बहुत समय पहले की बात है
रात के 12:30 बजते हैं, और अंधेरी रात में, वैष्णवी नाम की एक लड़की एक अनजान शहर में आती है, अचानक से बीच रास्ते में ही उसकी कार खराब हो जाती है, वह मदद के लिए किसी को तलाश करती हैं लेकिन उसे कोई नहीं मिलता है अचानक से उसको एक लड़का सड़क पर जाता हुआ दिखाई देता है।
वैष्णवी उसको पीछे से आवाज़ लगाकर कहती है़, "एक्सक्यूज मी! मेरी कार खराब हो गई, क्या आप कुछ मदद करेंगे?"
वह लड़का उसको कोई जवाब नहीं देता है, वैष्णवी थोड़ी हिचकिचाते हुए उससे पुछती है! "हेलो! क्या आप मेरी मदद करेंगे, मेरी कार खराब हो गई, क्या आस पास में कोई मेकेनिक है?"
वैष्णवी को उस लड़के की तरफ से कोई जवाब नहीं आता है वैष्णवी सोचती है, अजीब पागल आदमी है "मैं कब से बोले जा रही हूँ कोई रेस्पॉन्स नहीं दे रहा है। वैष्णवी उस लड़के के पास जाती है, उसको पीछे से छूती है और फिर देखती है, कि वो लड़का जोर से हँसता है, और एक काली परछाई बन कर गायब हो जाता है।
वैष्णवी ये सब देखकर डर जाती है, और अपनी कार की तरफ भागती है और जल्दी से कार में बैठकर कार को चारों तरफ से लॉक कर लेती है। वैष्णवी को बहुत जोर-जोर की डरावनी आवाजें सुनाई देती है वैष्णवी डर के मारे फ्रिज हो जाती है और कार में ही बेहोश हो जाती है।
अगले दिन सुबह होने पर जब वैष्णवी को होश आता है तो वो देखती है, कि सब कुछ एक दम शांत है पर रात में वो सब क्या था वैष्णवी सोचती है, शायद उसका वहम् हो तभी वो कार से नीचे उतरती है और अपना मुँह धोती है उसके आस पास कोई नहीं था। उसे भूख लगती है तो फिर वो एक जंगल में जाती है। वहां पर उसे कुछ पंछियों की आवाज़ सुनाई देती है। वैष्णवी को शांति मिलती है और वो रात की सारी बात भूल जाती है।
वो अपने खाने के लिए फल ढूंढती है। तभी वैष्णवी को ख्याल आता है कि यहां दूर-दूर तक कोई दिखाई नहीं दे रहा है। क्या यहाँ पर कोई नहीं रहता है। और मैं कहाँ पर हूँ, "खैर ये बातें बाद में सोचूंगी पहले कुछ खा लूँ! बहुत तेज भूख लगी है होटल तो यहाँ पर है नहीं सब कुछ खंडर सा लगता है। वैष्णवी आगे चलती रहती है।
वैष्णवी को एक फल का पेड़ दिखाई देता है। उसे देखकर वो खुश हो जाती है। और खुद से कहती है, चलो भाई कुछ तो अच्छा मिला भूख मिटाने का इंतेजाम तो हो गया। वैष्णवी जैसे ही फल तोड़ने लगती है तभी उसे किसी के रोने कि आवाज़ आती है।
वैष्णवी इधर उधर देखती है उसे कुछ भी नजर नहीं आता है वो फिर से फल तोड़ती है। फिर से उसे किसी के बहुत जोर से रोने कि आवाज़ आती है वैष्णवी को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि ये सब क्या हो रहा है।
वैष्णवी ने फल तोड़ लिए वो जैसे ही फल खाने चली बहुत जोर से पेड़ हिलने लगा और पेड़ में से आवाज़ आयी।
"मौत का बुलावा है, ये काला साया है, कौन है जिसने मौत को जगाया है।''
ये सब सुनकर वैष्णवी के पैरों तले ज़मीन खिसक गई। उसने देखा कि खिला हुआ सवेरा अँधेरी रात में बदल गया। वैष्णवी ने चिल्लाकर कहा कौन है यहाँ पर।
वैष्णवी के सामने वही काला साया आ गया वैष्णवी जंगल से भागी और बहुत दूर तक भागती रही वैष्णवी का भूख से बुरा हाल था और वो काफ़ी थक चुकी थी।
वैष्णवी ने बोला तुम क्या चाहते हो, "मेरे पीछे क्यूँ पड़े हो मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है। वो काला साया वैष्णवी के बहुत पास आ गया देखते ही देखते उस काले साये ने वैष्णवी को अपने अंदर निगल लिया!
अब वैष्णवी एक खौफनाक दुनिया में पहुँच चुकी थी। जहां पर सिर्फ अँधेरा और काला साया ही था, "ना जाने क्यूँ कहीं पर भी वैष्णवी को कोई रौशनी दिखाई नहीं दी वैष्णवी उस ख़ौफनाक दुनिया में काली शक्तियों को देख रही थी।
हर एक आवाज़ में उसे बस एक ही आवाज़ सुनाई दी
"कौन किसको लाएगा जो आया हैं। यहाँ पर वो अपनी जान से जाएगा।"
मौत उसके हिस्से की पहली निशानी होगी काला साया मिटा देगा वजूद तुम्हारा कल सारी दुनियां बस खून की ही दीवानी होगी।"
वैष्णवी को किसी के आने की आहट हुई वो जल्दी से उठकर एक कोने में जा के खड़ी हो गई। उसने काले साये को काली शक्तियों का आह्वान करते देखा। अचानक से वैष्णवी ने एक तिलस्मी आईना देखा जिसमें बहुत सारे लोग कैद थे। वैष्णवी को समझ आ गया। कि ये काली शक्तियों का किया हुआ जाल है।
मासूम लोग सब इसमें कैद है यानी इसलिये ही मुझें बाहर की दुनिया में कोई नहीं मिला सारे लोग यहाँ पर है। तो वैष्णवी ने सोचा अब इन सब को कैसे निकाला जाएगा। और ये काली शक्तियां करना क्या चाहती है।
वैष्णवी के सामने काली परछाई आयी वैष्णवी को जोर का धक्का मारा वैष्णवी इस बार बहुत बुरी तरह से ज़ख्मी हुई। वैष्णवी उठ भी नहीं पा रही थी। काला साया वैष्णवी के सामने आया और उसने वैष्णवी के अंदर शैतानी शक्ति भर दी।
वैष्णवी भी अब काला साया बन चुकी थी और अंधेर नगरी से जो भी कोई आता उसको तिलस्मी आईने में कैद कर देती थी सदियों तक ये सिलसिला ऐसे ही चलता रहा।
फिर अचानक ऐसा हुआ जो ना कभी सोचा गया था एक बार एक बच्चा वहां पर आया उस बच्चें में दैवीय शक्तियाँ थी। उस बच्चें को आभास था। कि अंधेर नगरी कभी ना कभी मौत का पैगाम बन जाएगी। बहुत समय से उस नगरी से लोगों की प्रजाति को विलुप्त किया जा रहा था।
आख़िरकार समय पूरा होने पर उस बच्चे को यहाँ पर आना ही पड़ा।
काला साया कौन था, कैसे बना काला साया?
काला साया कोई और नहीं दैवीय बच्चे के पिता का परम मित्र कालकेतु था। एक बार विक्रम और कालकेतु के बीच अपने बल को लेकर बहुत भयानक लड़ाई हुई ।
तब विक्रम से कालकेतु को उस दैवीय बच्चें के पिता शिवराज ने बचाया था। विक्रम और कालकेतु दोनों ही शिवराज को प्रिय थे। कालकेतु को अपने बल पर और अपनी शक्तियों पर बहुत घमंड हो गया था। उसको लगता था कि उससे ज्यादा ताकतवर कोई नहीं है ना कभी होगा विक्रम से हारने के बाद कालकेतु बहुत गुस्से में था।
क्या काली दुनिया से आजाद हो पाएगा अर्जुन, क्या कालकेतु से बच पायेगा विक्रम, क्या वो छोटा बच्चा दिलाएगा लोगों को उनकी पहली वाली ज़िन्दगी, क्या टूटेगा तिलस्मी आईने का वजूद?
जानने के लिए पढ़ते रहिये .....