Part 1 Vishwasghat ki raat
एक लड़की जो कि एक बहुत ही खूबसूरत थी पर उसके पूरे शरीर पर जगह जगह चोट के निशान थे ऐसा लग रहा था जैसे कि उसके ऊपर कितने ही लोगों ने गुस्सा निकाला हो।
ये है हमारी कहानी की हीरोइन drishya जिसकी हालत बहुत बुरी थी।
वो बहुत ही टूटे हुए शब्दों में बोलती है "रो.... रोहित..... तुम?"
रोहित जो कि drishya का पति था। वो उसकी ही सगी बहन को अपनी बाहों में लिए उसके होठों को किस के रहा था और उसके हाथ उसके पूरे शरीर पर घूम रहे थे। दोनों अपनी ही दुनिया में थे ये भी भूल गए थे कि drishya उनके सामने है जो कि रोहित की पत्नी और नेहा जिसकी सगी बहन थी।
उसके बोलते ही रोहिता जो कि नेहा के साथ मदहोश हो रहा था नेहा को छोड़ अब drishya को देख रहा था जो कि नेहा को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था। जिसके वजह से उसने बगल के फ्रूट बास्केट से चाकू निकल कर उसके ऊपर वार कर दिया । उसके वार करते ही drishya के चेहरे पर एक बहुत ही गहरा जख्म दे दिया था जिससे खून की धारा बह निकली।
और उसके साथ ही एक दर्दनाक चीख निकली जिसमें इतना दर्द था कि कोई सुन के काप जाए ।
उसने दर्द भरी आवाज में कहा "क्यूं?"
इस बात पर रोहित जो उससे नजरे चुरा रहा था वो बोला "तुमने सिर्फ मेरे करियर, मेरे सपने और मेरी फैमिली के बारे में सोचा ना कभी मेरे फीलिंग्स ना ही मेरी जरूरतों के बारे में सोचा जो कि नेहा ने सोचा मुझे समझा और मेरा साथ दिया तुम तो सिर्फ एक ऐसी लड़की हो जिससे सिर्फ परिवार ही दिखता है ना कि कुछ और।"
इस बात पर नेहा आवक रह गई। और वैसे ही बोली "मतलब जो भी मैंने तुम्हारे लिए, तुम्हारे परिवार के लिए किया वो तुम्हारे शरीर की जरूरतों के आगे कम पर गया और जो भी तुमने मेरे लिए किया या कहा वो सब झूठ था नाटक था है ना?"
उसके इतना सब बोलते ही रोहित की नजरे उसके ऊपर टिक गई और उसकी आंखों में अजीब सी इमोशन थे । जो कि नेहा ने भी मेहसूस किया जिससे उसे थोड़ा अजीब महसूस हो रहा था। और उसने रोहित की आस्तीन खींची जिससे वो अपने होस में आ गया और drishya से नजर ही फेर ली।
तभी drishya के पीछे से आवाज आई "अरे तुम लोग मेरी प्यारी बेटी को क्यूं परेशान कर रहे हो चलो हटो उसके पास से।"
जब drishya ने पीछे पलट कर देखा तो उसकी मां सुलोचना सिंह और उसके पिता सुभाष सिंह खरे थे और दोनों के चेहरे पर एक बहुत ही कुटिल मुस्कान थी ।
उन दोनों को देखते ही drishya जल्दी जल्दी बोली "मां देखो इन दोनों ने मुझे कैसे चोट पहुंचाई है और मुझे यहां बंद करके रखा है मुझे बचाओ प्लीज।"
"हा हा मेरी बच्ची तू परेशान मत हो आज हम सब तेरे सब दर्द से तुझे आजाद करने ही आए है "ये सब कहते सुलोचना के चेहरे पर एक व्यंग भरी मुस्कान थी जिसे अब जाकर drishya ने देखा था।
अब उसको कोई उम्मीद नहीं दिख रही थी लेकिन उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसकी मां उसके पिता और उसकी सगी बहन और उसका पति उससे ऐसा व्यवहार क्यूं कर रहे उसने तो जिन्दगी भर सबके बारे में सोचा उसे जैसा जिसने कहा वैसे रही वैसा किया फिर आज उसकी ऐसी हालत क्यूं थी ?
फिर उसने अपने दर्द को समेटे हुए फरसे सवाल किया "क्यूं?"
तो सुलोचना ne बोलना शुरु किया "तुम्हे पता है जब जब मैं तुम्हे देखती थी मुझे कितनी नफरत होती थी ?"
ये सुनते ही की उसकी मां उससे नफरत करती थी drishya का दिल टूट गया और उसने आंखों में दर्द लिए अपनी मां यानी सुलोचना से कहा "मां"
तब सुलोचना ने उससे बरे ही रुखे स्वर में कहा "मैं तुम्हारी असली मां नहीं ना ही सुभाष तुम्हारे असली पिता हम तो तुम्हारे मां बाप के लिए काम किया करते थे। तुम जानना चाहती हो कि वो कौन थे। चलो मैं बताती हूं......"
आगे जारी रहेगा।। Mere first story hai please support kriye.....
🥰 Prachi ❤️
।। राधे राधे।।