बाएँ हाथ का प्यार: राजा की सच्ची कहानी"
मैं सिर्फ़ 12 साल का था, जब मैंने वो एहसास पहली बार महसूस किया — एक हल्की सी कंपन, एक अनजाना सा जुड़ाव, और वो पहली बार का प्यार।
मैं सातवीं कक्षा में था, और वो दसवीं में — मुझसे तीन साल बड़ी। उसका नाम था राजनी, और मेरा राजा। हम दोनों बाएँ हाथ से लिखते थे — शायद यही छोटी सी बात हमें जोड़ गई। ऐसा लगा जैसे किस्मत ने हमें एक ही रंग से बनाया हो।
हम ट्यूशन पढ़ने साथ जाते और लौटते थे। उन्हीं रास्तों में एक रिश्ता बनता गया। मेरे लिए ये कोई साधारण आकर्षण नहीं था — ये एक गहरी भावना थी। लेकिन ज़िंदगी को कुछ और ही मंज़ूर था। दसवीं के बाद वह अपने नानी के घर चली गई पढ़ाई के लिए। शहर छोड़ गई, लेकिन मेरे दिल से कभी नहीं गई।
मैं उसे भूल नहीं पाया।
उसकी याद मेरी प्रेरणा बन गई। मैंने मन लगाकर पढ़ाई शुरू की — सिर्फ़ अपने लिए नहीं, बल्कि एक सपना लेकर। एक दिन बड़ा बनकर, सफल होकर, उसे फिर से मिलने का सपना। शायद तब मैं उससे अपने दिल की बात कह पाता। शायद उससे शादी करने का हक़ पा जाता।
पर ज़िंदगी हमेशा वैसी नहीं होती जैसी हम सोचते हैं।
साल बीत गए।
फिर एक दिन शादी का निमंत्रण आया। राजनी की शादी थी — एक डॉक्टर से। अमीर, पढ़ा-लिखा, उसके परिवार का सपना। मैं दुखी नहीं हुआ। मैं खुश था — और समझ गया कि शायद मैं उसके काबिल नहीं था। शायद मेरा प्यार शादी में नहीं, दुआ में पूरा होना था।
उस रात मैंने रोया नहीं। मैंने भगवान से कहा:
"भगवान, उसका प्यार मुस्कुराता रहे, उसका जीवन खुशहाल हो।"
अब मेरी भी शादी हो चुकी है — एक ऐसी लड़की से, जो कहीं न कहीं राजनीति जैसी ही दिखती है। मेरे पास अब एक बच्चा है, एक परिवार है। लेकिन फिर भी, कहीं न कहीं, मैं आज भी राजनीति को खोजता हूँ — उस याद में, उस मुस्कान में, जो कभी मेरे साथ ट्यूशन से लौटते वक़्त होती थी।
हम अब भी कभी-कभी WhatsApp पर बात करते हैं। उसके पास भी एक बच्चा है। हम दोनों की ज़िंदगियाँ अलग-अलग रास्तों पर हैं — लेकिन वो बचपन का प्यार आज भी मेरी ख़ामोशी में ज़िंदा है।
तो ये कहानी किस बारे में है?
ना ये मिलन की कहानी है, ना पछतावे की।
ये कहानी है उस प्यार की जो वक़्त के साथ परिपक्व हुआ। एक लड़के की, जो बड़ा होकर भी उस मासूम एहसास को सहेज कर रखे रहा।
ये एक ऐसी प्रेम कहानी है जो शादी में नहीं, लेकिन दिल में हमेशा ज़िंदा रही।
---यह रहा आपकी प्रेम कहानी का भावनात्मक और सुंदर हिंदी अनुवाद
"मैं 12 साल का था, वो 15 की। ट्यूशन की राहों में साथ चलते-चलते दिल जुड़ गया। वो चली गई, पर यादों में बसी रही। मैंने पढ़ाई की, सपने देखे, लेकिन किस्मत कुछ और थी। आज मैं शादीशुदा हूँ, फिर भी कहीं न कहीं वही प्यार अब भी दिल में साँस लेता है।"
लेखक: राजा
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद,
एक ऐसा इंसान जिसने एक बार सच्चा प्यार किया — और हमेशा करता रहेगा||