Me and my feelings - 119 in Hindi Poems by Darshita Babubhai Shah books and stories PDF | में और मेरे अहसास - 119

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में और मेरे अहसास - 119

यादें तेरी

तन्हाई में अक्सर यादें तेरी दिल को बहला जाती हैं l

मचलते बहकते जज़्बातों को कुछ देर सहला जाती हैं ll

 

वक्त मिलते ही जरूर आएगें पहली ट्रेन से मिलने l

वादा किया तो निभाएंगे ये रूठे को समझा जाती हैं ll

 

थोड़ा सा आराम देती है बहुत सारा दर्द भी ती है l

तो पुरानी किताब में निकली हुई पाती बहका जाती हैं ll

 

हर पल हर लम्हा तेरा ख्याल ज़हन को घेर कर l

साँसें भारी करता और तेज धड़कने तड़पा जाती हैं ll

 

ऑफलाइन होते हो तो दिल घबरा सा जाता है फ़िर l

ऑनलाइन हो तो बाते करने के लिए तरसा जाती हैं ll

१६-१-२०२५ 

 

गरीबी से अमीरी तक का सफ़र बहुत कठिन होता हैं l

जब कड़ी मेहनत और लगन से पसीना ताउम्र बोता हैं ll

 

ऐसे ही शौहरत, रूड़बा, पहचान नहीं पाता हैं सालों l

पाई पाई कमाने के वास्ते चैन और सुकून को खोता हैं ll

 

जज्बातों से अमीर रहेगे तो सपने सच हो जायेंगे।

इन्सान अंदर से संतुष्टि पा लेता है तब कहीं सोता हैं ll

 

बिना तन मन से हारकर अपने लक्ष की तरफ बढ़ता l

कई कई बार असफलता का कंधे पर बोझ ढोता हैं ll

 

द्रढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत से सफलता पाकर l

सारी उम्र की थकान के बाद कामयाबी पर रोता हैं ll

१७-१-२०२५ 

 

यहीं हैं जिन्दगी चाहे रोकर या हंसकर गुजर जाती हैं l

पलभर में एकदम से पलक ज़ब्के ही पलट जाती हैं ll

 

रोज सवेरे-सवेरे नया इम्तहान देकर चौका देती हैं l

हालात एकाएक बदल के फ़िर किस्मत बदल जाती हैं ll

 

भरोसा रखना खुदा पर जो होता है होने देना चाहिये l

मायूस ना हो वक्त रहते ही जिंदगी संभल जाती हैं ll

 

भाग्य का लेखा जोखा है जीवन में अच्छा मिलना l

गम की आंधियां हटकर खुशी भी छलक जाती हैं ll

 

तूफ़ानों से लड़ता जा और हौसलों के साथ आगे बढ़ l

कर्म करते रहना तो मुकम्मल रहमत बरस जाती हैं ll

१८-१-२०२५ 

 

आरज़ू कभी तो होगी मुख्तसर भी यकीन रखना l

अल्फाज़ दिल से निकले हैं बस इंतजार करना ll

 

निगाह में मंज़िल की जुस्तजू विसाल मयस्सर हो l

वक़्त वक़्त पर मुकम्मल चाहत का दम भरना ll

 

ख्वाइशों की कोई इंतिहा ही नहीं बल्कि रोज़ l

हसरत दिल - ए - बे-आरज़ू होके ना सरना ll

 

बेपनाह मुहब्बत से परहेज़ लगता है इस लिये l

गर इजाजत हो तो बंध करदे सुकून को हरना ll

 

सिर्फ एक बार आज कहदो ताउम्र साथ देगे l

अविरत बहती रहेगी आंसुओ की धारा वरना ll

१९ -१-२०२५ 

 

आरज़ू पूरी होने में वक्त तो लगता हैं l

मुहब्बत संजोने में वक्त तो लगता हैं ll 

 

चांद सितारों से सजी भीगी रातों में l

अकेले ही सोने में वक्त तो लगता हैं ll

 

एक जैसी रफ़्तार कहाँ जिंदगी की l

खुशियां बोने में वक्त तो लगता हैं ll

 

तन्हाई में बहें आसुओं से भीगे हुए l

दामन को धोने में वक्त तो लगता हैं ll

 

एकदम हरे भरे गुलशन से उठा कर l

गुलों को ढोने में वक्त तो लगता हैं ll 

२०-१-२०२५ 

 

हाथ छुड़ाने से पहले सो दफ़ा सोच लेना l

मुकम्मल कोई सच्चा साथी खोज लेना ll

 

यूही नहीं कटता लम्बा सफ़र अकेले ही l

जीवन हराभरा करने गुलों को रोप देना ll

 

हँसते हुए मुश्किलों का सामना करके l

दर्द के आंसुओ को हौसलों से पोंछ लेना ll

 

जिंदगी की राह में कई अड़चन आएँगी l

चतानों को ख़ुदा का नाम ले रोंद देना ll

 

निर्भय होकर कदम आगे बढ़ाये जा कभी l

खुद को किस्मत के हवाले ना सौप देना ll

२१-१-२०२५ 

छब्बीसवा गणतंत्र दिवस आया हैं l

बड़ी उम्मीद से राष्टध्वज लहराया हैं ll

 

हिन्दू, मुस्लिम, शीख़, ईसाई सब l

मिलज़ूल कर रहे पैगाम लाया हैं ll

 

रंग बेरंगी फूलों से गुलशन महके l

मुकम्मल गुलिस्तान आज पाया हैं ll

 

आजादी की गरिमा को संभालना l

वीरों और शहीदों की छाया हैं ll

 

देश भक्ति की लौ को जगाने को l

देश वासियों ने वीर गान गाया हैं ll

२२-१-२०२५ 

 

एक बार हसीन नज़र से नज़र मिला तो ज़रा l

मुहब्बत का खूबसूरत गुल खिला तो ज़रा ll

 

महफिल में सब के सामने हाथ थाम कर l

आज दिल की धड़कनों को हिला तो ज़रा ll

 

ताउम्र साथ चलेंगे कदम से कदम मिलाकर l

नज़र मिलाकर यह भरोसा दिला तो ज़रा ll

 

इजाजत देदो नज़र भर देख सके आज l

बेइंतिहा वफाओं का दे सिला तो ज़रा ll

 

सुराही से जाम पीकर थक गये हैं अब l

नशीली निगाहों का ज़ाम पिला तो ज़रा ll

२२-१-२०२५   

 

खुद की अलग पहचान बना तो सही l

दिल में सदाकत की लौ जगा तो सही ll

 

जीवन जीना बड़ा आसान हो जाएगा l

रूठे को शिद्दत से सीने लगा तो सही ll

 

मन बैरागी, तन अनुरागी, डगमगाते l

अनाड़ी को बिरादरी में समा तो सही ll

 

बहुत बड़ी फनकारी का काम है कि l

वस्ल में कसमें देकर मना तो सही ll

 

चांदनी से रोशन करके महफिल को l

हुस्न के सजदे में सजा तो सही ll

 

 

 

पहचान तो है पर पहचान नहीं l

हाल ए दिल से अनजान नहीं ll

 

प्यार का इश्तेहार कर दिया l

यू पूरे शहर में बदनाम नहीं ll

 

दिल क़ायनात आबाद रहे l

बेपन्हा इश्क़ बरबाद नहीं ll

 

कुर्बानी का इनाम ना मिले l

खुद को खोना हरबार नहीं ll

 

मझिल की तलाश खुद कर l

लकीर तो कोई पतवार नहीं ll

२३-१-२०२५ 

 

हाथ की लकीरों के भरोसे पर बैठे मत रहना l

कुछ बनना है तो मुकम्मल मेहनत भी करना ll

 

किस्मत भी बदल सकती है यकीन करो आज l

हौसलों की कलम से भाग्य की तहरीर भरना ll

 

बैठे बैठाएं कुछ नहीं मिलता क़ायनात में तो l

सुनो वक़्त की रफ़्तार के साथ साथ सरना ll

 

तिश्नगी तो है पूरा समंदर ही पी जाए आज l

पर उठकर जाना पड़ेगा आलस को हरना ll

 

गर निशान छोड़ जाने है तो आगे बढ़ता जा l

जिद ना चलेगी बार बार खुद को कहना ll

२४-१-२०२५ 

 

दिल के ज़ज्बात बह जाने दो l

राज़ की बात होंठों पर लाने दो ll

 

खामोश रखकर देखते रहो ओ l

ख्वाबों खयालों को आने दो ll

 

किस्मत से मिलती हुई सारी l

हसीन मुलाकात को पाने दो ll

 

दिल की बातें बयां करते हुए l

मोहब्बत के नगमें गाने दो ll

 

बेपन्हा, बेइंतिहा, बेहिसाब l

प्यार से दुनिया सजाने दो ll 

२५-१-२०२५ 

 

बाद मुद्दतों के आँगन में धूप नजर आई l

कड़ी सर्दी में प्यारी सी गरमाहट लाई ll

 

मौसम का बदलता अंदाज देखकर आज l

संग पंखी के फिझाओ ने सरगम गाई ll

 

एकाएक निगाहों से निगाहें टकराई तो l

दिल ने अजीब सी मीठी ठंडक है पाई ll

 

नजदीकीयों में उखड़े उखड़े रहते थे l

जुदाई में समझे मुहब्बत की गहराई ll

 

बात अपनी मनाने का आसां तरीका l

आँखें क्या जाने अश्कों की तमाशाई ll

२६-१-२०२५ 

 

नारी की कहानी सभी ने है जानी l

नारी की शक्ति को दुनिया ने मानी ll

 

रूख मोड़ के तूफ़ाँ ओ आँधियों का l

रोज प्यार की कलियाँ है ख़िलाती ll

 

नारी से जहान है उसी से शान हैं l

हर घर की है मुकम्मल महारानी ll

 

लक्ष्मबाई और सीता की कहानी l

मिलकर उस शौर्य गाथा है गानी ll

 

सब को प्यार ममता देनेवाली के l

मासूम चहेरे पर मुस्कान लानी ll

२७-१-२०२५ 

 

सरहद पर जहां देखो वहां टकराव मिलेगा l

वीरों के शरीर पर लाल रंग का घाव मिलेगा ll

 

जिंदगी के सफ़र में उतार चढ़ाव आते रहेंगे l

कभी ग़म कभी खुशियो का बहाव मिलेगा ll

 

सदाकत के साथ जीवन जीओ एक दिन l

भावना ओ ममता की और पड़ाव मिलेगा ll

 

कर्म का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है जान लो l

जैसी स्थिति पैदा करो वैसा प्रवाह मिलेगा ll

 

सादा सीधा जीवन जीना शुरू करोगे तब l

चैन औ सुकून की तरफ़ से खिंचाव मिलेगा ll

२८-१-२०२५ 

 

दो वक्त की रोटी का है खेल सारा l

जग में इन्सान फिरता है मारा मारा ll

 

सुबह शाम मेहनत करने वाला आज l

इंतजार में है कब चमकेगा सितारा ll

 

मानव जीवन में सुखी होना है तो सुन l

ख्वाब देखने वाले को मिले किनारा ll

 

अकेले चलना सीख लेना चाहिए यहा l

हर वक़्त हर लम्हा न मिलेगा सहारा ll

 

आश्चर्यचकित ना होना आगे बढ़ता जा l

हररोज बदला हुआ नज़र आएगा ज़माना ll

२९-१-२०२५ 

 

महफिल में एक बार इस नाचीज़ की और नज़र डालिएगा l

हुस्न के सजदे में प्यारी नशीली सुरीली ग़ज़ल गाइएगा ll

 

शायद मुलाकात का फ़िर मौका मिले ना मिले कभी भी l

एक बार नज़र भरके देखना चाहते हैं तो जल्द आइएगा ll

 

ऐसे सुहाने प्यारे लम्हे बार बार कहा नसीब होते हैं l

दो प्यार भरी मीठी बातेँ कर लो फ़िर चाहे तो जाइएगा ll

 

कई सारी बाते जरूरी इकट्ठा हुए हैं बताने के लिए तो l

थोड़े बहोत फ़ुरसत के पल साथ अपने जरूर लाइएगा ll

 

ग़मों से भरी क़ायनात में जीना आसान हो जाएगा l

चैन और सुकून देकर मुकम्मल एजाज ए सुकून पाईएगा ll 

३०-१-२०२५ 

 

 

 

 

छोटी सोच

 

छोटी सोच से कुछ नहीं मिलने वाला l

बड़ी सोच से गुलशन है खिलने वाला ll

 

अगर ठान लो मंज़िल तक पहुचना है l

मन से पक्के को रास्ता दिखने वाला ll

 

चाहें कितनी ही रुकावते हो आज तो l

तूफ़ाँ में इरादों से नहीं फिरने वाला ll

 

कर्म करने से पीछे ना हटना कभी भी l

चमक कर सोना बनता पिसने वाला ll

 

हार के बाद ही जीत दिखाई देती है l

सदा पुरस्कृत होता है जितने वाला ll

३१-१-२०२५