नीलिमा ग्रह की राजकुमारी नयनतारा अपने पिता को ढूंढ़ने के लिये पृथ्वी पर पहुँचती है... जहाँ उसकी मुलाक़ात देव से होती है , देव पहली हीं मुलाक़ात में नयनतारा को अपना दिल दे बैठता है..भोली भाली नयनतारा प्यार की राहों से अनजान क्या समझ पायेगी देव का प्यार....?.
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कहानी शुरू होती है नीलिमाग्रह से......
आज नीलिमाग्रह पर हो रही हलचल को देखते हुए सभी काफ़ी परेशान थे, एक सैनिक अंदर से आ रहे दूत को रोकते हुए पूछता है... " अरे! रूको... अंदर इतने भगामभाग क्यू हो रही है....?.. " वो दूत कहता है... " राजकुमारी जी पृथ्वी पर जाने की बात कर रही है... " सभी हैरान होकर पूछते है.... " पर राजकुमारी वहाँ क्यू जाना चाहती है...?... " वो दूत जाते हुए कहता है... " मुझे नहीं पता..."
उधर राजकुमारी के इस फैसले से सभी परेशान थे, रंगिनी जोकि राजकुमारी नयनतारा ा की सबसे खास सहायिका है वो राजकुमारी के कमरे में पहुंचती है जहाँ राजकुमारी नायंतारा जाने की तैयारी कर रही थी.... " आप वहाँ मत जाइये राजकुमारी.. " नयनतारा तैयार होते हुए कहती है.... " हमारा वहाँ जाना आवश्यक है, पता नहीं हमारे पिताजी कैसे होंगे इतना समय हो गया है...?... " रंगिनी गंभीर आवाज में कहती है... " आपका कथन उचित है किन्तु आप वहाँ के रहन सहन , भाष्य बोली सबसे अनजान है , कैसे आप वहाँ रह पाएंगी...?... " नयनतारा जोश भरी आवाज में कहती है... " अब जो भी हो हम वहाँ जायेंगे.... " इतना कहकर नयनतारा वहाँ से एक क्रिस्टल बॉल की तरह बने गोले में बैठ जाती है, वो गोला नयनतारा के इशारे पर वहाँ से घूमता हुआ पृथ्वी की औऱ बढ़ने लगा... धीरे धीरे वो किसी टूटते तारे की तरह कन्मोंहा के जंगलो में पहुंचता है...जिसे एक फारेस्ट रेंजर देख लेता है औऱ वो जल्दी से उसके पास पहुँचता है....
क्रिस्टल बॉल को देखते हुए वो कहता है... " ये तारा नहीं है... इतना बड़ी क्रिस्टल बॉल ऊपर से कैसे आयी...?.. " वो क्रिस्टल बॉल धीरे धीरे खुलने लगी थी जिसके अंदर से तेज़ रौशनी निकलती है जिसे वजह से वो रेंजर अपनी आँखो को अपने हाथों से बंद कर लेता है.. थोड़ी देर बाद वो तेज़ रौशनी ख़तम होती है औऱ फारेस्ट रेंजर अपनी आँखो से हाथों को हटाकर देखता है... सामने नयनतारा को देखकर हैरानी बिना पलके झपकाये उसे देखता रहा जाता है... नयनतारा की खूबसूरती उसे अपनी तरफ खींच रही थी जिसे देखकर सोचता है... " ये कौन है..?.. बिल्कुल तारा जैसे चमक चेहरे पर.. इतने सुन्दर आजतक मैंने किसी को नहीं देखा.... " नयनतारा अपने सामने खड़े उस फारेस्ट रेंजर को देखकर पुछती है... " क्या ये पृथ्वी है...?... औऱ आप इंसान है...?... " वो रेंजर तो बस उसमें खो गया , नयनतारा के दो तीन बार पूछने पर उसका ध्यान उसकी बातों पर जाता है... " हा.. ये पृथ्वी है... लेकिन तुम कौन हो..?.. औऱ ऊपर से कैसे आयी....?... ".."..हम नीलिमाग्रह की राजकुमारी नयनतारा है.." नयनतारा अपने बारे में उसे बताती है आखिर वो यहां क्यू आयी है.... वो रेंजर उसे देखकर सोचता है... " ये तो वही है..... "