Sayara - 2 in Hindi Love Stories by shwet sawali books and stories PDF | सायरा - भाग 2

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सायरा - भाग 2

भाग 2
सारा काम देखकर प्रतीक ने सायरा से पहचान बनाने की कोशिश की जैसे मानो प्रतीक सायरा को पहले से जानता है ।
प्रतीक ने सायरा को प्रश्न किया “ सायरा तुमने पहचाना मुझको ?”
                   सायरा कहां उसको जानती थी । उसने प्रतीक को नजरअंदाज किया । सायरा को लगा प्रतीक को गलतफहमी हुई हो । सायरा ने बात टालते हुए प्रतीक को वहां के लोगों से मिलवाने की कोशिश की ।
प्रतीक ने सायरा से वापस पूछा “ तुम भूल गई मुझे ?”
सायरा ने प्रतीक से कहा , “ शायद तुम्हे कोई गलतफहमी हुई हैं , में वो नहीं हूं जिसके बारे में तुम बात कर रहे हो । मैं तुम्हें नहीं जानती !”
प्रतीक ने हंस के बोला , “ पर तुम वही हो इसके बारे में कहना चाहता हूं !”
तभी सृष्टि ने टोकते हुए कहा “ सायरा सही कह रही हैं तुम उसे जानते होते तो वो मुझे जरूर कहती ” प्रतीक ने सोचा शायद सायरा किसी को बताना नहीं चाहती उसके बारे में । और वह कह देता है हां शायद तुम वह नहीं हो सकती और वहां से चला जाता है अपने केबिन में ।
                    सृष्टि सायरा से पूछ लेती है “ तुम उसे जानती हो ?” सायरा मना कर देती है ।
                सायरा के हिसाब से वह कभी प्रतीक से मिला ही नहीं । पर फिर भी प्रतीक का ऐसा कहना उसको थोड़ा अजीब लगता है । एक लड़का जिसे मैं जानती तक नहीं वह ऑफिस में आकर यह कह रहा कि वह मुझे जानता है सायरा के मन में उसके लिए थोड़ा बुरा भी लगता है की कैसा लड़का है शायद किसी अपने को ढूंढ रहा है जिसको वह बहुत पहले मिला हो जो शायद मेरे जैसी दिखती हो ।
                प्रतीक अपने केबिन से दिन का काम करके शाम को निकल रहा होता है घर के लिए तभी वहां पर सृष्टि और सायरा आ जाती है ।
सृष्टि प्रतीक से कहती है “ हम भी घर ही जा रहे हैं हमारे साथ चलो हम छोड़ देते हैं तुम तो अभी काम पर लगे हो तुम्हारे पास कहां गाड़ी होगी !” प्रतीक माना तो करना चाहता था पर सायरा को देखो मन नहीं कर पाता और उनके साथ चलने के लिए तैयार हो जाता है ।
सायरा उससे ज्यादा बात नहीं करती सायरा का स्वभाव ही कुछ ऐसा था जिसको जानती नहीं उसे ज्यादा बात नहीं कर पाती थी । और यह देख प्रतीक उसको मजाक में कह देता है “ उस दिन तो बड़ी बात कर रही थी ।”
सृष्टि में प्रतीक से पूछ लेती है ,“ किस दिन तुम किस दिन मिले सायरा से सायरा मेरे बिना कहीं नहीं जाती तो फिर ??”
 प्रतीक कहता है “ मैं आया था उस दिन कंपनी के इवेंट में ; वो इवेंट फ्रेशर्स के लिए तो रखा था । और फिर तभी मैं तुम लोगों से मिला भी था । तुम नशे में थी दोनों भूल गई क्या ? ”
सृष्टि कहती है “ हां शायद मिले होंगे उस दिन हमने पी रखी थी । अब कोई इवेंट में पीने के लिए रखें तो थोड़ी ना कोई मना करेगा । ”
प्रतीक कहता है , “ पर सायरा तो मना कर रही थी फिर भी तुमने उसको जबरदस्ती पिला दी ।”
सृष्टि और सायरा एक दूसरे के तरफ देखकर हंसते हैं और उसको नजरअंदाज कर देते हैं । प्रतीक गाड़ी रोकने के लिए बोल देता है गाड़ी से उतर के वह खिड़की से उन दोनों को कहता है “ मैं ऑफिस में किसी को जानता तो नहीं हूं पर क्या तुम मेरे साथ रह सकती हो ?”
सृष्टि उसकी हमें जवाब देती है । जाते-जाते प्रतीक सायरा से पूछ लेता है क्या तुम्हें याद है उसे दिन का जो तुमने किया था ? सायरा को लगता है छोटी सी बात होगी पर उसके आगे प्रतीक बोलता है “ मुझे समझ नहीं आया तुम क्या हो तुमने किया और तुम भूल गई ; इतनी आसानी से हां होती है कुछ लड़कियां ऐसी !” मुस्कुरा के वहां से प्रतीक चला जाता है पर उसकी मुस्कुराहट थोड़ी अजीब लगती है सायरा को । सायरा मन में ही सोचने लग जाती है उसने ऐसा क्यों कहा ‘ कुछ लड़कियां ’ क्या मैंने उसे दिन उसके साथ नशे में कुछ बुरा बर्ताव किया था जो मुझे अभी याद नहीं ? गाड़ीमें सायरा के मन में बहुत ख्याल थे उन्हें सच में वह कब घर पहुंची उसे समझ ही नहीं आया ।
प्रतीक क्या कहना चाहता था ? क्या हुआ था उसे दिन ? तुमने कुछ किया था क्या उसके साथ या उसने तुम्हारे साथ कुछ किया था ? ऐसे सवाल सृष्टि ने सायरा से पूछ लिए वैसे तो दोनों का घर आसपास ही था जब चाहे एक दूसरे से बात कर सकते थे इसलिए सृष्टि सायरा को कह देती है ,“ बाद में मिलते हैं मुझे जरूर बताना सच के याद करके ” ।
                    वैसे सृष्टि किसी के जिंदगी में ज्यादा अपना ध्यान नहीं देती थी पर इस बार उसके मन में कुछ अलग ही चल रहा था जैसे मानो उसको प्रतीक पसंद हो और पसंद क्यों भी ना हो वह दिखता भी अच्छा था । उसकी आंखें किसी समुद्र की तरह गहरी थी जैसे मानो कोई लड़की डूब ही जाए । चटक गुलाबी होंठ ऐसा हो ही ना कि उसके होठों पर किसी का ध्यान न जाए । उसके हाइट इतनी लंबी की कोई भी लड़की उसके कंधे तक ही आएगी । और उसका वह सुंदर भोला चेहरा मासूम सा चेहरा लड़कियां छोड़ो लड़कों को भी पसंद आ जाए । सृष्टि की जिंदगी में कुछ ही ऐसे लड़के थे जो इतने आकर्षक थे । और सायरा तो सीधी साधी लड़की उसको तुम एक ही लड़का पसंद आया था उसके दिल को ।
                शाम होते ही सृष्टि सायरा के घर चली जाती है वैसे तो सायरा के दो बड़े भाई थे माता-पिता नहीं थे पर भाइयों ने उसको कभी अकेला नहीं छोड़ा । सृष्टि उसके बड़े भाई चेतन को बहुत पसंद कर देती हां उसको कुछ लड़के पसंद आते थे पर इतनी नहीं जितना सृष्टि को चेतन पसंद था । कभी कबार सृष्टि हद पार कर देती थी और मजाक में सृष्टि के सामने चेतन को कहती थी “काश मैं इसी घर में रहती मैं यहां पर शिफ्ट हो जाऊं क्या ? वैसे भी मैं अकेली रहती हूं यहां पर रहूंगी तो मुझे डर नहीं लगेगा किसी बात का और किसी को खोने का भी ।”
 सायरा भी उसको इस बात पर टोकता नहीं थी क्योंकि वैसे तो सृष्टि बहुत अच्छी लड़की है । पर उसके अकेलेपन ने उसको ऐसा बना दिया । अकेले तो सायरा भी थी पर उसके भाइयों ने उसको संभाल लिया । पर सृष्टि को संभालने वाला कोई था ही नहीं और जब सायरा मिली उसे तब तक बहुत देर हो चुकी थी । सृष्टि का अहंकार कहो या आत्मविश्वास आसमान से भी ऊंचा था ।
               कुछ लड़कियां होती है ऐसी जिसको कोई नहीं मिलता वह खुद को ही संभाल लेती है अकेलेपन से खुदको और खुद का ख्याल रखना भी जानती है और खुद को किसी सोने से कम नहीं समझती और समझना भी नहीं चाहिए ।
                 चेतन उससे मन में ही चाहता तो था उसे पर कभी कह नहीं पाया वह सोचता था कि पहले से ही मेरे ऊपर ज्यादा जिम्मेदारियां है और एक जिम्मेदारी में नहीं उठा सकता । सृष्टि भी यह बात कहीं ना कहीं जानती थी ।
अकेले में सृष्टि सायरा से पूछ लेती है “ प्रतीक किस बारे में बात कर रहा था । क्या सच में कुछ ऐसा हुआ था उस दिन ? ”
सायरा कहती है ,“ नहीं मुझे ऐसा कुछ याद नहीं !”
 सृष्टि कहती है सायरा को , “ कहीं ऐसा तो नहीं है कि उसे तुमसे इश्क हो गया पहली नजर का ”
सायरा भी रूठ जाती है और कहती हैं “ ऐसा नहीं हो सकता कोई मुझे प्रेम क्यों ही करेगा ?”
सृष्टि समझता है सायरा को उसको कहती हैं “ ऐसा नहीं है क्यों करेगी मतलब तुम सुंदर दिखती हो , सुंदर हो मन से तो कोई क्यों नहीं करेगा । और तुम खुद को कम समझना बंद कर दो कोई कमी नहीं है तुम्हें और मेरी दोस्त हीरे से काम भी नहीं है ।” सायरा को लगता है सृष्टि दिल की अच्छी है इसलिए उसको मेरा यह कुरूप चेहरा भी अच्छा लगता है । और सायरा बात बदल देती है कुछ वक्त तक उनमें कई बातें होती है । सृष्टि सायरा से पूछता है “ चिराग कब आने वाला है ?”
 चिराग सायरा का छोटा भाई । वह पढ़ने के लिए बाहर देश गया है उसका सारा खर्चा सायरा और चेतन मिलकर उठाते हैं । सृष्टि चिराग को अपना भाई जैसे मानती है । सायरा कहती हैं उसे आने में बहुत वक्त है इस साल उसकी पढ़ाई पूरी हो जाएगी और वह आ जाएगा । रात के 11:00 बज जाते हैं । सृष्टि अपने घर के लिए निकल जाती है । जाते वक्त सृष्टि का चेतन से नजरे मिलाना । और चेतन का उसके चेहरे से नजर ना हटना सायरा को बात ही देता है की दोनों एक दूसरे को चाहते हैं ।
                    सायरा सृष्टि के जाने के बाद चेतन से कहती हैं , “ भैया सृष्टि में कुछ कमी है क्या इतनी सुंदर दिखती है जैसी मानो कोई अप्सरा स्वर्ग से उतरी हो दिल की भी अच्छी है हां थोड़ा बहुत एटीट्यूड है पर वह बाकियों के लिए । अपने लोगों के साथ दिल से रिश्ता निभाती है । तो आप उसको हां क्यों नहीं कहते । आपको भी पता है वह कितने दिनों से आपके पीछे पड़ी है और आपके आंखों में भी उसके लिए प्रेम नजर आता है । मुझे लगता है आपको उसको कह देना चाहिए वह कभी नहीं कहेगी क्योंकि उसको पता है आपके ऊपर कितनी जिम्मेदारियां है । चेतन अंदर ही अंदर मुस्कुरा होता है पर चेहरे पर गुस्सा दिखा के सायरा को कहता है ; कुछ ज्यादा नहीं सोच रही ? कल कम पर नहीं जाना है चलो जाओ सोने !
           सायरा भी चली जाती है सोने के लिए पर उसे नींद नहीं आती वह बस यह सोच रही होती है कि उस दिन हुआ क्या था ? और मुझे याद क्यों नहीं ?
     अगले दिन सृष्टि और सायरा साथ में काम पर जाते हैं । सुजल सृष्टि का इंतजार ही कर रहा था । सामने से सुजल बात करने के लिए आता है और सृष्टि उसको नजरअंदाज करके आगे चली जाती है । यह देख कर सायरा सुजल से कहती है वह तुम्हें नहीं चाहती उसे कोई और पसंद है । तो सुजल उसे कहता है ठीक है उसे कोई और पसंद है और तुम्हें ? सुजल का ऐसा कहना सायरा को थोड़ा मायूस कर देता है उसको ऐसा लगता है की सुजल घटिया किस्म का इंसान है । जो हर लड़की के ऊपर जिसका दिल आ जाता है । ऐसा मान लो की सायरा के मन में जो सुजल के लिए आकर्षण था वह खत्म हो गया । उसको लगता था सुजल बहुत अच्छा लड़का है पर ऐसा नहीं था । यह बात सायरा के मन में बैठ जाती है और वह भी सुजल को नजरअंदाज करके वहां से ऑफिस के लिए चल जाती है ।
               ऑफिस में कंपनी के CEO प्रतीक से कुछ बात कर रही होती है । आज तक कभी ऐसा हुआ नहीं था की सीईओ खुद कंपनी में आकर किसी कंपनी में काम करने वाले से बात करें । सायरा दूर से ही प्रतीक कौन से बात करते हुए देख लेता है सायरा को लगा था प्रतीक खुद के दम पर कंपनी में आया है । पर प्रतीक का सीईओ से बात करना सायरा को थोड़ा गड़बड़ लगता है । उसे लगता है की प्रतीक उनके करीबी है । प्रतीक दूर से सायरा उसे देख रही है यह देख लेता है । और उसे वह सामने से सायरा के पास आकर बोलता है “ क्या हुआ ऐसे क्यों देख रही हो ?”
सायरा रहती हैं “ क्या तुम सीईओ को जानते हो ?” प्रतीक कहता है नहीं ऐसा नहीं है मैनेजर ने कुछ काम बताया था वहीं मैं उनको बता रहा था । सायरा कहते पर तुम क्यों तुम तो अभी नहीं आए हो ना । प्रतीक कहता है हां मैं नया हूं कंपनी में पर में पहले भी काम कर चुका हो दूसरे कंपनी में ।” प्रतीक बहुत सारी बातें कह देता है अनजाने में सायरा को ।
“और तुम कुछ कह रहे थे कल उसे दिन के बारे में तुम मुझे बता सकते हो क्या मुझे याद नहीं है ” सायरा प्रश्न चिन्ह होकर उससे पूछ लेती है।
प्रतीक कहता है “ याद नहीं है या याद करना नहीं चाहती !”
  “ पर मैं क्यों भूलूंगी या भूलना चाहूंगी ; नहीं याद है तो नहीं ना । छोड़ो तुम्हें नहीं बताना है तो मत बताओ ऑफिस का टाइम हो गया है मैं जा रही ” सारा गुस्सा होकर बोल देती है ।
प्रतीक को भी लगता है कि शायद सायरा उसे दिन के बारे में भूल गई है । प्रतीक भी अपने केबिन में चला जाता है । वह काम कर रहा होता है और अच्छा ना उसको उसे दिन का याद आने लगता हैं । नशे में सायरा प्रतीक के गाड़ी में बैठ गई है और रोने लग जाती है और प्रतीक को कहती है “ तुमको मैं अच्छी नहीं लगती क्या ? मुझ में क्या कमी है क्या मैं सुंदर नहीं दिखती ? या मेरे बाल सुंदर नहीं है ? क्या कमी है मुझ में ? हां मानती हूं कि मैं इतनी भी अच्छी नहीं पर , पर मुझे तुम पसंद हो पसंद हो तुम मुझे ! प्रतीक इससे आगे का सोच पाता तभी केबिन में वापस सायरा आ जाती है । और उसको आज का काम दिखाने के लिए उसके पास खड़ी हो जाती है वह लैपटॉप में टाइप करने के लिए थोड़ी छुप जाती है । उसके जो लंबे बाल है वह उसके गाल पर आ रहे थे । प्रतीक चाहता तो था कि वह उसके गाल पर आए हुए बाल अपने हाथों से पीछे करें पर वह रोक लेता है खुद को । सायरा उसको सारा काम दिखा कर जाने ही वाली होती है । के प्रतीक उसको कहता है “ क्या तुम्हें सच में याद नहीं ?”
सायरा उसे पर चिल्ला देती है “ क्या लगा रखा है तुमने यह , ये याद नहीं वह याद नहीं है ! करना ही क्यों है याद ? और मुझे सच में कुछ याद नहीं और मैंने उस दिन कुछ भी किया हो , कुछ गलत तो नहीं किया ना तुम्हारे साथ ! तुम यह मुझे बार-बार पूछना बंद कर दो ; समझे ?? और उसके केबिन से चली जाती है ।
प्रतीक को मन तो करता है उसको सब कुछ बताने का पर वह रोक लेता है खुद को । और अपना काम पर ध्यान देता है मन में ही उसके चल रहा होता है ‘ अब उसको याद ही नहीं करना तो मैं भी उसके पीछे क्यों पड़ा हूं ऐसी लड़कियां क्या जाने !’ केबिन में सृष्टि आती है और प्रतीक से पूछ लेती है “ क्यों तंग कर रहे हो उसको ?”
 प्रतीक सृष्टि को कहता है “ क्या मैं तंग कर रहा हूं सच में तंग तो उसने मुझे करके रखा है उस दिन के बाद उसकी आवाज बार-बार गुनगुना ती रहती है मेरे ही अंदर और वह भूल चुकी होगी पर मैं नहीं भूल सकता ” प्रतीक भी गुस्से में सृष्टि को वहां से जाने के लिए कह देता है ।
क्या हुआ होगा उसे दिन क्या आप जानना चाहते हैं ??
तो करिए अगले भाग का इंतजार !!
और हां कहानी है थोड़े बोर हो जाओगे पर उतना ही बात में मजा आता है !!
©shwet.sawali
Insta : poet_shwet.sawali