5 crores were also rejected in Hindi Short Stories by Naina Yadav books and stories PDF | 5 करोड़ भी ठुकरा दिए

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5 करोड़ भी ठुकरा दिए

इस संसार में जब से हम आते तभी पैदा होने के साथ ही एक तरह की प्रतिस्पर्धा शुरू हो जाती है। यह दौड़ यह प्रतिस्पर्धा जीवन भर आखिर सांस तक चलती है।इन सब के बीच ईश्वर नें जो हमें बहुमूल्य जीवन दिया है उसका मोल हम नहीं समझ पाते।


राहुल एक 25 वर्ष का युवा है। इतना युवा होकर भी अभी से वो निराश हो गया था। उसे लगने लगा था की वो जीवन में कुछ नहीं कर पायेगा,उसके साथ के दोस्त अच्छी नौकरी करके सेटल हो गये थे। राहुल कीं एक छोटी सी जॉब थी वो भी छूट गई थी।  


राहुल अब एक नयी जॉब कीं तलाश में भटक रहा था। हमेशा वो निराशा में मन ही मन ईश्वर से शिकायत करता कहता उसने किसी का बुरा नहीं किया ना ही चाहा फिर भी उसके साथ यह हुआ। वो परेशान है भटक रहा है।


जॉब के लिये वो लोकल बस में सफर करता था। चेहरे पर निराशा ही रहती थी। ना अच्छे से किसी से बात करता। 


यूँ तो बस में कई लोग जाते थे लेकिन एक विशेष इंसान उस बस में रहता था जो सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता था 


वो युवक लगभग 35 की उम्र का था।वो व्यक्ति रोज विंडो सीट पर बैठता था, और अगर इसे विंडो सीट नहीं मिलती तो, वो जो भी विंडो पर बैठा रहता उस से रिक्वेस्ट करता कीं उसे विंडो पर बैठना है।


व्यक्ति बड़ा अजीब था रंग बीरेंगे कपडे पहनता था. हाथ में 7 कलर के बेंड पहने था, बस में बड़े जोश में रहता था। उसकी आँखे बाहर खिड़की में ही देखती रहती थी।


और कभी कभी तो देखते देखते वो खुश होकर अपनी सीट से उछलता भी, बस में कोई उससे खुश होता तो किसी को परेशानी भी होती, लेकिन उसे कोई फर्क नहीं पड़ता वो हमेशा खुश रहता। 



सभी नें उसका नाम रंगीला रख दिया। एक दिन वो बस में चढ़ा तो राहुल को उसने रिक्वेस्ट कीं उसे खिड़की पर बैठने दे। राहुल उसे इतने दिनों से देख रहा था इसलिए वो उसकी आदत जानता था की वो हमेशा किसी नें किसी से रिक्वेस्ट करता है।



राहुल 2 सीटर पर बैठा, राहुल नें उसे विंडो सीट दे दी और खुद उसके पास वाली सीट पर बैठ गया। राहूल उसकी एनर्जी से प्रभावित होने लगा उसको हँसता देख, निराश रहने वाले राहुल के चहरे पर भी हसीं आ ही गई।  



उसकी अजीब हरकते अपने आप में ही कुछ बोलते रहना। यह राहुल को अच्छा लगा। उसके इस तरह के स्वभाव के कारण राहुल का उससे बात करने का मन किया।



राहुल नें उसको पूछ लिया, तुम क्या करते हो। वो बोला अभी में कुछ नहीं करता। राहुल को थोड़ा अजीब लगा राहुल नें बोला क्या मतलब कुछ नहीं करते कुछ काम नहीं करते। वो बोला नहीं अभी में काम नहीं कर रहा हूं।
राहुल को उसकी बातो पर भरोसा नहीं हुआ उसने सोचा की वो व्यक्ति झूठ बोल रहा है। या राहुल को बताना नहीं चाहता, इसलिये राहुल नें उस बात को वही खतम कर दिया और फिर से चूप चाप बैठ गया।



राहुल को चूप देख कर वो यक्ति बोला अरे क्या हुआ तुम तो चूप हो गये। में तो तुम्हे अक्सर देखता हूँ तुम हमेशा निराशा रहते हो। हॅसते ही नहीं हो क्या हुआ कुछ बताओगे।



राहुल नें थोड़ा तंज मारते हुऐ बोला की भाई हॅसने के लिये भी पैसा चाहिये हम कोई आप की तरह थोड़े है। हॅसने की खुश होने की कोई वजह तो हो। हमारी किस्मत में यही लिखा है, हमारा साथ तो भगवान भी नहीं देता।



वो यक्ति बोला अच्छा ऐसी बात तो तुम मेरे आज से पक्के दोस्त। में तुम्हे अभी 2 करोड़ रूपये दूंगा। राहुल नें उसकी इस बात को हसीं में उड़ाया।




वो फिर बोला सच में दूंगा लेकिन मेरी एक शर्त है। 2 करोड़ के बदले क्या तुम मुझे अपनी आँखे दोगे।



राहुल को यह सुनकर बडा बुरा लगा बोला क्या बकते हो पागल हो क्या।


वो फिर बोला अच्छा चलो 5 करोड़। अब दोगे। राहुल नें कहाँ की अब तुमने बकवास की तो में यहाँ से चला जाऊंगा।



वो यक्ति बोला अरे भाई बुरा मत मानो समझो। तुम 5 करोड़ तो क्या कितने भी पैसो में अपनी आँखे किसी को नहीं दोगे। मतलब तुम्हारी आँखों का कोई मोल नहीं है यह अनमोल है। और ईश्वर नें यह तुम्हे ऐसी ही दी। ना सिर्फ आँखे बल्कि तुम्हारे हर चीज अनमोल है। तो बताओ फिर तुम गरीब कैसे हुऐ।



राहुल अब यक्ति की बात को सुनंने लगा। उस व्यक्ति नें बोला सोचो अगर तुम्हारी आँखे नहीं होती तुम कुछ देख नहीं सकते तो क्या करते। 




राहुल बोला में कैसे भी करके अपनी आँखे मांगता। व्यक्ति बोला ईश्वर नें तुम्हे सब दिया उसका धन्यवाद करो। में भी तुम्हारी तरह ही सोचता था फिर आज से 7 साल पहले एक बीमारी कीं वजह से मेरी आंखे नहीं रही। बस मुझे तब अहसास हुआ कीं मेरे पास इतनी अनमोल चीज थी जो उसने दी थी और मैंने उसकी कद्र नहीं कीं, बहुत सालो बाद मुझे अब आंखे मिली ऑपरेशन से, में बस यही मांगता था कीं मेरी आँखे मुझे मिल जाये। 



ईश्वर कीं बनाई यह दुनियाँ में फिर में देख सकूँ, सिर्फ काला नहीं सारे रंग में देख सकूँ। मेरे घरवालों नें जो भी किया सिर्फ इसलिये ही किया। और जब में देख पा रहा हूं तो मुझे ऐसा लग रहा कीं मुझे कुछ भी नहीं चाहिये। 



तुम्हे उसने सब दिया है तो तुम्हे उसकी कद्र नहीं है, जो मिला उसकी कद्र इंसान करता नहीं है। देखो कितनी खूबसूरत दुनियाँ है और तुम इसे देख सकते हो। काफ़ी नहीं है और क्या चाहिये। 



उस व्यक्ति कीं बाते राहुल के दिल तक चली गई. उसी छण उसकी निराशा ख़त्म हो गई। एक छण ही काफ़ी था उसे जगाने के लिये। वो सिर्फ प्रार्थना में ईश्वर का धन्यवाद देने लगा। ज़िन्दगी जिने का नजरिया बदल गया,और बिना सोचे सिर्फ कर्म करने लगा।