The Silence of Payal in Hindi Short Stories by Rishabh Sharma books and stories PDF | पायल की खामोशी

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पायल की खामोशी

🌸 पायल की खामोशी 🌸
(एक बेटी की चुप्पी और पिता की जिद ने कैसे बदल दी ज़िंदगी की तस्वीर)

 

"बाबा, क्या सच में लड़कियाँ सपना नहीं देख सकतीं?"
👧🏻 पायल की ये मासूम सी बात उस दिन रामनाथ चौधरी के दिल में तीर की तरह चुभी थी।

रामनाथ, एक साधारण स्कूल का चपरासी, उम्र लगभग 50 के आसपास। तन पर पुराना कुर्ता, और पाँव में फटी हुई चप्पल, लेकिन दिल में अपनी बेटी पायल के लिए सपनों का महल।


💔 वो पहला झटका...
📅 सोमवार की सुबह थी। पायल ने स्कूल से लौटते ही अपनी किताबें एक तरफ रख दीं और चुपचाप बैठ गई।
रामनाथ ने पूछा —
"क्या हुआ बेटा, आज स्कूल में कुछ कहा किसी ने?"

पायल ने आँसू रोकते हुए कहा —

"मास्टरजी ने कहा – जब फीस नहीं भर सकते तो स्कूल क्यों आती हो?"
उसके शब्द नहीं, उसकी खामोशी रो रही थी। रामनाथ को याद आया – आज महीने की आखिरी तारीख है, और जेब में सिर्फ ₹320 हैं। जबकि पायल की फीस थी ₹500


🧱 पड़ोसियों की सोच और पिता की चोट
रामनाथ ने हिम्मत करके पड़ोसी से उधार मांगा, लेकिन जवाब था —

"लड़की है… ज़्यादा पढ़ा क्या लोगे? दो साल बाद ससुराल ही तो जाना है!"
उस दिन रामनाथ ने कसम खाई —
🧠 "अब बेटी का सपना नहीं रुकेगा, चाहे मुझे कितनी ही चोट क्यों न लगे!"


🔧 बदलाव की शुरुआत
सुबह-सुबह रामनाथ ने घर के बाहर एक छोटा सा बोर्ड टांगा —
🪧 "रामू पंचर वाला – बेटियों की पढ़ाई के लिए काम करता है!"

शुरुआत में लोग हँसे —
😏 "स्कूल का चपरासी पंचर बनाएगा?"
लेकिन धीरे-धीरे काम मिलने लगा। दिन में स्कूल और शाम को पंचर रिपेयर।

हर दिन की कमाई बेटी के सपनों में लग रही थी।


🧒 Fancy Dress Day – जब बेटी बनी देवी
📚 स्कूल में Fancy Dress प्रतियोगिता थी।

पायल बोली —
"बाबा, मैं सरस्वती माँ बनूंगी!"

रामनाथ ने घर की पुरानी सफेद चादर काटकर ड्रेस बनाई, झाड़ू की लकड़ी को वीणा में बदला, और रूई से बालों में सफेदी लाई।

स्टेज पर जब पायल ने कहा —

"ज्ञान की देवी सिर्फ किताबों में नहीं, उन पिताओं में भी होती हैं जो बेटियों के लिए समाज से लड़ते हैं…"
तो पूरा हॉल तालियों से गूंज उठा 👏

🚌 शहर का पहला कदम और किराए की चिंता
पायल को शहर में स्कॉलरशिप इंटरव्यू के लिए बुलाया गया।
पर किराया था ₹60 — जो उस दिन रामनाथ के पास नहीं था।

रात में उसने अपनी घड़ी बेच दी — वो घड़ी जो शादी में पत्नी ने दी थी।


💔 अस्वीकार और आत्मबल
इंटरव्यू से लौटकर पायल ने कहा —
"बाबा, वो बोले – इंग्लिश नहीं आती, कॉन्फिडेंस नहीं है… गाँव की लड़की हो!"

रामनाथ ने उसका सिर सहलाते हुए कहा —

💬 "तेरी गलती नहीं बेटा, उनकी सोच छोटी है। तू रुक मत, बस आगे बढ़ती जा!"

📖 3 साल की मेहनत और परीक्षा
पायल ने दिन-रात मेहनत की, किताबें उधार ली, पुराने मोबाइल पर यूट्यूब से पढ़ाई की। गांव के बच्चों को ट्यूशन पढ़ाकर पैसा जोड़ा।

2023 में, उसने राज्य की स्कॉलरशिप जीती और एक बड़ी यूनिवर्सिटी में दाखिला पाया।


🎓 जब पायल बनी “मैडम पायल चौधरी”
4 साल बाद — वही स्कूल जहाँ पायल को फीस न भरने पर रोका गया था, अब उसी स्कूल में एक नया नाम जुड़ा —
🪧 "Welcome – Ms. Payal Chaudhary (Math Teacher)"

पायल ने अपनी पहली तनख्वाह से अपने बाबा के लिए एक नई घड़ी खरीदी। ⌚


👴 अंतिम दृश्य – एक पिता की सच्ची खुशी
एक शाम, रामनाथ स्कूल की बेंच पर चुपचाप बैठा था।
आँखों में आँसू, पर चेहरा शांत।

पायल ने पूछा —
"बाबा, रो क्यों रहे हो?"

रामनाथ ने मुस्कराकर कहा —

"तेरी खामोशी आज भी बोलती है बेटा… तू बोल नहीं पाई थी उस दिन, पर तेरी मेहनत ने पूरी दुनिया को जवाब दिया है!"

❤️ सीख:
🔔 बेटियाँ कमज़ोर नहीं, बस उन्हें एक मौका चाहिए।
जो पिता समाज से लड़ता है, वही बेटी को आसमान दे सकता है।


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