nakl ya akl-71 in Hindi Fiction Stories by Swati books and stories PDF | नक़ल या अक्ल - 71

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नक़ल या अक्ल - 71

71

लोमड़ी

 

सोनाली  ने राजवीर की बात सुनकर हँसते हुए कहा, ”तुम्हारा दिमाग ठीक है।“

 

क्यों, तुमने नहीं कहा था कि मैं किसी पुलिसवाले से ही शादी करूँगी।

 

तुम पुलिस वाले बन गए हो?

 

हाँ बहुत जल्द बन जाऊँगा ।

 

पेपर कुछ ज़्यादा अच्छा चल गया। सोना फिर हँसी ।

 

“अरे! पेपर तो मुझे पूरा पता था, मेरा मतलब है, पता था।“ तभी वहाँ पर समीर भी अपने दोस्तों के साथ आ गया। “क्यों राजवीर? क्या हो रहा है।“ “समीर सोना को शादी के लिए प्रपोज़ कर रहा है।“ नंदा ने कहा।

 

ऐसे तो हम भी खड़े है, राह में।

 

तू सोना, एक काम कर तू स्वयंवर रख लेना।

 

“वही सोच रही हूँ,” उसने निहाल की तरफ देखते हुए कहा पर निहाल ने गुस्से से मुँह फेर लिया। फिर तभी उसे काजल का फ़ोन आया और वह नंदन को जाने का बोलकर वह वहाँ से निकल गया।

 

अस्पताल पहुँचकर उसने देखा कि किशोर राधा के वार्ड के बाहर बैठा है और डॉक्टर राधा की जाँच कर रहें है। निहाल को देखकर वह थोड़ा हैरान हो गया।

 

“हद हो गई, भाई! आप लोगों ने मुझे भाभी के बारे में बताना भी ज़रूरी नहीं समझा। “आज काजल ने ना बताया होता तो मुझे उनके बारे में पता ही नहीं चलता।“

 

जब आख़िरी बार तुझसे बात हुई थीं तो तूने बताया कि तेरा पेपर है, उसके अगले दिन ही राधा को एडमिट करना पड़ा इसलिए किसी ने तुझे कुछ बताना ठीक नहीं समझा।

 

क्या कह रहें है,  डॉक्टर ?

 

किडनी नहीं मिल रही।

 

मैं दे देता हूँ।

 

नहीं निहाल तेरे अपने सपने है, कल को तेरी नौकरी में दिक्कत  हो जाएगी। हम सब लगे हुए हैं, डॉक्टर भी कोशिश  कर रहें हैं।

 

“क्या यार !!!” निहाल के चेहरे पर निराशा है। “हम इक्कीसवी सदी में  जी रहें हैं मगर अभी भी अंगदान  को लेकर हमारी सोच में  कोई  बदलाव नहीं आया है।  विदेशो में अठराह  साल का बच्चा जीते जी ही अंगदान का फॉर्म भर देता है ताकि मरने के बाद, उसके अंग किसी के काम आ सकें और हमसे अच्छे तो जानवर है जिनकी चमड़ी लोगों के काम तो आती है ।“

 

“नन्हें, इन सब बातों का कोई फायदा नहीं है। बस दुआकर राधा को एक किडनी ही मिल जाये । एक किडनी  भी उसकी जान  बचा सकती है।“ किशोर की आँखों में आँसू  आ गए। उसने किशोर के कंधे पर हाथ  रखा और उसे धीरज बंधाते हुए बोला, “भाई मैं भी कुछ  करता हूँ।“

 

गिरधर ने तो गॉंव के लोगों को बताया कि निर्मला अपनी मौसी के गई है और जमींदार गिरधारी चौधरी  को भी यही पता है कि वह बिरजू शहर में रहकर कंप्यूटर का कोई कोर्स कर रहा है। मगर मुंशी  रामलाल  को पूरा  विश्वास है कि बिरजू झूठ बोल रहा है इसलिए उसने भी अपने गुप्तचर लगा दिए तो दिल्ली  में  बिरजू का पता लगा सकें। सुनील ने भी अपने कानपुरिया गुंडों का कह दिया है कि “वह निर्मला को कहीं से भी ढूंढकर लाए।“

 

सोनाली को भी अपनी बहन के बारे में पता चला तो उसे भी उसकी चिंता हुई। मगर फिर उसे बिरजू का ख्याल  आया और उसने यह बात रिमझिम को बताई तो वह भी बहुत हैरान हुई। “तुझे यकीन है कि  तेरी  दीदी उन्हीं  के साथ है?” यकीन तो नहीं है पर बार बार दिल में यही ख्याल आ रहा है।“ “तू राजवीर से पूछ।“ “पूछ तो लूँ, मगर उसमे दिमाग नहीं है, वह पूरे गॉंव में ढिढोरा पीट देगा और दीदी  बेकार में बदनाम हो जाएगी।“ उसने परेशान होते हुए कहा। 

 

नंदन वापिस गॉव जाने के लिए सामान बांध  रहा है । उसने अब निहाल से पूछा, “तू नहीं चलेगा?”  “किशोर भाई को मेरी मदद  की ज़रूरत है” “पर तू यहाँ रहकर क्या कर लेगा ।“  “गॉंव जाकर भी क्या कर लूँगा, “कम से कम भाई के साथ रहूँगा और मेरे दिमाग में कुछ चल रहा है?” “ओह !! फिर तो पक्का कुछ  न कुछ  कर ही लेगा।“  “मैं किडनी डोनर के लिए सोशल वेबसाइट पर डाल देता हूँ, क्या पता कोई डोनर मिल जाये।“ “पर तू तो किसी भी सोशल साइट पर नहीं है। तो क्या हुआ, अकाउंट बना लूँगा और राधा भाभी  के लिए कुछ  न कुछ  तो करूँगा”।  नंदन ने उसे देखा कि मानो कह रहा हो कि  उसे निहाल पर गर्व है। “ठीक है, मैं भी गॉंव जाकर अपने माँ बापू से बात करता हूँ।“ उसने उसके कंधे पर हाथ रखा। 

 

सोनाली भी वापिस गॉंव चली गई पर रिमझिम को राधा के बारे में पता चला तो वह उसे देखने निहाल के साथ अस्पताल गई। रिमझिम को देखकर राधा खुश हो गई मगर फिर बाद में फूट-फूटकर रोने लगी।  “रिमझिम मैं  ठीक ही नहीं हो रही हूँ,” डॉक्टर बस तस्सली देकर चले जाते हैं, मगर मुझे कोई कुछ  नहीं बताता।“ रिमझिम ने उसका हाथ पकड़कर कहा, “देख राधे!! तेरे गुर्दो में दिक्कत है और जब तक ईलाज पूरा नहीं करवाएगी तब तक ठीक कैसे होगी,” अब वह उसे अपने कॉलेज की बातें बताकर  उसका मन बहलाने लगी ।

 

रिमझिम ने भी अपनी किडनी लेने की अपील की, मगर जब डॉक्टर को पता चला कि उसके बापू को सांस की बीमारी थी तो उन्होंने यह कहकर मना कर दिया। “यह बीमारी कल को आपको  भी हो सकती है, इसलिए आपकी किडनी लेना सही नहीं होगा। हम जेनेटिक  बीमारी से आशंकित लोगों की किडनी नहीं ले सकते ।“ यह सुनकर वे लोग मायूस हो गए। रिमझिम राधा से फिर मिलने का कहकर वहाँ से चली गई पर निहाल वहीँ रुका रहा ।  तभी उन्हें एक वार्डबॉ ने ईशारा किया तो वे दोनों उससे मिलने चले गए ।

 

सुना है, आप लोगो को किडनी डोनर चाहिए ?

 

हाँ हाँ किशोर ने उत्साहित होकर कहा. मगर निहाल  ने सख्ती से पूछा,

 

तुम कहना क्या चाहते  हो?

 

एक किडनी के छह लाख और दो किडनी के बारह लाख दो तो मैं तुम्हारी  मदद कर सकता  हूँ ।  

 

किशोर तो हैरान है पर निहाल की त्योरियाँ चढ़ गई। हॉस्पिटल में एक किडनी  नहीं है, मगर तुम लोगों  के पास बेचने के लिए बहुत किडनी है । 

 

क्या करें भाई गन्दा है पर धंधा  है।  उसने धीरे से कहा ।  

 

अगर तेरी शिकायत कर दे तो??

 

“कोई फायदा नहीं, बेकार में  अपनी जान गँवा दोंगे । बहुत बड़े बड़े लोग इस कांड में शामिल है । अगर किडनी चाहिए तो मुझे कॉल  कर देना ।“  वह एक कागज़ निहाल को पकड़ाकर चला गया।  पैसे की बात सुनकर किशोर फिर हिम्मत हार गया पर निहाल को अब भी गुस्सा आ रहा है । “कौन लोग है? जो इस कांड में शामिल है, हो न हो कुछ डॉक्टर भी शामिल होंगे ।“ उसका दिमाग लोमड़ी से भी तेज दौड़ रहा है ।