nakl ya akl-60 in Hindi Fiction Stories by Swati books and stories PDF | नक़ल या अक्ल - 60

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नक़ल या अक्ल - 60

60

सोच

 

निहाल ने अपन पिता से बहुत पूछा तो उनको बताना पड़ा, “उन्होंने बड़े ही आराम से उसकी बात का ज़वाब  देते हुए कहा,

 

“मैंने अपनी ज़मीन का एक टुकड़ा जमींदार गिरधारी चौधरी के पास गिरवी रख दिया।“

 

 

“क्या !!! “नन्हें को अभी भी अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ। उसने  गुस्से में  कहा, “बापू आप अभी जाए और वापिस करें यह पैसे, मुझे ऐसी  कोई कोचिंग नहीं करनी है।‘ उसके बापू  ने उसे समझाते  हुए कहा, “ नन्हें, ठन्डे दिमाग से मेरी बात सुन !!! बेटा!! हमे तुझसे बहुत उम्मीदे हैं, और हम तेरे नहीं, अपने सपने पूरा करने चाह रहे हैं, तू बड़ा अफसर लगेगा तो तुझसे ज़्यादा तेरे अम्मा बापू को ख़ुशी होगी। एक बार तेरी नौकरी लग जाये, फिर ज़मीन कौन सा भागी जा रही है। पैसे देते ही वो ज़मीन वापिस कर देंगे।“

 

“लेकिन बापू!! मैंने सुना है कि जमींदार ने अब से समय निर्धारित कर दिया है कि अगर एक समय तक पैसे वापिस नहीं किये तो ज़मीन उसकी हो जाएगी। 

 

“हाँ बेटा!!! इसलिए मैंने एक साल का समय ले लिया है। मुझे यकीन है कि तब तक तेरी नौकरी लग जाएगी ।“ उन्होंने उसके कंधे पर हाथ रखा।

 

“नन्हें ! तेरे बापू ठीक कह रहें हैं। मेरे बच्चे यह मुश्किल भरे दिन भी गुज़र जायेंगे, तू अपने माँ  बाप  का सपना पूरा करने में पीछे मत रहियो।“ उसकी माँ ने प्यार से उसके गाल पर हाथ फेरा और अब यह पैसे लें और शहर जाने की तैयारी कर।“ निहाल ने अपने माता पिता की आँखों में देखा तो उसे उनमे बहुत उम्मीदें दिखाई दी। उसने अब पैसे उठा लिए और कमलेश को फ़ोन करने चला गया।

 

अगले दिन सोनाली रिमझिम के घर आई तो देखा कि वो अपने कपड़ें सूटकेस में डाल रही है। सोनाली उदास होकर बोली, “तू चली जाएगी तो मेरे दिल कैसे लगेगा ।“  उसने सोना का हाथ पकड़कर कहा, “अब दिमाग लगाने की ज़रूरत है, जमकर पढ़ ले सोना, फिर तू भी अफसर बन जाएगी।“

 

शहर मैं तू कहाँ रहने वाली है?

 

कॉलेज के साथ ही एक कमरा किराए पर लिया है । वहाँ से आने जाने का रास्ता बचेगा।

 

अपना ख्याल  रखियो और बड़ी वकील साहिबा बनकर मुझे भूल  मत जाना।

 

नहीं भूलूँगी। उसने उसे गले लगा लिया।

 

अब नन्हें ने कमलेश की मदद से कोचिंग में दाखिला ले  लिया,  उसने और नंदन ने एक कमरा भी किराए पर ले लिया। शाम को वे दोनों सोमेश और किशन से मिले तो सोमेश नन्हें के गले लगकर बोला, “आपकी बहुत याद आएगी। मैं कोई  विदेश थोड़ी न जा रहा हूँ, शहर तक ही जा रहा हूँ ।“ उसने उसे प्यार से समझाते हुए कहा। अब वहाँ  पर रिमझिम और सोना भी आ गए। उसने रिमझिम को मुस्कुराते  हुए कहा,

 

“मुझे तुम पर गर्व है। तुम एक दिन बहुत अच्छी वकील बनूँगी।“

 

“धन्यवाद नन्हें!!” अब वहां पर बिरजू भी आ गया। “मैंने सुना है, कल से तू गॉंव में दिखना बंद हो जायेगा। उसे देखकर नन्हें उसके गले लग गया।“ लेकिन भैया! आपके दिल से दूर नहीं होगा ।“

 

“बिल्कुल !!!” उसने उसकी पीठ थपथपाते हुए कहा।

 

अपना ख्याल रखियो !!!

 

“और आप हमेशा ऐसे ही खुश रहना।“ उसने उसे ऐसे मुस्कुराकर देखा तो बिरजू समझ गया कि नन्हें उसके मन की बात जानता है। वह भी ज़वाब में मुस्कुरा दिया। राजवीर को निहाल और नंदन के जाने के बारे में  पता चला तो उसकी त्योरियाँ  चढ़ गई। “अगर इस नन्हें ने कोचिंग ले ली तो फिर इसे कोई हरा नहीं सकता।“

 

राज !! तू सही कह रहा है। रघु बोला।

 

पर हम इसे कोचिंग लेने से रोक नहीं सकते, यह हरिहर की आवाज़ है।

 

पर खुद तो ले सकते हैं। रघु ने कहा।  रघु की कहीं बात के बारे में राजवीर भी सोचने लगा।

 

अब नदी के किनारे से सब वापिस लौटने लगे तो निहाल ने जाती सोनाली का हाथ पकड़कर उसे रोकते हुए कहा, “थोड़ी  देर और बैठो, अभी सूरज ढलने में  वक्त है।“ सोनाली का मन किया कि वो भी नन्हें की तरह तेवर दिखाए, मगर उसके दिल ने इजाज़त नहीं दी पर फिर भी वह इतराते हुए उसके पास बैठ गई। रिमझिम उन दोनों को साथ देखकर मुस्कुराई और फिर बाकी सभी के साथ जाने लगी।

 

दोनों ढलते सूरज को देख रहें हैं। तभी सोना ने कहा, “तुम्हारे बिना गॉंव तो सूना हो जायेगा।“

 

गॉंव को छोड़ो, तुम अपनी बात करो, तुम्हें मेरी याद आएगी?

 

तुम्हें ज़्यादा याद करने से तुम्हें हिचकी आने लगेगी और फिर तुम्हारा पढ़ाई में ध्यान  नहीं लगेगा।  उसने मुस्कुराते हुए जवाब दिया।

 

मेरे पीछे किसी और से ब्याह मत कर लेना ।

 

अभी निर्मला दीदी का घर ठीक से नहीं बस रहा, फिर गोपाल भाई भी है। मेरा नंबर तो आखिरी है।

 

तुम्हारी  निर्मला  दीदी गलत नहीं है, हो सके तो उनका साथ देना, आखिर उन्हें भी खुश रहने का अधिकार है।

 

तुम सही कह रहें हो। सोनाली ने हाँ में  सिर  हिलाया।

 

कुछ देर दोनों एक दूसरे से बतियाते रहें और फिर दोनों एकसाथ नदी के किनारे से लौटने लगे। 

 

दूसरी तरफ उषा मधु के घर आई और फिर मधु उसे अपने कमरे में ले गयी और दरवाजा धीरे से बंद कर दिया।“ इतनी धीरे  कहियो  कि तेरी आवाज इस दरवाजे से बाहर न जाए।“ अब वह धीरे से बोली, मधु  रिपोर्ट  आ गई  है।

 

वो तो मैं तुझे यहाँ देखकर ही समझ गई थीं। यह बच्चा हरीश का ही है न?

 

तू खुद ही पढ़ लें।

 

रिपोर्ट अंग्रेजी में है ?

 

नहीं हिंदी में भी लिखा है। अब  उसने लिफाफा खोला और पढ़ने लगी, पढ़ते वक्त उसका चेहरा पीला पड़ गया।     

 

क्या हुआ? यह बच्चा सुधीर का ही है न? मधु हाँ में सिर हिलाकर, धम्म से वहाँ बिछे पलंग पर बैठ गई।

 

अगली सुबह नंदन और निहाल अपने घरवालों से विदा लेकर, शहर के लिए निकल गए तो वही रिमझिम को उसके नाना केशव उसे शहर छोड़ने बस में उसके साथ जा रहें हैं। नंदन और निहाल भी उसी बस में  है, आज  तीनों अपने सपनों को पूरा करने के लिए घर से निकल तो पड़े है पर क्या उन्हें उनके सपनों  की मंजिल मिलेगी या ज़िन्दगी ने उनके लिए कुछ और ही सोचकर रखा है। सोनाली और राजवीर इनका क्या होगा, इन्होंने  अपने लिए क्या सोच रखा है और उनकी सोच के हिसाब से कुछ होगा भी या नहीं!!?