Me and my feelings - 118 in Hindi Poems by Darshita Babubhai Shah books and stories PDF | में और मेरे अहसास - 118

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में और मेरे अहसास - 118

नया साल नया सफ़र शुरू हो रहा हैं l

नई उमंगे नई ख्वाइशों को बो रहा हैं ll

 

मानवता का कल्याण करने के लिए l

महा युग में नूतन निर्माण हो रहा हैं ll

 

नये भारत के नया उत्थान के वास्ते l

महाक्रांति की ज्वाला सजो रहा हैं ll

 

नव वर्ष का स्वागत शान से करो कि l

लोगों के दिल करुणा से भिगो रहा हैं ll

 

जागृत नागरिक का इनाम देना होगा l

नीडरों से सर्दीयों वास्ता जो रहा हैं ll

 १-१-२०२५ 

जिंदगी का फलसफा

जिंदगी का फलसफा कोई नहीं समझ पाया हैं l

चाहा था क्या और देखो सामने क्या आया हैं ll

 

दिन गुजरते नहीं है और साल गुज़रते जा रहे हैं l

नये साल का नया दिन जीने की उम्मीद लाया हैं ll

 

कभी पतझड़ कभी बसंत, कट रहीं हैं जिन्दगी तो l

थोड़ी सी खुशी थोड़े से गम का अंदाज़ भाया हैं ll

 

शुष्कटता को खंखेरके सोये दिन जगाने के लिए l

दिल में जज़्बात ए हौसला भरने गीत गाया हैं ll

 

जब जिगर को मुकम्मल सूनापन घेर लेता है तब l

प्यारी यादों ने तन्हाई भरे पलों को सजाया हैं ll

२-१-२०२५ 

अनजान रास्तों

जिंदगी की तलाश में अनजान रास्तों पर निकल पड़े हैं l

जहां भी थोड़ी सी खुशी दिखी वहां पर 

मचल पड़े हैं ll

 

सफ़र मुश्किल तो बहुत है पर हौसलों के 

साथ चलते रहे l

आगे बढ़कर सुकुनियत महसुस हुई तो 

छलक पड़े हैं ll

 

कठिनाइयों का सामना करते हुए बढ़ाते 

रहे क़दमों को l

नज़र आ रहा कहीं अधिक सुखापन वहीं 

बरस पड़े हैं ll

 

असंभव को संभव करने जा रहे हैं और 

थोड़ी ही दूर l

दिल ने जब उम्मीद की किरन पाई तो 

सरक पड़े हैं ll

 

सफ़र में कोई साथी, हमसफ़र या हमराही 

मिल जाए l

अकेले निकले हैं तो कारवाँ के साथ को 

तरस पड़े हैं ll

३-१-२०२५ 

किताब का वो पन्ना

किताब का वो पन्ना जिसमें तुमने अपना नाम लिखा था l

उस पन्ने की वज़ह से आज तक क़िताब साथ रखी हैं ll

 

काट रहे हैं ये जिन्दगी वहीं एक यादों के सहारे 

आज भी l

बड़ी हिफाज़त से अलमारी में संभालके याद 

रखी हैं ll

 

चिरागों को साथ लेकर सो ने की कोशिश करते हैं l

तन्हाई में दिल बहलाने को ताज़ा चांदनी रात 

रखी हैं ll

 

सुलगते अरमान को प्यार की सियाही में डुबोकर l

कमाल की बात तो ये है कि चाहत की बात 

रखी हैं ll

 

आमने सामने होते थे तब कई बार जो सुनना 

चाहा था l

वो जुबान से न कह पाए कभी रूबरू दाद 

रखी हैं ll

४-१-२०२५ 

 

 

क़िताब के वो पन्ने से खुशबु आ रही हैं l

जैसे कि वो आज भी रुबरु आ रही हैं ll

 

जब पहली बार एक दूसरे से टकराये थे l

तब महसूस की वहीं हूबहू आ रही हैं ll

 

सालों इंतजार किया प्यारे मिलन का l

सामने चक्का चौदह जुगनू आ रही हैं ll

 

यहां ढूंढ़ने से कौन मिलता है भला l

बार बार किसकी जुस्तजू आ रही हैं ll

५-१-२०२५ 

 

पैसे हो तो रिश्ते अपनेआप बन ही जाते हैं l

निभाने नहीं पड़ते सामने से निभ ही जाते हैं ll

 

शायद किसी और में इतनी ताक़त नहीं है l

मेल मिलाप बढ़ाने सब गले मिल ही जाते हैं ll

 

नाम, शान, शौकत, रूड़बा , पहचान आने से l

जिंदगी के रेत के समन्दर में तिर ही जाते हैं ll

 

लोगों को जीने के लिए ताकतवर चीज़ है ये l

ग़र जेब खाली हो तो इन्सान हिल ही जाते हैं ll

 

चाहत भी माल रुपया देख मिलती है जहां में l

पैसा ख़तम चाह खत्म पल में दिल ही जाते हैं ll

६-१-२०२५ 

 

इज्जत

 

मांगे से नहीं मिलती इज्जत कमानी पड़ती हैं ll

एक के बाद एक शोहरत की सीडी चढ़ती हैं ll

 

कमाने में सालों लग जाते, गवाने में एक पल l

न उधार मिले न किसी के बदले में मिलती हैं ll

 

पैसे तो कहीं से कमा लेते है पर इज्जत नहीं l

दुनिया में इज्जत तो इज्जत से ही बरसी हैं ll

 

ताउम्र ईमानदारी से कमाई हुई आबरू से l

जिंदगी में रौनक और खुशियों को भरती हैं ll

 

जीवन की नैया दुनियादारी के समंदर में l बिना रुकावट से आसानी से सरती हैं ll

७-१-२०२५ 

 

सआदत को सन्मान मिलना चाहिए l

सदाकत का चहेरा खिलना चाहिए ll

 

जिस से दिल लगाया उसीके हो लिए l

खास-ओ-आम से निभना चाहिए ll

 

नशीली निगाहों से तो पी ही लेगे पर l

दौर-ए-जाम बज्मों में फिरना चाहिए ll

 

दूरियाँ ज़माने को दिखाने भले ही हो l

कुर्बत को मुकम्मल दिखना चाहिए ll

 

मान देकर सन्मान कैसे मिलता है वो l

ये बड़े बुजुर्गों से सिखना चाहिए ll

८-१-२०२५ 

सआदत - अच्छाई 

सदाकत - सच्चाई  

खास-ओ-आम - प्यारा 

 

जीवन में एक ही पल में ज़िन्दगी के रंग रूप बदल जाते हैं l

किसी हसीन दिलरुबा के आने से अरमान मचल जाते हैं ll

 

इस तरह रुख बदल देती है निगोड़ी वक्त 

की रफ़्तार l 

कभी कभी जा निसार को देखने के लिए 

तरस जाते हैं ll

 

छप्पड़ फाड़ के देने वाला जो कंजूस बन 

जाए कभी तो l

इतनी बड़े जहां में छोटी सी दुनिया को 

तड़प जाते हैं ll

 

ज़िन्दगी में बार बार जीने का मौका नहीं 

देती है और l

गर वक्त रहते ना सभलें तो हाथों से लम्हे 

सरक जाते हैं ll

 

जो भी है बस यही इक पल है खुशी से 

जी भर जी लो l

ताउम्र रेत की तरह जीवन के दिन रात 

फिसल जाते हैं ll

९-१-२०२५ 

 

बुढ़ापा 

बुढ़ापे को मन पर हामी नहीं होने देना चाहिए l

दिन रात के सुकूं को नहीं खोने देना चाहिए ll

 

ऐसे ही धूप में बाल तो नहीं सफ़ेद हुए होंगे l

बूढ़ों के अनुभव से जीवन पिरोने देना चाहिए ll

 

इस संसार की मायाजाल की समज़ हो उसे l

बच्चों में अच्छे संस्कार को बोने देना चाहिए ll

 

उम्रभर के सभी उतार चढाव की सूझबूझ से l

कुटुम्ब एक ही माला में संजोने देना चाहिए ll

 

सुबह शाम गुलशन में टहलते रहते हैं उन्हें l

खुली फिझा में गुलों की खिलोने देना चाहिए ll

१०-१-२०२५ 

 

भाग्य

भाग्य का लिखा कोई नहीं बदल सकता हैं l

कर्मों के बंधन से कोई नहीं छटक सकता हैं ll

 

खेल निराला होता है जिन्दगी देने वाले का l

किस्मत न हो तो हाथों से सरक सकता हैं ll

 

कर्म अधिक तो विश्वास से अधिक मिलेगा l

तकदीर का लिखा जानके सभल सकता हैं ll

 

एक रोज़ चमकेगा सितारा उम्मीद रखना l

भगवान परीक्षा कर के परख सकता हैं ll

 

सदाकत से सिद्दत महेनत करते रहो तो l

आसमान से आशीर्वाद बरस सकता हैं ll

११-१-२०२५ 

 

नीद से जागना जरूरी हैं l

रोज ही भागना जरूरी हैं ll

 

ग़र सचमुच कुछ चाहिए l

चाह से माँगना जरूरी हैं ll

 

जिन्दा रहने के लिए शौख l 

दिल में पालना जरूरी हैं ll

 

जहां को खूबसूरत बनाने l

दिलों का मीलना जरूरी हैं ll

 

सख्त सर्दी के मौसम में l

कंबल बाटना जरूरी हैं ll

१२-१-२०२५ 

 

मकरसंक्रांति 

सर्दी के मौसम का लुफ्त उठाना चाहिए l

मखमली हवा संग वक़्त बिताना चाहिए ll

 

सख्त और तेज़ सर्दियों से बचने के लिए l

कंबल ओ राज़ाई ओढ़ना सिखाना चाहिए ll

 

कड़ी धूप में नज़रे छुपाकर चल देते है अब l

सूर्य दादा के संग निगाहें मिलाना चाहिए ll

 

हर मौसम का एक अलग मिजाज़ होता है तो l

सभी मौसमों के साथ रिश्ता निभाना चाहिए ll

 

सर्दी लेकर आया उत्तरायण का त्यौहार चलो l

आसमाँ को रंगीन पतंगों से मिलाना चाहिए ll

१३-१-२०२५ 

 

मन पतंग की उड़ान ऊँची होनी चाहिये l

आसमाँ में रंगीन चादर बिछोनी चाहिये ll

१४-१-२०२५

 

 

कह दो ना दिल का हाल एक बार खुलकर l

कह भी दो राज की बात एक बार खुलकर ll

 

बहुत जी लिये ज़माने से डर डर के आओ l

आज बहने दो ज़ज्बात एक बार खुलकर ll

 

प्यार भी करेगे जी जान से जानेमन ठहर l

समझ जाने दो हालत एक बार खुलकर ll

 

यूँ किसी भ्रम में ना बैठे रहो दिवस रात l

कर लीजिए सवालात एक बार खुलकर ll

 

मधुर, महकते , खूबसूरत मिलन के लम्हें l

महसूस कर चांदनी रात एक बार खुलकर ll

१५-१-२०२५