मैंने अक्सर लोगों को यह कहते हुए सुना है कि हम तो इतने अच्छे हैं,फिर लोग हमारे साथ बुरे क्यों होते हैं ? या हमने तो कभी किसी का बुरा नहीं किया फिर भी हमारे ही साथ बुरा क्यों होता है ? असल में बुरा कोई नहीं होता ना ही कोई हमारे साथ बुरा करता है यदि किसी व्यक्ति को आपसे ईर्ष्या है तो वह इसलिए कि उसे वो चीज नहीं मिली जो आपके पास है तो वह बुरा नहीं दु:खी है जिसके कारण वह अनचाहा बोल देता है या अनचाहा कर देता है परंतु यदि आप अच्छे हैं तो बने रहिए और इसके पीछे का कारण समझिए कि यह ऐसा क्यों कर रहा है ? यदि आज तक आपने सबका साथ दिया है परंतु समय आने पर लोग आपका साथ नहीं दे रहे हैं तो एक बात याद रखिए जो मैंने कहीं पढ़ी थी कि मोमबत्ती की आवश्यकता तभी पड़ती है जब अंधेरा हो जाए, तो अपने आप को उसी मोमबत्ती की तरह रखिए और दूसरों की जिंदगी में खुशियांँ बरसाइए क्योंकि ब्रह्मांड का नियम है जैसा दोगे वैसा मिलेगा और यह सत्य भी है फिर क्यों हम यह सोचने पर मजबूर हो जाते हैं जैसे के साथ तैसा होना चाहिए अगर कोई आपका बुरा भी करता है तो भी यदि आपके अच्छे कार्यों की सूची अधिक है तो आपका बुरा हो ही नहीं सकता।
इसी विषय में कुछ बातें और ध्यान में रखें :-
1. अति साझा न करें:- यदि आपके जीवन में कोई अनचाही घटनाएंँ हो रही हैं तो किसी से साझा ना करें क्योंकि लोग उपाय कम और मज़ाक अधिक बनाएंँगे। क्योंकि यह जरूरी नहीं कि आप जिसे अपना हितैषी मान बैठें है वो सच में आपका भला ही सोचता हो।
2. अति सुझाव ना लें :- यदि आप अपनी छोटी-छोटी परेशानियों को भी किसी को बताकर उनसे सुझाव ले रहे हैं तो बंद कर दें क्योंकि कोई कितने भी सुझाव दे मगर हम करते वही हैं जो हमें सही लगता है तो जब तक आवश्यकता ना हो तब तक दूसरों से सुझाव लेने के बजाय स्वयं ही विचार करें।
3. नकारात्मकता ना फैलाएंँ :- यदि आपके साथ कोई नकारात्मक चीज हो रही है तो बार-बार सामने वाले को बता कर उसके जीवन में भी नकारात्मकता ना फैलाएंँ बल्कि स्वयं भी उसने नकारात्मकता को जितना हो सके नजरअंदाज कर सकारात्मक बने।
4. एटीट्यूड नहीं ग्रेटीट्यूड रखें :- यदि आप अच्छे हैं तो इस बात का घमंड करने की बजाय कृतज्ञता रखें कि आपके अंदर यह गुण मौजूद है जिससे आप किसी का बुरा करने के बारे में सोच भी नहीं सकते।
5. दिमाग नहीं दिल की सुनें :- जब हमारे साथ कोई व्यक्ति कुछ गलत करता है तो दिमाग कहता है कि हम भी उसके साथ वैसा ही करें परंतु दिल कहता है कि हम तो अच्छे हैं हम कैसे किसी का बुरा कर सकते हैं, तो ऐसी स्थिति में दिल की सुने।
घृणा करने वालों से भी इतना प्रेम करें कि उन्हें उनकी घृणा से भी घृणा हो जाए।
नाम - तृप्ति जैन
स्थान - चौथ का बरवाड़ा, सवाईमाधोपुर
राज्य - राजस्थान