Bairy Priya - 52 in Hindi Love Stories by Wishing books and stories PDF | बैरी पिया.... - 52

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बैरी पिया.... - 52


अब तक:


शिविका ने अपनी साड़ी संभाली और वह भी उनके पीछे जाने लगी । मोनिका देख सकती थी कि शिविका ने साड़ी ठीक से नहीं बांधी थी । और हल्का सा खींचने पर भी उसे साड़ी की प्लेट्स खुल सकती थी । मोनिका तिरछा मुस्कुरा दी । जैसे ही शिविका उसके सामने से निकलने लगी तो मोनिका ने उसके आगे अपनी टांग अड़ा दी ।


शिविका लड़खड़ा गई और उसके हाथ साड़ी की प्लेट्स के ऊपर से छूट गए । वही कुछ प्लेट्स उसके पैरों में उलझ गई और उसके बाद साड़ी की सारी प्लेट्स खुल गई । शिविका ने संभालने की कोशिश की लेकिन वो उससे नहीं संभली । वही शिविका खुद को भी नहीं संभाल पाई और आगे की ओर गिरने लगी ।


अब आगे :


शिवाक्ष आगे की ओर लड़खड़ाई और नीचे गिरने ही वाली थी कि इतने में दो मजबूत हाथों ने उसे कमर से थाम लिया ।


शिविका के हाथों ने भी सामने खड़े इंसान को कसकर पकड़ लिया । शिविका ने चेहरा उठाकर देखा तो सामने संयम खड़ा था । शिविका ने राहत की सांस ली । संयम अभी स्वेटिंग कर रहा था । शिविका देख सकती थी कि वो वर्कआउट करके आया है । उसे वहां देखकर शिविका के दिल को एक राहत सी मिली । मानो इतने पराए लोगों में उसे कोई अपना नज़र आ गया हो । और ये सच भी था । यहां पर मौजूद सभी लोग शिविका के लिए अंजान थे सिवाय संयम के ।



वाणी जी ने पलटकर देखा तो शिविका की साड़ी की सारी प्लेट्स खुल चुकी थी ।


मोनिका मुस्कुरा दी और बोली " ये देखिए दादी... आपकी बहू को तो साड़ी तक लगानी नहीं आती.. । और आप इसे संयम की वाइफ की तरह देख रही हैं... । " ।


संयम ने एक झलक मोनिका को देखा और फिर घर में मौजूद बाकी सब लोगों को । घर के लोग और सर्वेंट्स सब वहां पर मौजूद थे । जैसे ही संयम ने उन पर नजर डाली तो सबने नजरें झुका ली ।


संयम ने जमीन पर से शिविका की साड़ी उठाई और शिविका को पकड़ा दी । फिर वाणी जी की ओर देखा तो वाणी जी शिविका के पास आ गई ।
वाणी जी ने शिविका को देखा और फिर संयम से बोली " हम देख लेंगे.... । तुम जाओ.. । और तैयार होकर आओ... । हमने घर में पूजा रखवाई है... " ।


संयम ने शिविका को देखा और फिर चला गया । वाणी जी ने शिविका को देखा तो वो नजरें झुकाए खड़ी थी । हालांकि आस पास खड़ा कोई भी उसे नही देख रहा था पर शिविका को एंबारेसमेंट फील हो रही थी ।


वाणी जी ने उसका हाथ पकड़ा और रसोई घर की ओर चल दी । मोनिका ने मुंह बना लिया ।


जैसे ही उन्होंने रसोई घर में कदम रखा तो वाणी जी ने वहां पर काम कर रहे सर्वेंट्स को बाहर जाने का इशारा कर दिया । फिर शिविका की साड़ी की प्लेट्स को ठीक किया ।


वाणी जी खुद नीचे बैठकर शिविका की प्लेट्स ठीक कर रही थी । शिविका पल्लू पकड़े एक टक उन्हें देखे जा रही थी । उसे अपनी मां की याद हो आई । वो भी ऐसे ही शिविका को स्कूल के लिए तैयार किया करती थी । कभी अपने shoe का फीता तक उसने खुद से बांधना नही सीखा था तो साड़ी पहनना तो उसके लिए बोहोत दूर की बात थी ।


वाणी जी ने उसको देखा और बोली " साड़ी लगानी नहीं आती तो बताया क्यों नही.. ?? " ।


शिविका " कैसे बताती.... ?? जब नीचे आई तो आप सब लोग थे.. । और फिर यहां आने से पहले ही ये खुल गई..... " ।


वाणी जी ने प्लेट्स सही से लगा दी और बोली " बहाने तो बोहोत मिल जाते हैं... । काम करने की इच्छा हो तो हो ही जाता है... । चलो अब कुछ मीठा बना दो... ।


जो भी बनाना है वो सोच लो.. कैसे बनाना है वो तुम्हे सर्वेंट्स बता देंगे.. " बोलकर वाणी जी बाहर चली गई । शिविका ने अपनी साड़ी देखी तो वो अब बोहोत अच्छे से बंध गई थी । जब उसने खुद से पहनी थी तो उसने उसे ऊपर तक लपेट लिया था और उसकी कमर बिल्कुल भी नहीं दिख रही थी । लेकिन अभी जो साड़ी बंधी थी उसमे उसकी कमर भी दिखाई दे रही थी ।


वाणी जी के जाने के बाद शिविका बड़े से किचन में नजरें दौड़ने लगी ।


तभी तीन लेडी सर्वेंट्स अंदर आई और शिविका के सामने आकर हाथ बांधे खड़ी हो गई ।


शिविका ने उनसे नाम पूछे तो उनके नाम सीमा , वंदना और नेहा थे ।



शिविका बोली " अच्छा तो मीठे में सबसे जल्दी क्या बनता है... ?? और सबसे आसान क्या होता है.. ?? " ।


नेहा " आप खीर बना सकती हैं... या फिर हलवा... " ।


शिविका सोचने लगी । इतने में वंदना बोली " आप सेवइयां भी बना सकती हैं... वो सबसे जल्दी बन जायेंगी... " ।


शिविका ने सुना तो चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई ।
" ठीक है.. फिर यही बनाते हैं.... । जितना जल्दी हो उतना अच्छा है.. मुझे बोहोत भूख लग रही है... " ।


शिविका ने कहा तो तीनो सर्वेंट्स सेवइयां बनाने का सामान प्लेटफार्म पर ले आई ।


शिविका तीनो के साथ बात करते हुए उनके बताए अनुसार सेवइयां बनाने लगी ।


जैसा जैसा वो बोलती गई शिविका ने वैसे वैसे सेवइयां बना ली... । आखिर में कुछ dry fruits crush करके उसने उपर से उसमे डाल दिए ।


शिविका " घर में कितने लोग हैं... ?? " ।


सीमा " फिलहाल... 8 लोग हैं... " ।


शिविका ने सिर हिला दिया और कटोरियों में सेवइयां निकाल दी । कटोरियां 8 से कहीं ज्यादा थी ।


नेहा ने शिविका को देखा और बोली " पर मैम ये 8 से ज्यादा हैं.. इतने लोग नहीं हैं बाहर... " ।


शिविका " i know... । चलिए..... " बोलकर शिविका ने दोनो कटोरियों को प्लेट्स में रखा और उन प्लेट्स को फूड ट्रॉली में रख दिया ।


तीनो को शिविका का नेचर अच्छा लग रहा था.. । इसलिए वो भी उसके साथ घुल मिल गई थीं । और शिविका को भी उन लोगों का साथ अच्छा लग रहा था ।


शिविका ट्रॉली को लेकर आगे जाने लगी तो सीमा बोली " मैम.... इसे मैं ले चलती हूं... " बोलकर उसने शिविका के हाथ से ट्रॉली ले ली.. । शिविका आगे चल दी । बाहर आकर उसने एक कटोरी उठाई और राधा कृष्ण की मूर्ति के सामने रखकर उन्हें भोग लगा दिया ।


फिर डाइनिंग एरिया की ओर बढ़ गई जहां पर सब लोग डाइनिंग टेबल पर बैठे हुए थे ।


वाणी जी हेड चेयर के बगल वाली चेयर पर बैठी हुई थी । शिविका ने जाकर सबसे पहले उनके सामने कटोरी रख दी । वाणी जी ने शिविका को सबसे पहले मंदिर में भोग लगाते हुए देखा था तो उन्हें अच्छा लगा था ।


वाणी जी ने कटोरी को देखा और फिर शिविका को देखते हुए बोली " यहां पर बैठे सब लोग हमारे परिवार के ही हैं.. । सामने बैठे दो लोग.. संयम के चाचा चाची हैं... प्रशांत और मनीषा... । "


" जी मैं शिविका.... " बोलते हुए शिविका ने हाथ जोड़ कर नमस्ते किया । और उन दोनो के सामने एक एक कटोरी रख दी... ।


वाणी जी " उनके बगल में बैठे 3 लोग इनके बच्चे हैं.. राज , मीरा , और प्रियल... । और उनके आगे जो बैठे हैं वो हैं तुम्हारे जेठ... विक्रम.... । और वो जो लड़की बैठी है वो है मोनिका.. संयम की दोस्त जो पिछले 10 सालों से उसके साथ है... " । शिविका ने बाकी सब को देखकर मुस्कुराया । राज मीरा और प्रियल लगभग उसकी उमर के ही लग रहे थे । शिविका ने उन सबको भी सेवइयां सर्व कर दी ।


जब डाइनिंग टेबल के पास बैठे सभी लोगों को उसने सर्व कर दिया तो उसने बाकी की कटोरियां सर्वेंट्स को देनी शुरू कर दी ।


सबसे पहले उसने सीमा को कटोरी पकड़ाई ।
मोनिका " ये क्या कर रही हो... रसम तुम्हारी है जिसमे घर वालों को खिलाना है और तुम नौकरों को भंडारा खिला रही हो... । How cheap... " ।


शिविका ने सुना तो उसकी ओर देखते हुए बोली " अगर ऐसा है तो आप क्या खाने बैठी हैं.. आप भी तो घर वाली नहीं हैं... । " ।


मोनिका ने सुना तो मुट्ठियां कस ली.. । फिर वाणी जी की ओर देखा इस उम्मीद से कि अब वो शिविका को कुछ जवाब देंगी... । लेकिन वाणी जी ने कुछ नही कहा ।


प्रशांत और मनीषा एक दूसरे को देखने लगे । शिविका का एटीट्यूड उन्हें बोहोत अच्छा लग रहा था । जब शिविका ने मोनिका को जवाब दिया तो मनीषा नाक के नीचे उंगली रखकर हंस दी.. । मोनिका सबसे बदतमीजी से बात करती थी लेकिन कोई उसे संयम की वजह से उल्टा जवाब नही देता था । क्योंकि वो संयम की दोस्त जो थी । मनीषा के साथ भी उसने बोहोत बार बदतमीजी से बात की थी... । बस मोनिका दादी के सामने कुछ नही कहती थी और ना ही उनके खिलाफ कुछ कहती थी क्योंकि वो अच्छे से जानती थी कि संयम उनके खिलाफ कुछ भी नहीं सुन सकता था... ।


मोनिका ने मनीषा को हंसते हुए देख लिया था । उसने गुस्से से दांत भींच लिए ।


मोनिका " how dare you... To talk to me like this.... "।


शिविका " and how dare you to talk to our family members like this... " ।


शिविका ने सीमा की ओर देखा और बोली " जो हमारे साथ रहते हैं और हमारे घर के कामों में मदद करते हैं वो लोग पराए नही होते और न ही नौकर होते है... । और ये भी परिवार के ही सदस्य हैं.. । आप इन लोगों को बाहर वाले नहीं कह सकती... । " ।


शिविका ने कहा तो सीमा और बाकी सब उसकी ओर देखने लगे । शिविका की अपने लिए रिस्पेक्ट देखकर उन्हें दिल से खुशी हो रही थी ।


शिविका ने वाणी जी को देखा और बोली " आप ही बताइए दादी... क्या मैं गलत कह रही हूं.. और क्या मुझे इन लोगों को सेवईयां नहीं देनी चाहिए... " ।


वाणी जी ने शिविका को देखा और बोली " पहली रसोई तुम्हारी है.. तुम्हे जिसे भी खिलाना हो तुम खिला सकती हो.. । सही गलत हमारी सोच पर निर्भर होता है... । " । बोलकर दादी ने सीढ़ियों की ओर देखा तो संयम नीचे आ चुका था ।


उसने गोल्डन कलर की शेरवानी पहनी हुई थी । शिविका ने पलटकर देखा तो कुछ पल को उसे निहारती रह गई । उसने पहली बाद संयम को traditional में देखा था । वहीं संयम ने भी जब शिविका को देखा तो उसे पूरा स्कैन करने लगा ।

आज शिविका ने भी पहली बार साड़ी पहनी थी । कुछ वक्त पहले तो साड़ी ठीक से नहीं बंधी थी और उस वक्त संयम ने उसे ठीक से देखा भी नहीं था लेकिन अब जब उसने शिविका को देखा तो वो बोहोत सुंदर लग रही थी ।


संयम आकर हेड चेयर पर बैठ गया । शिविका ने उसके सामने भी कटोरी रख दी । सबने संयम के आने के बाद एक साथ सेवइयों को चखा... ।


सेवइयां मुंह में लेते ही मोनिका ने उसे बाहर थूक दिया और खड़ी हो कर बोली " chii... ये क्या बनाया है.. कितना मीठा है ये... तुम्हे नहीं पता क्या इतना मीठा हेल्थ के लिए अच्छा नहीं होता... । तुम मेरी तबियत खराब करना चाहती हो क्या... ?? " ।


संयम ने चम्मच मुंह में डालने के लिए उठाया ही था कि उससे पहले ही मोनिका ने अपना ड्रामा शुरू कर दिया था ।


सब उसकी ओर देखने लगे । मनीषा प्रशांत के कान के पास बोली " महारानी को शुगर फ्री सेवइयां चाहिए.. थी.. बेचारी की डिमांड पूरी नही हुई.. अब देखो कैसे तांडव करती है.. " ।


मोनिका ने कटोरी को जमीन पर पटक दिया । शिविका आंखें छोटी करके उसे घूरने लगी । खाने को ऐसे फेंका जाना उसे बिल्कुल अच्छा नहीं लगा । मोनिका " ऐसा घटिया खाना मैं नही खा सकती.. । ये खाने लायक नही है.. किसी को भी नहीं खाना चाहिए... " ।


मोनिका संयम को देखने लगी । संयम ने चम्मच में ली सेवइयों को मुंह में भर लिया । मोनिका का चेहरा देखने लायक था । वो नही चाहती थी कि संयम उन्हें खाए इसीलिए तो उसने ये सब किया था लेकिन फिर भी संयम ने उसे खाया... । एक बार खाने के बाद संयम आगे भी खाने लगा ।


शिविका उसे देखकर मुस्कुरा दी ।।
वाणी जी ने भी मोनिका की ओर ध्यान नहीं दिया क्योंकि वो जानती थी कि मोनिका के सिर पर अभी गुस्सा सवार है क्योंकि संयम ने शिविका से शादी कर ली है और इसीलिए वो कुछ भी किए जा रही है... ।


वाणी जी ने सेवइयों के निवाले को मुंह में डाला तो एक पल को उन्होंने आंखें बंद कर ली । सेवाइयां बोहोत अच्छी बनी थी.. और मीठा भी बिलकुल सही था ।


बाकी सबने भी खाना शुरू किया तो सबको सेवइयां बोहोत पसंद आई ।


प्रशांत बोले " क्या ये तुमने पहली बार बनाई है... ?? अगर ऐसा है तो मैं मान नही सकता.. । it's too good... " ।


तभी मनीषा बोली " absolutely... Too too good... और मीठा भी बिलकुल सही है... " ।


शिविका मुस्कुरा दी ।।


शिविका संयम की ओर देखने लगी ।


राज " actually bhabhi.. ये बोहोत सही बनी है... " ।
शिविका ने अपने लिए भाभी सुना तो एक पल को ब्लश सा करने लगी । फिर उसने थैंक यू कह दिया और वाणी जी की ओर देखने लगी ।