रोटी के लिए इंसान क्या क्या नहीँ करता है मेहनत मजदूरी शिक्षा दीक्षा यहाँ तक कि चोरी डकैती अपराध भिक्षाटन जिस माध्यम से दो जून कि सुकून कि रोटी मिल जाए!क्योंकि रोटी से पेट भरता है पेट भरा रहे तो जीवन चलता सलामत रहता है लेकिन आज मैं एक ऐसी रोटी कि बात करने जा रहा हूँ जो सबके लिए आश्चर्य का कारण थी आप मेरे द्वारा वर्णित घटना को मेरे द्वारा लिखा गया स्मरण भी कह सकते है कहानी भी कह सकते है!घटना 1973 कि है एक व्यक्ति जिसका नाम धनी राम था साधरण परिवार का साधरण व्यक्ति किसी तरह सनातन द्वारा वर्णित चारो तीरथ करते हुए अंत मेँ वह गंगा सागर के लिए निकला ऐसा कहावत उन दिनों आम थी कि जिस दिन सुबह धनी राम को गंगा सागर के लिए प्रस्थान करना था उसी रात्रि धनी राम के सपने मेँ माता गंगाआयी और बोली बेटा धनी राम तुम्हे अपने कर्मानुसार जितने दुःख कष्ट भोगने थे भोग चुके हो अब तुम्हारे दुःख के दिन बीत चुके है और तुम्हे सुख ही सुख भोगना है यह तुम्हारे सद कर्मो का फल है यही बताने मैं तुम्हारे सपने मेँ आयी हूँ!मेरी बात बड़े ध्यान एवं गौर से सुनो धनी राम करबद्ध हो माता गंगा कि बात सुनने लगा माता गंगा नें धनी राम को बताया धनी राम ज़ब तुम गंगा सागर स्नान कर रहे होंगे तब मेरी बनाई हुई एक रोटी तुम्हारे दाहिने हाथ पर चिपक जायेगी घबड़ाना नहीं रोटी को अपने साथ मेरे जल मेँ सुरक्षित करके घर लाना और सुबह स्नान करने के बाद रोटी कि पूजा करना प्रति सप्ताह रोटी एक से दो हो जायेगी दूसरी रोटी तुम किसी गरीब को देते जाना उसे भी हिदायत देना कि प्रति सप्ताह एक रोटी से हुई दो रोटी मेँ से एक रोटी किसी गरीब को देगा धनी राम नें माता गंगा से प्रश्न किया माते इस प्रकार तो करोड़ो रोटियां बहुत शीघ्र हो जायेगी तो क्या जिस जिस गरीब के घर रोटी पहुंचेगी उसकी ग़रीबी दूर हो जाएगी? माता गंगा नें जबाब दिया हाँ पुत्र मेरी स्वंय कि इच्छा है और भगवान विष्णु कि भी इच्छा है कि आर्याबर्त मेँ कोई आभाव ग्रस्त एवं साधन संसाधन बिहीन न रहे!सुबह ज़ब धनी राम कि नीद खुली तब उसने अपने सपने के विषय मेँ सबको बताया और गंगा सागर तीर्थ यात्रा कि तैयारी कर अपने गांव समाज के मित्रो के साथ तीर्थ यात्रा पर निकल गया और गंगा सागर पहुंचा मकरसंक्रांति कि भीड़ मेँ ज्यो ही वह स्नान करने गया उसके दाहिने हाथ पर गहरे कत्थई रंग कि रोटी के आकर कि कोई चीज आकर चपक गयी धनी राम को माँ गंगा द्वारा सपने मेँ बताए के अनुसार ही वह रोटिनुमा कोई आश्चर्य जनक चीज धनी राम के गाँव रिश्ते वालो को यकीन हो गया कि माँ गंगा नें स्वप्न मेँ धनी राम को जो बताया है वह सही है धनी राम रोटी लेकर गाँव लौटा और दूसरे दिन से ताम्बे के भगउनें मेँ रोटी रखी एवं उसमे गंगा जल डाला और उसकी पूजा किया दूसरे दिन ताम्बे के भगउने का गंगा जल चाय कि तरह दिखने लगता था जिसे धनी राम पी जाता एवं नया गंगा जल डाल दिया यह क्रम एक सप्ताह तक चला एक सप्ताह बाद रोटी दो हो गयी धनी राम नें एक रोटी अपने पड़ोसी को देकर रोटी रखने का विधि विधान बताया पड़ोसी सखा राम नें भी धनी राम कि तरह ज़ब सप्ताह भर रोटी पूजन किया तो उसकी रोटी भी दो हो गयी धनी राम कि रोटी सप्ताह मेँ दो हो ही रही थी इस प्रकार रोटी धनी राम के गांव हर घर से आस पास के गाँव जनपद प्रदेश से पुरे देश मेँ फ़ैल गयी रोटी घर घर पहुंचते पहुंचते मेरे घर भी पहुँच गयी मेरे बड़े भाई रोटी को ताम्बे के भगउने मेँ गंगा जल मेँ रखते और अगली सुबह पानी को चाय कि तरह पी जाते और सातवे दिन रोटी एक से दो हो जाती रोटी का इतना विस्तार हो चुका था कि हर सप्ताह एक से दो हुई रोटी मेँ एक को देने के लिए किसी को खोजना पड़ता बीच बीच मेँ तमाम सूत्रों से खबरें आती धनी राम उसके गाँव जवार नात रिश्तेदार सभी रोटी के कारण खुशहाल हो चुके है बीच बीच मेँ यह खबर आती कि रोटी के चमत्कार से अमुक जगह के लोगो मेँ खुशहाली आ गयी धन दौलत मिली!मेरे जेष्ठ भ्राता खबरों को एकत्र करते जिससे कि रोटी के प्रति उनकी निष्ठा कमजोर न पड़े उस जमाने मेँ दूरदर्शन था नहीँ मात्र आकाश वाणी एवं प्रिंट मिडिया ही उपलब्ध था जहाँ जन साधरण कि पहुंच बहुत नहीँ थी खबरों पर विश्वास कर पाना बहुत कठिन था सच्चाई का पता कर पाना बहुत कठिन था अतः राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित हो चुकी रोटी कि वास्तविकता के विषय मेँ कोई ठोस प्रमाण उपलब्ध नहीँ हो सके!मेरे जेष्ट भ्राता श्री नें भी लगभग छः माह रोटी का पूजन वंदन करने के बाद विसर्जन कर दिया रोटी का रहस्य आज भी रहस्य ही है पीढ़ियां गुजर गयी चर्चाओ के दौर मेँ कभी कभी विचित्र रोटी का जिक्र हो जाता है!यह एक सत्य घटना है जिसका मैं स्वंय भी साक्षी रहा हूँ!!
नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश!!