याय: "भूतों की मीटिंग और अद्भुत अदित्य"