Mysterious serial Killer vs Detective - 3 in Hindi Crime Stories by Tripti Singh books and stories PDF | Mysterious serial Killer vs Detective - 3

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Mysterious serial Killer vs Detective - 3

अगले दिन सुबह

एसीपी आयुष मृतक विशाल दीक्षित के घर पर इस वक्त मौजूद थे, वह यहां कुछ जांच पड़ताल करने आए थे।

एसीपी आयुष विशाल के घर बाहर उसके कमरे की दीवार के आसपास सुबूत ढूंढने की कोशिश कर रहे थे।
पर सोचने वाली बात यह थी कि वहां किसी प्रकार के कोई निशान मौजूद नहीं थे।
एसीपी आयुष ने खुद से ही कहा " वैसे मानना पड़ेगा ये किलर शातिर तो बहुत है, एक भी सबूत कहीं नहीं छोड़ता जहां भी मर्डर करता है।
फिर उसका ध्यान एक खिड़की पर गया जो की विशाल के कमरे की थी जिसे कुछ देर उसे उसने इधर-उधर से ध्यान से देखा और फिर अपनी टीम के साथ वहां से निकल गया।

दोपहर का वक्त

आज लगभग दोपहर के 2:00 के आसपास राघव एसीपी आयुष और धर्मेश जी, तीनों ही सभी की नजरों से बचते हुए फिर से उस छोटे से घर में इकट्ठा हुए थे।

बहुत से सवाल थे उनके मन में लेकिन उन सवालों का जवाब अब तक न था उनके पास।

तभी एसीपी आयुष ने कहा "सर जब मैं वहां विशाल के घर जांच पड़ताल करने के लिए गया तो मैंने कुछ देखा कि उस विशाल के कमरे में एक खिड़की है! जो बाहर की तरफ खुलती है, लेकिन सोचने वाली बात यह है कि जब ये हत्या की वारदात हुई, तब भी अंदर से ही बंद थी और अब तक वो वैसे ही है।

धर्मेश जी ने चौक ते हुए कहा "क्या" आयुष ने फिर कहा "हां सर" तो धर्मेश जी थोड़ा बौखलाए हुए बोले "और ये बात तुमने अब तक मुझे नहीं बताई"
आयुष ने जब उन्हें इस तरह से बौखलाते हुए देखा तो वो जल्दी से बोला "सॉरी सर वो मैं" वो इतना बोल ही रहा था। कि उसकी बाद बीच में काटते हुए धर्मेश जी ने कहा" बहुत शातिर है ये किलर और अब हमे इसके ही तरीके से इसे मात देनी होगी"
तभी उन्होंने फिर कहा "पोस्टमार्टम रिपोर्ट का क्या हुआ वो कब तक आएगी"
तभी राघव ने तपाक से कहा" लेकिन सर सब कुछ तो साफ है फिर पोस्टमार्टम रिपोर्ट का क्या करेंगे हम" उसके इतना बोलते ही धर्मेश जी उसे घूरते हुए बोले "जरूरी तो नहीं की जो सामने हो वह सच हो" कुछ देर रुकने के बाद वह फिर बोले" कभी सोचा है की हत्याएं जब भी हुई है वो अधिकतर आधी रात को ही हुई है किसी और समय नहीं। हां यह भी हो सकता है कि रात के अंधेरे के कारण लेकिन जिन लोगों की अब तक हत्याएं हुई उन पर कोई न कोई केस जैसे रेप, छेड़छाड़ केस चल रहे थे
आयुष और राघव दोनों साथ में ही बोल "हां यह बात तो बिल्कुल सही कहीं अपने सर क्योंकि ज्यादातर हत्याएं अक्सर ऐसे लोगों की ही हुई है"
राघव ने कहा "सर ऐसा भी तो हो सकता है न कि उस किलर की कुछ खास वज़ह हो इन जैसे लोगों की हत्या करने के लिए"
धर्मेश जी ने फिर कहा "ये तो हमें तभी पता चलेगा जब हम उस तक पहुंच पाएंगे, फिलहाल हमे अब जल्द से जल्द उस तक पहुंचना होगा"
दोनों ने ही सहमति से सर हिला दिया।
तभी एसपी आयुष ने कहा "सर इतने साल हो गए हमें यह पता लगाते हुए कि आखिर कौन है, जो ये हत्या की वारदातों को अंजाम दे रहा है"
धर्मेश जी ने भी कहा "मैंने अपने करियर में किसी भी केस को सुलझाने में इतना वक्त नहीं लगाया। ये मेरे करियर का ऐसा पहला केस हैं जो, दिन ब दिन इतना रहस्मय में होते जा रहा है।
राघव ने कहा" बिल्कुल सर क्योंकि जब भी हम उस सीरियल किलर के करीब पहुंचने की कोशिश करते हैं। तब तब कुछ ऐसा होता है जिसके कारण हम फिर उसी जगह अटक जाते हैं"

फिर से धर्मेश जी ने कहा "नहीं इस बार हमेशा कुछ नहीं होने देंगे अब इस बार कुछ ऐसा करना है। जिससे वो हत्यारा हमारे चंगुल में आसानी से फस जाए।
कुछ देर तक धर्मेश जी कुछ सोचते रहे फिर उन्होंने उन दोनों से कुछ कहा और फिर सभी ने दूसरे की तरफ देखा और सहमति में सर हिला दिया।
तभी राघव ने कहा "अब बस रात होने का इंतजार है"

अगर इस भाग में कोई भी गलती हुई हो तो माफी चाहती हूं। 🙏🥰