💌 "कसमों वाला कमरा"
(लव मैरिज के बाद की पहली रात – सच्ची भावना, प्यारा तकरार)
👫 पात्र: आरव और नेहा
(दोनों 4 साल रिलेशनशिप में रहे, फिर घरवालों को मनाकर शादी की)
---
शादी के बाद का वो पल – जब सब बाराती, रिश्तेदार, पंडित, फोटोग्राफर… सब चले गए थे।
नेहा ने भारी लहंगा उतारकर साधारण सूट पहन लिया था। आरव ने शेरवानी से छुटकारा पाया और बस टी-शर्ट पहन ली थी।
कमरे का दरवाज़ा बंद हुआ,
लेकिन हवा में कोई अजीब सी "झिझक" तैर रही थी।
> “तू तो कहती थी शादी के बाद डांस करूँगी, कहाँ गया तेरा डांस?”
– आरव ने मज़ाक में कहा।
नेहा चुप रही… मुस्कराई नहीं।
> “क्या हुआ?” – आरव ने पूछा।
नेहा की आँखों में आँसू थे।
> “अब सब कुछ असली है न, आरव… अब कोई ब्रेकअप का ऑप्शन नहीं है। अब मैं सिर्फ तुम्हारी नेहा नहीं, सबकी बहू भी हूँ… डर लग रहा है।” 😢
आरव पहली बार नेहा को इतना डरा हुआ देख रहा था।
वो पास आया, उसका हाथ पकड़ा, और धीरे से कहा:
> “तो चलो, हम कसम लेते हैं –
तेरा डर, अब मेरा डर।
तेरी थकान, अब मेरी ज़िम्मेदारी।
तेरी मुस्कान, मेरी कमाई।
और तेरे आँसू... मेरी हार।”
नेहा हँस पड़ी, और रो भी पड़ी।
उस रात उन्होंने मिलकर चाय बनाई, पुराने फोटो देखे, कॉलेज के किस्से दोहराए, और सुबह तक "पति-पत्नी" नहीं… "बेस्ट फ्रेंड्स" की तरह बातें करते रहे।
---
🔚 सीख:
लव मैरिज की सुहागरात में सपनों की ज़मीन पर यथार्थ की चादर बिछती है।
जो पहले प्यार था, वो अब ज़िम्मेदारी बनता है।
लेकिन साथ में अगर दोस्ती बची हो – तो हर डर हँसी में बदल जाता है।
🛏️ "चाय की प्याली और सुहागरात"
(एक मजेदार और भावुक कहानी)
शादी के सारे फंक्शन निपट चुके थे। लाइटें अब भी झिलमिला रही थीं, लेकिन थकावट सबके चेहरे पर साफ थी।
रात के करीब 11 बज रहे थे, और दूल्हा – राजीव – कमरे में पहुँच चुका था। कमरे को फूलों से सजाया गया था, लेकिन उससे भी ज़्यादा टेंशन से राजीव का माथा सज चुका था।
"अब क्या बोलूँगा उससे?"
"कहीं वो गुस्सा न हो जाए?"
"चाय पूछूँ या डायरेक्ट बात शुरू करूँ?"
उधर दुल्हन – संध्या – शर्म से साड़ी के पल्लू में छुपी बैठी थी, मन में वही सवाल:
"क्या वो बहुत बातूनी होंगे?"
"या चुपचाप?"
"चाय पीते हैं क्या?"
कुछ मिनट ऐसे ही बीत गए, फिर राजीव हिम्मत करके बोला:
> “चाय... बनवाऊँ?” ☕🙂
संध्या चौंकी... और फिर खुद भी हँस पड़ी।
> “हाँ... लेकिन अदरक वाली!”
अब माहौल थोड़ा हल्का हो चुका था। किचन में दोनों एक साथ पहुँचे, और पहली बार एक कप चाय बनाते हुए दोनों ने ‘पार्टनरशिप’ को महसूस किया।
चाय पीते-पीते उन्होंने अपनी बचपन की बातें बताईं, स्कूल की शरारतें, और वो डर भी – शादी का, नये जीवन का।
लेकिन उस रात एक बात पक्की हो गई—
👉 "शुरुआत बातों से होती है... प्यार तो धीरे-धीरे गहराता है।"
सुहागरात का मतलब सिर्फ फूलों का बिछावन नहीं होता,
बल्कि दो दिलों के बीच "विश्वास का पहला बीज" बोना होता है।
---
🔚 सीख:
सुहागरात का जादू शरमाते चेहरे, हिचकिचाते सवाल और मुस्कुराती आँखों में होता है – न कि फ़िल्मों वाले सीन में। 😊
अगर आप चाहें तो मैं इसे कहानी के रूप में वीडियो स्क्रिप्ट, ऑडियो कहानी या यूट्यूब स्टाइल शॉर्ट्स में भी तैयार कर सकता हूँ!
बोलिए भैया – अगला पार्ट थोड़ा रोमांटिक चाहिये या कॉमेडी वाला? 😄