Mahaparinirvana is the path to salvation - Ayodhya's priest Satyendra Ji Maharaj in Hindi Biography by नंदलाल मणि त्रिपाठी books and stories PDF | मोक्ष मार्ग को महापरिनिर्वाण - अयोध्या के पुजारी सत्येंद्र जी महाराज

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मोक्ष मार्ग को महापरिनिर्वाण - अयोध्या के पुजारी सत्येंद्र जी महाराज

मोक्ष का महाप्रयाण-सत्येन्द्र दास जी महाराज---संसार उन्ही को जानता समझता और  स्मरण करता है जिन्हें समग्रता के साथ वैश्विक स्तर पर पहचान प्रतिष्ठा प्राप्त होती है ।जबकि बहुत से लोग ऐसे होते है  संसार मे  जिनका जन्म जीवन सम्पूर्णता के साथ भले ही न जाना जाय न पहचाना जाय फिर भी उनके जीवन पथ द्वारा समाज समय मे किये गए कार्य उपलब्धियों को कहीं से कम करके नही आंका जा सकता। ऐसे बहुत से व्यक्तित्व है जिन्होंने अपने जीवन मूल्यों संघर्षों से समाज समय को नई पहचान प्रतिष्ठा  प्रदान करते हुए नए आयाम अध्याय का सृजन करते हुए नई अवधारणा नैतिकता मर्यादाओं के मूल्यवान थाती से समय समाज को गौरवांवित करते हुए आने वाली पीढ़ी को प्रेरणा दिशा दृष्टिकोण प्रदान करते है।ऐसे व्यक्तित्व प्रत्येक राष्ट्र में सीमित या यूं कहें कि क्षेत्रीय स्तर पर जाने पहचाने जाते है लेकिन उनके जीवन मूल्य उपलब्धिया सम्पूर्ण संसार के लिए धरोहर एव गरिमा गौरवपूर्ण होती है।बहुत से व्यक्ति हैं जिन्होंने भारत कि संस्कृति समाज मे अति महत्वपूर्ण योगदान दिया है।उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में जन्मे और सम्पूर्ण जीवन को मानवता  एव राष्ट्र समाज के विकास कल्याण के लिए समर्पित रहते हुए  नव मूल्यों का सृजन करते हुए अपने जन्म जीवन के महत्व को समय समाज के समक्ष प्रस्तुत किया एव समय समाज राष्ट्र ने उसे बड़े अभिमान से अपनी महिमा के महत्व का कालजयी अध्याय के रूप में प्रस्तुत किया जिनको भुला पाना राष्ट्र समय समाज के लिए कदाचित सम्भव नही है  ।ऐसे मैं देवरहवा बाबा महत्वपूर्ण सन्त है जिन्होंने संत एव ब्रह्मचर्य तथा भक्ति के त्रिगुणात्मक समन्वय को स्वंय के जीवन पथ प्रकाश से प्रवाहित किया प्रस्तुत किया जो सनातन सन्त परंपरा एव समाज के लिए अनुकरणीय है तोमहाराष्ट्र के बाबाराघव दास ऐसे व्यक्ति जिन्होंने बचपन मे प्लेग की बीमारी में सम्पूर्ण परिवार को गंवाने के बाद उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में शिक्षा कि का प्रकाश फैलाया तो मदन मोहन मालवीय एव बाबा राघव दास जी से प्रभावित पण्डित केशव चन्द्र मिश्र जी ने अपने सम्पूर्ण जीवन मे मालवीय और राघवदास जी कि परम्पराओं को ही आत्मसाथ कर लिया और पूर्वांचल के मालवीय के रूप में प्रतिष्ठित है।ऐसे बहुत से नाम है जिन्हें सम्पूर्णता के साथ यहां संदर्भित कर पाना सम्भव तो है ही नही कदापि असम्भव है मैं ऐसी सभी विभूतियों का नमन वंदन वर्तमान के पथ प्रकाश के रूप में अनुकरणीय एव उनकी प्रसंगीगता कि प्रमाणिकता को व्यवहारिक मूल्यवान एव राष्ट्र समय समाज का अभिमान मानते हुए दो महत्वपूर्ण व्यक्तियों को उध्दृत करना चाहूंगा जिसमे प्रथम है  12 फरवरी -25 को  भौतिक काया का त्याग कर मोक्ष मार्ग पथिक अयोध्या राम मंदिर के पूजारी सत्येंद्र दास जी सत्येंद्र दास जी अयोध्या में भगवान राम मंदिर के जीवन पर्यंत पुजारी रहे सनातन धर्म मे ऐसी मान्यता है कि यदि कोई व्यक्ति चिकित्सा के दौरान अस्पताल में पीड़ा के दौरान देह त्याग करता है तो उसे ना तो मोक्ष प्राप्त होता है ना ही गोलोक उंसे पुनः कर्मानुसार काया धारण करनी पड़ती है ।सनातन के वैज्ञानिक अवधारणाओं के आधुनिक मतावलंबियों का मत है कि चिकित्सा पीड़ा के दौरान देह त्याग करना यह दर्शाता है कि देह त्यागने वाले से जो भी जाने अनजाने पाप हुए है उनका प्राश्चित पूर्ण इसी जन्म और काया से पूर्ण हो जाता है और आत्मा को नव काया इच्छकानुसार प्राप्त हो जाती है सम्भव है उक्त दोनों बातें धार्मिक आस्था एव विश्वास कि धुरी पर टिकी हो लेकिन जन्म एव मृत्यु का कारक कारण समय परिस्थिति वातावरण स्प्ष्ट अवश्य करता है कि आने वाले जीवन या जाने वाले जीवन की वास्तविकता ऊंचाई अतित या भविष्य क्या होगा या है।सत्येंद्र दास जी ने भगवान राम कि सेवा में सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया बहुत दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे अंततः जब उन्होंने भौतिक काया का त्याग किया तब --सूर्य उत्तरायण हो चुके थे सनातन मान्यता के अनुसार उत्तरायण में भौतिक काया का त्याग मोक्ष सूचक है ।एक सौ चौलालिस वर्षों बाद महाकुंभ के माघी पुर्णिमा का शुभ पवन अवसर ।ऋतुराज वसंत का बैभव ऐसे संकेत है कि सत्येंद्र दास जी द्वारा जीवनपर्यंत भगवान राम की सेवा के पारितोष के रूप में उन्हें भौतिक काया त्याग के लिए मर्यादापुरुषोत्तम ने उन्हें अवसर प्रदान किया जिससे कि उन्हें मोक्ष का मार्ग प्राप्त हो सके जो सामान्य व्यक्तियों के लिए दुर्लभ एव असम्भव ही है।।सत्येंद्र दास जी का जन्म आयोध्या राम जन्म भूमि से मात्र 89 किलोमीटर बस्ती जनपद में हुआ बीस मई उन्नीस सौ पैंतालीस को हुआ जन्म से ही सतेंद्र दास जी मे कुछ विशिष्टताए थी जो उनकी विशिष्ट पहचान कि उनके अंतर्मन का प्रतिबिंब था ।1- बचपन से भक्ति भाव का अंकुरण2- पिता अभिराम दास के आश्रम आया जाया करते थे  जिसके कारण सत्येंद्र दास जी के अंतर्मन में प्रस्फुटित भक्ति अंकुरण को प्रेरणा की ऊर्जा पिता द्वारा अभिराम दास जी के कृपा प्रसाद से प्राप्त हुआ।3-  सत्येंद्र दास जी ने संस्कृति से आचार्य किया तदुपरांत अध्यापन कार्य किया।।4-राम जन्म मुक्ति यज्ञ के आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिकाओं का निर्वहन किया5-छः दिसम्बर -1992 को जब विवादित ढांचे के विध्वंस में जन समुदाय एकत्र था तब भगवान राम कि मूर्ति को सुरक्षित स्थान पर सत्येंद्र दास जी ने ही पहुंचाया था।6-सत्येंद्र दास मात्र सौ रुपए से भगवान की सेवा का शुभारंभ किया।7-सत्येंद्र दास जी ने हनुमान जी कि सेवा किया और भगवान राम के भक्ति सागर में जीवन पर्यन्त डुबकी लगाते रहे।।8- वर्ष 1975 में संस्कृत से आचार्य करने के बाद 1976 में अयोध्या संस्कृत विद्यालय में शिक्षक की नौकरी मिल गयी।9-उन्नीस सौ वानवे में सत्येंद्र दास जी को राम मंदिर का रिसीवर पुजारी नियुक्त किया गया।जीवन पर्यंत भगवान राम कि चरण शरण मे रहने वाले सत्येंद्र दास जी महाराज विद्वान एव विनम्र ऐसे व्यक्ति थे जिनके द्वारा सनातन के सत्य अनंत के सत्यार्थ को अपने आचरण एव व्यवहाहारिकता से समय समाज मे प्रवाहित करते हुए आदर्श के रूप।में प्रस्तुत किया और समय समाज के चिंतन को इसके प्रति आकर्षित करते हुए सकारतात्मक सार्थक संकेत दिया कहने को तो आदरणीया सत्येंद्र दास जी  अयोध्या राम मंदिर के पुजारी थे लेकिन यदि सत्येंद्र दास जी के जीवनएव उनके मूल्यों को ध्यान से देखा जाय तो ज्ञान भक्ति समाज राष्ट्र कि परम्परगत परम्पराओ में उन्होंने अनेको परिवर्तनकारी नैतिकता से  पूर्ण मर्यादित जीवन सिंद्धान्तों एव आदर्शों को प्रस्तुत किया जो निश्चित रूप से जन्म जीवन एव उसके ईश्वरीय सत्यार्थ कि प्रमाणिकता के शौम्य पराक्रम भक्ति ज्ञान के उत्सर्ग  उत्कर्ष है ।निश्चित रूप से ऐसे विलक्षण व्यक्ति व्यक्तित्वों को परमात्मा तो अपने चरणों मे स्थान देगा ही और स्वंय के मोक्ष सत्यार्थ के प्रकाश से समय समाज को चमत्कृत करेगा साथ ही साथ वर्तमान एव भविष्य सत्येंद्र दास जी के जीवन मूल्यों आदर्शों से प्रेरणा लेते हुए भगवान राम कि मर्यादा एव आदर्श के रामराज्य कि अवधारणा आवरण से स्वंय को आकच्छादित करने का प्राण पण से प्रयास करेगा।।नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश।।