Black Shadow : A Mystery - 2 in Hindi Horror Stories by Deva Sonkar books and stories PDF | Black Shadow : A Mystery - 2

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Black Shadow : A Mystery - 2

कालकेतु से अपनी हार बर्दाश्त नहीं हुई कालकेतु के दोस्त शिवराज ने कालकेतु को समझाया। पर उसने उसकी कोई बात नहीं सूनी और बस बदले की भावना में कालकेतु जलने लगा।
   
       वह काली पहाड़ी के पीछे हर रोज़ रात को काली शक्तियों का अह्वान करने लगा। उसने काली शक्तियों को जगाया और शैतान की पूजा करने लगा। काली शक्तियां कालकेतु के अंदर जागृत हुई और कालकेतु पाप की दुनिया में जा रहा था। 
   
      वह पूरी तरह से शैतान बन गया था। और काली परछाइयां उसकी गूलाम बन गयी थी। एक दिन आधी रात के समय विक्रम ने कालकेतु को काली शक्तियों को जगाते हुए देख लिया।

विक्रम कालकेतु के पास आया और कहने लगा। अपनी काली शक्तियों से तुम पाप नहीं कर सकते हो कालकेतु, "मैं तुम्हें ऐसा नहीं करने दूँगा! कालकेतु बहुत गूस्से से विक्रम की तरफ बढ़ता है, और उसे जोर से उठाकर बाहर फेक देता है और अपनी शैतानी शक्तियों से उसे कमज़ोर बना देता हैै। 

    
       कालकेतु बहुत खुश होकर बोलता है विक्रम पाप की शुरुआत अब हो चुकी है, "मैं किसी को भी नहीं छोडूंगा! सबको मेरी दुनिया में आना होगा और मेरी काली शक्तियों की पूजा करनी होगी। उसे ही जीने का मौका मिलेगा वरना सबकी ज़िन्दगी और मौत दोनों को छीन लूँगा मैं। 
 


    विक्रम कालकेतु की तरफ बढ़ता है पर विक्रम काली शक्तियों के आगे कमज़ोर पड़ जाता है। वो लड़ने की कोशिश करता है। पर लड़ नहीं पाता कालकेतु उसकी सारी शक्तियों को खींच लेता है। और अँधेरी रात के साये में एक बहुत बड़े तिलस्मी आईने को बनाता है। उस वक़्त बहुत डरावना माहौल बन जाता है। आसमान से बिजली कड़कती है बहुत जोर की आंधी चलती है और आसमान से पानी बरसता है।     
       
   चारों तरफ अँधेरा छा जाता है आस पास के लोग ये सब कुछ देखकर बहुत घबरा जाते है।

कालकेतु विक्रम को बहुत दर्दनाक मौत देकर मार देता है। 

        
    शिवराज को जब सारी बात का पता चलता है तो वो कालकेतु के पास आते है। और उससे कहते है कि कालकेतु ये तुमने अच्छा नहीं किया कालकेतु हसते हुए कहता है। अरे दोस्त तुम्हें ख़ुशी होनी चाहिए आज तुम्हारा ये दोस्त तुमसे और सबसे अधिक ताकतवर बन चुका है। 
  
        कालकेतु की ये सारी बातें सुनकर शिवराज को गूस्सा आता है वो कहते है तुम मेरे सबसे खास मित्र थे। मैंने तुम्हें सबसे अधिक मान सम्मान दिया है। और आज तुम दोस्ती के नाम पर कलंक हो गये हो तुमने विक्रम की जान ले ली है कालकेतु तुम शैतान बन गये हो।
 

    कालकेतु ने अपने दोस्त को कहा हाँ मैं शैतान बन गया हूँ। और अब ये पूरा शहर मेरे वश में होगा। जो मैं चाहुंगा यहाँ पर अब वही होगा। शिवराज और कालकेतु में बहुत जोर की लड़ाई शुरू हुई। कालकेतु ने शिवराज को अपनी शैतानी शक्तियों से पत्थर का बना दिया। और लोगों में हाहाकार मच गया।

       सभी लोग अपनी जान बचा कर यहाँ वहां दौड़ने लगे। कालकेतु ने अपनी काली परछाइयों। को पूरे शहर के लोगों पर छोड़ दिया। और तिलस्मी आईने में सबको कैद कर दिया। 

      शिवराज की पत्नी थी साधना जब उसने देखा। शहर वालो का ऐसा हाल तो वह जल्दी से अपने बेटे को लेकर वहां से जंगल की तरफ भागी उसने अपने बेटे को एक गूफा में छिपा दिया।
   
  शहर में अँधेरा देख कर एक साधु बाबा वहां पर आए उन्होंने देखा कि चारों तरफ अँधेरा ही है और मौसम भी बहुत खराब है। कौन सी दुर्घटना घटने वाली है। बाबा ने देखा कि इस शहर में काली आत्माओं का वास है। और यहाँ पर अचानक से ये सब हो क्या रहा है ।

     बाबा की नज़र कालकेतु के बनाये हुए तिलस्मी आईने पर पड़ती है उसमें सारे लोग कैद होते है। बाबा को सारे लोग तिलस्मी आईने में दिखाई देते है ।
        
   
      बाबा कालकेतु से पूछ्ते है कौन हो तुम क्यूँ इस तरह से लोगो को अपने काले साये में कैद कर रहे हो। कालकेतु कहता है ये मेरी काली दुनिया है। यहाँ पर तुम्हारे जैसे लोगो का कोई काम नहीं है। कालकेतु बाबा को कैद करता है पर बाबा कुछ मन्त्रों से अपने आप को बचा लेते है। और तभी साधना वहां पर आती है । 
  

     कालकेतु से गुस्से में रोते हुए अपने पति को पूछती है कालकेतु हसते हुए कहता है - पत्थर बन चुका है मेरा दोस्त पत्थर शायद उसे पत्थर बनना अच्छा लगता था। इसलिए मैंने अपने प्रिय मित्र की ये इच्छा पूरी कर दी। पत्थर बनकर कितना प्यारा लग रहा है। शिवराज?   
      
          साधना कहती है कालकेतु तू पापी है हत्यारा है मैं तुझे ज़िंदा नहीं छोडूंगी। कालकेतु साधना पर जैसे ही हमला करता है। वैसे ही साधु बाबा उसके वार को रोक लेते है। कालकेतु अपनी काली शक्तियों से बाबा को बाँध लेता है। और साधना को बहुत ज्यादा घायल कर देता है।  
   
        बाबा अपने आप को जैसे तैसे बचाते है। कालकेतु तिलस्मी आईने को लेकर और शिवराज कि पत्थर कि मूर्ति को लेकर अपनी पाप की दुनिया में चला जाता है। और इस शहर को वीरान और श्मशान बना देता है। साधना बहुत घायल अवस्था में थी। 
    
बाबा साधना को बचाने की कोशिश करते है। पर साधना बाबा को अपने बच्चे के बारे में बताती है। वो कहती है कि आप मेरे बच्चे का ध्यान रखना उसे इन काली शक्तियों से बचा कर रखना। और साधना अपना दम तोड़ देती है 
 
       बाबा जल्दी से जंगल में उस गूफा में जाते है और उस बच्चे को बाहर निकाल कर अपने साथ दूर कहीं ले जाते है और उस बच्चे को दिव्य मंत्र और शक्तियां सिखाना शुरू करते है।
   
     बाबा बच्चे का नाम अर्जुन रखते है और जब वो थोड़ा बड़ा हो जाता है तो उसको उसके जन्म से संबंधित सारी बात बताते है। और अंधेर नगरी में उसे जाने से मना करते है पर अर्जुन को अँधेरा मिटाना है इसीलिए वह आज अंधेर नगरी में आ गया है ।

    क्या कालकेतु पाप की दुनियां बनाने में कामयाब होगा ?

क्या काली शक्तियों का अर्जुन पर कोई असर होगा? क्या अर्जुन भी कैद होगा तिलस्मी आईने में? क्या अंधेर नगरी पर कालकेतु का ही राज होगा? क्या अर्जुन की होगी अपने पिता से मूलाकात ?

जानने के लिए जुड़े रहिये ….