KHABAR SANSAR ( WRITER:- MANOJ KUMAR) in Hindi Poems by Gadriya Boy books and stories PDF | खबर-संसार - लेखक मनोज कुमार

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खबर-संसार - लेखक मनोज कुमार

दर्द इतना है बताऊं कैसे,
प्यार अपना जताऊं कैसे।
मेरा पहला और आखिरी प्यार तू है,
बता किसी और को अपनाऊं कैसे।

तुझे देखने का सपना था अपने साथ,
किसी और के साथ देखने की हिम्मत लाऊं कैसे।
जो तेरे साथ खाई थी कम जीने मरने की,
बता उन कसमों को भुलाऊं कैसे।

आते हैं आंसू आज भी तुझे सोच कर,
बता उन आंसुओं को छुपाऊं कैसे।
मैं तेरे हर एक एहसास से वाकिफ हूं,
पर तुझे मैं अपनी हालत बताऊं कैसे।

तूने तो लाख बुराइयां कि मेरी महफिल में ,
बता तेरी बुराई बताऊं कैसे।
दुनिया पूछती है हमारे रिश्ते के बारे में,
तू छोड़ गई मुझे, यह बात उनको बताऊं कैसे।

तू तो वादे करके मुकर गई,
तू तो झूठी है, यह बात बताऊं कैसे।
हां, मान लाख कमियां हैं मेरे अंदर,
पर तुझे तेरी कमियां गिनाऊं कैसे।

तू धोखेबाज है, वादे झूठे थे तेरे,
तेरी धोखेबाजी की कहानी सुनाऊं कैसे।
तू तो मुझे अब देखना भी पसंद नहीं करती,
बता अब तेरे सामने आऊं कैसे।



**ख़्वाबों का शहर**  
ख़्वाबों का इक शहर बसाया है मैंने,  
जहां हर गली में तुम्हें पाया है मैंने।  
चांदनी रातों में तेरी यादें खिलती हैं,  
दिल की हर धड़कन तुझसे मिलती है।  

तू पास नहीं फिर भी करीब लगता है,  
तेरा नाम हर हवा में नसीब लगता है।  
ये दिल तुझसे बंधा है कुछ इस तरह,  
जैसे बिना जड़ों के पेड़ अधूरा लगता है।


ज़िंदगी की बातों में खोया हूँ,
कुछ ख्वाब अधूरे से संजोया हूँ।
चमकते सितारों से बात करता हूँ,
चुपचाप उम्मीदों से रात भर लड़ता हूँ।

मंज़िलें दूर सही, पर हार नहीं मानी,
हर कदम पे लिखी है मैंने नई कहानी।
ख़ुद को समझने का हुनर जो पाया,
तो हर दर्द को मैंने मुस्कान बनाया।

ज़रा ठहरो, दिल की बात सुनानी है,
शब्दों में लिपटी एक कहानी है।
ख़ामोशी के पर्दों में जो छुपी थी,
वो एहसास आज काग़ज़ पे लानी है।

चांदनी रातों में जो ख्वाब देखे,
उनमें कुछ अपने, कुछ बेगाने थे।
जो टूटे वो भी सबक सिखा गए,
जो पूरे हुए, वो खज़ाने थे।

मंज़िलों की तलाश में चलते रहो,
रास्ते भले ही अनजाने हों।
हर मोड़ पर इक नया सबक मिलेगा,
ज़िंदगी के ये तराने सुहाने हों।

खौफ का अभी मंजर नहीं देखा ,
मेरे दिल में लगा अभी खंजर नहीं देखा 
लिखा है कुछ दर्द अपने अल्फाजों में 
तुमने अभी मेरे दर्द का समंदर नहीं देखा ।
**खुद की कलम से**  

खुद की कहानी खुद ही कह दी,  
दिल की हर धड़कन लफ्ज़ों में बह दी।  
जो चाहा वो लिखा, जो जिया वो रच दिया,  
हर ग़म, हर खुशी को कागज़ पर सज दिया।  

शब्द मेरे अपने, दर्द भी अपना,  
सपने जो टूटे, और जो हुआ अपना।  
हर मोड़ पर ज़िंदगी से दोस्ती की,  
और फिर हर हार को जीत बना दी।  

ये कलम मेरी, मेरी जान सी लगती है,  
हर ख्याल को सुनती और कहती है।  
यूं ही चलते रहेंगे सफर ये लफ्ज़ों के,  
खुद को पा लिया मैंने अपनी शायरियों के। 

दिल के कोने में एक ख़्वाब रखा है,
उम्मीद का वो चिराग़ जल रहा है।
हर रास्ता मुश्किल सही, मगर,
मंज़िल तक जाने का इरादा पक्का है।

कभी गिरते हैं, कभी संभलते हैं,
ख़ुद की राहों को ख़ुद बदलते हैं।
हौसला है, तो सितारे झुकेंगे,
ख़्वाब हैं, तो नए आसमान बनते हैं।

ज़िंदगी के सफ़र में हम भी मुसाफ़िर हैं,  
हर मोड़ पर मिलते नए ही मंज़र हैं।  
कभी खुशियों की बहारें, कभी ग़म की घटा,  
हर एक एहसास में छुपा कोई सपना है छुपा।  

सूरज भी तपता है, पर रौशनी लाता है,  
चाँद भी छुप जाता, पर सुकून दे जाता है।  
जिन राहों पर काँटे बिछे हुए मिलते हैं,  
वहीं से अक्सर फूल खिलते हैं।  

दुनिया की इस भीड़ में खुद को पहचानना है,  
हर गिरने के बाद फिर से उठ जाना है।  
जो लोग सपनों को हकीकत बना देते हैं,  
वही इस जहान में अपना नाम छोड़ जाते हैं।  

मंज़िलें उन्हीं को मिलती हैं, जो चलना जानते हैं,  
हर हार को भी जीत का हिस्सा मानते हैं।  
सफर लंबा सही, पर हौसला बनाए रखना,  
अंधेरे से लड़कर उजाला दिखाए रखना।  

खुद पर यक़ीन हो तो रास्ते आसान होते हैं,  
जो कोशिश न करे, वो हार के मेहमान होते हैं।  
तो चल, ए मुसाफ़िर, रुक मत, बढ़ता चल,  
क्योंकि तेरी उड़ान को पंखों का इंतज़ार है कल।