Momal :Diary ki gahrai - 38 in Hindi Horror Stories by Aisha Diwan books and stories PDF | मोमल : डायरी की गहराई - 38

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मोमल : डायरी की गहराई - 38

पिछले भाग में हम ने देखा कि फीलिक्स ने खुद पर काबू तो कर लिया था लेकिन बारिश की वजह से मोमल और अब्राहम उसे लेने वहां आ गए जब आसमानी शैतान ने उन्हे देखा तो उन दोनों को कब्जे में लेकर फीलिक्स को धमकी दी इस लिए उसने खुद को उसे सौंप दिया ताकि उसके मां बाप को और तकलीफ का सामना न करना पड़े। वो पहले से गैरत में जीता था। उसे ये बात बहुत खलती थी के उसके पहले वाले मां बाप उसकी वजह से मारे गए थे और अब ये दोनो भी खतरे में है इस लिए उसने शैतान के साथ जाना ही बेहतर समझा। मोमल और अब्राहम की एक दर्दनाक रात गुजरी।

अब आगे :__

सुबह की भीनी भीनी खुशबू फैली हुई थी। सुहानी सी धूप खिल उठी थी। बारिश रुकने के बाद पेड़ पौधे धूल कर और हरे हरे हो गए थे। 
सुबह के समय अब्राहम की आंख लग गई और वो अब तक नही सो रहा था। क़रीब छह बजे लूना उठ कर उसके पास आई, उसने अब्राहम के गर्दन पर लगे पट्टी पर धीरे से हाथ फेरते हुए कहा :" दर्द हो रहा है पापा ? किस ने चोट लगाया आपको? 

उसकी मीठी आवाज़ सुन कर अब्राहम जाग गया।
हड़बड़ा कर उठा और इधर उधर देखते हुए बोला :" तुम्हारी मम्मा कहां है? किचन में है क्या?

लूना ने बताया :" मम्मा तो बाहर लॉन के पौधों को पानी देने गई थी लेकिन पता नहीं कहां रह गई!"

अब्राहम जल्दी में उठा और कपड़े की अलमारी से निकाल कर एक t-shirt पहना और लूना का हाथ पकड़ कर उसी मैदान की ओर जाने लगा जहां फीलिक्स था। जाते जाते लूना ने पूछा :" पापा हम कहां जा रहे हैं, मॉर्निंग वॉक पर?

अब्राहम :" हां तुम्हारी मम्मा आई होगी मॉर्निंग वॉक पर उसी को ढूंढने जा रहे हैं।"

वहां पहुंच कर देखा तो मोमल पिंजरे के पास खामोश खड़ी है। ठंडी ज़मीन के हरे घांस पर नंगे पांव मन में आस लिए खड़ी थी। सुनी आंखों से इंतज़ार की उम्मीद से कभी आसमान को देखती तो कभी ज़मीन पर रखे पिंजरे को। 
उसे देखते ही लूना ने उंगली का इशारा कर कहा :" ओ देखो मम्मा! वो क्या है पापा? 

अब्राहम  :" वो पिंजरा है बेटा! 

फिर उसने मोमल को आवाज़ लगाते हुए कहा :" मोमो ! तुम यहां कब से हो ? घर चलो लूना को सकूल भी जाना है।"

मोमल धीरे धीरे चल कर उनके पास आई। साथ चलते चलते बोली :" हम कॉलेज जाने से पहले हॉस्पिटल जायेंगे ! आप की इंजरी डॉक्टर को दिखाना होगा।"

अब्राहम :" मैं ठीक हूं मेरी फिक्र मत करो! हल्का सा ही ज़ख्म है।"

मोमल :" ज़ख्म गहरा है मैं ने अच्छी तरह देखा है।"

अब्राहम :" ठीक है चले जायेंगे!... तुम यहां क्यों आ गई ? 

मोमल ने सुने मन से कहा :" एक उम्मीद से आई थी! दिल में बार बार यही खयाल आता है की कहीं से वो मॉम कहते हुए दौड़ कर आ जायेगा! ऐसा लगता है यही कहीं है बस हमे नहीं दिख रहा है। शायद मेरा दिल मुझे तस्सलि दे रहा है की वो आ जाएगा! मैं ये सोच कर यहां आ गई के शायद वो यही बैठा होगा, हमारा इंतज़ार कर रहा होगा।" 

अब्राहम ने आह भरते हुए कहा :" इंतज़ार करना छोड़ दो, झूठी तसल्ली से कुछ नही होने वाला! वो ऐसी दुनिया में गया है जहां वो हमारा फीलिक्स नही रहेगा बल्के एक शैतान बन गया होगा! शायद क़िस्मत में यही लिखा था हमे इसे एक्सेप्ट करना होगा।"

लूना हैरत में बोली :" मम्मा पापा! आप दोनो क्या बाते कर रहें हैं? मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है बस इतना समझ आ रहा है की यहां भैया की बात हो रही है! वो किस दुनिया में चले गए हैं? क्या वो नाना जी के साथ नही गए ?

अब्राहम ने उसे समझाते हुए कहा :" लूना तुम्हारा भाई कहीं दूर चला गया है! उसे पढ़ाई करनी है इस लिए, वो ऐसे स्कूल में गया है जहां से न वापस आ सकता है ना हम मिलने जा सकते हैं! जब तक पढ़ाई पूरी नही हो जाती हम उस से और वो हम में से किसी से भी नही मिल सकता ! उसके कुछ रिश्तेदार आ कर उसे ले गए हैं। .....सोचो की वो तुम्हे कुछ दिन के लिए गिफ्ट में मिला था।"

लूना का मन बेचैन हो उठा। अचानक से भाई को खो देने की बात उसके दिल को विचलित कर गया। उसने रोनी सूरत बना कर कहा :" आप ने उन्हे जाने क्यों दिया पापा! मुझसे मिले बिना ही कैसे चले गए ! वो मुझसे प्यार नही करते थे क्या?

अब्राहम :" वो हम सब से प्यार करता है लेकिन क्या कर सकते हैं ज़िंदगी में पढ़ाई भी ज़रूरी है ना! तुम ने देखा था वो यहां के स्कूल में नही जाता था इस लिए नही जाता था क्यों के उसका एडमिशन वहां हो गया था।"

लूना मायूस हो गई।

घर पहुंच कर मोमल ने उसे यूनिफॉर्म पहना कर तैयार कर दिया। जल्दी जल्दी लंच बॉक्स तैयार कर के बैग ने डाल दिया। 
लूना का मूड बहुत खराब था। उसका मुंह लटका हुआ था। मोमल ने देखा तो उसे समझाया  :" देखो लूना! उदास मत रहना और ज़्यादा मत सोचना! फीलिक्स जल्द आ जायेगा!"

लूना मोमल के गले लग कर बोली :" सच में मम्मा भैया आ जायेंगे !"

मोमल :" हां वो आ जायेगा।"

इतने में उसकी बस आ गई, अब्राहम रोड तक जा कर उसे बस में छोड़ आया। खुद तैयार हुआ और फिर दोनों कॉलेज के लिए निकल पड़े। मोमल बहुत खामोश थी। बस गाड़ी में बैठने से पहले उसने इतना कहा :" कार मैं ड्राइव कर रही हूं! हम पहले हॉस्पिटल जा रहे हैं !"

अब्राहम बैठ कर सीट बेल्ट लगाते हुए बोला :" तुम्हे ड्राइविंग आती है ? मैं ने तुम्हे कभी ड्राइव करते हुए देखा नही!"

मोमल :" तो आज देख लीजिए!...मुझे भैया ने गाड़ी चलाना सिखाया था।"

अब्राहम उसे बार बार देख रहा था। वो महसूस कर सकता था के मोमल का मन कितना उदास है।
अब्राहम :" तुम ठीक तो हो ना ? इतनी खामोश मत रहो अच्छा नहीं लग रहा है मुझे ! डर सा लग रहा है। ऐसा लगता है जैसे उजड़े हुए बागीचे में खड़ा हूं जहां हर फूल पौधा सुख चुका है।"

मोमल ने ड्राइव करते हुए कहा :" मुझे लगता है फीलिक्स वापस लौट आएगा! अगर मुझे ऐसा लगता है तो मतलब इस बात में कोई न कोई सच्चाई है!"

अब्राहम :" वहम मत पालो मोमो! इस से तुम्हे सिर्फ तकलीफ होगा और कुछ नहीं!"

कुछ देर खामोशी से कार चलाने के बाद मोमल ने हॉस्पिटल के सामने कार पार्क कर के उतरते हुए कहा :" हम आ गए चलें चलते हैं।"

हॉस्पिटल में अब्राहम का दोस्त डॉक्टर मयंक मिला। उसने इन दोनों को देखते ही कहा :" अरे तुम दोनों फिर से ! तुम दोनों हमेशा बीमार कैसे हो जाते हो! एक दूसरे का खयाल नहीं रखते क्या?

अब्राहम ने अपना ज़ख्म दिखाते हुए कहा :" मोमो ज़िद कर के ले आई वैसे तो ज़्यादा गहरा ज़ख्म नही है! अगर स्टीचेज़ लगेंगे तो लगा दो।"

मयंक ने ठीक से देखा फिर कहा :" वैसे ऐसी इंजरी कैसे हुई ? ये तो चीरा हुआ लग रहा है।"

अब्राहम ने बहाना बना कर कहा :" हां!... वो मैं जंगल में फिसल कर गिर गया था और वहां एक नोकिला पौधा था। उसी में चीरा गया। जंगल में बहुत अजीब अजीब पौधे होते हैं।"

मयंक :" तुम खुद ही ऐसे अजीब अजीब पौधे तैयार करते हो! अच्छा ये बताओ तुम्हारे बच्चे कैसे हैं? 

अब्राहम :" ठीक हैं! फीलिक्स अपने रिश्तेदारों के यहां चला गया है।"

मयंक :" लेकिन तुम ने तो उसे एडॉप्ट किया था ना ?

अब्राहम :" हां लेकिन उसके रिश्तेदार आ कर दावा करने लगे के हमारा बच्चा है तो मैं क्या कर सकता था।"

मयंक अफसोस कर के बोला :" ओह ये तो गलत हो गया! तुम दोनों को देख कर ही मैं समझ गया था के कुछ बहुत बुरा हुआ है। तुम्हारे चहरे सुने सुने लग रहे हैं।"

इलाज करवाने के बाद वो दोनों कॉलेज चले गए। खामोशी से अपना काम करते हुए वक्त गुज़ार रहे थे। लूना को स्कूल बस कॉलेज में छोड़ जाती थी फिर जब कॉलेज में छुट्टी होती तो मोमल और अब्राहम के साथ घर आ जाती। 
दोपहर में स्कूल बस उसे छोड़ गई। कभी वो अंकल हैरी के साथ रहती तो कभी लाइब्रेरी में बैठती तो कभी अब्राहम के क्लासेस में उछल कूद करती। अब कॉलेज में सब को पता था के अब्राहम और मोमल ने इस बच्ची को गोद ले लिया है। 

जैसे तैसे दिन गुजरा और वो लोग घर आए। रात को अब्राहम ने कुछ देर लूना को पढ़ाया और उसके होम वर्क करने में मदद की। उसका मन अब भी उदास था। बार बार अपने पास के खाली बिस्तर को देखती और मुंह लटका लेती। वहां मोमल उसके लिए खाना ले आई और पास बैठते हुए बोली :" हो गई पढ़ाई लिखाई! अब खाना खा लो और सो जाओ।"

अब्राहम ने उसकी किताबें और पेंसिल्स बैग में भर कर टेबल में रख दिया। 
खाना खिलाने के बाद वो दोनों वहां से जाने लगे तभी लूना ने मोमल का हाथ पकड़ लिया और कंबल ओढ़े हुए बोली :" मम्मा मुझे गाना सुना कर सुला दो ना ! मुझे नींद नहीं आएगी भैया की याद आ रही है।"

मोमल उसके पास बैठी और उसके रेशम जैसे बालों पर हाथ फेरते हुए वोही लोरी गाने लगी जो उसने उसके इस घर में आने के पहले दिन उसे सुनाया था :_
वो नन्ही सी चिड़िया
तुम चहचहाओ तो ज़रा
ये आवाज़ न कम हो कभी
इसे शोर न समझो गुड़िया।

वो नन्ही सी चिड़िया
तुम तारा हो आंखों का
आसमान में न दिखना कभी
रौशनी हो तुम मेरे घर का।

वो नन्ही सी चिड़िया।
ये तुम्हारी नूरानी अंखियां 
अश्कों से वास्ता न हो कभी 
झिलमिलाए सदा इनमे खुशियां।

वो नन्ही सी चिड़िया...

लोरी गाते हुए मोमल की आंखे आंसुओं से झिलमिला रहे थे। अब्राहम ने खुद के जज़्बातों को काबू में रखा था लेकिन अंदर ही अंदर रोया हुआ सा रहता था।

लूना को सुलाने के बाद मोमल और अब्राहम अपने कमरे में आए, अब्राहम ने उसे गले लगा लिया और बालों पर हाथ फेरते हुए बोला :" धीरे धीरे हमे फीलिक्स से दूर होने की आदत हो जायेगी वैसे ही जैसे हमे उस से इतना लगाव और प्यार हो गया था।"

उसके माथे को चूम कर कहा :" तुम कल रात भी नही सोई थी सो जाओ तुम्हारे दिमाग को रेस्ट की ज़रूरत है।"

मोमल ने कहा :" आप सो जाइए! मैं अभी कुछ देर अपनी डायरी में फीलिक्स को लिखूंगी फिर सो जाऊंगी! आप फिक्र मत कीजिए मैं ठीक हूं बस उसकी याद बहुत आ रही है लेकिन कोई बात नहीं मैं उसका इंतजार करूंगी!"

अब्राहम ने उसके चहरे को हाथों में लेकर कहा :" मोमो तुम क्यों नहीं मानती के वो अब नही आयेगा!.... वो हम से अनजान हो चुका होगा अब तक! मैं नही चाहता की तुम्हारे दिमाग में ऐसी कोई उम्मीद पलती रहे जो कभी सच ही न हो! मोमो कम से कम मेरे और लूना के लिए अपना खयाल रखो।"

मोमल ने जवाब दिया :" मैं अपना खयाल रखूंगी और हमेशा आप दोनों के साथ ही रहूंगी। पता नहीं क्यों मेरा दिल मानता ही नहीं के वो कभी नहीं लौटेगा! अगर न भी लौटे तो मैं उसे अपने कोख से जन्म दूंगी, उसे कैसे भी कर के हमारे पास आना ही होगा !"

अब्राहम को उसकी बातें सुन कर थोड़ा सुकून मिला। उसे फिर से गले लगाया और उसके गाल और होंठो पर बोसा (किस्स) दिया। 

मोमल टेबल के सामने कुर्सी पर कलम लेकर बैठ गई। उसने अपनी डायरी में लिखना शुरू किया। 
लिखते लिखते कई बार उसकी आंखे भर आती और कलम रुक जाती फिर खुद को संभाल कर लिखने लगती। 
उसने आखिर में फीलिक्स से बात करते हुए लिखा :" फीलिक्स मेरे बच्चे तुम अगर मुझे भूल भी गए हो तो तुम्हारी मॉम तुम्हे कभी नहीं भूलेगी! तुम हमेशा मेरी आंखो में मुस्कुराते रहते हो। तुम ने अगर हम से सच में प्यार किया था तो मुझे उम्मीद है के तुम हमे याद ज़रूर करोगे! तुम्हारी मॉम तुम्हारा इंतज़ार कर रही है। हो सके तो लौट आना और उन्हीं यादों के साथ आना जो तुम यहां से ले गए हो। तुम्हारे डैड तुम्हारी बहन सब तुम्हे बहुत याद कर रहे हैं। अगर तुम शैतानी दुनिया से लौट ना सको तो मेरे कोख में आ जाना! मैं जीसस से दिन रात प्रे करती रहूंगी के वो तुम्हारी आत्मा मेरे कोख में डाल दे ! मैं इंतज़ार करूंगी!... तुम्हारी मॉम मोमल विल्डर "

लिखने के बाद उसने डायरी बंद किया और बिस्तर पर जा कर लेट गई। आंखो में नींद तो नही थी बस खुले आंखों से दिल ही दिल ईश्वर को याद कर रही थी। कुछ देर बाद उसे एक मीठी सी आवाज़ आई :" मॉम"

ये आवाज़ फीलिक्स की थी। आवाज़ सुनते ही मोमल हड़बड़ा कर उठ गई। इधर उधर देखते हुए बोली :" फीलिक्स! फीलिक्स!"

अब्राहम सो गया था लेकिन मोमल के आवाज़ देने से वो भी उठ गया। उसे लगा मोमल ने सपना देखा है। उसने कहा :" मोमो सो जाओ तुम ने सपना देखा है।"

मोमल ने अचंभित हो कर धीरे से कहा :" लेकिन मैं तो सोई ही नहीं! मैं ने फीलिक्स की आवाज़ सुनी उसने मॉम कहा।"

अब्राहम कुछ बोलता इस से पहले फिर से आवाज़ आई "मॉम "
इस बार अब्राहम ने भी वो आवाज़ सुनी।

मोमल एक्साइटेड हो कर :" सुना आप ने ! आप ने सुना ये फीलिक्स ही है। फीलिक्स तुम कहां हो बात करो मुझसे।"

अब्राहम का ध्यान डायरी पर गया। वो बिस्तर से उठ कर डायरी के पास आया। पास आने के बाद दो बार आवाज़ आई " मॉम, डैड" मॉम, डैड"

उन दोनों की आंखे फटी रह गई जब पता चला के आवाज़ डायरी से आ रही है। 

To be continued.......