वचन दिए तो मुकुट उतारा,
राजसुखों को सहज संवारा।
छाल वसन पहना व्रत लेकर,
मर्यादा का दीपक निखारा।
सिंह-चरण से पथ आलोकित,
धूलि-धूसरित व्रज मृदु रोहित।
धीरज, त्याग, धर्म का पावन,
सौरभ भरता जीवन-भावन।
वन पग-पग पर प्रेम बरसता,
दुःख में भी मुस्कान तरसता।
भ्रातृ प्रेम का दीप जलाया,
सब विधि जीवन को समझाया।
शत्रु-संग भी नीति निभाई,
वचन-बंध में गाथा गाई।
सत्यधर्म का सिंह पुकारा,
रघुकुल रीति अमर उजियारा।
धन्य है राम का तप-स्वभाव,
जो भी मिले, उसे दिखलाए राग।
वनवास के पथ पर न हारे,
धरती पर सूर्य जैसे न्यारे।
धन्य है सीता की आभा,
पतिव्रता धर्म की परिभाषा।
राम का साथ, सच्ची नारी,
शिव के जैसी शक्ति भारी।
लक्ष्मण सखा, राम का वीर,
निश्छल प्रेम से भरपूर प्रीत।
धन्य है उनका संग साथ,
जो दिया भाई ने हर अवसर का साथ।
मांगते नहीं थे कभी सम्मान,
न ही कभी कोई पाया अभिमान।
राम की राह में हर कदम,
सत्यमार्ग, यही था उनका धर्म।
रघुकुल की कथा है अद्भुत,
कभी ना थमने वाली, अनन्त।
हर पंथ में राम का जादू,
हर घर में बसी है राम की आभू।
हमारे जीवन में राम के चरित्र :
1. वचनबद्धता और मर्यादा:
"वचन दिए तो मुकुट उतारा" और "राजसुखों को सहज संवारा" जैसे पदों से हम सीख सकते हैं कि अपने वचनों का पालन करना और अपनी जिम्मेदारियों को निभाना कितनी महत्त्वपूर्ण बात है। श्रीराम ने अपने वचन को सर्वोपरि माना और इसलिए उनके जीवन में शांति और आदर्श का साम्राज्य था। हमें भी अपने वचनों के प्रति ईमानदार और प्रतिबद्ध रहना चाहिए।
2. धैर्य और त्याग:
राम के जीवन में धैर्य, त्याग और आत्मसंतोष के बहुत उदाहरण हैं। जैसे उन्होंने वनवास के कष्टों को बिना शिकायत सहन किया और फिर भी अपने आदर्शों से समझौता नहीं किया। हमें भी जीवन के संघर्षों में सहनशीलता और त्याग के साथ अपने लक्ष्य की ओर बढ़ना चाहिए, न कि समय के साथ समझौता करना चाहिए।
3. सच्चाई और धर्म के प्रति प्रतिबद्धता:
राम का जीवन सत्य, धर्म और नैतिकता के पालन में समर्पित था। उनका "मर्यादा का दीपक निखारा" हमसे यह सिखाता है कि हमें अपने जीवन में सत्य और धर्म के मार्ग पर चलना चाहिए। चाहे परिस्थिति कैसी भी हो, हमें सत्य का पालन करना चाहिए।
4. प्रेम और करुणा:
राम का जीवन हमें सभी के प्रति प्रेम और करुणा सिखाता है। वह हर किसी के साथ समान व्यवहार करते थे, चाहे वह उनका मित्र हो या शत्रु। हमें भी जीवन में करुणा और सहानुभूति को जगह देनी चाहिए।
5. धैर्य और समर्पण की मिसाल:
सीता माता ने राम के साथ वनवास को न केवल स्नेह से स्वीकार किया, बल्कि वह उनके साथ हर परिस्थिति में खड़ी रही। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि पतिव्रता वह नहीं जो केवल अपने सुख-संसार में बंधी रहे, बल्कि वह है जो अपने पति के कर्तव्यों में भागीदार बनकर हर दुख और सुख में साथ दे।
6. कर्तव्य के प्रति समर्पण:
राम का जीवन हमें यह सिखाता है कि किसी भी स्थिति में अपने कर्तव्यों को न भूलें। चाहे वह परिवार हो, समाज हो या राष्ट्र, हमें अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए और अपने धर्म की रक्षा करनी चाहिए।
संक्षेप में:
हमारी जीवन यात्रा में राम के चरित्र का अनुसरण करने का अर्थ है:
सत्य, धर्म, समर्पण, और समानता के आदर्शों को अपनाना।
वचन के प्रति सच्चे रहना और अपनी जिम्मेदारियों का पालन करना।
जीवन के संघर्षों और कष्टों में भी निराश न होना और धैर्य और त्याग से आगे बढ़ना।
सीता माता के जैसे सत्य, प्रेम, और शील का पालन करना।
हर रिश्ते में प्रेम, करुणा, और समझ का पालन करना।
राम और सीता के आदर्शों को अपनाना एक आत्म-परिवर्तन की प्रक्रिया है, जो हमारे भीतर मानवता, शांति, और सच्चाई के दीपक को प्रज्वलित करता है।
।। सीयावर रामचंद्र की जय ।।