Monster the risky love - 42 in Hindi Horror Stories by Pooja Singh books and stories PDF | दानव द रिस्की लव - 42

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दानव द रिस्की लव - 42

अदिति अचनाक क्यूँ चिल्लाई....?

.....Now on........

 
आदित्य विवेक की कॉल कट करके अदिति के पास जाता है....
आदित्य : अदि ..... क्या हुआ.... अब क्यूं चिल्लाई....?
अदिति : भैय्या....आप .... मुझे छोड़कर क्यूं चले गए....(अदिति बहुत डरी हुई लग रही थी)
आदित्य : अदि हुआ क्या है...?( अदिति कुछ बोलने के लिए तैयार नहीं बस आदित्य को कसकर पकड़ कर उससे लिपट जाती है)...
अदिति : भैय्या..... मुझे....अकेला मत .... छोड़ो... वो मुझे मार देगा.....!
आदित्य डांटता " कौन तुझे मार देगा....?... क्या बहकी बहकी सी बातें कर रही है..."(आदित्य को कुछ समझ नहीं आ रहा था आखिर अचानक अदिति को क्या हो गया... बबिता को बुलाता है).....(तक्ष की आदित्य की आवाज अदिति के कमरे से आती हुई सुनकर जाता है)...
तक्ष : आदित्य इतनी सुबह अदिति के कमरे में क्या कर रहा है..... देखना पड़ेगा...
बबिता : जी साहब.....!
आदित्य : बबिता....तक्ष तुम उठ गये....
तक्ष : क्या बात है आदित्य अदिति इस डरी हुई क्यूं सिमटी है तुमसे.....!
बबिता : (मन में) खुद ने ही कुछ किया होगा और नासमझ बनने का नाटक कर रहा है..!
आदित्य : पता नहीं तक्ष रात से ही इसे क्या हुआ है... बहुत डरी डरी लग रही है....!
बबिता : साहब दीदी जी ने कोई बुरा सपना देखा होगा...?
आदित्य : यही तो बबिता मैं इससे पुछ रहा हूं पर इसने साफ मना कर दिया....तुम ऐसा करो डाक्टर मेहता को फोन करो और यहां आने के लिए बोलो.....!
बबिता : जी.....
उधर विवेक अदिति की चिल्लाने की आवाज सुनकर परेशान हो गया..... तभी मालती विवेक के कमरे में पहुंचती है....
मालती : विवेक.....(विवेक हैरानी से पीछे मुड़ता है)...
विवेक : मां आप ...... बोलिए....
मालती : क्या हुआ तू मुझे देखकर घबरा क्यूं गया.....?
विवेक : कुछ नहीं मां बस कुछ सोच रहा था अचानक आपकी आवाज सुनी इसलिए.... कहिए आप....
मालती : क्या सोच रहा था.....?
विवेक : कुछ नहीं बस ऐसे ही.....
मालती : ऐसे ही या फिर कुछ और.....
विवेक : अरे मां आप भी न आप बताइए क्या काम था...?
मालती : हां.... तेरे फ्रेंड्स आए हैं नीचे...!
विवेक : फ्रेंड्स.... क्यूं मैं तो कालेज जा ही रहा था.....?
मालती : तू उनसे ही पूछ ले.......
विवेक : ठीक है (विवेक नीचे जाता है)....
हितेन : हाय डूड .....
विवेक : यहां कैसे कालेज नहीं जाना....
कंचन : नहीं विवेक आज कालेज आफ है.....
विवेक : क्यूं....?
हितेन : अब ये क्यूं व्यू छोड़ और आगे सुन .....
विवेक : बोल .....
कंचन : कल क्या है पता है......?
विवेक : क्या है (सोचकर)..?
हितेन : अबे ओ कल तो स्पेशल डे है अदिति के लिए... भूल गया क्या......
विवेक : अरे कल 10 September है... अदिति का बर्थडे...!
कंचन : हां वही बताने आए थे.....कल रोज वैली चलते हैं.... वहीं उसके लिए सरप्राइज़ पार्टी आर्गनाइज करते हैं उसके लिए......!
विवेक : रोज वैली क्यूं.....कहीं और चलते हैं......
हितेन : नहीं पिछली बार भी तो वही सैलिब्रेशन किया था भूल गया...... 
विवेक : आई नो बट...
श्रुति : विवेक अदिति को वो जगह पसंद है इसलिए.....
 " चले जा न वहां " ....तभी पीछे से आवाज़ आती है 
विवेक : भाई......
इशान : अदिति को वहीं ले जा कल घर दूर जाएगी तो क्या पता ठीक हो जाए......
विवेक : अदिति बैटर नहीं है अभी.....
इशान : नहीं आदित्य बता रहा था उसका आज अॉफिस जाना मुश्किल है अदिति उसे छोड़ ही नहीं रही है..... पता नहीं क्या हुआ है बस कांपे जा रही है.....!
विवेक : अदिति ने मुझे रात को कॉल किया था मैं भी पागल था एक बार तो देखना चाहिए था (तभी उसे बबिता की बात ध्यान आती है........ अदिति दीदी को बचा लिजिए साहब )... मुझे उसके पास होना चाहिए न....
कंचन : विवेक हम भी चलते हैं अदिति से मिल लेंगे....
विवेक : हां.......
उधर डाक्टर मेहता पहुंचते हैं.......
बबिता : साहब डाक्टर आ गये......
आदित्य : उन्हें अंदर ले आओ.....
बबिता : जी....... चलिए डाक्टर साहब आपको साहब ने अंदर बुलाया है......
आदित्य : डाक्टर देखिए न इसे कल रात से ही कांप रही है पता नहीं कोई डरावना सपना देखा होगा....अब भी डरी हुई है......
डाक्टर : ओके मैं देखता हूं.....आप जरा हटिए......(आदित्य जैसे ही अदिति से दूर होता है अदिति कसकर पकड़ लेती है)..
आदित्य : अदि .... छोड़ मुझे ....
अदिति : भैय्या... प्लीज़ मुझे कोई डॉक्टर नहीं चाहिए बस आप चाहिए.....
आदित्य : अदि मैं यही तो हूं तेरे पास......
तक्ष : (मन में)...ये तो कुछ ज्यादा डर गई.....अब ये डाक्टर पता नहीं क्या बताएगा....
डाक्टर : मिस्टर आदित्य मुझे इन्हें चैक करने के लिए एनस्थीसिया देना पड़ेगा.....
आदित्य : ठीक है डाक्टर.....(डाक्टर अदिति को इंजेक्शन देकर बेहोश कर देते हैं.... उसी समय विवेक की कार आकर रुकती है).... बबिता कोई आया है क्या.... देखो....
बबिता : जी....(बबिता बाहर जाती है)....आप छोटे साहब....
विवेक : भाई है घर पर या गये .......
बबिता : है वो अदिति दीदी के कमरे में है डाक्टर आए हैं उनको देखने...
विवेक : अदिति क्यूं चिल्लाई थी सुबह (धीरे से कहता है)...
बबिता : शायद कोई डरावना सपना देखा था उन्होंने इसलिए...!
विवेक : तुम झुठ बोल रही हो..... खैर पहले अदिति से मिल ले..
बबिता : मैं साहब को बताती हूं.....आप यहां बैठिए....(बबिता कमरे में पहुंचती है)..
आदित्य : कौन है बबिता.....?
बबिता : साहब  ....... विवेक साहब आए हैं......और अदिति दीदी के दोस्त भी हैं...
आदित्य : अच्छा बाहर है न सब ......
बबिता : जी मैंने उन्हें बाहर बैठने के लिए कह दिया था....
आदित्य : ठीक किया......(डाक्टर की तरफ देखकर).... डाक्टर मेहता क्या हुआ अचानक क्या सोचने लगे.....
डाक्टर : चलिए बाहर बताता हूं......
आदित्य : डाक्टर आप यही बता दो .....तक्ष बबिता...(दोनों को जाने का इशारा करता है).....अब बोलिए....
डाक्टर : देखिए आदित्य... आपकी बहन बहुत ज्यादा मैंटली स्ट्रेस है उनके चेकअप के बाद तो ऐसा ही लगता है.... इसलिए कोई भी बात या घटना उनके माइंड को स्ट्रोक कर सकतीं हैं....
आदित्य : ये बात तो मुझे पता है इसलिए मैं अदिति को खुश रखने की कोशिश कर रहा हूं लेकिन ये उतना ही कुछ न कुछ सोच कर वहीं को जाती है......
डाक्टर : एक बात तो मैं आपको बताना भूल गया.....
आदित्य : कैसी बात.....?
 
.............to be continued......