Apradh hi Apradh - 23 in Hindi Crime Stories by S Bhagyam Sharma books and stories PDF | अपराध ही अपराध - भाग 23

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अपराध ही अपराध - भाग 23

अध्याय 23 

      

उनके घर के अंदर सांप के आने के बारे में धना ने पूछा। वहां के पुजारी ही सांप बनकर आने के बाद इस गांव में अपराधिक मामले कम होने लगे। गांव में व्यापार भी अच्छी तरह से होने लगा। पुजारी के जाने के बाद तो वहां पर मरने वालों की संख्या भी बहुत बढ़ गई थी ऐसा उन्होंने बताया।

मंदिर में जाते ही धनंजयन और कुमार को लिंग के ऊपर सांप को फन निकलते हुए देखा तो उसे उन्होंने मोबाइल में कैद कर लिया।

चेन्नई वापस आते समय “आज रात गुमा हुआ नटराज की मूर्ति को लाकर मंदिर में रख देना चाहिए” ऐसा धना बोला।

आश्चर्य से कुमार ने धनंजयन को देखने लगा।

“ऐसा मत देख, गाड़ी को उठा कुमार।”

“गाड़ी को निकालता हूं पर अभी तुमने जो कहा वह मुझसे हजम नहीं हो रहा है।”

“हजम नहीं हो रहा है तो थूंक दें।

काम को चुपचाप कर मैं अभी ऐसा ही हूं।”

 “धना तुम उस मूर्ति की कहानी तो मुझे बेताल की कहानी से भी ज्यादा पहेली लग रही है।”

“सिर्फ पहेली नहीं कुमार मैं एक बड़ा अपराधी भी हूं।”

“ऐसा तुमने क्या अपराध किया?”

“मैं प्रत्यक्ष करूं तो ही अपराध है क्या? जिन्होंने किया है उनके साथ मिल जाऊं तो भी तो अपराधी ही हूं ना?”

“ओह…अभी समझ में आ रहा है, उस मूर्ति को चुराने वाला कोई और है परंतु तुम अभी उनके साथ मिल गए। ऐसा ही है ना?”

“हां। परंतु कसम से मैंने गलती नहीं की; जो गलती उन्होंने की उन सबको ठीक करने के लिए यह काम हो रहा है।”

“क्या है रे सिनेमा के हीरो जैसे जवाब दे रहे हो?”

“ठीक है फिर कौन है रे वह मूर्ति चोर?”

“नहीं कुमार… इससे ज्यादा मुझसे मत पूछो। गाड़ी को निकालो अभी 1:00 बज रहा हैं रास्ते में कोई होटल होगा वहां जाते हैं गाड़ी खड़ीकर खाना खा लेंगे। फिर मैं उस मूर्ति को लेकर आऊंगा रात को 10:00 बजे फिर से हम कीरूनूरू आएंगे और उस मूर्ति को सांप के बांबी के पास रख देंगे ।

“हम जब ऐसा कर रहे हो तो गलती से भी किसी को देखना नहीं चाहिए। कल सुबह होने के पहले फिर से मिल गई नटराज की मूर्ति को देखकर कीरुन्नूर के लोगों को खुशी होनी चाहिए। सभी टी.वी. चैनलों में यही बात की प्रमुखता होनी चाहिए कि मूर्ति फिर से मिल गई।” ऐसे धनंराजन बोला।

कुछ क्षणों तक उसे मौन देखने के बाद कुमार ने गाड़ी उठाई।

“कुमार मुझे तुम गलत मत समझो। मैंने कुछ कसमें खाई है। उसे मैं लॉन्ग नहीं सकता। मैं जो मदद तुमसे कहता हूं सिर्फ उसे करो ।आगे आगे तुम्हें बहुत सारी बातें अपने आप समझ में आएगी। तब तक तुम थोड़ा सा सहन करो।

“यह बहुत कठिन कार्य है मैंने भी इसे बड़े हिम्मत करके ज्वाइन किया है। तुम में भी यह हिम्मत होनी चाहिए। यदि तुममें यह हिम्मत नहीं है तो तुम अभी जा सकती हो। मैं अकेला भी इसे पूरा कर सकता हूं” अच्छी तरह से धनंजय में उसे बता दिया।

“चुपचाप आ रे। अब मैं तुमसे कुछ नहीं पूछूंगा। जो तुम कहोगे सिर्फ उसे ही सुनूंगा। बस।”

कीरुन्नूर, में देखें सभी बातों के बारे में धनंजयन के बोलते ही कार्तिका ने अपने भौंहों को ऊंची करके उसे देखा।

“क्या है मैडम… सांप आया शिवलिंग के ऊपर फन निकालकर खड़ा हो गया इन पर विश्वास कर नहीं कर पा रहीं हैं?”

“हां… आजकल के जमाने में कौन इस बात पर विश्वास करेगा? परंतु आप कह रहे हो इसलिए मैं विश्वास कर रही हूं धना।”

“हमारे बुद्धि से भी ज्यादा कई बातें हैं मैडम। मेरी अम्मा इस बात को अक्सर कहती है। इसको भी मैं ऐसा ही देखता हूं। अगली खबर अपना विरोधी अभी कोई नहीं है। करोना ने उन लोगों को उठा लिया बताया।”

“फिर क्या करने वाले हो?”

“आज रात ही को उस मंदिर में मूर्ति को रखना की सोच रहा हूं मैडम।”

“अच्छा.. ! ऐसा?”

उसे वैसे ही उठाकर सांप के बांबी के पास में रखना है ।अपने दोस्त कुमार को ड्राइवर बना कर रख लिया ऐसा उसने उन्हें सूचित किया।

तुरंत उसे कार्तिक ने देखा।

“क्यों मैडम इसमें आपकी इच्छा नहीं है?”

“ऐसा नहीं है। कुछ भी गलत नहीं हो जाना चाहिए ऐसा डर लगता है। क्योंकि वह मूर्ति कई करोड़ों रुपए की है। उसे ऐसे आसानी से ले जाने के लिए विवेक और उसका अप्पा दामोदरन नहीं छोड़ेंगे।”

मैं कीरून्नूर जाकर देख कर आ गया। यह बात उसे मालूम हो गई होगी ऐसा सोचते हो?”

“आपकी बहन प्रवेश पत्र लेने के लिए कॉलेज गई ये भी तो उसको पता था ऐसे ही ये भी मालूम हो गया होगा।”

“उसे मालूम हो गया ऐसे सोच लें, वह क्या करता है देख लेते हैं।”

“निश्चित रूप से वह रोड़े अटकाएगा ! वहीं नहीं रोड़े अटकाएगा मार भी डालेगा

 उसमें आपको कोई संदेह करने की जरूरत नहीं है। मार डालना तो उन लोगों के लिए बहुत ही आसान काम है। हमारे बंगले में जो खाना बनाने वाली मामी को भी उन्होंने मार दिया था।” 

“माय गॉड…. पुलिस में आपने कंप्लेंट नहीं की?”

“हम स्वयं इसके योग्य हो तभी तो कर सकते थे । यहां पर मेरे पिताजी कौन से योग्य हैं। स्टेनो को बर्बाद करके उसे बच्चा देकर, उसे आत्महत्या करने के लिए मजबूर करने वाले ही तो हैं।”

“खाना बनाने वाली मामी के रिश्तेदार पुलिस में जा सकते थे ना?”

“गरीबों की किस समय सुना है लोगों ने?”

“ठीक है पर मामी को क्यों मारा?”

“खाने में जहर देकर अप्पा को मारने के लिए उन्होंने बोला। उसके लिए मामी ने मना कर दिया। यही नहीं उन्होंने जवाब देकर उसको चप्पल से मारा वह नाराज होकर उन्होंने उसके ऊपर गाड़ी चढ़ा दी और एक्सीडेंट में मरी जैसे बता दिया।”

“अरे बाप रे…. ऐसा क्रूर आदमी है क्या वह?”

“अंडरग्राउंड गुंडे-बदमाशों में कोई दया प्रेम कुछ भी नहीं होता है धना। तभी तो वह एक डॉन के रूप में आ सकते हैं।”

“ठीक है मैडम इसे कैसा संभालना है वैसे मैं संभाल लूंगा।”

“वही कैसे?” बड़े दबाव के साथ कार्तिका ने पूछा।

कुछ सोचने के बाद अपने योजना के बारे में धनंजयन ने बताया।

उसको सुनते ही सुपर…. यह अच्छा आईडिया है” कार्तिका बोली।

आगे पढ़िए….