चंद्रा ने दक्ष को पहले कभी नहीं देखा था प्रतापगढ़ साम्राज्य में इस नाम के लोग देखने को बहुत कम ही मिलते थे और इसकी वजह थी चंद्रा वह नहीं चाहती थी कि इस साम्राज्य में कोई भी इस नाम का इंसान हो
उसके पास दक्ष का नाम निशान मिटाने का यही एक तरीका था लेकिन अब चंद्रा के सामने उस नाम का ही इंसान नहीं बल्कि बिल्कुल दक्ष जैसी शक्ल का इंसान था और इसीलिए चंद्रा जानना चाहती थी कि आखिरकार सच क्या है
दूसरी तरफ दक्ष की मां भानुमति सोच रही थी कि दक्ष की ट्रेनिंग की व्यवस्था कैसे की जाए
भानुमति दक्ष की चिंता में डूबी हुई थी कि तभी पन्ना भानुमति के कंधे पर हाथ रखती है और कहती है
रात के खाने का समय हो गया है जल्दी से खा लीजिए
पन्ना की बात सुनकर तभी भानुमति कुछ परेशान होते हुए कहती है
पन्ना मैं बहुत देर से यही सोच रही हूं कि दक्ष को कौन प्रशिक्षित करेगा
मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा है पन्ना
आखिर हमारे दक्ष के लिए क्या सही है
पन्ना समझ गई थी कि भानुमति दक्ष के लिए परेशान है इसीलिए अपना भानुमति को समझाते हुए कहती है
आप हमेशा कहती है कि अगर कोई समस्या है तो उसका समाधान भी है अगर हमारे दुख को लेकर कोई समस्या है तो उसका समाधान भी कुछ ना कुछ जरूर होगा
और आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है ईश्वर उनके साथ है
पन्ना ने इतना कहा ही था कि तभी भानुमति की आंखें चमक उठती है
साधु
साधु हां साधु भानुमति जोर से चिल्लाती है
(आईए जानते हैं क्या है साधु का रहस्य बने रहिए मेरे साथ "द न्यू अवतार" में आशा करती हूं आप लोगों को कहानी बहुत ही ज्यादा पसंद आ रही होगी कृपया करके आप मुझे प्रोत्साहित करें और मेरा हौसला बनाए रखें धन्यवाद🙏)
भानुमति की बात सुनकर पन्ना एकदम से चौंक जाती हैं और भानुमति की तरफ देखने लगती है तभी भानुमति पन्ना से कहती है मैंने तुम्हें बताया था ना कि जब दक्ष का जन्म हुआ था तब उन्ही साधु ने मेरी मदद की थी वह हमारे राज्य के उत्तर में रहते हैं मुझे लगता है कि एक बार हमें उनसे मिलना चाहिए
महारानी लेकिन क्या अभी भी वहां पर होंगे पन्ना संदेश से भानुमति को देखते हुए कहती है
पन्ना मुझे नहीं पता अभी वह साधु वहां पर है या नहीं लेकिन शायद तुम मेरी मदद करो तो हमें उनके बारे में कुछ ना कुछ पता तो चल ही सकता है
भानुमति ने कहा
ठीक है हम कल किसी को भेज देंगे उन साधु के बारे में पता करने के लिए
आप दक्ष को खाना खिला दीजिए
इतना कहने के बाद पन्ना खाने के थाली सजाने लगती है
इसके बाद भानुमति खाने की थाली लेकर दक्ष के पास जाती है तो वह देखते हैं कि दक्ष वहां पर आंखें बंद किए हुए ध्यान में बैठा था
जब ध्यान में बैठा था तो उसके माथे पर दोनों बहू के बीच की जगह में कुछ अजीब सी रोशनी दिख रही थी
तक चपाती खोलना है तो वह देखता है कि उसके सामने उसकी मां भानुमति हाथों में खाने की थाली लिए हुए खड़ी हुई है
भानुमति को देखते हुए दक्ष भानुमति से पूछता है की मां तुमने खाना खा लिया
नहीं हमने खाना नहीं खाया है अभी आप खा लीजिए इसके बाद हम खाना खाते हैं आपको पता है ना जब तक आप खाना नहीं खाते हम खाना नहीं खाते हैं जब आप खाना खा लोगे तो उसके बाद हम खाना खाएंगे दक्ष......
भानुमति की बात सुनकर दक्ष कुछ सोचने लगता है और फिर भानुमति से कहता है की मां तुम्हें यदि कोई आपत्ति ना हो तो हम दोनों साथ में खाना खा ले
दक्ष की यह बात सुनकर भानुमति के आंखें नम हो जाती है
क्योंकि दक्ष पहली बार ऐसा पूछने की स्थिति में था और उसने पहली बार अपनी मां से ऐसा पूछा था
इससे पहले तो भानुमति हर बार दक्ष को बिस्तर पर खिलाती थी और तक चुपचाप खा लेता था
तभी भानुमति दक्ष के साथ खाने के लिए बैठी है तो दक्ष ने कहा कि आप हम अभी आते हैं
यह कहने के बाद दक्ष वहां से चला जाता है
दूसरी तरफ चंद्रा बगीचे में एक पेड़ के नीचे बैठी हुए थे उसके बारे में सोच रही थी तभी उसे एक आवाज सुनाई देती है जैसे उसको लगा हो कि उसे कोई बुला रहा है
तुम फिर क्यों आए हो अब चंद्रा आसमान की तरफ देखती और गुस्से में उस से पूछता है
मैं यह देखने आया था कि अगर महारानी चंद्रा डर गई तो क्या होगा
यह आवाज अपनी बात बोलती है और फिर एक अजीब सी हंसी हँस देता है उसे उसी को सुनकर चंद्र का चेहरा एकदम से लाल हो जाता है और वह गुस्से में आ जाती है
दूसरी तरफ भानुमति और पन्ना दोनों दक्ष के लौटने का इंतजार कर रही थी उसके कमरे में
तभी उनका ध्यान दक्ष कमरे में आ रही अजीब सी रोशनी पर जाता है लेकिन उन दोनों को इस बात को ज्यादा परवाह नहीं थी कि उस कमरे में क्या हुआ होगा
अब भानुमति कुछ दुखी होते हुए कहती है कि दक्ष ने कहा था कि वह 10 मिनट में वापस आ रहा है लेकिन यहां तो आधा घंटा बीत गया है अभी तक लौट कर नहीं आया है
तभी अपना कुछ सोचते हुए कहती है
अब हमारे दक्ष को प्रशिक्षण लेना है और उस प्रशिक्षण में जो जो सकती दक्ष को चाहिए है वह हमारे इस भोजन से दक्ष को प्राप्त नहीं होगा
पन्ना की बात सुनकर भानुमति कहती कि पन्ना तुम सही कह रही हो हमारे दक्ष को जो कुछ भी चाहिए हमें इसका प्रबंध करना है
यदि पवित्र ताबीज मिलने के बाद किसी भी प्रशिक्षण को शुरू किया जाए तो ऐसी स्थिति में किसी भी सामान्य मनुष्य की समक्ष 10 गुना ज्यादा शक्ति की आवश्यकता होती है
और अभी तक दक्ष शरीर में बहुत ही ज्यादा कमजोर है इसीलिए दक्ष को अधिक ऊर्जा की जरूरत है
जब दोनों बातें कर रही थी तब दक्ष वहां पर आ जाता है दक्ष को देखते ही भानुमति और पन्ना दोनों बातें करना बंद कर देती है
पन्ना ने अपना और भानुमती का भी भोजन वहीं पर परोस दिया और तीनों चुपचाप खाना खाने लगते हैं