Pratishodh - 6 in Hindi Adventure Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | प्रतिशोध - 6

Featured Books
  • ભાગવત રહસ્ય - 247

    ભાગવત રહસ્ય -૨૪૭   નંદ મહોત્સવ રોજ કરવો જોઈએ.મનથી ભાવના કરવા...

  • काली किताब - 7

    वरुण के हाथ काँप रहे थे, लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी। वह धीर...

  • શ્યામ રંગ...લગ્ન ભંગ....21

    ઢળતી સાંજમાં યાદોના ફૂલોથી એક સુંદર ગુલદસ્તાને બન્ને મિત્રો...

  • અભિષેક - ભાગ 9

    અભિષેક પ્રકરણ 9અભિષેક કારતક સુદ એકાદશીના દિવસે ઋષિકેશ અંકલ સ...

  • લવ યુ યાર - ભાગ 82

    લવ યુ યાર પ્રકરણ-82લવ પોતાની બેગ લઈને ઉપર પોતાના બેડરૂમમાં ગ...

Categories
Share

प्रतिशोध - 6

उमेश की बात सुनकर रानी सोच में पड़ गयी।वह उमेश के बारे में कुछ भी नही जानती थी।सिर्फ उतना ही जानती थी।जितना उमेश ने उसे बताया था।
उमेश ने उसे साथ चलने का प्रस्ताव दिया था।इसमें कोई शक नही मामा के गुजर जाने के बाद उसकी जिंदगी नरक ही बन गयी थी।मामी ने उसकी हालत नौकरानी से भी ज्यादा बदतर कर के रख दी थी।
क्या उसे उमेश के साथ चले जाना चाहिए।या नही।
यह उसके लिए विचारणीय प्रश्न था
उमेश उसके लिए अजनबी ही था।क्या जानती थी।उसके बारे में।उमेश दो दिन बाद जाने वाला था।उसे इन दो दिनों में ही निर्णय लेना था।
और आखिर उमेश के जाने का दिन आ ही गया।उमेश उससे बोला
मैं आज रात की ट्रेन से चला जाऊंगा।तुंमने क्या निर्णय लिया है।
अगर मामी को भनक लग गयी कि मैं तुम्हारे साथ
"चिंता मत करो।मैं सुबह ही कमरा खाली करके स्टेशन चला जाऊंगा।ट्रेन रात को हैं।तुम रात को मौका देखकर स्टेशन आ जाना
और रानी ने उमेश के साथ जाने का मन बना लिया था।वह इस नरक से निकलना चाहती थी।वह मामी की कैद से आजाद होना चाहती थी।और उसे इससे बढ़िया मौका फिर नही मिलने वाला था
"ठीक है।मैं मौका मिलते ही स्टेशन पहुंच जाऊंगी
उमेश दोपहर में मकान खाली करके स्टेशन चला गया था।उसने ट्रेन के दो टिकट भी बुक करा लिए थे।
रानी का मन काम मे नही लग रहा था।वह सोच रही थी।कैसे घर से निकलेगी।मामी आगे के कमरे में ही सोती थी।शाम को मामी की सहेली बोली
अरी मेला देखने नही चलेगी
पहले तो मामी ने मना कर दिया फिर न जाने क्या सूझी की बच्चो को लेकर चली गयी
और यह बेहतरीन अवसर था।रानी ने अलमारी खोली।वैसे तो मामी चाबी साथ ले गयी थी।लेकिन दूसरी चाबी से अलमारी खुल गयी थी।रानी ने उसमे से गहने और रु निकाले और छुपा कर रख दिये थे।मामी बच्चो के साथ काफी देर में लौटी थी
"हाय बुरी तरह थक गई
मामी बिस्तर में लेटते ही नींद के आगोश में चली गयी थी।बच्चे अपने कमरे में सो गए थे।इस मौके का रानी ने फायदा उठाया और वह घर से निकल ली।वह रिक्शा करके स्टेशन पहुंची थी।उमेश स्टेशन के बाहर ही उसका ििइंतजअजार कर रहा था।
"मैं तो सोच रहा था नही आओगी।ट्रेन छूटने में सिर्फ दस मिनट रह गए हैं
"बड़ी मुश्किल से आ पाई हूँ
और उमेश रानी के साथ ट्रेन में आ बैठा था।जब तक ट्रेन चल नही दी।रानी के पेट मे धुकड पुकड होती रही।कही मामी जग न जाये।अगर मामी ने उसे पकड़ लिया तो
और ट्रेन रवाना हो गयी और कई स्टेशन पार हो गयी तब रानी ने चेन की सांस ली थी।
तुम मुम्बई पहली बार जा रहे हो क्या?"रानी ने पूछा था
"एक बार पहले भी जा चुंका हूँ,"उमेश बोला,"औऱ तुम
"मैं तो घर से ही पहली बार निकली हूँ,"रानी बोली,"रहेंगे कहा
"पहले किसी होटल में रुकना होगा।नौकरी की तलाश करूंगा।नौकरी मिलते ही किराये पर कमरा ले लेंगे
मेल गाड़ी थी।हर स्टेशन पर नही रुकती थी।रानी तो तर्दन में ही पहली बार बैठी थी।उमेश तो सो गया था।लेकिन रानी को नींद नही आयी।वह दौड़ती ट्रेन से अंधेरे में बाहर का नजारा देख रही थी
और सुबह होते ही ट्रेन मुम्बई पहुंच गई थी