हिना अपने कमरे में जाकर लेट गई।
हिना बहुत थक गई थी पता नहीं क्यों उसे होली वाला दिन याद आ गया।
क्या क्या हुआ था उस दिन।
राज की इतनी याद क्यों आ रही है मुझे।।
क्या हुआ था उस दिन मैंने कुछ ग़लत किया था।
अगर मैं मान लेती तो शायद आज मेरे साथ होता।
ना जाता दूर मुझे से।
मेरी मांग भर चुका था पर मैं इस दुनिया की रस्में को ही माना था।
ओह शायद राज सही था।
मैं ग़लत थी हमेशा से।
फिर हिना अतीत में चली गई।
अगले दिन सुबह राज जागिग से वापस आता है और फिर कंचन को रोज की तरह बुलाता है पर कंचन नहीं आती तो राज किचन में जाकर जैसे ही आगे बढ़ने लगता है हिना जूस का गिलास लेकर कहती हैं कि कंचन को मम्मी ने कही भेजा है।
ये आपका जूस।
राज ने कहा नहीं चाहिए मुझे जूस।
हिना ने कहा अरे देवर जी जूस पर क्यों गुस्सा कर रहे हैं बिचारे की क्या गलती है।
राज ने कहा अच्छा ठीक है कह कर जूस का गिलास ले लिया और फिर पीने लगा।
फिर वहां से जाते समय बोलता है कि कंचन को कहा था कि आज पकौड़े चाहिए पर वो भी नहीं है।
हिना ने कहा ओह देवर जी मैं बनाती हुं पकौड़े मुझे मम्मी ने सिखाया है।
राज ने कहा कोई जरूरत नहीं है।
हिना ने कहा पर सब तैयार है बस तलने जा रही हुं बस फिर क्या था जैसे ही गर्म तेल में पकौड़े तलने के लिए डालें तो हिना की अंगुली ही जल गई और फिर दर्द से कराह उठी बस आवाज सुनकर राज दौड़ कर किचन में गया और हिना को डांटने लगे और फिर बोला कि मैंने कहा था कि ये सब नहीं कर पाओगी पर ये मेरी ।।
राज ने फ्रिज में से बर्फ निकाल कर हिना के हाथों को कस कर पकड़ लिया और फिर बोला चुप चाप बैठो। वरना।
ये देखो लाल पड़ गया है।
हिना ने अपने हाथों को छुड़ाने की कोशिश किया पर राज ने कस कर पकड़ रखा था।
तभी आभा ने किचन में प्रवेश किया और फिर देखा तो समझ गई।
अरे क्या हुआ बेटा। ठीक हो।
फिर दोनों ने एक-दूसरे का हाथ छोड़ दिया और फिर राज ने कहा देखो जरा क्या हालत किया है अपने हाथों का।
आभा ने कहा क्या करती हो हिना ठीक हो?
हिना ने कहा हां ठीक हुं।
फिर कंचन आ गई और फिर राज ने कहा अरे कंचन आज पकोड़े बनाने वाली थी पर तुम तो कहीं नहीं थी।
कंचन ने कहा भाभी आप जाओ मैं बना लेती हुं।
फिर हिना वहां से निकल कर सीधे अपने कमरे में चली गई और फिर उस घटना को याद कर रही थी कि आज भी राज को मेरी परवाह है वरना।।
तभी दरवाजे पर दस्तक हुई हिना ने कहा हां अन्दर आइए।
राज ने कहा ये दवा है लगा लेना। वरना जख्म हो जाएगा।
हिना ने कहा अरे ऐसे जख्म फिर भी ठीक है पर उन जख्मों का क्या जो नासूर बन कर मेरी जिंदगी में हलचल मचा रहे हैं।
राज ने कहा हां ठीक है क्या मैं लगा दूं?
हिना ने कहा कोई जरूरत नहीं है मैं लगा सकती हुं।
राज ने आगे बढ़कर कहा मुझे पता है आज तक कभी नहीं लगाई हो हर बार मैंने ही तो। फिर राज ने कहा हाथ दिखाओ।
हिना ने कहा नहीं मैं नहीं दिखाऊंगी।
राज ने कहा जिद मत करो।
हिना ने अपना हाथ पीछे कर दिया।
राज ने दवाई हाथ में निकली और फिर जबरदस्ती करके हिना के हाथ सामने करके दवाई लगा दिया और फिर वहां से चला गया।
हिना ने कहा समझता क्या है अगर मम्मी देख लेती तो।
ये दोनों प्यार करने वाले अपनी सीमा बाध्यता में रहकर दो अजनबी बन कर रह गए।
आज होली थी पर हिना के जीवन में रंग तो नहीं था जबकि हिना को होली खेलना सबसे ज्यादा पसंद था।
हिना को अपने प्यार में रंग लिए थे उसके राज ने। हिना होली के दिन छत पर जाकर इधर उधर घुमने लगी थी और फिर पीछे से राज आ गया और उसे पुरी तरह से रंग लगा दिया कोई भी जगह छोड़ा नहीं था राज ने।
हिना ने कहा अरे बाबा तुम भी ना आदत हो गई है छत से आने की।
राज ने कहा हां तो नीचे तुम्हारे डैडी आने देंगे क्या?
हिना ने कहा अब तुम भी नहीं बचोगे।
राज ने हंसते हुए कहा हां रंग है क्या?
हिना ने आगे बढ़कर अपने गाल को राज के गाल से लगा लिया और फिर बोली होली है।।
आज वर्तमान में ऐसा कोई नहीं जो हिना के दर्द को समझ सकें और फिर वो तो विधवा ही है।
राज के सारे दोस्त आ कर राज को लेकर चलें गए।
फिर काफी देर बाद राज आया और भुत बन कर आया।
आभा ने कहा अरे बाबा राज जाओ जल्दी से नहा लो।
राज सीधे ऊपर पहुंच गया और फिर सीधे हिना के रूम के बाहर जाकर दरवाजा खटखटाया और फिर बोला हिना।
हिना ने कहा हां आइए।
हिना नहाकर अपने बालों को सहलाने लगी थी और फिर राज सीधे जाकर हिना के मुंह पर हाथ में रंग लगा दिया और फिर लाल रंग से उसकी सुनी मांग को भर दिया।
राज पुरी तरह से नशें में था इसलिए उसे होश नहीं रहा कि क्या कर रहा है और फिर उसके दोस्तों ने ही ये नसीहत दी थी कि जब हिना तेरे सामने है तो उसे सब कुछ बता दें।
हिना बहुत ही गुस्से में थी जब उसने खुद को आईने में देखा तो वो पुरी तरह से रंगी हुई थी और फिर उसके मांग में लाल रंग था।
फिर हिना ने कहा राज तुम्हारी इतनी हिम्मत कह कर एक जोरदार थप्पड़ जड़ दिया राज को।
और फिर खुद रोते हुए बाथरूम में चली गई।
और रगड़ रगड़ कर सारे रंग निकालने लगी।
उधर राज हिना की रोने की आवाज सुनकर खुद को सम्हाल नहीं पा रहा था और वो अपने रूम में जाकर दरवाजा बंद कर दिया और फिर नहाने चला गया।
हिना फिर से नहाने के बाद बाहर आ गई और फिर देखा कि रंग निकल चुका था पर उसकी मांग में लाल रंग उठने का नाम नहीं ले रहा था। ओह माई गॉड ये क्या किया तुमने राज मैंने तुम्हें मारा ।जो हाथ हमेशा तुम्हारे लिए दुआ और प्यार करने के लिए उठता है वो कैसे मार सकता है।
हिना रोने लगी और फिर कुछ देर तक वो बेड पर लेटी रही।
फिर कंचन आकर बोली कि भाभी चलो खाना खाने।
फिर कंचन चली गई।
उधर राज भी सोया रहा।
आभा नींबू रस का पानी लें कर राज को दिया।।
राज ने पी लिया और फिर बोला मां मैं वापस चला जाऊंगा कह कर मां के गोद में लेट कर एक नवजात शिशु की तरह रोने लगा।।
आभा ने कहा रो ले बेटा मैं चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रही हुं तु अपना दर्द सालों से छुपा रहा है एक बार बता कर तो देख हम लोग सब ठीक कर देंगे।
राज कुछ नहीं बोलता है और फिर आभा भी रोते हुए चली जाती हैं।
हिना वर्तमान में आ गई थी ओह इतना कुछ हो गया।।
मैंने शायद बहुत बड़ी ग़लती कर दिया।
शायद मैंने फिर से अब हमेशा के लिए राज को खो दिया है।
यह कहते हुए रोने लगी हिना।
और सो गई।अगले दिन सुबह हिना तैयार होकर जाने लगी। तभी मां ने कहा अरे हिना एक खुश खबरी है।
दो दिन राज आ रहा है।
हिना ने सुनते ही कहा अच्छा यह चमत्कार कैसे हुआ?
आभा ने कहा तेरे पापा ने कसम दी है।
हिना ने कहा चलो अच्छा हुआ कि घर वापस आ रहा है।
आभा ने कहा पता है इस बार उसे दूसरे तरीके से बांध दूंगी।
शादी के बंधन में।
हिना ने सुनते ही कहा हां, ये तो अच्छा है मां।
आभा ने कहा हां,तू तो शादी करेंगी नहीं तो अब उसकी ही शादी करनी होगी।
आज दो साल बाद राज वापस आ रहा है।
पता नहीं कैसा होगा वो।
यह सोचते हुए हिना गाड़ी में बैठ गई।
दो दिन बाद ही घर में रौनक आ गई थी।
मां राज के पसंद का सब कुछ बना रही थी।
रात को राज घर आ गया।
आभा देखते ही लिपट कर रोने लगी।
राज ने कहा अरे मां,अब फिर से यह रोना धोना।
राज के आने से घर में रौनक आ गई थी।
रोज रोज घर खाना पीना अच्छा अच्छा हो रहा था।
देखते देखते एक महीने निकल गया।
राज ने मन में सोचा कि अब जाऊं तो वापस नहीं आना है।
हिना ने कहा अरे इस बार तो जाना नहीं होगा।
मां ने तुम्हारे लिए लड़की देखी है।
राज ने कहा क्या बकवास है ये।।
ज्यादा भाव मत खाओ तुम।।
हिना ने कहा अरे बाबा ये क्या हो गया है आपको।
मां से पुछ लो।
राज ने कहा देखो ज्यादा परेशान करोगी तो सब कुछ बता दुंगा मां को कि क्या रिश्ता है तुम्हारे साथ मेरा।
हिना ने अपनी आंख बड़ी कर लिया और बोली ओह माफ़ करना मुझे।
अगले दिन सुबह राज ने सबको बैठक में बुलाया और फिर कहा कि मां अब काफी समय बीत गए हैं तो मैं अब यहां से जा रहा हुं आप तीनों मिलकर रहो खुश रहो, मैं जानता हूं शायद मेरे जाने के बाद आप सब पहले जैसे हो जाओगे।
आभा ने कहा पर भाई का वरसी होने के बाद चला जा।
राज ने कहा हां ठीक है पर मुझे पता है मुझे किसी की जरूरत नहीं है।
हिना समझ गई थी कि राज ये उसको ताना मार रहा था।
हिना ने कहा हां ठीक है हम रह लेंगे ख़ुशी ख़ुशी।
रमेश ने कहा पर बेटा हम तो अब बुढ़े हो रहे हैं
।
राज ने कहा हां पर मुझे अब जाना चाहिए।
फिर राज अपने कमरे में चला जाता है और फिर आभा जाकर कहती हैं कि कोई बात है तो बता देना चाहिए क्योंकि ऐसा लगता है कि कोई बात है।
राज ने कहा नहीं मां कोई भी बात नहीं है।
फिर उसी रात को राज अमर की डायरी में देखने लगता है और फिर कुछ देर अनमाना सा हो कर कुछ लिखने लगता है।
दूसरे दिन सुबह जल्दी उठकर तैयार हो कर राज कही बाहर निकल जाता है और फिर बहुत देर से लौट कर आता है।
राज सबके लिए कुछ न कुछ शापिंग करके लाता है। और तभी हिना आकर कहती हैं अरे वाह देवर जी शापिंग करने निकल पड़े और घर में किसी को बताना जरूरी नहीं समझा है ना।
यहां पर दो बुढ़े इन्सान आपकी चिंता से मर रहे हैं और आप एक फोन तक नहीं कर पाएं। जानते हैं आज पापा गिर जाते अगर मैं समय पर आकर उन्हें न सम्हाल लेती।पर आपको इससे क्या कोई जीएं या मरे।
ये सब सुनते ही राज के हाथों से सारा सामान गिर गया।
और वो दौडते हुए अपने पापा के पास पहुंच गए।
हिना ने कंचन से कहा आप ये सब ले जाकर राज के रुम में रख दिजिए।
कह कर हिना वहां से चली गई।
रात को डिनर के बाद राज ने मां पापा को जाकर उनके कपड़े ल
दे दिया।
आभा ने कहा वाह आज बहुत दिनों के बाद नये कपड़ों की खुशबू मिला।
राज ने कहा हां मां ये सब लाने गया था।
फिर राज हिम्मत करके दो पैकेट लेकर हिना के रुम के पास गया और दरवाजा खटखटाया और बोला हिना मैं अन्दर आ जाऊं।
हिना ने कहा हां आइए क्या बात है देवर जी।
राज ने कहा ये कुछ है आपके लिए।
हिना ने कहा हां पर क्या?
राज ने कहा एक बार खोल कर देखें।
हिना ने वो पैकेट खोला तो देखा सूट, कुर्ती था।
हिना को गुस्सा आया और फिर वो दोनों पैकेट राज के मुंह पर दे मारा। और फिर बोली वाह देवर जी आप यह सब मुझे दे रहे हैं क्यों।जब चाहे कुछ भी करेंगे और फिर जब चाहेंगे ये सब देंगे। क्या समझते हैं खुद को।
आप किस हक से मुझे यह रंगीन कपड़े दे रहे हैं आपको नहीं पता मैं एक विधवा हुं।
राज ने कहा बस करो बहुत हुआ मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है ये सफेद रंग और फिर तुम तो।
हिना ने कहा हां क्या मैं क्या।
राज ने कहा देखो तुम ये सब नहीं पहन सकती हो समझी तुम।
हिना ने कहा अच्छा अब आप ठीक करेंगे कि मुझे क्या पहनना चाहिए।
प्लीज़ देवर जी जाइए आप यहां से।
राज ने कहा हां चला जाऊंगा हमेशा के लिए जैसे पहले गया था मुझे सब पता है कि भाई और तुम्हारे बीच क्या था।
हिना ने कहा आप हद पार कर रहे हैं राज।।
प्लीज़ मुझे परेशान मत किजिए।
राज ने कहा हां ठीक है मैं जा रहा हुं।
इतना कह कर राज अपने कमरे में जाकर दरवाजा बंद कर दिया।
और फिर हिना भी रोने लगी और उस सूट को इधर उधर फेंकने लगीं।
अगले दिन सुबह राज कि लंदन की फ्लाइट थी।
आभा भी बहुत रो रही थी।
आज राज हमेशा हमेशा के लिए लंदन जा रहा है।
हिना की आंखों में आसूं है पर वो खामोश है।
क्या कभी इन दोनों का प्यार सबके सामने आ पाएगा।
दोस्तों मैं आज विदा ले रही हुं।
प्यार का अनोखा रिश्ता सेकेंड सीजन में एक बार फिर हम मिलेंगे।
आज अलविदा कहती हुं।
समाप्त।