Andhera Rishton Ka in Hindi Anything by Hanu Man books and stories PDF | अँधेरा रिश्तों का

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अँधेरा रिश्तों का

Chapter 1: Ek Raat Jo Badal Gayi

रात का अंधेरा चारों ओर फैल चुका था। माया अपने छोटे से गाँव, कालिंदीपुर, के पुराने हवेलीनुमा घर में अकेली बैठी थी। बाहर तेज़ हवा चल रही थी, और पेड़ों की टहनियाँ खिड़की पर बार-बार टकरा रही थीं, जैसे कोई उसे पुकार रहा हो। माया की उम्र कोई 28 साल की होगी, लेकिन उसकी आँखों में एक अजीब सी उदासी थी, जैसे वो सदियों से कुछ ढूंढ रही हो।उसके हाथ में एक पुरानी डायरी थी, जो उसे अपने पिता की अलमारी में मिली थी। डायरी के पन्ने पीले पड़ चुके थे, और उसकी स्याही धुंधली हो रही थी। माया ने डायरी खोली, और पहला पन्ना पढ़ते ही उसकी सांसें थम गईं। लिखा था:

"जो इस डायरी को पढ़ेगा, वो हमारे खानदान के श्राप का हिस्सा बन जाएगा। कालिंदीपुर की वो शक्ति तुम्हें ढूंढ लेगी।"माया ने डायरी को जल्दी से बंद कर दिया। उसका दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था। "ये क्या बकवास है?" उसने खुद से कहा, लेकिन उसकी आवाज़ में डर साफ़ झलक रहा था। उसने अपने पिता, रघुनाथ जी, के बारे में सोचा, जो दो साल पहले अचानक गायब हो गए थे। गाँव वालों ने कहा था कि वो शहर चले गए, लेकिन माया को यकीन था कि कुछ गलत हुआ था।तभी, अचानक घर की बत्तियाँ बुझ गईं। माया ने डरते हुए अपनी मोमबत्ती जलाई और कमरे के कोने में रखे पुराने संदूक की ओर देखा। उस संदूक को उसने कभी नहीं खोला था, क्योंकि उसकी माँ ने मरने से पहले कहा था, "उसे कभी मत छूना, माया। वो हमारे खानदान का सबसे बड़ा राज़ है।"लेकिन आज, उस डायरी को पढ़ने के बाद, माया का डर जिज्ञासा में बदल गया। उसने संदूक के पास जाकर उसे खोलने की कोशिश की। संदूक का ताला पुराना था, लेकिन जैसे ही उसने उसे छुआ, एक ठंडी हवा का झोंका उसके चेहरे से टकराया। माया ने पीछे मुड़कर देखा—कोई नहीं था।संदूक खुलते ही, उसके अंदर एक काला कपड़ा लिपटा हुआ एक तावीज़ मिला। तावीज़ पर अजीब से निशान थे, जो माया को किसी प्राचीन भाषा जैसे लगे। तावीज़ को देखते ही उसे लगा जैसे कोई उसे देख रहा हो। उसने तावीज़ को उठाया, और तभी एक भयानक आवाज़ गूंजी—
"तुमने मुझे जगा दिया, माया। अब तुम्हारा अंत निश्चित है।"माया ने तावीज़ को ज़मीन पर फेंक दिया और पीछे हट गई। उसकी आँखें डर से फैल चुकी थीं। उसने अपने आसपास देखा, लेकिन कमरे में कोई नहीं था। फिर भी, वो आवाज़ उसके कानों में गूंज रही थी। अचानक, उसे अपने पिता की एक बात याद आई—
"माया, हमारे खानदान में एक शक्ति है, जो हर पीढ़ी में किसी एक को चुनती है। अगर वो शक्ति तुम्हें चुन ले, तो तुम्हें अपने अंदर के डर से लड़ना होगा, वरना वो तुम्हें नष्ट कर देगी।"माया का दिमाग सुन्न हो गया। क्या ये वही शक्ति थी? क्या उसके पिता इसी वजह से गायब हुए थे? और अब, क्या वो उसकी अगली शिकार थी?तभी, उसके घर का दरवाज़ा ज़ोर से खुला। माया ने डरते हुए देखा—सामने उसका भाई, अर्जुन, खड़ा था। अर्जुन की आँखें लाल थीं, और उसका चेहरा पसीने से भीगा हुआ था।
"माया, तूने संदूक क्यों खोला?" अर्जुन चीखा। "तुझे पता है ना कि उस तावीज़ को छूने की सजा क्या है?"
माया ने कांपते हुए पूछा, "क...क्या सजा, भैया?"
अर्जुन ने गहरी सांस ली और बोला, "वो शक्ति अब जाग चुकी है। और अब, या तो हम उससे लड़ेंगे, या वो हमें खत्म कर देगी।"