Bairy Priya - 47 in Hindi Love Stories by Wishing books and stories PDF | बैरी पिया.... - 47

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बैरी पिया.... - 47

शिविका जाने लगी तो om prakash ne उसका हाथ पकड़ लिया ।



" अरे कहां उड़ चली... चिड़िया... । तेरे पंख अब कुतर दिए जा चुके हैं और बचे खुचे पंखों को अब मैं काटने वाला हूं... । हा हा हा.... " बोलते हुए om prakash उसे अपनी ओर खींच लिया ।



शिविका जाकर उसके सीने से टकरा गई ।



आदमी शिविका की उम्र से दुगने से भी काफी बड़ा था । और उपर से गठीले और शक्तिशाली बदन का स्वामित्व उसके पास था । शिविका उसका मुकाबला नहीं कर सकती थी ।



Om prakash ने अपनी बाहों में शिविका की कमर को कसकर जकड़ लिया ।



और उसके चेहरे पर झुकने लगा । शिविका अपने हाथों से उसे दूर धकेलने लगी । इतने में दुबे शिविका को बाजू से पकड़कर अपनी ओर लाते हुए बोला " रहने दीजिए सरकार... क्यों अपने हाथ गंदे कर रहे हैं इसे छू कर... । इसे तो कानूनी तरीके से अच्छे से सबक सीखा सकते हैं... । आप अपने आप को इन सब में मत डालिए... " । बोलते हुए दुबे नहीं शिविका को अपने पीछे कर लिया मानो उसे ओमप्रकाश की नजरों से बचाना चाह रहा हो ।



शिविका को देखकर Om Prakash के अंदर का राक्षस जाग चुका था.. । वो अब किसी भी हाल में शिविका को छोड़ना नहीं चाहता था.. । उसकी lustful नजरें शिविका के बदन को ऊपर से नीचे तक देखे जा रही थी... ।



Om prakash हैवानियत से भरे लहजे में कहता है " अब तो तुम्हारा प्रमोशन हो रहा है दुबे... इतना सब देख ही रहे हो तो इस मामले को भी देख लेना.. । इतना क्या सोच रहे हो । इसे छूने से ही तो हाथ का सारा मैल उतर जायेगा दुबे.... । और वैसे भी इसके जेल में जाने के बाद इसकी कौन सुनने वाला है कि इसके साथ क्या क्या हुआ.. ?? इसके कुछ भी बोलने का क्या ही फायदा जब कोई सुनेगा ही नहीं तो.... । राज तो हमारा ही होगा ना " ।



शिविका घबराई हुई नजरों से om prakash को देख रही थी । उसके चेहरे और गले में पसीने की बूंदे आ चुकी थी । । Om prakash वैहाशी नजरों से उसे देख रहा था... ।


Om prakash झटके के साथ उसे अपनी ओर खींचा । उससे अब और अपनी हवस मिटाने का इंतजार नहीं हो रहा था ।


वो शिविका को बालों से पकड़ लिया ।


" आआ आह.... " शिविका की चीख निकल गई ।

Om prakash शिविका के गले पर अपने होठ रखके चूमने लगा । शिविका चिल्लाई पर अफसोस वहां उसकी चीखें सुनने वाला भी कोई नहीं था... ।


शिविका अपने नाखूनों से om prakash के सीने को नोचने लगी । Om prakash उसे गर्दन से पकड़कर अपने मुंह को खोलते हुए अपने होठों को उसके चेहरे के करीब ले जाने लगा ।



दुबे अपने हाथों की मुट्ठी बना ली और वहां से बाहर निकल गया । पता नहीं क्यों लेकिन उससे ये सब देखा नहीं जा रहा था । दुबे बाहर से दरवाजा बंद कर दिया ।



उसके फोन की बेल बजने लगी । दुबे फोन रिसीव करते हुए बोला " हां बोलो " । बोलते हुए दुबे की पकड़ फोन पर बोहोत कसी हुई थी ।


फोन की दूसरी तरफ से आवाज आई " सर उस लड़की के घर के तीनों लोगों को मार दिया है इन लोगों ने..... । तीनों के माथे के बीचो-बीच गोली लगी है और बॉडी पर भी कई जगह चोट के निशान है । On the spot ही तीनो की डेथ हो चुकी है.... । पर हम लोग अभी तक उस जगह पर सील करने नहीं गए हैं बस ऐसे ही जाकर देखा था तो नजारा बोहोत दिल दहलाने वाला था..... " । ।



दुबे की पकड़ फोन पर ये सुनने के बाद ढीली पड़ चुकी थी । उसने कॉल कट कर दी । उसे नहीं पता था कि ये लोग शिविका के पूरे परिवार को ही खतम कर देंगे... । दुबे बंद दरवाजे की तरफ देखने लगा ।



शिविका अपना सब कुछ खो चुकी थी । उसके पास अब ना कोई अपना बचा था और ना ही जब किसी के अपने साथ होने की उम्मीद । शिविका की चीजें दुबे के दिल को छलनी सा कर रही थी ।



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वहीं नरेन श्रीवास्तव जो शिविका की बहन के केस को हैंडल कर रहा था उसे भी om prakash ने दूसरी जगह पर ड्यूटी के लिए भेज दिया था ।


लेकिन नरेन वापिस शिविका से मिलने समय निकालकर आया था ।


नरेन आया तो सीधे शिविका के घर की ओर चला गया था ।


घर के बाहर का नजारा देखकर ही उसे किसी अनहोनी का अंदेशा लग चुका था । सब तरफ तोड़ फोड़ हुई थी । घर के दरवाजे भी टूटे हुए थे । नरेन जल्दी से घर के अंदर चला गया । बरामदे में देखा तो सारा सामान उथल-पुथल था ।


मानो किसी ने सोच समझकर जानबूझकर तोड़फोड़ को अंजान दिया हो । थोड़ा अंदर जाकर लिविंग रूम में देखा तो उसे सोफे के पास सुषमा जी जमीन पर पड़ी हुई दिखाई दी । नरेन का दिल मानो धड़कना भूल गया ।


नरेन जल्दी से उनके पास चला गया ।


सुषमा जी को पलट कर अपनी बाहों में लिया तो देखा कि उनके माथे के बीचो-बीच गोली मारी गई थी । उनके माथे पर चोट के निशान थे और उनकी साड़ी का पल्लू भी हटा हुआ था... । नरेन अपनी आंखें बंद की तो उसकी आंखों से आंसू बह निकले । नरेन ने उनकी साड़ी का पल्लू ठीक कर दिया ।



उसकी आंखें मानने के लिए तैयार नहीं थी कि वो क्या देख रहा है ।


नरेन ने उनके गाल पर हाथ रखा और बोला " ये क्या हुआ आंटी.... दो दिन यहां से बाहर गया तो ये क्या हो गया... " ।


पास ही में देखा तो यश भी जमीन पर पेट के बल पड़ा हुआ था... । नरेन सुषमा जी को जमीन पर लेटाया और यश के पास जाकर उसे देखने लगा फिर उसे हिलाते हुए बोला " hey champ.... get up buddy.... " बोलते हुए नरेन ने उसे पलटा तो उसके माथे के बीच में भी गोली लगी हुई थी... ।



नरेन के हाथ कांप गए । उसने कांपते हाथों से उसके सिर पर हाथ फेरा । फिर कांपते हुए खड़ा हुआ । अब उसमे इतनी हिम्मत नहीं थी कि वो घर में नजरें घुमा कर कुछ और भी देखे ।



उसकी सांसें रुक रुक कर चलने लगी थी । माथे से पसीने की बूंदे निकलने लगी थी ।


नरेन आगे की ओर देखा तो विवेक जी भी वहीं पर पड़े हुए थे । नरेन उनके पास जाकर बैठ गया और उनके सिर को अपनी गोद में रख लिया । विवेक जी की आंखें खुली हुई थी । और खून की लाल लाल नसें उसमे उभरी हुई थी ।


नरेन की आंखों से आंसुओं की धारा बह निकली । विवेक जी के मुंह से भी खून निकला हुआ था ।


नरेन उनके चेहरे पर हाथ रखकर थपथपाते हुए रुंझे हुए गलेेेे से " विवेक अंकल... उठिए ना.. । ये क्या कर रहे हैं आप लोग.. । ऐसे क्यों सोए पड़े हैं... । उठिए ना अंकल.. अभी तो पाखी के लिए लड़ना बाकी है । आप ऐसे नही सो सकते... " ।


बोलकर नरेन उनके सीने से सिर टिकाकर रोने लगा । उसने विवेक जी की आखें बंद कर दी ।


उसके दिमाग में शिविका का खयाल आया तो " शि शि शिवि.... " कहते हुए नरेन विवेक जी को जमीन पर रख दिया और लड़खड़ाता हुआ भागते हुए शिविका के कमरे की ओर चला गया । दरवाजे से टकराकर वो कमरे के अंदर गया उस कमरे का दरवाजा भी टूटा हुआ था । नरेन समझ पा रहा था कि शिविका जरूर कमरे के अंदर बंद होगी और उसे पकड़ने के लिए इस दरवाजे को तोड़ा गया होगा ।



" शिविका... शिविका.... " चिल्लाते हुए नरेन उसे पुकारने लगा ।



पर कोई जवाब उसे नही मिला । रात के पहर में उसकी आवाज गूंज रही थी । नरेन ने अपनी आंखें मूंद ली और हाथों को मुट्ठियां बना ली । शिविका को लेकर उसके दिमाग में उल्टे सीधे खयाल आने लगे । शिविका काा यहां ना होना उसका साथ कुछ और ही होने का संकेत दे रहा था.... ।



" नई.. नहीं... शिविका को कुछ नहीं हो सकता.. । यही कहीं होगी नरेन... अच्छे से देख... " बोलते हुए वो सामान को पलटते हुए देखने लगा ।



फिर जब उसे कुछ नहीं मिला तो वो वहीं दीवार से टेक लगाकर बैठ गया । अपने सिर को अपने हाथों से पकड़ते हुए चिल्लाकर " कहां था तू नरेन.. कहां था.. !! जब ये सब हो रहा था.. । ह ह ह कहां था तू... ?? आह आह आह... " ।



" अगर कोई शिविका को उठाकर ले गया हो और उसके साथ... उसके साथ कुछ... " बोलते हुए नरेन की जुबान लड़खड़ा गई । " मैं छोडूंगा नहीं इन लोगों को... । एक एक को देख लूंगा.... " ।


नरेन को शिविका के साथ कुछ गलत होने का ख्याल बार बार हो रहा था । उसने अपने चेहरे को हाथों में भरते हुए कहा " वो नहीं झेल सकती... अब... उसके साथ कुछ नहीं होना चाहिए..... " ।फिर अपने चेहरे पर थप्पड़ मारते हुए उखड़ती सांसों के साथ बोला " नई.. नहीं नहीं.. ऐसा कुछ नही होगा... नई होगा... । " ।

बोलते हुए वो उठ गया और शिविका को ढूंढने निकल गया ।



दूसरी ओर :



शिविका om prakash को अपने से दूर धकेलते हुए चिल्लाए जा रही थी.. " छोड़ दो मुझे... नही... । जाने दो.... आह... मत करोो ऐसा.... " ।


शिविका की चीखों पर om prakash हंसा और शिविका को अपनी बाहों में उठाकर उसने जमीन पर लेेेेटा दिया । फिर शिविका के दोनो हाथों को शिविका के दोनो ओर अपने घुटनों के नीचे दबाकर.. अपनी कमीज उतार दी । शिविका कहीं न कहीं जानती थी कि उसकी मिन्नतें करने का कोई फायदा नहीं था लेकिन फिर भी वो अपने आप को छोड़ देने के लिए गुहार लगाए जा रही थी.... ।



Om prakash शिविका के उपर लेट गया और उसकी गर्दन में अपना चेहरा छुपाकर काटने लगा । शिविका अपनी पूरी ताकत लगाकर.. उसे अपने ऊपर से धकेलने लगी और खिसककर जाने लगी पर उसने शिविका के पैरों को पकड़कर वापिस से उसे अपने नीचे खींच लिया ।



Om prakash एक जोर दार थप्पड़ शिविका के चेहरे पर मारा । एक पल के लिए शिविका बिलकुल सुन्न पड़ गई। उसे सांस लेने में भी तकलीफ होने लगी थी... ।



Om prakash ने उसकी दूसरी बाजू के पास से भी शर्ट को फाड़ दिया । शिविका की अप्पर inner ware दिखने लग गई ।



"न नही... आह... आह... छोड़ो... " बोलकर शिविका चिल्लाए जा रही थी.. ।



शिविका अपने पांव चलाने लगी तो om prakash अपने भारी भरकम पैरों से उसके पैरों को भी दबोच लिया । और अपना पूरा भार शिविका के उपर डाल दिया । शिविका बिल्कुल बेबस सी पड़ी हुई थी ।



बाहर उधर उधर घूमते हुए दुबे से शिविका की चीखें बर्दाश्त नहीं हो रही थी... । दुबे को अपने सीने में एक घुटन सी महसूस हो रही थी... । उसके हाथों की मुट्ठियां कसी हुई थी.. ।



वो सोच सकता था कि वो om prakash शिविका की क्या हालत कर सकता था... ।



दुबे की समझ में नहीं आ रहा था कि वो क्या करे.. !! आखिर वो कर भी क्या सकता था... । ये प्रमोशन का दौर उसकी जिंदगी में बोहोत वक्त के बाद आया था और वो इसे किसी भी हालत में जाने नहीं देना चाहता था... । इसके लिए जरूरी था कि वो om prakash की चापलूसी करता रहे.... ।

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तभी उसके फोन पर एक मैसेज ब्लिंक हुआ ।।