BARISH KI BOONDE AUR WO - 7 in Hindi Love Stories by ANOKHI JHA books and stories PDF | बारिश की बूंदें और वो - भाग 7

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बारिश की बूंदें और वो - भाग 7

निर्णय का समय

आदित्य ने गहरी साँस ली और अपने दिल की धड़कनों को सुनने की कोशिश की। उसे समझ आ गया था कि उसे अपने जीवन में बदलाव लाना चाहिए। क्या वह अपनी पत्नी के साथ खुश रह सकता है, या क्या उसे स्नेहा के साथ अपने प्यार का पीछा करना चाहिए? यह सवाल उसके मन में बार-बार घूम रहा था।

एक दिन, आदित्य ने स्नेहा को बुलाया। बारिश फिर से शुरू हो गई थी, और दोनों एक कैफे में मिले। वहाँ की हल्की रोशनी और बारिश की बूँदें उनकी बातचीत को और भी खास बना रही थीं। आदित्य ने स्नेहा के सामने बैठते हुए कहा, "मैं अपनी पत्नी से अलग होने की सोच रहा हूँ।"

स्नेहा के चेहरे पर एक खुशी की चमक आई। "क्या आप सच में ऐसा कर सकते हैं?" उसने उत्सुकता से पूछा, उसकी आँखों में चमक थी।

"मैं नहीं जानता," आदित्य ने कहा, "लेकिन मैं अपने दिल की सुनने की कोशिश कर रहा हूँ। मैं समझता हूँ कि मुझे यह कदम उठाना होगा।"

"यह बहुत बड़ा कदम है," स्नेहा ने कहा, "लेकिन अगर आप यह फैसला कर रहे हैं, तो यह आपके लिए महत्वपूर्ण है। आप अपने लिए सही रास्ता चुन रहे हैं।"

आदित्य ने सिर झुकाया। "लेकिन मुझे डर है। क्या मैं अपने परिवार को दुखी करूँगा? प्रिया ने मेरे लिए बहुत कुछ किया है।"

"आपके दिल की आवाज़ सुननी चाहिए," स्नेहा ने कहा। "अगर आप खुद को दुखी रखेंगे, तो क्या आप प्रिया को खुश रख पाएंगे? प्यार का मतलब केवल एक-दूसरे के साथ होना नहीं है, बल्कि एक-दूसरे की खुशियों का सम्मान करना भी है।"

आदित्य ने अपने मन में झाँका। "क्या आप यह सोचती हैं कि मैं सही कर रहा हूँ? क्या मैं अपने परिवार को छोड़कर एक नया जीवन शुरू कर सकता हूँ?"

"यह आपका निर्णय है," स्नेहा ने कहा। "लेकिन आपको यह समझना होगा कि हर रिश्ते में अपने-अपने उतार-चढ़ाव होते हैं। आपको खुद को और अपने दिल को समझना होगा।"

आदित्य ने एक बार फिर अपने भीतर की आवाज़ को सुना। "मैं जानता हूँ कि अगर मैं यह कदम नहीं उठाता, तो मैं हमेशा के लिए असंतुष्ट रहूँगा। मैं अपने जीवन को बदलना चाहता हूँ।"

स्नेहा ने उसकी आँखों में देखा। "अगर आप मेरे साथ रहना चाहते हैं, तो हमें इसे सच में करना होगा। हमें अपने रिश्ते को सही दिशा में ले जाना होगा।"

आदित्य ने मुस्कुराते हुए कहा, "मैं जानता हूँ, और मैं यह करने के लिए तैयार हूँ। लेकिन पहले, मुझे प्रिया से बात करनी होगी।"

स्नेहा ने उसे प्रोत्साहित करते हुए कहा, "आप सही कर रहे हैं। यह एक कठिन बातचीत होगी, लेकिन यह आवश्यक है। आपको ईमानदार रहना होगा।"

आदित्य ने गहरी साँस ली। "मैं जानता हूँ कि यह कठिन होगा, लेकिन मैं अपने दिल की सुनना चाहता हूँ।"

उस दिन आदित्य ने एक नया संकल्प लिया। वह अपने जीवन में बदलाव लाने का साहस जुटाने लगा। क्या वह सच में इस रास्ते पर चल सकता था? क्या वह स्नेहा के साथ अपने सपनों को पूरा कर सकता था? यह सब उसकी आने वाली बातचीत पर निर्भर था।