Dear Sir - 2 in Hindi Love Stories by puja books and stories PDF | डिअर सर........2

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डिअर सर........2

आज काफी देर से लाइट नहीं थी तो अंधेरा होने से पहले ही लालटेन जलानी थी। एनी जैसे ही लालटेन साफ करने बाहर निकली उसकी चीख निकल गई। करीब 2 मीटर लंबा सांप सर्र से उसके पैरों के पास से होकर निकला था। अब सब लड़कियों की धमाल चौकड़ी बंद हो गई और सब की सब एक सुरक्षा घेरा बनाकर हाथ में लड़की-चप्पल-न्यूजपेपर-झाडू लेकर बैठ गईं। लालटेन को दरवाजे के पास ही रख दिया था ताकि दोबारा मेंढक, सांप या कोई और अनामंत्रित जीव आता दिखे तो लड़कियां सतर्क हो जाएं।

विकास सर और बाकी टीम के आने तक एनी बुखार में पड़ी थी और लड़कियों ने दोपहर में मैगी और चाय- बिस्किट के अलावा न कुछ खाया था और न ही बनाया था। आज किसी को नींद नहीं आने वाली थी और सबकी रतजगे की तैयारी थी।




विकास सर को पूरा किस्सा पता चला तो उन्होंने सब लड़कियों के लिए आलू-मटर-गाजर-गोभी और चावल की तहरी बनाई। पुदीने और हरी अमिया चटनी पीसी। एनी को जबरदस्ती खिलाना पड़ा था। सबको खिलाने के बाद उन्होंने अपने कमरे में सबके बिस्तर लगवा दिए। उनको पता था कि सांप का डर निकलने में कुछ टाइम लगेगा। उन्होंने कहा कि वह लालटेन जलाकर गेट पर रहेंगे। लड़कियां आराम से सोएं।

अगली सुबह सोनी ने एक सनसनीखेज खुलासा किया- विकास सर ने रात में एक घंटे तक एनी के सिर पर पानी की पट्टियां बदली थीं। जिस बात पर एनी को छोड़कर किसी को यकीन नहीं हुआ था।


खैर, इस दिन के बाद से एनी और विकास सर के बीच जमी बर्फ वैसे ही पिघल गई थी जैसे अगली सुबह एनी का बुखार उतरा था। लड़कियों और विकास सर के बीच दोस्ती भी हो गई थी। गांव में लोगों से बात करने और उनकी बात समझने में आने वाली प्रॉब्लम को विकास सर ने उनके फॉर्म में तीन-चार सवालों को बदलकर चुटकियों में सुलझा दिया था। अब लड़कियों को अच्छे रिस्पॉन्स मिलने लगे और उनका काम भी टाइम पर पूरा होने लगा।

हर शुक्रवार को ऑफिस से सारे जरूरी कागजात तहसील वाले ऑफिस में जाते। विकास सर वहां से वापसी में लड़कियों के लिए खाने-पीने का सामान लाने लगे। कई बार वह इन सबको अपने साथ तहसील वाले ऑफिस भी ले गए ताकि इनका एक्सपोजर बढ़े।


ऑफिस की कार का दूसरा इस्तेमाल लड़कियों का काम खत्म होने के बाद उनको इलाके की अलग- अलग जगहों पर घुमाने में भी होने लगा। यहीं से उन्होंने सबको म्यूजियम, मेमोरियल, झील, आर्कियोलॉजिकल साइट्स, जू, बटरफ्लाई पार्क, बी फार्म भी घुमाया।

जब एनी की अंगुली दरवाजे में दबने के बाद विकास सर ही थे जिन्होंने उसका असाइनमेंट पूरा करने में हेल्प की थी।

हां, इस दौरान दोनों के बीच फैमिली, कॉलेज, करियर, फ्यूचर प्लान, फेवरेट बुक्स, मूवीज को लेकर इतनी चीजें डिस्कस हुई थीं या पता नहीं डिफरेंट पॉइंट ऑफ व्यू की वजह से इतनी लड़ाइयां हुई थीं कि एनी के लिए अब वो 'विकास सर' न होकर केवल 'विकास' रह गया था। आखिर किसी से हर लाइन में सर-सर कहकर तो ठीक से नहीं लड़ा जा सकता न?

अब काम खत्म होने के बाद भी एनी विकास सर के पास ही ऑफिस में बैठी रहती। लड़कियों को लगा कि वो शायद विकास सर का काम सीखना चाहती है। लेकिन बात इतनी सीधी नहीं थी। उसे विकास का धीरे- धीरे और कम बोलना, उसका अक्खड़ मिजाज होना, सिर झुकाकर काम में डूबे रहना और मामूली चीजों को भी परफेक्शन की हद तक पूरा करना पसंद आने लगा था। बीच-बीच में विकास का उसे देखकर कहना- 'अरे अभी तक तुम यहीं हो', एनी की 12-14 घंटे ऑफिस में रहने की थकान भुला देता।


विकास को कुछ दोस्तों ने कहा- बच्ची सीरियस न हो जाए, जरा संभलकर। तब उसे समझ में आया कि सिर्फ एनी ही नहीं, वह भी उससे बेमतलब की बातें किया करता है। उसे पता था कि इस प्रोजेक्ट के बाद बेंगलुरु उसका इंतजार कर रहा है। फैमिली को संभालना है। एनी तो वापिस लौटकर कभी दिल्ली से बाहर जाएगी नहीं। शादी भी इसे दिल्ली में ही करनी है। इसलिए अब वह अपने आप में सिमटता चला गया। दिन भर में वह सिर्फ गिने-चुने लफ्ज खर्च करता। वह भी केवल एनी के साथ।

समय बीतते-बीतते तीन महीने पूरे होने को आए। सबके लिए कुछ न कुछ गिफ्ट खरीदकर विकास सर ने ऑफिस की कार में उनको रेलवे स्टेशन छोड़ा था।



विकास ने नजर भर उठाकर एनी को देखा और फिर नीचे देखने लगा। उसकी जुबान तक नहीं हिल सकी।


'मत मिलना'। कहकर एनी बिना पीछे मुड़े डिब्बे में जाकर बैठ गई।

आठ साल क्या, वह उस कदकाठी, उस हाड़मांस के पुतले से आती अलग किस्म की खुशबू को पूरी जिंदगी नहीं भूल सकती। भले ही अब उसने दाढ़ी रख ली हो या कैप और गॉगल्स पहने हों।

बेंगलुरु के उस इलाके के इकलौते मॉल में एनी ने विकास को एलीवेटर पर चढ़ते देखा था। छह इंच का ही फासला था उसके और विकास के बीच। एनी की गोद में उसकी बेटी रीवा थी। शादी के बाद वह पति के साथ यहां शिफ्ट हो गई थी। उसे पता था कि ऐसा हो ही नहीं हो सकता कि विकास ने उसे न देखा हो।