Yaado ki Asarfiya - 21 in Hindi Biography by Urvi Vaghela books and stories PDF | यादों की अशर्फियाँ - 21 - बॉयज के साथ बातचीत

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यादों की अशर्फियाँ - 21 - बॉयज के साथ बातचीत

   बॉयज के साथ बातचीत

   
    ट्यूशन की सबसे बड़ी खासियत थी - फ्रीडम रूल्स से। हम काफी रिलैक्स्ड रहते थे ट्यूशन में। पढ़ाई की बात में भी और बात करने की बात में भी। को एजुकेशन होने के बावजूद भी हम गर्ल्स बॉयज बात नहीं कर सकते। अगर कोई देखता भी है तब भी शक किया जाता है। स्कूल में इस तरह की सख्ती से दूरी भी बढ़ती है, हिचकिचाहट भी और आकर्षण भी। बॉयज के साथ बात करना गुनाह हो गया था स्कूल में। इसी रूल की वजह से लड़कियां डरने लगती है बात करने में, जवाब देने में और लड़के भी बात करने में अपनी होशियारी समझते है। हमारी स्कूल में हालांकि ऐसा न था। पर ट्यूशन में हम बात करने के लिए फ्री थे क्योंकि स्कूल के कोई टीचर्स नहीं थे। पर बात करने में दोनों पक्ष से हिचकिचाहट थी जो नहीं चाहिए क्योंकि बात बहुत ही सामान्य थी जैसे बुक मांगना, होमवर्क पूछना स्कूल की बाते थी पर इस जड़ नियमों की वजह से यह संकोच उत्पन्न हुआ था। पर ट्यूशन इसका सॉल्यूशन बना। 

    फरवरी का महीना था। सब न्यू जेनरेशन वाले 15 दिनों तक अलग अलग दिन मनाते थे। हम स्कूल में तो सिर्फ विश करते थे वह भी लड़कियों में ही क्योंकि बॉयज के साथ बात तो हम करते नहीं थे। यह डे का लिस्ट आम तौर पर सबको मालूम ही होता है पर कभी कभी उलट सुलट हो जाता था। इसी में ही स्लैप डे समझ कर मैंने ध्रुवी को चाटा मार दिया। इसीलिए ऐसी गलती ना हो ऐसा सोच कर मैंने पैरेंट्स के मोबाईल में से पूरा लिस्ट लिख लिया था। में ट्यूशन में लाई थी। आज मणिक सर नहीं आए थे तो हम सब अपना अपना काम कर रहे थे मैंने यह लिस्ट मेरे दोस्तों बताई। वह देखकर खुश हो गए। हम उस स्लैप डे के चक्कर में कितने को थप्पड़ मार दी थी पर पता चलने पर की आज नहीं था हमने दूसरे दिन भी लगाई। यह याद करके हम सब हस पड़े। सब बारी बारी बुक देख रहे थे। हम सब हसी मजाक कर रहे थे इतने में ब्रेक हो गई। में बुक को बंद कर बेग में रखना भूल गई क्योंकि हम सब नीचे जाने के लिए जल्दी में थे। सारी गर्ल्स क्लास से चली गई। हम सब बातें करते हुए, मस्ती करते हुए , हंसते हुए पानी पीने गए। और फिर धीरे धीरे क्लास में जा रहे थे पर ध्रुवी कभी भी शांति से नहीं चलती वह दौड़ती हुई गई क्लास में तो उसने क्या देखा? 

   हम भी पहुंच गए। बाहर नीरव खड़ा था पता नहीं पर जब अंदर गए तो सब पता चल गया। सभी बॉयज गोल बनाकर मेरी बुक में वह फरवरी डे लिस्ट देख रहे थे जो बिलकुल असामान्य था क्योंकि जहां गर्ल्स बॉयज बात तक नहीं करते थे वहा बॉयज चोरी छुपे मेरी बुक देख रहे थे और ऊपर से हमारे आने के बाद भी हर्षित, श्रेयांश और निखिल देख रहे थे। फिर किसीने उनको बताया तो बेचरेहमरे सामने शर्मिंदा होकर भाग गए पर हम सब चौक गए थे और मुस्कुरा भी रहे थे।

हमने हमने जल्दी जल्दी देखा की बॉयज क्या देख रहे थे। वह वहीं लिस्ट देख रहे थे जो में लिखकर आई थी। शायद उन सबको उत्सुकता हुए हो की हम क्या देखकर इतने हस रहे थे। हम कुछ बात करे उनसे पहले सर आ गए। पीछे पीछे बॉयज भी आ गए।

       सर ने पढ़ाना शुरू किया पर हम सबका मन वहा नहीं था पर उसी बात में था की वो लोग हमारी बात सुन भी रहे होंगे तभी उन्होंने देखा। सब गर्ल्स मुझसे कहने लगी की में बॉयज से पूछूं की आप मेरी बुक क्यों देख रहे थे पर में तो बहुत हिचकिचा रही थी। मैंने कहा क्रिशा से की तुम पूछ लो तो कह ने लगी की तुम्हारी बुक है तो तुम्हे ही पूछना पड़ेगा ना। तुम शुरू तो करो आगे में बोलूंगी पर मेरी जबान चल ही नहीं रही थी फिर माही की कलम चली मतलब उन्होंने मुझे बुक में लिख दिया की मुझे क्या बोलना है फिर जाके में ने कोशिश की।
 
  “हर्षितभाई…” में सिर्फ इतना ही बोल पाई। आगे कुछ नहीं
  फिर सब गर्ल्स ने समझाया तो फिर कोशिश की और ठान लिया की पूरा बोल कर ही रुकूंगी।
“ हर्षितभाई, आप..मेरी बुक..” फिर अटक गई तभी पीछे क्रिशा बोल पड़ी,
“आप सब हमारी बुक में क्या देख रहे थे? और क्यों?”
“ तुमसे क्या? तुम्हारी बुक देखी?” निखिल ने भी बाकी न रखा।
क्रिशा ने मुझसे फिर कहा,” देखा, मैने कहा था ना की तुम बोलो तुम्हारी बुक है। मुझे पता था की वह जरूर बीच में बोलेगा।”
मैने कहा की मैने कोशिश तो की थी ना यार। 
फिर माही स्पीच लिखकर समझाने लगी। तभी पीछे से सुनाई दिया,” उरीबेन”
मैंने पीछे देखा तो हर्षित घूम गया। सब उसके फ्रेंड निखिल कह रहे थे की बोल पर कुछ नहीं बोला मेरी तरह। फिर दूसरी बार निखिल ने बुलाया फिर भी हर्षित नहीं बोला। फिर आखिर मेरी तरह बोल ही गया,
“ सॉरी , हमने बिना पूछे आपकी बुक में देखा।”
“ इट्स ओके।” मैंने कहा। 
अंजनी ने कहा,” आप को अगर चाहिए तो मांग लेना चाहिए न। हम मना नहीं करते।”
“हम सिर्फ वहा से गुजर रहे थे तो हमारी नज़र पड़ गई। हम कुछ देख नहीं रहे थे। “ निखिल ने कहा। हम तो समझ गए थे की वह बहाना दे रहा था। उसने भी सॉरी कहा तो हमने माफ़ कर दिया।
फिर श्रेयांश ने भी सॉरी कहा। ,” आपको बुरा तो नहीं लगा।” “नहीं..नहीं कोई बात नही।” मैंने कहा। कुछ ही पल में बात खत्म हो गई पर शुरू होने में पूरा लेक्चर निकाल दिया।

यह हिचकिचाहट धीरे धीरे दूर होती गई। मुझे ये देखकर अच्छा लगा की हर्षित भी हिचकिचाया सिर्फ में नहीं। यह हिचकिचाहट सख्त रूल्स की वजह से था जो ट्यूशन में तोड़ दिया गया। अब हमारे बीच बुक्स लेने देने का, होमवर्क की सामान्य बातचीत बिना संकोच होने लगी थी। 

***

एक बार, मेहुल सर डायरेक्ट इनडायरेक्ट पढ़ा रहे थे जो मेरा सबसे फेवरिट था। सर उसका होमवर्क दे रहे थे पर सब मना कर रहे थे पर में ही हा कह रही थी तो सर ने कहा की देखो, उरी हा बोल रही है। तो निखिल के मुंह से निकल गया की,” तो उरी को….मतलब उसे दे दो।” वह मेरा नेम बिना 'बेन' लगाए लेकर शर्म से लाल हो गया क्योंकि सब हस रहे थे , सर भी।