p A ka rutba in Hindi Comedy stories by Yashvant Kothari books and stories PDF | पी ए का रुतबा

Featured Books
  • જીવન પથ - ભાગ 33

    જીવન પથ-રાકેશ ઠક્કરભાગ-૩૩        ‘જીતવાથી તમે સારી વ્યક્તિ ન...

  • MH 370 - 19

    19. કો પાયલોટની કાયમી ઉડાનહવે રાત પડી ચૂકી હતી. તેઓ ચાંદની ર...

  • સ્નેહ સંબંધ - 6

    આગળ ના ભાગ માં આપણે જોયુ કે...સાગર અને  વિરેન બંન્ને શ્રેયા,...

  • હું અને મારા અહસાસ - 129

    ઝાકળ મેં જીવનના વૃક્ષને આશાના ઝાકળથી શણગાર્યું છે. મેં મારા...

  • મારી કવિતા ની સફર - 3

    મારી કવિતા ની સફર 1. અમદાવાદ પ્લેન દુર્ઘટનામાં મૃત આત્માઓ મા...

Categories
Share

पी ए का रुतबा

व्यंग्य

 पीए का रुतबा

यशवंत कोठारी

वे एक सरकारी दफ्तर में मामूली मुलाजिम थे.कुछ  महत्वाकांक्षा ने जोर मारा कुछ किस्मत ने और वे एक राजनेतिक पार्टी के नेता के निजी सहायक ,चमचे ,या आप कहें मुहं लगे अवैतनिक सचिव हो गए .सरकार बदली  उनके आका  की सरकार सत्ता में आ गई , आका प्रदेश के मंत्री ,बस फिर क्या था वे अपने आका के  सचिव  लेकिन यहीं  उनका काम केवल आका के घर के काम का जिम्मा यो कहिये कि ओ एस डी आवास  याने घर पर टिंडे,  भिन्डी,  आलू ,प्याज़ लाने का काम मिला , साफ सफाई देखना .बाहर की दुनिया  में बड़ा रुतबा लेकिन साहब के घर में कामवाली बाई से भी कम पूछ .अक्सर मेम साब इस बात से डाट लगाती की तुम अच्छी भिन्डी या ताज़े फल नहीं खरीद सकते ,पता नहीं सरकार कैसे चलाते हों ?

वो बेचारे क्या बोलते .

दफ्तर में भी बड़ी गहरी राजनीति थी ,कई अफसर. हर अफसर अपने फन में माहिर , फिर जो अफसर सरकारी सेवा के थे वे इन राजनितिक रूप से आये लोगों को पसंद नहीं करते ,उनके हर काम में रोड़ा अटकाते ,कभी कभी तो मिनरल वाटर की बोतल के लिए भी  हाय तोबा मच जाती .एक अन्य अफसर के पास केवल इतना काम था की कोई मर जाये तो शोक –सन्देश  भिजवाना .लेकिन इस में वे इतने माहिर कि टंकित पत्र के आने में थोड़ी देर हो जाने पर आसमान सर पर उठा  लेते,वैसे बाहर की दुनिया इस मंत्री के चमचेनुमा अफसरों की बड़ी मोज थी किसी को भी धमका देते ,जिलाधिकारी को अपना नौकर  समझते,एक अन्य ओएसडी जो साहित्य ,कला संस्कृति का काम देखते थे वे बड़े शौक़ीन मिजाज़ के आदमी थे हर डाक बंगलों पर अपने निशाँ छोड़ते थे ,अपनी सरकार थी कोई खतरा नहीं था .सूरा सुंदरी और कबाब बस . किसी को नाटक, किसी को डांस ,किसी को प्रोग्राम बस .

 मिनिस्टर साहब अपनी कुर्सी बचाने में व्यस्त रहते ,मातहत अपने अपने काम के नाम पर तफरीह करते .कहा भी है –पीए ही पुजवाता है और पीए ही पिटवाता है .

साहब का फोटो –समाचार छपवाने के लिए एक पूरी टीम लगी हुई थी एक  चेनल के लिए तो एक कुलपति की सेवाएँ निर्धारित थी .घरेलू सचिव सब काम सँभालते या सँभालने का नाटक करते मगर तभी दुर्घटना घटी क्योकि सावधानी हट चुकी थी .

मीडिया में एक वीडियो वायरल हो गया और साहब की सरकार खतरे में आ गयी .जैसा की होता है जहाज के डूबने पर चूहे सब से पहले भागते है एक सचिव ने पाला बदल लिया .एक अन्य छुटभैया  नेता ने आग में घी डाला ,सरकार डोलने लगी .क्रिकेट संस्था पर काबिज़ नेता ने सब गुड गोबर कर दिया .एक दूसरे  ओएसडी ने एक सीडी बाज़ार में फेंक दी ,सरकार बच  गयी .

जो महानुभाव मंत्री का घर सँभालते थे ,उन्होंने अपनी जमीन भी पक्की कर ली .मंत्री की माताजी को चारधाम व कुम्भ स्नान  करा दिया खुद भी वैतरणी पार  हो गए .

मगर एक दिन गज़ब हो गया  साहब के आइएएस सचिव ने  औचक निरिक्षण किया तो भौचक रह गए,सब अस्त व्यस्त था  .उन्होंने  सब को लताड़ लगाई .लेकिन किसी के कानों पर भी जू नहीं रेंगी .

  अचानक एक दिन साहबको लेखक बनने का दौरा पड़ा ,उन्होंने अपने पीए से कहा हमारा नाम से  लेख लिखो और हमारे फोटो के साथ बड़े अख़बार में सम्पादकीय पेज पर छपवाओ .

-सर ,विषय क्या रखे?

-विषय तुम्हारी पसंद का फोटो हमारा.

जी !हजूर .

और सुनो कई भाषाओं  में छपना चाहिए .

पूरी टीम लग गयी लेकिन पीए ने बदमाशी की ,कुछ वाक्य सरकार की योज़ना के  खिलाफ लिख दिए .हाई कमांड ने साहब को निकाल बाहर किया.सच ही कहा है पीए ही पुजवाता है और पीए ही पिटवाता है .

*************************

यशवन्त कोठारी ,701, SB-5 ,भवानी सिंह  रोड ,बापू नगर ,जयपुर -302015  मो.-94144612 07