अध्याय 48
“दो बच्चों का आप और सुमति नाम की पत्नी संतोष नाम से हैं। कचरे के डिब्बे में से उनको ढूंढ निकालने वाले वह शंकर लिंगम अपने को बच्चे नहीं है इसलिए उसे गोद लेकर स्वयं पालने लगे। अभी बाय शंकर लिंगम और उसकी पत्नी जिंदा नहीं हैं।
“इन्होंने मैकेनिक का सेट लगा रखा है। इनके जीवन थोड़ा तकलीफ में तो है। परंतु बहुत खुश है देखिए। कई करोड़ के संपत्ति इन्हें ढूंढ कर आ रहा है बोलने के बाद भी उसकी इच्छा ना करके सोच के बोलूंगा ऐसा बोल रहे हैं?”
“हां इस बात को सुनकर ही मुझे बहुत खुशी हो रही है। फिर भी एक मुख्य बात …”
“क्या है मैडम?”
“वह ‘जींस टेस्ट’ और बायोलॉजिकल टेस्ट करना पड़ेगा। उसके बाद अपने वकील और ऑडिटर दोनों को बुलाकर कानूनी ढंग से जो कुछ करना है उसे करना पड़ेगा धना।”
“अभी तुरंत उसे नहीं कर सकते मैडम। जींस टेस्ट करके मुंह खोलते ही क्यों आप मर मुझ पर विश्वास नहीं करते कहकर वह अलग हो जाएंगे। उनके यहां आने के 10 15 दिन के बाद समझ कर फिर करेंगे।”
“वह भी ठीक है। पहले अन्ना को आने दो। उसके लिए अभी फोन करके बातें कर लीजिए। स्पीकर पर फोन को रखिए। मेरे अन्ना की आवाज को मैं कानों से आराम से सुन सकूं।” ऐसा कहते ही संतोष को मोबाइल पर धनराज ने कॉल किया।
“हेलो सर…मैं धना बोल रहा हूं।”
“क्या बात है धना?”
“ऐसे पूछे तो क्या है सर। आपको आइडेंटी करके इसके बारे में मैं एचडी को बताया। आपसे मिलने के लिए मैं बहुत तड़प रहे हैं ।”
“वे तो अभी तड़प रहे हैं। मैं तो जब से समझ आई तब से तड़प रहा हूं।”
“उसके बारे में भी मैंने बताया। उसे सुनकर उन्होंने रोना शुरू कर दिया। पुरानी बातों को भूलकर जल्दी से आप एक होना है।”
“आता हूं। नहीं तो आप नहीं छोड़ोगे ना। तो ठीक है कब आऊं?”
“अरे अरे…अभी बोलो आपके घर कर भेज देता हूं आपकी पत्नी बच्चों के साथ आ जाइए। मैडम भी आपका इंतजार कर रही है।”
“इसके लिए अच्छा समय भी तो देखना पड़ेगा?”
“आपके लिए तो अब सभी दिन सभी समय अच्छा ही है।”
“ठीक है कल सुबह 10:00 बजे आता हूं।”
“फिर मैं कल 9:00 ही गाड़ी को भेज देता हूं।”
“क्यों आप नहीं आओगे?”
“यहां आपका स्वागत के लिए मुझे कुछ इंतजाम मत करने पड़ेंगे। इसलिए…”
“ठीक है कल देखेंगे।”
इस खुशी की बात खत्म होते ही कार्तिक की आंखों में आनंद के आंसू आए और कृष्णा राज बहुत ही भावुक हो गए।
“थैंक यू धना…थैंक यू वेरी मच। आपको दिए सभी असाइनमेंट बड़ी अच्छी तरह से पूरे हो गए। ‘यू आर ए ट्रृ जेंटलमैन’ ! अपने कर्तव्य की पूर्ति करने में मदद आपसे कोई ऊपर नहीं जा सकता।
“हमारे पिताजी ने बहुत पाप किए हुए हैं। पर इस समय थोड़ा पुण्य किए हुए भी हैं। इसीलिए आप मिले” बड़े हर्षित होकर कार्तिका ने कहा ।
“अभी तक जो किया है वह कोई बड़ी बात नहीं है मैडम। उस दामोदरन और विवेक को पुलिस के हाथों में पकड़वाना है। उनके अंदर जाने के बाद ही हम शांति से रह सकते हैं। मेरा अगला ‘असाइनमेंट’ यही है मैडम।” धनंजयन बोला।
“आय्यो उनको पकड़ने से अप्पा भी फंस सकते हैं।”
“अभी इस क्षण…. सर ने अपने किए हुए सारी गलतियों का परिहार कर लिया है। अपने पुराने धंधे को भी कब का उन्होंने छोड़ दिया। इसलिए अप्पा को ‘अप्रूवल’ बना देने से इन्हें अरेस्ट होने से बचा सकते हैं।’
“इससे संबंधित बातों के बारे में मैं वकील से बात कर रहा हूं। अब से आपके लिए अच्छे दिन ही है मैडम।” ऐसा धनराजन के बोलते ही कार्तिका खुश हुई और इसी समय वहां जो घड़ी थी वह उसके समर्थन में घंटा बजा ऐसा लगा।
“सर कल सुबह 10:00 बजे मेरे अप्पा को देखने के लिए जा रहा हूं। आपने जो प्लान बनाया उसके मुताबिक सब कुछ करेक्ट चल रहा है।” बड़े उत्साह के साथ विवेक को फोन करके संतोष ने बताया।
“गुड वहां जाकर पहले सेटल हो जाओ। उसके बाद मैं बोलूंगा जैसे तुम्हें सुनना पड़ेगा ठीक है?”
“समुद्र में कूदने के लिए बोलोगे तो मैं कुदूंगा।”
“वेरी गुड यह विश्वास बहुत जरूरी है। यहां मेरे अप्पा दामोदरन को पुलिस ढूंढ रही है। उस मलेशिया के रामकृष्णन और उसके लड़के मोहन दोनों ही फंस गए हैं। मैं भी अपने जगह को बार-बार बदल रहा हूं।
“अब मेरी जगह पर सब कुछ करने वाले तुम ही हो। इसके लिए तुमको महीना पांच लाख वेतन दूंगा।”
दूसरी तरफ से विवेक को ऐसा बोलते सुनकर,’कई करोड़ की संपत्ति तुम्हारी। मुझे हर महीने 5 लाख…मैं क्या बेवकूफ हूं? उस घर में घुसते ही अगले क्षण तुम्हें और तुम्हारे पिताजी को पहले पुलिस को तुम्हें पकड़वाना ही मेरा पहला काम होगा…’ ऐसा अपने मन में संतोष ने सोचा।
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