आत्मा की आवाज़
आत्मा की आवाज़ सही राह दिखाती हैं l
अच्छा बूरा क्या वो पहचाना सिखाती हैं ll
अनजाने और अनचाहे हादसों से बचाके l
खामोशी से अपना फर्ज बखूबी निभाती हैं ll
मन के बहकावे ना आना ये समझाकर l
मंज़िल तक पहुचने की याद दिलाती हैं ll
परमात्मा के ध्यान में वक्त संजोकर रहे l
मन पंछी के साथ जिंदगी बिताती हैं ll
जीवन में से घने जुल्मात को हटाकर l
मुकम्मल सफ़लता का जाम पिलाती हैं ll
१-५-२०२५
सूरज का पैग़ाम
सूरज का पैग़ाम कि कर जिन्दगी की नई शुरुआत भी ll
ख़ुद मुस्कुरा कर औरों के चहरे प़र दे मुस्कान भी ll
वक़्त सब का हिसाब रखता है तो बस मुकम्मल l
कर्म किया जा औ ख़ामोश रख अपनी जबान भी ll
मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती है तो l
भरोसा रख ईश पे खुल जाएगीं भाग्य की दुकान भी ll
लक्ष्य की ओर अपना निशाना बना कर आगे बढ़ l
जितनी बड़ी सफ़लता उतनी ही भर उड़ान भी ll
बातें करते रहोगे तो कुछ नहीं हासिल होने वाला l
कार्य करते रहने से यूहीं ताउम्र रहोगे जवान भी ll
२-५-२०२५
यादों की महक
यादों की महक से जीस्त का रोम रोम सुगंधित हो उठा हैं l
प्रेम भरे अविरत झरनों से तन मन पुलकित हो उठा हैं ll
प्यार भरे लम्हों की याद आते ही एक कसक हो रही ओ l
जल्द मुलाकात का आश का दिपक प्रज्वलित हो उठा हैं ll
ख्यालों में मन मोहक हुस्न का लिपटा हुआ दुपट्टा आज l
मन स्मृति के अनुरागों से मोहित मन समर्पित हो उठा हैं ll
गालों पर खंजन और चहरे पर मनमोहक तबस्सुम l
भरी महफ़िल में देख दिलों दिमाग आकर्षित हो उठा हैं ll
खुले क्षितिज में उल्लासों से छलकता हुआ आँचल l
मोहब्बत में प्रीत उन्माद सरे आम प्रदर्शित हो उठा हैं ll
३-५-२०२५
एक झलक देखते ही जिन्दगी निखर जाती हैं l
आँखों से सीधे सीधा दिल में उतर जाती हैं ll
अभी ना जाओ छोड़कर दिल अभी भरा नहीं l
पल भर की दूरी से दुनिया बिखर जाती हैं ll
हमसफ़र जो वक्त के साथ आगे निकल गये l
ढूँढती है हमराही को जहां भी नजर जाती हैं ll
मिल भी जाए तो कतरा के निकल ना जाए तो l
प्यार से शुरू और प्यार में ही ठहर जाती हैं ll
पैग़ाम मिलते ही चैन और सुकून की साँस ली l
आज ख्वाबों में मुलाकात की खबर जाती हैं ll
४-५-२०२५
आसमान
कब से क्या देख रहे हों आसमान में?
पंखी को भरोसा है पँखों की उड़ान में ll
दयार का झोंका है गूजर ही जायेगा l
बात मानो कुछ नहीं रखा तूफान में ll
चार भीतो को घर कह रहे हो देखो l
दरों दीवार रह गई ख़ाली मकान में ll
खूबसूरत सा गुलदस्ता सजा दिया है l
रंगबिरंगी काग़ज़ के फूल गुलदान में ll
एसी क्या बात सुनाई दे रही कि आप l
बड़ी दिलचस्पी ले रहे हो दास्तान में ll
सुन हसीं मासूम औ नादान बच्चों की l
ढूढ़ने से न मिले तबस्सुम बजार में ll
महफिल में सुराही को हाथ ना लगाना l
निगाहों सा नशा नहीं होता शराब में ll
काश खामोश इशारे न समझ सके कि l
आज वो बात नहीं हुस्न के जवाब में ll
जी भर के देख लो बेनमून नज़ारा l
नायाब खूबसूरती छलके पलाश में ll
मौसम का मिजाज अच्छा लग रहा l
भवरें को सुकून मिलता है पराग में ll
५-५-२०२५
प्यासी धरती
प्यासी धरती की पुकार सुनी आसमान ने l
प्यास बुझाई रिमझिम बारिस के जाम ने ll
तन मन ने चैन और सुकून की साँस ली जब l
बेबाक ओ बेसब्र कर दिया था तापमान ने ll
जन्मों जन्म की प्यास बुझाने के लिए भी l
मजबूर कर दिया है रूहभरे आहवान ने ll
सदाकत ओ सआदत तो देखो इन्सां की l
मुकम्मल अर्ज़ी और प्रार्थना की बागबान ने ll
सही समय पर पानी की बरसात करके l
बहुत बहुत मेहरबानी की है भगवान ने ll
६-५-२०२५
सुखद भोर
आजादी का सन्देशा सुखद भोर लेकर आया l
मुक्ति का अहसास दिलों दिमाग को है भाया ll
सब कुछ भुलाकर हर पल हर लम्हा जी लेना l
नया जीवन, नई उमंग ओ नया सवेरा लाया ll
गुलाबी सिहरन में तितलियों के गूंजायमान l
मन पँखी ने खुशी से झूमकर गीत है गाया ll
मस्त उपवन और वातावरण में घुली मिठास l
नव विहार नव उल्लास कई सालों बाद पाया ll
सूर्योदय लालिमा अद्भुत अलौकिक दृश्य देख l
केशरी भोर भव्य शुभारंभ का ले आई साया ll
७-५-२०२५
जीवन एक सफ़र इसका हर लम्हा लुफ़्त लीजिये l
जो भी है बस यही एक पल है तो जाम पीजिये ll
जीवन एक सफ़र ये जान लीजिये l
सुख दुख का चक्र ये मान लीजिये ll
काम कुछ एसा कारगुजारियों की l
क़ायनात में अपना मुकाम लीजिये ll
सफ़र में जी जान से साथ निभाकर l
प्यारे हमसफ़र का ईनाम लीजिये ll
शायद हुस्न को पता नहीं मालुम कि l
बड़ी मुद्दतों के बाद पैग़ाम लीजिये ll
जानते है वक़्त कम ओ काम ज्यादा l
भगदौड़ से थोड़ा सा आराम लीजिये ll
८-५-२०२५
प्रेम बिना जग सुना
प्रेम बिना जग सुना लागे कुछ नहीं रह जाता जिन्दगी में l
सुबह शाम दिन रात बस देखा करते रह्ते है आसमान में ll
खामोशी से बिना कहे बिना सुने छोड़कर चल दिये l
दिल की कश्ती को छोड़ दिया है समंदर के तूफान में ll
जहाँ कभी बनाया खूबसूरत सा आशियाना आज वहां l
खामोश भीतें गहरा सन्नाटा रह गया है मकान में ll
मीलों दूर जा रहे हो बड़ी कामयाबियां हासिल करने को l
जरा सुनो कुछ न मिलेगा बिना साथी की उड़ान में ll
तन्हाई ओ सूनापन सा हर लम्हा महसूस करोगे कि l
कोई बात नहीं रहती मोहब्बत की अधूरी दास्तान में ll
९-५-२०२५
सिंदूर
पहलगाम में आतंक का बदला लेकर रहेंगे l
बेगुनाह ओ मासूमों की हत्या को ना सहेंगे ll
निर्दोष लोगों की कुर्बानी को ना भूलेंगे कभी l
सीने में जलती आग को ऐसे न बुझने देंगे ll
आतंक और आतंकवादियो का खात्मा करने l
जान के बदले जान लेके बदला जरूर लेंगे ll
गर आज पलटकर जवाब ना दिया गया तो l
ताउम्र गहरे घाव से खून का दरिया बहेंगे ll
अपनों को इन्साफ़ ना दिलाया तो ईश को l
मरने के बाद ऊपर जाकर भी क्या कहेंगे ll
त्याग और बलिदान में सबसे पहले रह्ते l
भारत माता का सिर ना कभी झुकने देंगे ll
एक चुटकी सिंदूर की कीमत समझाकर l
शौर्य और पराक्रमी नव युवान उगने देंगे ll
९ -५-२०२५
चुटकी सिंदूर बहने से जिन्दगी बिखर जाती हैं l
शहीदों की कुर्बानी से जिन्दगी ठहर जाती हैं ll
जिन्दगी औ मौत के बीच की दूरी एक पल की l
वहीं एक पल में जिन्दगी ही बदल जाती हैं ll
जब भी कोई भुला हुआ वाकिया दुहराता है l
दिलोंदिमाग में पुरानी तस्वीरें उभर जाती हैं ll
जाने वाला तो शान से चला जाता जहां से पर l
अपने खून को देखने आँखें तरस जाती हैं ll
महेदी वाले हाथों में सिंगार की निशानी है वो l
चूडिय़ां टूटती जब शहीदी की ख़बर जाती हैं ll
१०-५-२५
दर्द से मोहब्बत आजकल
आजकल दर्द से मोहब्बत का रिश्ता बन गया l
मुकम्मल तन्हाई में जीने का किस्सा रह गया ll
दो दिन खुशी के साथ दो दिन ग़म भी मिलेंगे l
रूठने मनाने का मौसम आएगा कह गया ll
ख्वाइशों के मुताबिक़ जिन्दगी नहीं मिलती तो l
प्यार की बात रहने को ख़ामोशी से सह गया ll
कभी किसीको मुकम्मल जहां नहीं मिलता तो l
वक्त की रफ़्तार के साथ आजीवन बह गया ll
कश्ती ए दिल की खुद ही तूफ़ाँ में छोड़ दी कि l
समय इम्तिहान लेता रहता है सो तह गया ll
१२-५-२०२५
नजारे उदास रह्ते हैं l
जहां भी हो बस चले आओ की आजकल नजारे उदास रह्ते हैं l
गुनगुनाती नशीली पुकार के बिना फ़साने उदास रह्ते हैं l
जिंदगी खामखा उलझा दी बेकार की बातों में देखो तो l
अभी आएं हो अभी जाने की ज़िद से बहारें उदास रह्ते हैं l
आसपास कितने लाजवाब पहरेदार खड़े रखे है की l
तुम्हें जरा सी आहट से परेशान होने से पहारे उदास रह्ते हैं l
कितने दिनों से मुस्कुराता चहेरा परदानशीन हो गया तो l
अदाओं पर फ़िदा होने के सारे अरमान महारे उदास रह्ते हैं l
आज नहीं परसों मिलेंगे, परसों नहीं फ़िर कभी मिलेगे l
ना मिलने के बहाने से हसने हसाने के ज़माने उदास रह्ते हैं l
१३-५-२०२५
खामोशी बोलने लगी
आज महफिल में खामोशी बोलने लगी l
दोस्तों के बीच चुपकी को तोड़ने लगी ll
गज़लो और नज़्मों की सुरीली बयार में l
चुपके से राझ दिलों के खोलने लगी ll
उदास चहरे पर रंगत गुलों की लाके l
ख्वाइश ओ हकीकत को जोड़ने लगी ll
बड़ी गहरी सी चुभन महसूस की है l
आवाज़ की अहमियत तोलने लगी ll
जब हया ने खामोशी छोड़ दी है तो l
ज़ीस्त की रगरग झूमके डोलने लगी ll
मुह में ज़बान आई तब से फ़िजा में l
चारो और मुस्कुराहट को घोलने लगी l
कई दिनों बाद बहार आई गुलशन में तो l
नजारे देखकर दरों दिवार सोचने लगी ll
१४-५-२०२५
दीवार बनी दुनिया
दो दिलों की मोहब्बत में दीवार बनी दुनिया l
मीठे मधुर मिलन के वक्त नीहार बनी दुनिया ll
युगों से चाहत की हमेशा से दुश्मन रही हुई l
प्रेमी की खुशियों को देख बीमार बनी दुनिया ll
अमन और शांति से कोशों दूरी जिस की वो l
द्वेष और ईर्षा की मारी मीनार बनी दुनिया ll
धर्म, रश्मो और रिवाजों का नाटक न चला l
अपनेही गुथे हुए जाल से बेकार बनी दुनिया ll
आख़िर जीत तो प्यार, ममता ओ प्रेम की हुई l
सच्ची मोहब्बत के आगे लाचार बनी दुनिया ll
नीहार-कोहरा
१५-५-२०२५