The Mystery of Brihannala in Hindi Short Stories by Narayan Menariya books and stories PDF | बृहन्नला का रहस्य

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बृहन्नला का रहस्य

धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र में महाभारत के युद्ध की रणभेरी बज चुकी थी। पांडवों और कौरवों के बीच युद्ध का आरंभ हो चुका था, और प्रत्येक दिन इस महान युद्ध में नए अध्याय जोड़े जा रहे थे। यहीं पर एक अनोखी और रहस्यमयी कहानी भी आरंभ होती है – अर्जुन के बृहन्नला रूप की।

जब पांडवों को वनवास के दौरान अपने अंतिम वर्ष में अज्ञातवास बिताने का आदेश मिला, तो उनके सामने एक नई चुनौती आ गई। उन्हें कहीं छुपकर एक वर्ष बिताना था, ताकि कोई उन्हें पहचान न सके और उनका अज्ञातवास सफल हो सके। पांडवों ने विचार किया कि वे किस प्रकार इस अज्ञातवास को सफलतापूर्वक पूरा कर सकते हैं। इस कठिन परिस्थिति में, अर्जुन ने एक अनोखा और रहस्यमयी मार्ग अपनाया।

अर्जुन ने अपनी पहचान छुपाने के लिए बृहन्नला नामक किन्नर का रूप धारण किया। उन्होंने अपने बालों को खोलकर, महिला के वस्त्र पहनकर, और नाच-गाने की कला में निपुण होकर राजा विराट के दरबार में जाने का निर्णय लिया। यह एक कठिन और अनूठा निर्णय था, लेकिन अर्जुन ने अपनी बुद्धिमानी और साहस से इसे सफलतापूर्वक अंजाम दिया।

राजा विराट के दरबार में बृहन्नला ने एक नर्तक और संगीतकार के रूप में प्रवेश किया। वे उत्तरा, राजा विराट की पुत्री, को नृत्य और संगीत की शिक्षा देने लगे। बृहन्नला की कला और निपुणता ने सभी को मोहित कर लिया, लेकिन किसी को भी यह अंदाजा नहीं था कि वे वास्तव में महान धनुर्धर अर्जुन हैं। इस प्रकार अर्जुन ने अपनी पहचान छुपाकर अज्ञातवास की शुरुआत की।

अर्जुन के लिए विराट नगर में जीवन एक नई और चुनौतीपूर्ण यात्रा थी। उन्होंने अपनी पहचान को छुपाते हुए अपनी कला का प्रदर्शन किया और सभी को अपने नृत्य और संगीत से प्रभावित किया। उत्तरा के साथ उनका एक विशेष रिश्ता बन गया, जहां वे उन्हें नृत्य और संगीत की शिक्षा देते थे। उनके प्रत्येक दिन की शुरुआत नृत्य और संगीत के अभ्यास से होती थी और उत्तरा की निपुणता दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही थी।

अर्जुन ने अपनी पहचान को छुपाने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए। उन्होंने अपने वेशभूषा और हावभाव में बदलाव किया, ताकि कोई भी उन्हें पहचान न सके। वे अपने धैर्य और समर्पण से इस कठिनाई को पार कर रहे थे। इस दौरान, पांडवों ने भी अपनी-अपनी नई पहचान धारण की और विराट नगर में विभिन्न भूमिकाएं निभाई।

एक दिन, जब वे उत्तरा को नृत्य सिखा रहे थे, तो उन्होंने देखा कि उत्तरा की आँखों में अद्भुत चमक है। वह न केवल नृत्य की कला में निपुण हो रही थी, बल्कि उनके साथ एक गहरा संबंध भी बना रही थी। उत्तरा ने बृहन्नला को अपनी गुरु के रूप में मान लिया था और उनसे बहुत कुछ सीख रही थी।

लेकिन जीवन की यह शांति अधिक समय तक नहीं टिक सकी। विराट नगर में सब कुछ शांतिपूर्ण चल रहा था, लेकिन कौरवों ने इस स्थिति का फायदा उठाने की योजना बनाई। उन्होंने विराट नगर पर आक्रमण करने का निर्णय लिया, ताकि वे पांडवों को ढूंढ़ सकें और उन्हें पराजित कर सकें। जब राजा विराट और उनके पुत्र युद्ध में व्यस्त थे, तब विराट नगर की रक्षा का भार बृहन्नला पर आ गया।

उत्तरा ने बृहन्नला से आग्रह किया कि वे उन्हें धनुर्विद्या सिखाएं ताकि वे कौरवों का सामना कर सकें। यह अर्जुन के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ था। उन्होंने अपने अंदर के योद्धा को जागरूक किया और उत्तरा को सिखाने के लिए तैयार हो गए। लेकिन उत्तरा ने इसे कठिन मानकर मना कर दिया।

जब युद्ध का समय आया, तब बृहन्नला ने उत्तरा से धनुष उठाने को कहा। उत्तरा ने धनुष को उठाने की कोशिश की, लेकिन वह इसमें असफल रहीं। तब बृहन्नला ने अपनी सच्चाई उजागर की और अर्जुन के रूप में स्वयं युद्ध करने का निर्णय लिया। यह रहस्योद्घाटन न केवल उत्तरा के लिए, बल्कि पूरे विराट नगर के लिए एक चौंकाने वाला क्षण था।

अर्जुन ने उत्तरा को अपना सारथी बनाकर कौरवों का सामना किया। उन्होंने अपने अद्भुत धनुर्विद्या कौशल का प्रदर्शन किया और वीरता से कौरवों का पराजय किया। अर्जुन की इस वीरता ने सभी को चकित कर दिया और उनका सम्मान बढ़ा दिया।

युद्ध के मैदान में अर्जुन की वीरता की चमक ने कौरवों के मन में भय पैदा कर दिया था। उनके अद्वितीय धनुर्विद्या कौशल ने कौरवों के योद्धाओं को चकित कर दिया और उनके हृदय में डर की लहर दौड़ गई। अर्जुन ने एक-एक करके कौरवों के वीर योद्धाओं को पराजित किया और उनके आत्मविश्वास को तोड़ दिया।

जब अर्जुन ने युद्ध के मैदान में अपना सच्चा रूप प्रकट किया, तो उन्होंने अपने शौर्य और साहस का प्रदर्शन किया। उनकी वीरता की कहानी पूरे विराट नगर में फैल गई और लोग उनके इस अद्भुत कार्य की प्रशंसा करने लगे। राजा विराट ने अर्जुन की वीरता को सम्मानित किया और उनकी इस अद्भुत यात्रा को सराहा।

अर्जुन की वीरता की यह कहानी न केवल महाभारत के महाकाव्य में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है, बल्कि यह हमें जीवन में कठिनाइयों का सामना करने और अपने सिद्धांतों के प्रति निष्ठावान रहने की प्रेरणा भी देती है। अर्जुन की यह यात्रा न केवल वीरता और साहस का प्रतीक है, बल्कि धैर्य और समर्पण की भी मिसाल है।

विराट नगर में अर्जुन ने न केवल अपनी पहचान छुपाई, बल्कि अपनी कला और निपुणता से सभी को प्रभावित किया। उन्होंने उत्तरा को न केवल नृत्य और संगीत की शिक्षा दी, बल्कि उन्हें जीवन के महत्वपूर्ण पाठ भी सिखाए। अर्जुन की यह अद्भुत और रहस्यमयी यात्रा हमें यह सिखाती है कि जीवन में कठिनाइयों का सामना कैसे किया जाए और अपने सिद्धांतों के प्रति सच्चे कैसे रहें।

अर्जुन की वीरता और धैर्य की यह अद्भुत कहानी हमारे जीवन में सदा प्रासंगिक रहेगी। महाभारत के इस महान योद्धा की कथा सदैव हमारे दिलों में जीवित रहेगी और हमें प्रेरित करती रहेगी। अर्जुन की यह अनोखी और रहस्यमयी कहानी महाभारत के महाकाव्य में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है।