Demon The Risky Love - 84 in Hindi Horror Stories by Pooja Singh books and stories PDF | दानव द रिस्की लव - 84

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दानव द रिस्की लव - 84

तक्ष की सच्चाई आई सामने....

अब आगे........

आदित्य हैरानी से पूछता है...." अननैचुरल... लेकिन विवेक तुम्हें कैसे लग रहा है कि जहर अदि ने दिया है ,,वो ऐसा कुछ नहीं करेगी...."
विवेक उसे समझाते हुए कहता है....." हां भाई अदिति ऐसा नहीं करेगी लेकिन अभी जिसने आपको जहर दिया है वो अदिति है ही नहीं ,,वो अदिति के भेष में तक्ष है....."
आदित्य जो पहले से ही विवेक की बातों को सुनकर परेशान लग रहा था अचानक तक्ष का नाम सुनकर कहने लगता है...." विवेक तुम बार बार तक्ष को हर जगह क्यूं इनवॉल्ब करते हो वो तो यहां है भी नहीं..."
तभी इशान हाथ में फ्रूट जूस लिए आता है , दोनों को बातें करते हुए पूछता है...." क्या हुआ आदित्य क्या कह दिया विवू ने....."
आदित्य बैठने के लिए उठ रहा था,, विवेक तुंरत उसे अपने सहारे से बैठाता हुआ कहता है......" भाई मुझे पता था आप मेरी बात पर ब्लीव नहीं करोगे रुको मैं आपको प्रूफ दिखाता हूं....."
इशान आदित्य को जूस देता है और विवेक से पूछता है...." किस चीज का प्रूफ दिखा रहा है....." 
विवेक रूको कहकर किसी को काॅल करता हैऔर स्पीकर पर डाल देता है........
काॅल रिसीव होती है दूसरी तरफ से आवाज़ आती है...." हां विवू बोल ...."
विवेक : मां अदिति को होश आया...." 
मालती जी उदासी से कहती हैं...." नहीं बेटा मैं कबसे इसे पट्टी रख रही हूं लेकिन कोई फायदा नहीं हो रहा है,  इसलिए तुझसे कह रही थी डाक्टर को बुला लूं...
मालती जी की बात सुनकर दोनों के चेहरे पर हैरानी साफ दिख रही थी.....
विवेक आदित्य की तरफ देखकर कहता है...." मां आप चिंता मत करो उसे जल्दी ही होश आ जाएगा.... मां एक काम कर दो भाई को अदिति को देखना था जरा वीडियो काॅल कर रहा हूं मैं दिखा दो इन्हें......
मालती : ठीक है बेटा....
विवेक वीडियो काॅल के जरिए अदिति को दिखाता है जिसे देखकर इशान हैरानी से कहता है....." अदिति तो बाहर बैठी थी...ये इस तरह...
विवेक उसे समझाता है...." भाई ये अदिति है...इन सब बातों से अनजान की आखिर हो क्या रहा है...."
आदित्य जो बड़े गौर से अदिति को देख रहा था उसके सामने सारी बातें घूमने लगती है......
फ्लैशबैक...
अदिति पूराने किले में मत जाना....." देविका जी कहती हैं...
" भाई उस पूराने किले में एक नरपिशाच कैद है...."कांची डर से कहती हैं..
"तू पूराने किले पर क्यूं गई थी...."
" भाई उस किले में एक बेचारा लड़का कैद है..."
" तूने उसे आजाद तो नहीं किया...."
"भाई मैंने उस पिंजरे का दरवाजा खोल दिया...."
"मैं आपको छू नहीं सकता इस सुरक्षा कवच तावीज के कारण...."
" ये सब बेकार की चीज है भाई है इसलिए मैं ये तावीज फेंक रही हूं..."
आदित्य को ये सब किसी सदमे से कम नहीं लग रहा था वो किसी बूत की तरह चुपचाप बस खो गया था जिसे शांत करने के लिए इशान उसके पास जाकर उसे रिलेक्स रहने के लिए कहता है.....
आदित्य बहुत ज्यादा टेंस्ड हो चुका था और बिल्कुल हल्की सी आवाज में कहता है......." विवेक मैंने मां की बात नहीं मानी वो उसके जाल में फंस गई.... उसे क्यूं आजाद किया..." 
विवेक : भाई शांत हो जाइए आपकी तबियत बिगड़ सकती है....."
आदित्य : और कैसे बिगड़ेगी तबीयत मेरी अदि .... विवेक अदिति को क्या हुआ है....?.."
विवेक : भाई पता नहीं लेकिन उसे शायद कोई ठीक कर सकता है....."
आदित्य : कौन ....?
विवेक : अघोरी बाबा वो‌ ही इस तक्ष को रोक सकते हैं.....
इशान तुरंत कहता है....." हमें फिर देर नहीं करनी चाहिए जल्दी से उनसे मिलना चाहिए फिर....."
आदित्य गुस्से में खड़े होने की कोशिश करता हुआ कहता है..." मैं इस तक्ष को छोडूंगा नहीं इसे ...
विवेक उसे रोकता हुआ कहता है....." भाई आप ऐसा कुछ नहीं करोगे,,,अभी अदिति को होश नहीं आया है और हम नहीं जानते इसने उसे कैसे बेहोश किया है इसलिए अभी अपने गुस्से को शांत करिए और इसके आगे के मकसद को जानकर ही हम कुछ कर पाएंगे.... इसलिए भाई प्लीज़ नार्मल रहिए ... मुझे अघोरी बाबा ने जो करने के लिए कहा है बस एक बार वो‌ पूरा हो जाए बस...."
इशान विवेक से पूछता है....." विवू तूने आदित्य को ठीक कैसे किया था....?..."
विवेक : भाई जब हितेन को जहर फैलने की बात पता चली थी तभी मैं अघोरी बाबा से औषधि लेकर आया था लेकिन उससे पहले ही अदिति ने...(कुछ सोचकर).. नहीं तक्ष ने उसे ठीक किया लेकिन क्यूं...?.....आप इस मेडिसिन से ठीक हुए थे......
विवेक सोच में पड़ जाता है....." आखिर तक्ष ने हितेन को ठीक क्यूं किया था और वो उसे मुझसे दूर रहने के लिए क्यूं कह रहा था...?..... इतना तो क्लियर है तक्ष ही उस टाइम हितेन के पास था,, मेरे छूने से वो इतना कांप रूद्राक्ष शक्ति की वजह से रहा था.... आखिर क्यों हितेन इतना गुस्सा कर रहा था मुझे हितेन से बात करनी पड़ेगी...."
इशान उससे पूछता है....." विवू हितेन को क्या हुआ था...?..."
विवेक : भाई ये बहुत लम्बी कहानी है जिसे आप शायद सच नं भी मानो.... फिलहाल पहले अदिति की सैफ्टी के लिए उसे घर से दूर ही रहना अच्छा होगा...
आदित्य कुछ सोचते हुए कहता है...." फिर तो अब जल्दी से वो सुरक्षा कवच तावीज मुझे ढूंढ़ना होगा उम्मीद करता हूं वो गार्डन में ही कहीं पड़ा हो बस...." 
विवेक हैरानी से पूछता है..." कौन सा तावीज भाई...?..."
आदित्य : मां ने हमारी सुरक्षा घेरा पूजा करवाई थी अब समझ आ रहा है क्यूं ऐसा किया था मां ने.... हमने मां की बातों को हल्के में ले लिया... उसे हमसे चाहिए क्या...?.."
विवेक  : भाई मुझे तो लगता है शायद उसका मकसद केवल अदिति को नुकसान पहुंचाने का है...."
इशान विवेक से कहता है....." नहीं विवू आदित्य को उसने मारने की कोशिश की है तू भूल गया....
आदित्य : अगर अदिति की बात होती तो मां उसकी सुरक्षा के लिए पूजा करवाती .... लेकिन बात कुछ और ही है...?...जो काफी उलझन भरी है....
 
 ......................to be continued..................
आखिर क्या है तक्ष का मकसद....?
जानने के लिए जुड़े रहिए.......