Shimla Ka Safar: The Haunted Road and the Tale of Friends in Hindi Horror Stories by Sagar Gurwani books and stories PDF | शिमला का सफर हॉन्टेड रोड और दोस्तों की दास्तान

Featured Books
Categories
Share

शिमला का सफर हॉन्टेड रोड और दोस्तों की दास्तान

परिचय :

यह कहानी एक खुबसूरत शाम से शुरू होती है, जहाँ पाँच दोस्त एक शानदार सफर के लिए निकलते हैं। दिल्ली से शिमला तक का सफर उनके जीवन का सबसे रोमांचक और खतरनाक अनुभव बनने वाला था। उन्होंने कभी सोचा भी नहीं होगा कि एक छोटी सी गलती उन्हें एक ऐसे खतरनाक रास्ते पर ले जाएगी, जहाँ जाना उनकी ज़िंदगी की सबसे बड़ी भूल साबित होगी।

इस सफर में उनकी मदद करने के लिए "कालरक्षक" आएंगे, जो उन्हें जीवन के कई अहम सबक भी सिखा जाएंगे। ये सफर सिर्फ रोमांच से भरा हुआ नहीं है, बल्कि इसमें कई रहस्य और अनपेक्षित मोड़ भी छुपे हुए हैं।

अगर आप इस किताब को पढ़ते हुए कहीं भी बोर हो गए, तो आप इसे बीच में छोड़ सकते हैं। लेकिन अगर आपने इसे अंत तक पढ़ लिया, तो यह यकीनन आपको कुछ अनमोल सीख देकर जाएगी।

तो चलिए, तैयार हो जाइए मेरे साथ इस रोमांचक शिमला के सफर पर चलने के लिए!


कहानी की शुरुआत :

एक दिन पाँच दोस्तों ने घूमने का प्लान बनाया। उन दोस्तों के नाम थे राहुल, करण, रिया, सोनिया, और संजय। राहुल ने अपनी ओपन जीप निकाली और मुस्कुराते हुए कहा, "चलो सब, अब बैठो, बहुत देर हो चुकी है।" सभी दोस्त तैयार होकर जीप में सवार हो गए और मस्ती भरे सफर पर निकल पड़े।

शाम का समय था, और पाँचों दोस्त हंसी-खुशी जीप में सवार होकर सफर का आनंद ले रहे थे। उनकी मंज़िल शिमला थी जहाँ उन्होंने कुछ दिनों की छुट्टी बिताने का निर्णय लिया था। शिमला के लिए उन्होंने पहले से एक होटल बुक कर रखा था, जिसका नाम था 'शिमला ग्रीन्स'।

दिल्ली से शिमला तक का यह सफर उनके लिए बेहद रोमांचक और उत्साह से भरा हुआ था। रास्ते में हर मोड़ पर मस्ती, गाने, और हंसी का माहौल बना हुआ था। सबके दिलों में एक नई ऊर्जा थी, और वे शिमला की वादियों में खोने के लिए बेसब्री से इंतजार कर रहे थे।

राहुल ने सबको ध्यान दिलाते हुए कहा, "सब सामान ले लिया? कोई कुछ भूल तो नहीं गया?" रिया ने आत्मविश्वास से जवाब दिया, "सब कुछ ले लिया है, अब बस शिमला पहुंचना है और वहां की खूबसूरती का लुत्फ उठाना है।"

सोनिया ने थोड़ा चिंतित होकर पूछा, "सबने जैकेट तो ले ली ना? शिमला का तापमान अभी 12 डिग्री दिखा रहा है, बहुत ठंड होगी।" सभी दोस्तों ने एकसाथ जवाब दिया, "हाँ, ले लिया!"

करण ने ठिठोली करते हुए कहा, "दिल्ली में इतनी गर्मी है यार, दिमाग एकदम गरम हो गया है। शिमला की ठंडी हवा में जाएंगे तो दिमाग एकदम ठंडा हो जाएगा।" राहुल ने मजाक में कहा, "देखना, तुम्हारा दिमाग वैसे भी काम नहीं करता, ठंडा पड़ गया तो काम से गया।" यह सुनकर सब जोर-जोर से हंसने लगे। करण ने जवाब में कहा, "चुप! तू गाड़ी चला चुपचाप।" 

गाड़ी दिल्ली से निकलकर एक ऐसी जगह पहुँची जहाँ चारों ओर हरियाली ही हरियाली थी। इतनी खूबसूरत हरियाली और ठंडी हवा थी कि दिल खुश हो गया। सभी दोस्तों ने उस रास्ते का पूरा आनंद लिया। रास्ते के आसपास के खूबसूरत खेत और पेड़-पौधों ने मन मोह लिया।

रिया ने कहा, "यार, मुझे ऐसे रास्ते बहुत पसंद हैं। दिल्ली में तो हर जगह धुआं, धूल, मिट्टी और ट्रैफिक ही होता है। यहाँ कितना शानदार माहौल है, कितना सुकून है इस सड़क पर, खेत और हरियाली के बीच।"

सोनिया ने कहा, "हाँ यार, सच में बहुत सुकून है ऐसे रास्तों पर।"

संजय ने कहा, "मुझे तो नींद आने लगी है।"

करन ने कहा, "संजय को सोने दो फिर, इसे यहीं खेतों में लिटा कर चले जाएंगे।"

ये सुनकर सब हंसने लगे।

संजय को अभी नींद आई ही थी कि अचानक करण ज़ोर से चिल्लाया, "अरे, वो देखो! जूस वाला!" करण की आवाज़ सुनते ही संजय डर कर तुरंत उठ बैठा।

संजय ने थोड़ी खीझते हुए कहा, "क्या यार, जूस वाले को देखकर ऐसे चिल्ला रहा है, जैसे कोई भूत देख लिया हो!"

करण ने मुस्कुराते हुए कहा, "अरे नहीं यार, देख न, कितना खूबसूरत गार्डन है! वहाँ बैठकर जूस पीने का मज़ा ही कुछ और होगा।"

फिर करण ने राहुल से कहा, "राहुल, यार ज़रा गाड़ी रोक ना! चलो सब जूस पीते हैं।" राहुल ने मुस्कुराते हुए गाड़ी साइड में लगा दी और सब उस जूस वाले की दुकान की तरफ बढ़ चले।

जूस वाले की दुकान गार्डन के अंदर एक हरियाली भरी जगह पर थी। वहाँ सब टेबल घास पर लगी हुई थी और चारों ओर रंग-बिरंगे फूल खिले हुए थे, जिनकी खुशबू से पूरा माहौल महक उठा था।

सोनिया ने खुश होकर कहा, "वाह! क्या ग़ज़ब की जगह है! फूलों की महक भी कितनी प्यारी है!"

रिया ने सहमति में सिर हिलाते हुए कहा, "हां, सच में, इस महक में कुछ खास बात है।"

ये सुनकर सब मुस्कुराते हुए उस हसीन माहौल में खो गए, जैसे वहाँ का हर लम्हा उनकी यादों में बस गया हो।

वहाँ गार्डन के बीचों-बीच एक खूबसूरत फव्वारा भी था, जिसे देखकर दिल खुश हो जाए। रोशनी की वजह से पानी अलग-अलग रंगों में इतना खूबसूरत लग रहा था कि उसे निहारते-निहारते जूस पीने का मजा ही दोगुना हो गया।

सबने अपनी-अपनी पसंद का जूस ऑर्डर किया। कुछ ही देर में जूस वाला बड़े-बड़े ग्लास में सबके लिए जूस लेकर आ गया।

रिया ने पहला घूँट लेते ही कहा, "वाह यार! इसका जूस भी कितना लाजवाब है।"

करण ने मुस्कुराते हुए कहा, "हाँ यार, इस जूस वाले का जूस, यहाँ का माहौल, ये गार्डन और ये खुशबूदार फूल – सब कुछ बढ़िया है!"

तभी संजय ने जूस का दाम देखकर कहा, "अरे भाई, ये तो बहुत महंगा ले रहा है! एक जूस के 200 रुपये? 50 रुपये का जूस 200 रुपये में कौन बेचता है? मुझे ही 200-200 रुपये दे देते, मैं खुद बना कर दे देता तुम्हें!"

राहुल ने हँसते हुए जूस वाले से कहा, "भैया, आज से इसको भी अपने साथ काम पर रख लो!"

जूस वाला ये सुनकर हँस पड़ा।

करण ने कहा, "अरे, हम कहाँ बार-बार आएंगे। तुम पैसे मत देखो, मेरी तरफ से आज सबकी पार्टी!"

राहुल ने कहा, "वाह, करण का दिल तो वाकई बहुत बड़ा है!"

संजय ने हँसते हुए कहा, "फिर तो मैं दो गिलास पियूँगा!"



सब एक-दूसरे की बातों पर हँसते-हँसते जूस का मजा लेने लगे और उस खूबसूरत माहौल में पूरी तरह खो गए।

राहुल ने कहा, "चलो अब, बहुत देर हो जाएगी शिमला पहुँचते-पहुँचते।"

फिर सब शिमला के हसीन सफर के लिए निकल पड़े।


हरियाणा के खेतों के बीच से निकलता हुआ रास्ता, जब रात का समय होता है, एक अलग ही ख़ूबसूरती को समेट लेता है। चाँद की रोशनी जब गहरे खेतों पर गिरती है, तो हर तरफ़ एक शांत और सुकून भरा माहौल बन जाता है।


मुख्य सड़क के किनारे छोटी-मोटी चाय की दुकानें या ट्रकों की हेडलाइट्स की रोशनी एक अलग ही रंग भर देती हैं। अगर रात साफ़ हो, तो आसमान तारों से भरा होता है, और लगता है जैसे पूरी दुनिया एक पल के लिए रुक गई हो।


यह रात की ख़ूबसूरती हरियाणा के आँगन की एक अनोखी तस्वीर है, जो हर इंसान के दिल में एक गहरा असर छोड़ती है।




अब रात होने वाली थी, घड़ी में 9 बजने को थे, और शिमला पहुंचने में अभी 4-5 घंटे बाकी थे। राहुल ने गाड़ी चलाते हुए कहा, "चलो, अब किसी अच्छे से रेस्टोरेंट पर खाना खाने चलते हैं। मुझे तो गाड़ी चलाते-चलाते जबरदस्त भूख लग रही है।"

संजय, जो पूरे सफर में रास्तों पर नजर रख रहा था, बोला, "रेस्टोरेंट नहीं, ढाबा। यहाँ हर जगह रेस्टोरेंट से ज्यादा ढाबे दिख रहे हैं। वैसे भी, यह हरियाणा है मेरे दोस्त, और यहाँ का 'खली का ढाबा' बहुत फेमस है। बार-बार हर जगह पोस्टर में वही नजर आ रहा है। चलो वहीं चलते हैं, असली देशी खाना मिलेगा।"

राहुल ने थोड़ा झुंझलाते हुए कहा, "अब कोई 'खली के ढाबे' पर नहीं चलना, जो पास में है वहीं चलते हैं, मुझे बहुत जोर की भूख लगी है।" करण ने हंसते हुए कहा, "अरे देखो दोस्तों, सामने एक ढाबा है, लाइट भी जल रही है।" 

राहुल ने बिना देर किए गाड़ी वहीं पार्क कर दी और सबको उतरने का इशारा करते हुए कहा, "चलिए, अब चलते हैं।" 

सभी दोस्त ढाबे की ओर बढ़े और एक टेबल पर बैठ गए। ढाबे का माहौल बहुत देसी और सुकूनदायक था। वहां की मिट्टी की सोंधी महक, खाने की खुशबू, और ठंडी हवा ने जैसे सभी की भूख को और बढ़ा दिया था। सबकी नजरें अब बस खाने पर टिकी थीं, और वो पल सभी के लिए बेहद खास और आरामदायक महसूस हो रहा था।
संजय ने मेन्यू उठाते हुए सभी को दिखाया और बोला, "यहां का खाना बहुत अच्छा लगता है, देखो, क्या-क्या मिलेगा।" रिया ने उत्साहित होकर कहा, "चलो, आज कुछ देसी खाना ट्राई करते हैं।" सोनिया ने तुरंत जोड़ा, "हाँ, और देखो, यहां लस्सी भी मिल रही है!"

करण ने वेटर को बुलाया और गिना एक, दो, तीन, चार, ऑर्डर देते हुए कहा, "भाई, हमें चार थाली दे दो, सब्जी, रोटी और साथ में लस्सी भी।" 

यह सुनकर राहुल ने हंसते हुए कहा, "क्यों चार थाली? करण, तुम नहीं खाओगे क्या?" 

करण को यह सुनकर याद आया, "अरे, सही कह रहे हो! मैने खुद को तो गिना ही नहीं। चलो, पाँच थाली कर दो!" 

वेटर ने मुस्कुराते हुए सिर हिलाया और कहा, "जी, साहब, पाँच थाली ही लाता हूँ," और तुरंत ऑर्डर लेकर चला गया। 

अब सब दोस्त खाने का इंतजार करते हुए आपस में हंसी-मजाक करने लगे, और ढाबे के देसी माहौल में पूरी तरह खो गए।
 सभी दोस्त आपस में बातें करने लगे। राहुल ने चारों ओर देखते हुए कहा, "यहां का माहौल कितना अच्छा है, न? दिल्ली की भाग-दौड़ से दूर, ये ठंडक और सुकून सच में कमाल का है।" 

रिया ने सहमति में सिर हिलाते हुए कहा, "बिल्कुल, और देखो ये ढाबा कितना प्यारा है, असली भारत की झलक मिल रही है यहाँ।"

कुछ ही देर बाद वेटर गरमागरम रोटियाँ, ताजगी भरी सब्जियाँ और ठंडी-ठंडी लस्सी लेकर आया। खाना देखकर सभी के मुंह में पानी आ गया। 

जैसे ही उन्होंने खाना शुरू किया, सबके चेहरे पर संतोष और खुशी की झलक साफ नजर आ रही थी। खाना सचमुच बेहद स्वादिष्ट था, और दोस्तों ने आपस में हंसते-मुस्कुराते हुए उस लम्हे का पूरा आनंद लिया।
संजय ने मजाकिया अंदाज में कहा, "सब यहीं खा लेना, अब सीधा 4-5 घंटे बाद गाड़ी रुकेगी, वो भी सीधे शिमला ग्रीन्स में।" सभी दोस्तों ने सहमति में सिर हिलाया और जमकर खाना खाने लगे। ढाबे के हर पकवान का लुत्फ उठाते हुए, उन्होंने एक-दूसरे के खाने की तारीफ भी की।

जब सबका पेट भर गया, तो वे कुछ देर वहीं बैठकर आराम करने लगे। माहौल में ठंडक और शांति थी, जो उन्हें शहर की हलचल से दूर महसूस करा रही थी। 

करण ने ढाबे की ओर निहारते हुए कहा, "यार, ये जगह कितनी शांत है। ऐसा लग रहा है जैसे हम किसी और दुनिया में आ गए हैं।"

सोनिया ने उसकी बात का समर्थन करते हुए कहा, "बिल्कुल, और ये सफर भी कितना मजेदार है। हमें और भी ऐसे ट्रिप्स प्लान करने चाहिए।"

सभी दोस्तों ने हंसी-खुशी में बातचीत जारी रखी, और हर पल को यादगार बनाने का आनंद लिया।
 राहुल ने घड़ी देखते हुए कहा, "हां, लेकिन अब हमें निकलना चाहिए, ताकि समय पर शिमला पहुंच सकें।" सभी ने सहमति जताई और धीरे-धीरे गाड़ी की तरफ बढ़ने लगे।

वहां से निकलते ही सब दोस्त जीप में बैठ गए। राहुल ने गाडी घुमाते हुए चेक किया और मुस्कुराते हुए कहा, "चलिए, सब बैठ गए हैं, कोई रह तो नहीं गया, ना?" 

तभी अचानक रिया ने चिंतित स्वर में कहा, "रुको, सोनिया कहीं दिख नहीं रही!"

सभी दोस्तों की नजरें एक-दूसरे पर टिक गईं, और राहुल ने तुरंत गाड़ी रोक दी।राहुल ने फौरन कहा, "संजय, जाकर देखो तो सोनिया कहां रह गई।" संजय तुरंत ढाबे की ओर दौड़ा और अंदर जाकर देखा। उसे सोनिया आराम से आती हुई दिखी। संजय ने राहत की सांस लेते हुए कहा, "तुम कहां रह गई थीं, सोनिया? तुम्हें पता है, हम निकल जाते अगर राहुल ने चेक न किया होता।"
सोनिया ने मुस्कुराते हुए कहा, "अरे, मैं वॉशरूम गई थी।" संजय ने झुंझलाते हुए कहा, "कम से कम किसी को बता तो देती, अचानक गायब हो गई थी।" सोनिया ने माफी मांगते हुए कहा, "सॉरी बाबा, भूल गई बताना।"
सोनिया जीप के पास पहुंची और सभी ने उसे देखते ही हंसते हुए कहा, "ये लो, आराम से आती हुई हमारी मैडम!" रिया ने पूछा, "ओ मैडम, आप कहां रह गई थीं?" सोनिया ने संजीदगी से जवाब दिया, "वॉशरूम गई थी।" रिया ने मजाक में कहा, "अभी वहीं बैठी रह जातीं ढाबे पर, हम तो कबके निकल जाते।" सोनिया ने हंसते हुए कहा, "सॉरी बाबा, अगली बार बताकर जाऊंगी कि रुको, मैं आती हूं।"

संजय ने कहा, "अब चलो, राहुल, सब आ गए हैं।"
राहुल ने गाड़ी स्टार्ट की और सभी ने फिर से अपने सफर की शुरुआत की। अब सबको बस शिमला पहुंचने का बेसब्री से इंतजार था। जीप की रफ्तार के साथ-साथ उनकी बातचीत भी तेज हो गई। रास्ते में पहाड़ों की खूबसूरती और ठंडी हवा ने माहौल को और भी मजेदार बना दिया था।
रास्ते में, राहुल ने म्यूजिक ऑन किया और सभी ने मिलकर अपने पसंदीदा गानों का आनंद लिया। कार में हंसी-मजाक और गाने का दौर चलता रहा। करण ने हंसते हुए कहा, "ये सफर तो सच में यादगार बनता जा रहा है।"
रिया ने बाहर की ओर इशारा करते हुए कहा, "देखो, वो पहाड़ कितने खूबसूरत लग रहे हैं।" सोनिया ने सहमति जताते हुए कहा, "हाँ, और ये ठंडी हवा कितनी सुकूनदायक है।" संजय ने मजाक करते हुए कहा, "मुझे तो दूर पहाड़ देख कर ही ठंड लगना शुरू हो गई है।" 

यह सुनते ही सभी दोस्तों ने हंसना शुरू कर दिया, और मजेदार माहौल में सफर का आनंद लेते हुए वे शिमला की ओर बढ़ते गए। ठंडी हवाओं और दूर-दूर तक फैले पहाड़ों की खूबसूरती ने सफर को और भी खास बना दिया था।


राहुल ने सभी की ओर देख कर कहा, "यार, ये सफर सच में खास है। मुझे तो ऐसा लग रहा है कि जैसे हम किसी दूसरी दुनिया में आ गए हैं।" सोनिया ने कहा, "हां, ये ट्रिप हमारी जिंदगी का सबसे यादगार ट्रिप बनने वाला है।"
जीप के चलते-चलते रात भी धीरे-धीरे गहराने लगी। पहाड़ों की सर्पीली सड़कों पर जीप की लाइट्स चमक रही थीं और उनके साथ-साथ सड़क पर गिरती चांदनी ने एक जादुई माहौल बना दिया था। सभी दोस्त एक दूसरे के साथ इस अद्भुत अनुभव को साझा करते हुए बहुत खुश थे।

अब रात के 12 बजने वाले थे, तब रिया ने कहा, "यार, कोई आइसक्रीम वाले की दुकान पर रुकना, मन आइसक्रीम खाने का हो रहा है।" करण ने कहा, "हाँ यार, हमने खाना तो खाया पर कुछ मीठा नहीं खाया। मीठे के बिना मज़ा नहीं आ रहा, कोई दुकान पर रोको, साइड में बैठकर आइसक्रीम खाते हैं।"
राहुल ने देखा कि कहीं आइसक्रीम की दुकान दिख नहीं रही थी। फिर थोड़ा आगे चलकर जहां लाइट जल रही थी, वहां एक आइसक्रीम की दुकान दिखी। करण ने कहा, "देखो, आइसक्रीम की दुकान दिख गई, रोको यहाँ साइड पर।" राहुल ने फिर साइड में गाड़ी रोकी। सबने अपनी-अपनी पसंद की आइसक्रीम ली और मस्त होकर गाड़ी में बैठकर खाने लगे। राहुल ने कहा, "वाह यार, मज़ा आ गया। ठंडी-ठंडी हवाओं के साथ ठंडी-ठंडी आइसक्रीम खाने का बहुत मज़ा है।"
करण ने राहुल से कहा, "ज्यादा मत खाना, वरना ये मज़ा नाक से निकलेगा।" सब हँसने लगे। फिर सब लोग आइसक्रीम खाकर निकले शिमला की ओर।
पहाड़ों के बीच ठंडी हवाओं का आनंद लेते हुए सभी दोस्त सफर कर रहे थे। रिया ने थोड़ी ऊबते हुए कहा, "यार, सफर बहुत लंबा है, मुझे तो बोरियत होने लगेगी।"

करण ने तुरंत कहा, "नहीं होगी, मैं तुम सबको एक कहानी सुनाता हूँ।" 

सभी दोस्तों ने उत्सुकता से करण की तरफ देखा। करण ने धीरे से शुरू किया, "ये कहानी है एक पुराने वीरान गाँव की, जहाँ रात में कोई भी बाहर नहीं निकलता था, क्योंकि वहाँ एक प्रेतनी का साया था..."

सभी दोस्त ध्यान से करण की कहानी सुनने लगे। करण ने कहानी को और डरावना बनाते हुए आगे कहा:

"बहुत साल पहले, एक गाँव था जो पहाड़ों के बीच बसा हुआ था। दिन में तो वो गाँव बिलकुल आम लगता था, लोग अपने काम-धंधे में व्यस्त रहते थे, पर रात होते ही वहाँ का माहौल बदल जाता था। गाँव के बुजुर्ग कहते थे कि एक औरत की आत्मा, जो इस गाँव की थी, वहाँ रात को भटकती थी। 

कहते हैं, वो औरत अपने पति से बेहद प्यार करती थी, लेकिन एक दिन उसके पति का अचानक देहांत हो गया। उस सदमे में वह औरत पागल हो गई और एक रात पहाड़ से कूदकर अपनी जान दे दी। उसकी आत्मा का चैन वहीं छिन गया और अब वो रातों को अपने पति को ढूंढते हुए गाँव की गलियों में भटकती रहती थी।

गाँव में हर किसी ने उसे देखा था, उसकी सफेद साड़ी हवा में लहराती रहती, उसके पैर उल्टे होते, और उसकी बड़ी-बड़ी लाल आंखें हर किसी की रूह कंपा देती थीं। सबसे खतरनाक बात ये थी कि अगर उसने किसी को एक बार देख लिया, तो वो इंसान अगली सुबह तक जिंदा नहीं बचता था। उसकी चीखें सुनकर इंसान का खून जम जाता था। 

एक दिन, गाँव के तीन नौजवान दोस्तों ने सोचा कि ये सब झूठ है, और उन्होंने रात को उस आत्मा को देखने की ठानी। वे रात को गाँव के पुराने पेड़ के पास बैठ गए, जहां कहते थे कि वो प्रेतनी अक्सर दिखाई देती है। आधी रात का वक्त हुआ, सन्नाटा छाया हुआ था। तभी अचानक ठंडी हवाएं चलने लगीं, पेड़ की पत्तियां तेज़ी से हिलने लगीं, और तीनों दोस्तों ने देखा कि दूर से एक सफेद साड़ी वाली आकृति उनकी तरफ बढ़ रही थी। 

वो तीनों डर से काँपने लगे, लेकिन हिम्मत करके वहीं खड़े रहे। जैसे ही वो आकृति पास आई, उसकी आंखें लाल ज्वाला की तरह चमक रही थीं और उसके उल्टे पैर ज़मीन पर धीरे-धीरे खिसक रहे थे। 

उसने जैसे ही तीनों को देखा, एक भयानक चीख निकली। तीनों डर के मारे चिल्लाते हुए भागे, लेकिन अगली सुबह गाँव वालों को तीनों के शव उसी पेड़ के नीचे पड़े मिले। उनकी आँखें खुली थीं, लेकिन उनमें कोई रोशनी नहीं थी। उनके चेहरे पर वही भयानक चीख की छाप थी, जो उन्होंने सुनी थी।"

करण ने जब कहानी खत्म की, तो चारों दोस्त साँस रोके बैठे थे। जीप की खामोशी में बस हवा का शोर सुनाई दे रहा था। रिया ने हल्की आवाज़ में कहा, "करण, ये बहुत डरावनी थी, अब मैं सोने वाली नहीं हूँ।" 

सभी ने डर और उत्सुकता के मिश्रण में करण की ओर देखा, 
 राहुल ने कहा, "वाह! क्या कहानी सुनाई है! अगर थोड़ी देर और तेरी कहानी चलती, तो मैं इस चलती गाड़ी से कूद जाता।"

रिया ने कहा, "इससे तो अच्छा था कि मैं बोर ही हो जाती। ये तुम्हारी कहानी सुनकर अब पहाड़ों से डर लगने लगा है।"

करण ने कहा, "क्या यार! मेरी खुद की लिखी हुई कहानी है।"

सोनिया ने कहा, "अच्छी है।"

करण खुशी से बोला, "चलो, किसी को तो मेरी कहानी पसंद आई।"

सोनिया ने कहा, "बस, दोबारा मत सुनाना।"
संजय ने करन के कंधे पर हाथ रखकर पूछा, "मुझ पर एक अहसान करेगा?"

करन ने पूछा, "क्या?"

संजय ने कहा, "आज सुनाई तो सुनाई, फिर ऐसी कहानी कभी किसी को मत सुनाना।"



करण ने कहा, "हां हां, ठीक है, तुम लोगों को कलाकार की कोई कदर नहीं है। एक दिन मेरी कहानी किताबों में छपेगी।"

राहुल ने कहा, "ज़रूर छपेगी, दोस्त, लेकिन पढ़ेगा कोई नहीं।"

सभी हंसने लगे।
करण ने कहा, "चुप! तू गाड़ी चला।"

संजय ने शायरी सुनाते हुए कहा,

"अर्ज़ किया है, करण की कहानी किताबों में लिखी जाएगी।"

राहुल ने कहा, "वाह वाह वाह!"

संजय ने कहा, "ग़ौर फ़रमाइए।"

सोनिया ने कहा, "इर्शाद इर्शाद।"

संजय ने शेर पूरा किया,

"करण की कहानी किताबों में लिखी जाएगी,
पढ़ने वाला कोई न होगा, कचरे में देखी जाएगी।"

ये सुनकर सबकी हंसी छूट गई।

करण ने कहा, "बंद कर अपनी ये बकवास शायरी, वरना गाड़ी से फेंक दूंगा।"

संजय ने हंसते हुए कहा, "अरे, मैं तो बस माहौल को हल्का कर रहा था।"

करण ने जवाब दिया, "मैं तुझे हल्का कर दूंगा!"

सोनिया ने कहा, "बस भी करो, अब लड़ो मत। वो देखो, कितने खूबसूरत पहाड़ हैं।"

सब फिर से उन खूबसूरत पहाड़ों में खो गए।


और इस तरह, हंसी-मज़ाक और एक-दूसरे को चिढ़ाते हुए ये पांचों दोस्त सफर में आगे बढ़ते जा रहे थे।


रास्ते में राहुल रास्ते को लेकर थोड़ा कंफ्यूज हो गया। वहाँ एक बूढ़ा आदमी बैठा हुआ था, रोड की साइड में। राहुल ने रोककर पूछा, "दादा, शिमला जाने का रास्ता कहाँ से जाता है?" दादा थोड़ा डरावना लग रहा था। 
दादा ने अपनी जेब से माचिस निकाली, बीड़ी जलाई और कश लेते हुए कहा...
"मैं तुम्हें एक शॉर्टकट रास्ता बताता हूँ। तुम लोग जल्दी पहुँच जाओगे।"
राहुल ने कहा, "हाँ, बताइए।" उस बूढ़े आदमी ने कहा, "आगे जाकर दाएं हाथ पर मुड़ना। वहाँ से फिर सीधा रास्ता है। पर याद रखना, वो रास्ता तुम्हें पहुँचाएगा जल्दी, पर वो रास्ता खतरनाक है। उस रास्ते की एक शर्त है।" 
राहुल ने पूछा, "कौन सी शर्त?" दादा ने कहा, "तुमको पीछे मुड़कर नहीं देखना। उस रास्ते से बहुत कम लोग जाते हैं। कोई पीछे मुड़कर नहीं देखता।" 
राहुल ने पूछा, "ऐसा क्यों दादा? पीछे मुड़कर देखने से क्या हो जाएगा?"

दादा हँसते हुए बोले, "भूत आ जाएगा! हाहाहा!"


राहुल ने कहा, "ओके दादा, थैंक यू।"
राहुल ने गाड़ी आगे बढ़ाई और कहा, "कुछ भी बोल रहा है बूढ़ा, पीछे मुड़कर मत देखना।" करण ने मजाक उड़ाया, "पीछे मुड़कर मत देखना, वरना भूत आ जाएगा।" सब हंसने लगे, पर रिया को डर लग रहा था। "यार, मजाक मत उड़ाओ। क्या पता वो सच बोल रहा हो। और मैं तो कहती हूँ, शॉर्टकट नहीं लेना चाहिए। थोड़ी लंबे रास्ते से चलते हैं, यार, सेफ रहेंगे।"
राहुल ने कहा, "तुम भी कहां उस बूढ़े की बात में आती हो। लगता है, बुढ़ापे की वजह से खिसक गई है उसकी। कुछ भी बोल रहा था।" 
करण ने कहा, "बुढ़ापे की वजह से नहीं, बीड़ी पीने से दिमाग में धुआं भर गया होगा उनके, तभी ऐसी बातें कर रहे थे।"
संजय ने कहा, "रिया, पीछे मत देखना। तुम्हारे पीछे कोई है।" रिया चिल्लाई, "आआआ..." संजय ने कहा, "अरे, पेड़ था तुम्हारे पीछे और कुछ नहीं।" सोनिया ने कहा, "बस भी करो यार, डराओ मत रिया को।" रिया ने कहा, "अब ऐसा मजाक किया ना, तो मैं कभी नहीं आऊंगी तुम लोगों के साथ।"
संजय ने कहा, "सॉरी बाबा, शांत।" राहुल ने वो दाएं हाथ वाला रोड ले लिया। थोड़ा ही आगे जाकर पुलिस वाले खड़े थे वो रोड पर। 
उन्होंने गाड़ी रुकवाई। अंधेरा था उस रोड पर। उसमें से एक पुलिस वाला टॉर्च लेकर आया और उसने पूछा, "कहाँ जा रहे हो इस रोड पर इतनी रात को? राहुल ने कहा शिमला, पुलिस वाले ने कहा, "दूसरा रोड ले लो, ये खतरनाक है। इमरजेंसी हो तो ही हम जाने देते हैं।"
राहुल ने कहा, "शिमला में मेरी दादी रहती है, बीमार है। हमें इमरजेंसी है, जल्दी पहुँचना है।" 
पुलिस वाले ने हाथ उठाकर रुकने का इशारा किया और गंभीर स्वर में कहा, "रुको, पहले हमारे बड़े साहब से परमिशन लेनी पड़ेगी। बिना उनके इजाजत के तुम लोग यहाँ से नहीं जा सकते।" फिर वह अपने बड़े साहब को बुलाने चला गया। कुछ ही देर बाद, बड़े साहब टॉर्च लेकर आए और उनकी निगाहें राहुल और उसके दोस्तों पर टिकी रहीं। उन्होंने पूछा, "बहुत इमरजेंसी है क्या, बच्चों?"

राहुल ने चिंता भरी आवाज़ में कहा, "हाँ, दादी बहुत बीमार हैं, हमें तुरंत पहुँचना है।"

बड़े साहब ने टॉर्च की रोशनी को थोड़ा नीचे करते हुए गंभीरता से कहा, "रात को ये रोड बहुत खतरनाक है। यहाँ से गुजरना आसान नहीं है, खासकर इस वक्त। अगर बीच रास्ते में कोई आवाज़ सुनाई दे, चाहे कितनी भी अजीब लगे, या कोई चीज़ सामने आ जाए, तो भी गाड़ी मत रोकना।"

राहुल और उसके साथी चौंक गए। पुलिस वाले ने आगे कहा, "ये रोड हॉन्टेड माना जाता है। और हाँ, सबसे ज़रूरी बात—पीछे मुड़कर बिल्कुल मत देखना। चाहे कोई कितनी भी ज़ोर से बुलाए या कोई भी आवाज़ सुनाई दे, तुम्हें ध्यान नहीं देना। और गाड़ी तो किसी भी हालत में मत रोकना।"

उनकी आवाज़ में गंभीरता और डर साफ झलक रहा था। "याद रखना, इस रास्ते पर तुम लोग खुद जिम्मेदार हो। पुलिस यहाँ रात में नहीं आएगी। हमें खुद रात के वक्त वहां जाने की इजाजत नहीं है।"

राहुल ने उसकी बात पर ध्यान देते हुए कहा, "ठीक है, हमे मंजूर है थैंक यू अंकल।" पुलिस वाले ने समझाते हुए कहा, "संभलकर जाना।" सबने उन्हें बाय कहा। पुलिस वाले ने बड़े ही अदब से और अच्छे तरीके से बात की थी।
जब वे पुलिस से विदा लेकर वापस गाड़ी में बैठे, तो सोनिया ने राहुल से सवाल किया, "यार, तुमने झूठ क्यों बोला? इतनी क्या तुम्हें जल्दी है शिमला पहुँचने की?" राहुल ने हँसते हुए कहा, "यार, कौन इतना लंबा रास्ता ले जाए। जितना जल्दी पहुँचेंगे, अच्छा होगा ना।"
रिया ने चिंता भरे स्वर में कहा, "यार, राहुल, तुम्हें वो बूढ़ा भी सनकी लग रहा था। अब तो पुलिस वाले ने भी कहा। ये सब सनकी हैं क्या?" करण ने उसे सांत्वना देते हुए कहा, "कुछ नहीं होगा, रिया। ये तो लोग खाली डरा रहे हैं। शायद अंधेरा है, पहाड़ी रास्ता है, एक्सीडेंट न हो जाए, इसलिए