BARISH KI BOONDE AUR WO - 4 in Hindi Love Stories by ANOKHI JHA books and stories PDF | बारिश की बूंदें और वो - भाग 4

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बारिश की बूंदें और वो - भाग 4

भावनाओं का जाल

जैसे-जैसे समय बीतता गया, आदित्य और स्नेहा की दोस्ती और गहरी होती गई। हर हफ्ते की मुलाकातें उनके बीच एक अनजानी खींचाव पैदा कर रही थीं। दोनों ने अपने-अपने जीवन के बारे में और अधिक साझा किया, जो उनके रिश्ते को और मजबूत बना रहा था। लेकिन इस गहरी दोस्ती के साथ-साथ आदित्य के दिल में एक और भावना भी पनप रही थी—प्यार।

आदित्य को यह समझ में आ रहा था कि उसके दिल में स्नेहा के लिए एक गहरा आकर्षण है। उसकी मुस्कान, उसकी हँसी, और उसकी बातें सब कुछ आदित्य के मन में बसने लगे थे। लेकिन हर बार जब वह स्नेहा के साथ होता, तो एक भारी मन के साथ उसे यह भी याद आता कि वह शादीशुदा है। यह विचार उसे अंदर से खा रहा था।

एक शाम, जब वे एक खूबसूरत पार्क में बैठे थे और हल्की-फुल्की बारिश हो रही थी, आदित्य ने अपने दिल की बात स्नेहा से साझा करने का फैसला किया।

"स्नेहा, क्या तुमने कभी सोचा है कि प्यार क्या होता है?" आदित्य ने सवाल किया।

"हां, प्यार एक खूबसूरत एहसास है, लेकिन यह जटिल भी हो सकता है," स्नेहा ने गंभीरता से जवाब दिया। "कभी-कभी हमें अपने दिल की सुननी चाहिए, लेकिन इसके परिणामों के बारे में भी सोचना चाहिए।"

आदित्य ने गहरी सांस ली। "मैं सोचता हूं कि मेरे लिए यह बहुत मुश्किल है। मुझे तुम्हारे साथ रहना बहुत पसंद है, लेकिन मैं अपनी स्थिति के बारे में भी जानता हूं।"

स्नेहा ने उसे देखा, उसकी आँखों में सवाल थे। "क्या तुम अपनी शादी को खत्म कर सकते हो?"

आदित्य ने सिर झुकाया, और उसकी धड़कनें तेज़ हो गईं। "मैं ऐसा नहीं चाहता। लेकिन मैं यह भी नहीं जानता कि मैं तुम्हारे बिना कैसे रहूंगा। तुमने मेरी ज़िंदगी में एक नई रोशनी ला दी है।"

स्नेहा ने थोड़ी देर चुप रहकर उसकी बातें समझने की कोशिश की। "तुम्हारे लिए यह कितना कठिन है, मैं समझती हूं। लेकिन हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हम सही रास्ते पर चलें। प्यार में ईमानदारी और स्पष्टता बहुत ज़रूरी हैं।"

आदित्य ने उसकी बातों को ध्यान से सुना और उसे लगा जैसे वह एक मुश्किल मोड़ पर खड़ा है। उसकी भावनाएं स्नेहा के प्रति उसके दिल में जलती रहीं, लेकिन उसके विवाहित जीवन की जिम्मेदारियाँ उसे रोक रही थीं।

"तुम मेरी जिंदगी में बहुत मायने रखती हो, स्नेहा। लेकिन मैं भी अपनी जिम्मेदारियों को नहीं भूल सकता। मैं नहीं चाहता कि तुम्हें कोई परेशानी हो," आदित्य ने कहा, उसकी आवाज में चिंता थी।

"मुझे पता है, आदित्य। लेकिन क्या तुम यह सोच सकते हो कि प्यार कभी-कभी जटिल होता है?" स्नेहा ने उसकी आँखों में देखते हुए कहा। "हमें यह तय करना होगा कि हम आगे क्या करेंगे।"

आदित्य के मन में कई सवाल थे, लेकिन उसके दिल की धड़कनें स्नेहा के प्रति उसके प्यार को और मजबूत कर रही थीं। उसने अपने आप को यह सोचते हुए पाया कि वह एक ऐसे जाल में फंस चुका है, जिसमें उसके दिल की इच्छाएँ और विवाहित जीवन की जिम्मेदारियाँ टकरा रही थीं।

इस अनिश्चितता ने आदित्य को परेशान कर दिया। क्या वह अपने दिल की सुनकर स्नेहा के साथ आगे बढ़ सकता है, या उसे अपनी शादी की सुरक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिए? ये सवाल उसे रातभर सोने नहीं दे रहे थे। स्नेहा के साथ बिताए हर पल में, उसकी आँखों में एक नई उम्मीद थी, लेकिन साथ ही, उसके दिल में एक भारी बोझ भी था।

उसने सोचा कि उसे इस स्थिति का हल ढूंढना होगा, नहीं तो वह अपने प्यार और अपनी जिम्मेदारियों के बीच हमेशा झूलता रहेगा।